पीपल को पेड़ों का राजा कहा जाता है। जिसकी उपयोगिता और महत्व के बारे में हिंदुओं के प्रसिद्ध धार्मिक ग्रंथों में भी लिखा है..
मूले ब्रह्मा त्वचा विष्णु शाखा शंकरमेवच।
पत्रे पत्रे सर्वदेवायाम् वृक्ष राज्ञो नमोस्तुते।।
अर्थात् जिस पेड़ की जड़ में साक्षात ब्रह्मा जी, पेड़ के तने पर जगत के पालनहार श्री हरि और पेड़ की शाखाओं पर स्वयं महादेव विराजित हैं, ऐसे पेड़ों के राजा पीपल देव को मैं कोटि कोटि प्रणाम करता हूं!
पीपल के पेड़ की मुख्य रूप से अनेकों धार्मिक और सामाजिक विशेषताएं मौजूद हैं। हमारे आज के इस लेख में हम पीपल के पेड़ के विषय में ही बात करेंगे।
इस दौरान हम जानेंगे कि विभिन्न धार्मिक अवसरों पर पीपल के पेड़ की पूजा क्यों की जाती है? और पीपल के पेड़ की पूजा करने का क्या है सही तरीका? जानिए हमारे आज के इस लेख के माध्यम से….
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पीपल के पेड़ पर समस्त देवी देवताओं का वास होता है। जिसका मौजूदा उदाहरण है श्रीमद्भागवत गीता। जिसमें वर्णित है कि भगवान श्री कृष्ण ने समस्त पेड़ों में स्वयं को पीपल बताया है।
लेकिन पीपल के पेड़ की पूजा क्यों होती है और धर्म के अलावा विज्ञान पीपल के पेड़ को लेकर क्या दावे करता हैं…चलिए जानते हैं।
विषय सूची
पीपल के पेड़ की क्यों और कैसे की जाती है पूजा

पीपल के पेड़ की पूजा क्यों की जाती है और इसे समस्त पेड़ों में सबसे अधिक महत्व क्यों दिया जाता है, तो इसके पीछे का कारण है कि पीपल का पेड़ सबसे अधिक ऑक्सीजन देता है और कार्बन डाइऑक्साइड ग्रहण करता है।
पीपल का पेड़ ना केवल दिन बल्कि रात में भी ऑक्सीजन प्रवाहित करता है। साथ ही ये ग्रीष्म ऋतु में शीतलता और सर्दियों में ऊष्मा प्रदान करता है। इतना ही नहीं, अगर प्राकृतिक हवा नहीं चल रही होती है, तब भी पीपल के पत्ते हिलते हैं।
जिस कारण वैज्ञानिक और धार्मिक दोनों ही दृष्टि से इसका विशेष महत्व माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु की आज्ञा पाकर ही देवी लक्ष्मी और उनकी बहन दरिद्रा पीपल के पेड़ पर निवास करती हैं।
जबकि महर्षि दधीचि के पुत्र पिप्पलाद के जीवित होने के कहानी भी पीपल के पेड़ से जुड़ी है। जिस कारण पीपल का पेड़ धार्मिक दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण माना गया है।हिंदू धर्म में प्रत्येक पूजा और आस्था के पीछे कोई ना कोई कारण अवश्य छुपा होता है।
यही कारण है कि पीपल के वृक्ष को संरक्षित करने के लिए हमारे प्राचीन लोगों ने उसे धर्म से जोड़ दिया। ताकि लोग अधिक से अधिक पीपल के पेड़ लगाएं और उनको काटें नहीं।
विज्ञान के अलावा, आयुर्वेद और वनस्पति विज्ञान भी पीपल के पेड़ को व्याधियों से छुटकारा दिलाने में अत्यधिक महत्वपूर्ण मानता है। पीपल का पेड़ व्यक्ति के वात पित्त और कफ तीनों ही प्रकार के रोगों को दूर करने में सहायक है।
पीपल के पेड़ की छाल सांस संबंधी परेशानी दूर करती है, जबकि इसके पत्तों को दूध में उबालकर पीने से दमा की परेशानी से राहत मिलती है। पीपल के पत्ते दातुन करने के लिए, गैस, कब्ज, त्वचा के रोग, सर्दी, जुकाम, घाव, तनाव, नकसीर, फटी एड़ियां, पीलिया आदि को दूर करने में सहायक होते हैं।
हालांकि कई लोग पीपल के पेड़ को भूत प्रेत का निवास मानते हैं, लेकिन अगर आप पीपल के पेड़ को कोई हानि नहीं पहुंचाते हैं, तो आपको कोई नुकसान नहीं होगा।
पीपल के पेड़ की कैसे करें पूजा?

हर सुबह स्नान आदि से निवृत होकर साफ कपड़े पहनें। उसके बाद गाय का दूध, तिल और चंदन मिला जल पीपल की जड़ में डालें। उसके बाद पेड़ पर फूल और प्रसाद आदि चढ़ाएं। फिर वहां धूप बत्ती जलाएं। इस दौरान आप मंत्र उच्चारण (पितृ देवाय नम:) भी कर सकते हैं।
जिसके बाद आप पीपल के पेड़ की आरती उतारें। ऐसा प्रतिदिन करने से आपके घर में सुख शांति बनी रहती है। जबकि शनिवार के दिन सरसों के तेल का दीपक जलाने से आपकी कुंडली में मौजूद दोष दूर होते हैं।
पीपल के पेड़ की पूजा के दौरान ये करने से होगा विशेष लाभ

- बृहस्पतिवार और शनिवार के दिन पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाने से व्यक्ति को विशेष लाभ की प्राप्ति होती है।
- शनिवार के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करते समय सरसों के तेल का दीपक जलाएं। पद्मपुराण के अनुसार, ऐसा करने से व्यक्ति को लंबी आयु का वरदान मिलता है।
- बजरंगबली की कृपा पाने के लिए भी आप पीपल के पेड़ के नीचे हनुमत साधना या हनुमान चालीस का पाठ कर सकते हैं, इससे भी आपके जीवन में सुख समृद्धि आती है।
- अगर आप भी भगवान शिव के भक्त हैं, तो आप पीपल के पेड़ के नीचे शिवलिंग की स्थापना कर सकते हैं। ऐसा करने से आपको पुण्य मिलता है।
- किसी व्यक्ति की कुंडली में यदि शनि की साढ़े साती मौजूद है, तो उसे शनिवार के दिन पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाते हुए सात बार परिक्रमा लगानी चाहिए, शाम के समय सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। ऐसा करने से आपको शीघ्र ही कुंडली के दोषों से छुटकारा मिल जाता है।
- पीपल के पेड़ की अमावस्या वाले दिन पूजा करने से व्यक्ति की आर्थिक स्थिति में सुधार आता है। जबकि माना जाता है कि सोमवती अमावस्या के दिन भगवान विष्णु और लक्ष्मी पीपल के पेड़ पर निवास करते हैं।
- जो स्त्री प्रतिदिन पीपल के पेड़ की पूजा और सेवा करती हैं, उनके सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही उन्हें संतान प्राप्ति का भी सुख मिलता है।
- प्रत्येक दिन पीपल के पेड़ को प्रणाम करने से व्यक्ति को दीर्घायु प्राप्त होती है, जबकि जो व्यक्ति नित्य पीपल के वृक्ष को पानी देता है, उसे अपने सभी पापों से छुटकारा मिल जाता है।
- पीपल के पेड़ में पूर्वजों और पितरों का निवास होता है, इसलिए कभी भी इसे काटना नहीं चाहिए। अधिकतर लोग अपनी कामना पूर्ति के लिए पीपल के पेड़ के तने पर धागा या कलावा बांधते हैं।
- पीपल के पेड़ के नीचे मुंडन आदि संस्कारों को करना चाहिए, ये शुभ माना जाता है। और अगर आप सही ढंग से पीपल के पेड़ की पूजा करते हैं, तो शनि, पितृ और राहु केतु इन सभी के दोषों से आपको छुटकारा मिल जाता है।
पीपल की पूजा के दौरान भूलकर भी ना करें ये गलतियां अन्यथा, होगा नुकसान
सप्ताह में केवल रविवार को छोड़कर आप किसी भी दिन पीपल के पेड़ पर जल चढ़ा सकते हैं। मान्यता है कि रविवार के दिन पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाने से व्यक्ति को जीवन में आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
- पीपल के पेड़ को काटने पर व्यक्ति के वंश का नाश होता है, इसलिए इस पेड़ को काटने से बचना चाहिए।
- कभी भी सूर्योदय से पहले पीपल के पेड़ की पूजा नहीं करनी चाहिए।
- पीपल के पेड़ के नीचे सोना अशुभ माना जाता है।
- पीपल के पेड़ को काटना या नुकसान पहुंचाने को पुराणों में ब्रह्म हत्या माना गया है।
- इस प्रकार, पीपल का पेड़ केवल धार्मिक दृष्टि से नहीं, बल्कि आयुर्वेद, वनस्पति और सामाजिक आधार पर भी काफी महत्व रखता है।
जिसकी पूजा करते समय हमें काफी बातों पर विशेष ध्यान देना होता है, तभी हमें पीपल की पूजा का पूर्ण फल प्राप्त होता है, और ये हमारे जीवन में आने वाली बाधाओं और संकटों से हमें मुक्ति दिलाता है।
