आर माधवन हिंदी फिल्मी जगत के एक जाने-माने अभिनेता हैं। जिन्हें 4 फिल्मफेयर पुरस्कार और तमिलनाडु राज्य फिल्म पुरस्कार से नवाजा जा चुका है। जिन्होंने हिंदी फिल्मी जगत को बहुत ही सुपर हिट फिल्में दी हैं।
जैसे कि 2006 में आई राकेश ओमप्रकाश मेहरा की रंग दे बसंती, 2007 में आई मणिरत्नम के बायोपिक गुरु, और राजकुमार हिरानी की 3 ईडियट्स आदि। आर माधवन और उनकी पत्नी सरिता बिरजे के होनहार 16 वर्षीय पुत्र वेदांत माधवन राष्ट्रीय स्तर के भारतीय तैराक हैं।
जिन्होंने अभी अपनी सालों की मेहनत और लगन के पश्चात अपने देश का गौरव बढ़ाने के लिए स्वर्ण पदक हासिल किया है।
आपको बता दें कि वेदांत माधवन की एक तैराक के रूप में यात्रा उनके स्कूल के समय से ही शुरू हो गई थी। जब उन्होंने अपने स्कूल की तैराकी प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेना शुरू किया। उसके पश्चात उन्होंने तैराकी में रुचि को और अधिक विकसित किया।
इसके बाद वेदांत पेशेवरों से तैराकी सीखने के लिए गोरेगांव स्पोर्ट्स क्लब मुंबई में शामिल हो गए। यहां उन्होंने कई राष्ट्रीय स्तर के तैराकों के साथ मुकाबला किया। इसके बाद वे 2017 में तैराकी में और आगे के प्रशिक्षण के लिए ग्लेनमार्क एक्वाटिक फाउंडेशन, मुंबई में शामिल हो गए।
जिसके बाद उन्होंने तैराकी प्रतियोगिताओं की तैयारी के लिए बेंगलुरु में 30 दिवसीय शिविर में भाग लिया।
इसके पश्चात उन्होंने तीसरी एसएफआई ऑल इंडिया नेशनल चैंपियनशिप 2018, 64वीं नेशनल स्कूल गेम्स 2018, ग्लेनमार्क 36वीं सब जूनियर और 46वीं जूनियर नेशनल एक्वेटिक चैंपियनशिप 2019, 10वीं एशियन एज ग्रुप चैंपियनशिप 2019 और फिर खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2020।
जैसी अनेक तैराकी प्रतियोगिताओं में भाग लेना शुरू किया। इन सभी प्रतियोगिताओं को मिला करके उन्होंने बहुत से पदक व ट्रॉफीयां जीती है। 2021 में उन्होंने बेंगलुरु में 47वीं जूनियर नेशनल एक्वेटिक चैंपियनशिप 2021 में उन्होंने 7 पदक जीते जिसमें से चार रजत और तीन कांस्य पदक थे।
इस आयोजन में उन्होंने 800 मीटर फ्रीस्टाइल तैराकी, 1500 मीटर फ्रीस्टाइल तैराकी, 4×100 मीटर फ्रीस्टाइल रिले, और 4×200 मीटर फ्रीस्टाइल रिले तैराकी स्पर्धाओं में महाराष्ट्र का प्रतिनिधित्व किया।

फिलहाल में वेदांत माधवन इन दिनों बहुत अधिक सुर्खियों में है। भारत के उदीयमान तैराक वेदांत माधवन ने कोपेनहेगन में डेनिश ओपन में पुरुषों की 800 मीटर फ्रीस्टाइल स्पर्धा में स्वर्ण पदक हासिल किया है।
जिसके बाद से ही देश के कोने कोने में हर तरफ उनकी चर्चा हो रही है। वेदांत माधवन जिनकी उम्र अभी मात्र 16 वर्ष है, उन्होंने अपना निजी सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 8:17.28 की टाइमिंग निकाली। उन्होंने स्थानीय तैराक अलेक्जेंडर एल ब्योर्न को 0.10 सेकेंड से मात दी।
स्वर्ण पदक जीतने के बाद वेदांत माधवन ने अपने एक इंटरव्यू में अपनी जीत का पूरा श्रेय अपने माता पिता को दिया। वेदांत ने इस बात पर जोर दिया कि वे कभी भी सिर्फ आर माधवन का बेटा बनकर नहीं रहना चाहते थे।
वेदांत ने इंटरव्यू में बताया कि उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाने में उनके माता-पिता की बहुत मेहनत है। उनके माता-पिता ने भी उनके साथ मेहनत की है। वेदांत ने कहा कि मैं अपने माता-पिता की छाया में नहीं रहना चाहता था। मैं हमेशा से ही अपना नाम बनाना चाहता था।
मैं कभी भी सिर्फ आर माधवन का बेटा बनकर नहीं रहना चाहता था। मैं अपने माता-पिता का नाम रोशन करना चाहता था। इसके आगे वेदांत ने बताया कि मेरे माता पिता हमेशा ही मेरा ध्यान रखते हैं। उन दोनों ने मेरे लिए बहुत से त्याग किए हैं, जिसमें से सबसे बड़ा त्याग दुबई शिफ्ट होना था।
दरअसल बात ये है कि कोरोना वायरस के कारण बीते साल मुंबई में बहुत से बड़े स्विमिंग पुलों को बंद कर दिया गया था। जिस कारण से ही आर माधवन अपने बेटे और पत्नी के साथ दुबई में शिफ्ट हो गए थे।
जिससे कि वेदांत अपनी ओलंपिक की तैयारी पूरी लगन और अच्छे से कर सकें। वेदांत को दुबई में बड़े स्विमिंग पूल में अच्छे से प्रैक्टिस करने का भरपूर मौका मिला था।
वेदांत माधवन के डेनिश ओपन में पुरुषों की 800 मीटर फ्रीस्टाइल तैराकी स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने के बाद उनके पिता आर माधवन ने गर्व के साथ सोशल मीडिया पर अपने बेटे का एक वीडियो शेयर किया था।
जोकि वेदांत की जीत की अनाउंसमेंट और सम्मान समारोह का था। इस वीडियो में उन्होंने नीचे लिखा कि मुझे अपने बेटे पर बहुत गर्व है। आर माधवन के द्वारा अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर डाला गया ये वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ।
आर माधवन के बेटे वेदांत माधवन ने ना केवल अपने पिता बल्कि पूरे देश का नाम रोशन किया है। वेदांत ने डेनिश ओपन 2022 में तैराकी में गोल्ड मेडल जीता है। आपको बता दें कि डेनिश ओपन की प्रतियोगिता अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होती है।
वेदांत ने पूरे विश्व में भारत का नाम रोशन किया है। उनके पिता को उन पर बहुत गर्व है और आज पूरा देश उन पर बहुत गर्व महसूस कर रहा है। पूरे देश से लोग दिल खोलकर वेदांत की तारीफ कर रहे हैं। लोग उन्हें ढेर सारी बधाइयां दे रहे हैं और उनकी परवरिश की तारीफों के पुल बांध रहे हैं।
वेदांत की इतनी छोटी सी उम्र में इतनी बड़ी उपलब्धि हासिल करने पर लोग उन्हें जमकर बधाई दे रहे हैं। केवल इतना ही नहीं लोग वेदांत और आर माधवन को आदर्श बाप-बेटे की जोड़ी बताकर उन्हे जीत की शुभकामनाएं दे रहे हैं।
लोगों का कहना है कि एक स्टार पिता और उसका बेटा शायद ऐसा ही होता है। लोगों ने वेदांत को बधाई के साथ साथ उन्हें आशीर्वाद भी दिया और उन्हें खूब आगे बढ़ने का हौसला दिया।
हमने अक्सर ऐसा देखा है और हमारे देश में ऐसी मान्यता सी बन गई थी कि एक डॉक्टर का बेटा डॉक्टर, इंजीनियर का बेटा इंजीनियर, और एक फिल्म स्टार का बेटा फिल्म स्टार ही बनता है। लेकिन वेदांत माधवन ने अपने हौसले और अपने दृढ़ निश्चय से इस परंपरा को पलट दिया है।
उन्होंने इतनी छोटी उम्र से ही ऐसा सोचा कि उन्हें केवल आर माधवन के बेटे के रूप में अपनी पहचान नहीं बनानी है। बल्कि अपने नाम और अपने काम से अपने पिता का नाम और भी अधिक रोशन करना है। उनकी ऐसी सोच ने ही आज उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया है। आज पूरे देश को वेदांत पर गर्व है।
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