केदारनाथ धाम के पश्चात अब बद्रीनाथ के कपाट भी खोल दिए गए हैं। आपको बता दें कि 8 मई को सुबह 6 बजकर 15 मिनट पर वैदिक मंत्रोच्चार और शास्त्रोक्त विधि- विधान के साथ कपाट खोले गए हैं।
दरअसल बाकी तीनों धाम यानी गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ के कपाट पहले से ही खोले जा चुके हैं। वही जैसे ही बद्रीनाथ के कपाट खोले गए सभी श्रद्धालु बद्रीनाथ के जयकारे लगाने लगे, जिससे पूरा धाम भक्तिमय हो गया।
इसके साथ ही दर्शन करने आए भक्तों को दिव्य ज्योति के भी पावन दर्शन हुए। अब से हर दिन भगवान बद्री विशाल की विधि- विधानपूर्वक पूजा- अर्चना की जाएगी।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बद्रीनाथ के कपाट खुलने के बाद होने वाला गरुड़ झाड़ मेला बद्रीनाथ के रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी की तरफ से भगवान विष्णु की आराधना के बाद संपन्न हुआ। वहीं इस दौरान सभी भक्तों ने भगवान बद्री नाथ को गरुण में बैठा कर बद्रीनाथ धाम के लिए रवाना किया।
गौरतलब है कि धाम को खोलने के लिए आदि शंकराचार्य की गद्दी और भगवान विष्णु के वाहन यानी गरुण जी की मूर्ति तेल कलश (गाडूघड़ा) यात्रा करते हुए जोशीमठ के नृसिंह मंदिर अपने अगले पड़ाव योग ध्यान बद्री मंदिर पांडुकेश्वर पहुंचाई गई।
दरअसल आपको बता दें कि इस साल चार धाम यात्रा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु के आगमन का अनुमान लगाया जा रहा है। वही एक ही दिन में करीब 15 हज़ार श्रद्धालु ही दर्शन कर सकेंगे। आपको ये भी बताते चलें की दर्शन के लिए ये जरूरी है कि आप पर्यटन विभाग की वेबसाइट पर जाकर रजिस्ट्रेशन करवाएं।
यही नहीं सभी तैयारियों में जिला प्रशासन और राज्य सरकार काफी समय से जुटी हुई है। यही कारण है कि श्रद्धालुओं की विशाल संख्या होने के बाद भी उन्हें प्रशासन द्वारा हर संभव सुविधा दी जा रही है।
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भगवान बद्रीनाथ का दिव्य चमत्कार

जैसे ही बद्रीनाथ के कपाट खुले श्रद्धालुओं में गज़ब का उत्साह देखने को मिला। काफ़ी बड़ी संख्या में पहुंचे भक्तों को जैसे ही अनुमति मिली वो दिव्य ज्योति के दर्शन के लिए पहुंच गए। बता दें कि 4 महीने बाद धाम में ये बद्रीनाथ का जयघोष फिर से गुंजायमान हो गया।
वही इस पावन धाम को लेकर ऐसा बताया जाता है कि मंदिर की कपाट बंद होते समय जो ज्योति जलाई जाती है वही ज्योति जब कपाट खोले जाते हैं तो जलती हुई मिलती है। यही कारण है कि भगवान बद्री विशाल का इसको दिव्य चमत्कार जी कहा जाता है।
यही नहीं चमत्कार को अपनी आंखों से देखने के लिए देश दुनिया भर से लोग यहां दर्शन के लिए पहुंचते हैं। आपकी जानकारी के लिए ये भी बता दें बद्रीनाथ के दर्शन करने के पश्चात केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के भी दर्शन करने होते हैं। इसी कारण से इन्हें चार धाम कहा जाता है।
बद्रीनाथ कहलाता है सृष्टि का आठवां बैकुंठ

दरअसल बद्रीनाथ को इस सृष्टि का आठवां बैकुंठ धाम कहा गया है, जहां भगवान विष्णु छह माह निद्रा में रहकर, छह माह जागते हैं। आपको बता दें कि बद्रीनाथ धाम में भगवान बद्रीनाथ की जो मूर्ति है वो शालिग्राम शिला से बनी हुई है, जोकि चतुर्भुज ध्यान मुद्रा में है।
साथ ही यहां ही नर- नारायण विग्रह पूजा भी की जाती है और एक अखंड दीप जलाया जाता है जिसे अचल ज्ञान ज्योति का प्रतीक माना जाता है। वही ये विशाल मंदिर एक ऐसे प्राकृतिक सौंदर्य की बीच में बसा हुआ है जिसे देख कर ही मन से सभी चिंताएं दूर हो जाती हैं।
यहां पर भगवान बद्रीनाथ के दाएं ओर कुबेर की मूर्ति है और उनके सामने उद्धव जी और उत्सव मूर्ति विराजमान है। दरअसल उत्सव मूर्ति को शीतकाल में जोशीमठ ले जाया जाता है और उन्हीं के पास चरण पादुका है।
आपकी जानकारी के लिए ये भी बता दें कि भगवान बद्रीनाथ की बाईं ओर नर- नारायण की मूर्ति है और उनके पास ही श्रीदेवी और भूदेवी भी विराजमान है। इस मंदिर के विषय में बात करें तो इसका निर्माण आठवीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य ने करवाया था।
वहीं बद्रीनाथ मंदिर के निकटतम एक मंदिर है इसमें बद्रीनाथ या विष्णु की वेदी है।
लुप्त हो जाएंगे बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम
पुराणों में ऐसा उल्लेख पाया गया है जिसके अनुसार भविष्य में बद्रीनाथ के दर्शन नहीं होंगे। इसके पीछे कारण ये है कि ऐसा माना जाता है कि जिस भी दिन नर और नारायण पर्वत आपस में एक साथ मिल जाएंगे बद्रीनाथ के दर्शन पूरी तरह से बंद हो जाएंगे।
इसके अलावा बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम दोनों ही लुप्त हो जाएंगे। वही कई सालों बाद भविष्य में भविष्य बद्री नामक एक नए तीर्थ के रुप में उद्गम होंगे। ऐसी मान्यता भी है कि जोशीमठ में स्थित नृसिंह भगवान की जो मूर्ति है
उसका एक हाथ साल दर साल पतला ही होता जा रहा है और जिस दिन ये हाथ पूरी तरह से लुप्त हो जाएगा, उसी दिन से बद्री और केदारनाथ तीर्थ स्थल का लुप्त होना प्रारंभ हो जाएगा।
भगवान बद्री विशाल के दर्शन मात्र से ऐसा कहा जाता है कि सारे पाप एक क्षण में ही नष्ट हो जाते हैं। यही कारण है कि बद्रीनाथ हो आठवां बैकुंठ भी कहा जाता है। जाहिर है कि भगवान बद्रीनाथ की असीम अनुकंपा जिस पर भी हो जाती है वो जिसे जीते- जी बैकुंठ का निवासी बन जाता है।
केदारनाथ मंदिर का इतिहास, इसके पीछे की कहानी और कुछ रोचक तथ्य
जानिए बद्रीनाथ धाम की महिमा के बारे में, साथ ही यहां से जुड़ी पौराणिक कथाएं
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