खाटू श्याम मंदिर ( Khatu Shyam Mandir ) राजस्थान के सीकर जिले में एक खाटू श्याम नामक गांव में स्थित है। ये मंदिर राजस्थान की राजधानी जयपुर से 80 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और राजधानी दिल्ली से इसकी दूरी लगभग 300 किलोमीटर है। खाटू श्याम मंदिर हिंदू धर्म का एक बहुत ही प्रसिद्ध तीर्थ है। यहाँ प्रत्येक वर्ष न जाने कितने श्रि श्रद्धालु जन आते हैं और अपना मनोवांछित वर प्राप्त करते हैं।
खाटू श्याम बाबा के विषय में एक कहावत बहुत अधिक प्रचलित है कि ‘हारे का सहारा बाबा श्याम हमारा’। जी हाँ खाटू श्याम बाबा को हारे का सहारा माना जाता है। इस दुनिया की भीड़ में जब एक इंसान दर दर की ठोकर खा कर जब श्याम बाबा की शरण में आता है तब वे उसे पूरे मन से अपनाते हैं और उसकी हर अभिलाषा को पूर्ण करते हैं ।

Khatu Shyam Baba का मंदिर सभी भक्तों के लिए इसलिए भी बहुत खास है क्योंकि इस मंदिर में भगवान श्री कृष्ण के साथ में राधा की नहीं बल्कि भीम के पौत्र बर्बरीक की पूजा की जाती है और इसका उल्लेख श्रीमद्भगवद्गीता में बहुत ही सुंदर अक्षरों में देखने को मिलता है। प्रत्येक वर्ष फागुन मास की एकादशी से यहां पांच दिवसीय मेले का भव्य आयोजन किया जाता है, जिसमें देश के कोने-कोने से लाखों श्रद्धालु जन आकर बाबा के दरबार में अपनी हाजिरी लगाते हैं।
इस पौराणिक मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। संजय और अर्जुन इन दोनों के अलावा बर्बरीक ही वे तीसरे व्यक्ति थे, जिन्होंने महाभारत की हर एक घटना को देखा है और ये महाभारत के साक्षी रहे हैं। आपको बता दें कि बर्बरीक एक महान शिव भक्त थे। इनके तप, साधना से प्रसन्न होकर भगवान महादेव ने इन्हे तीन ऐसे बाणों का वरदान दिया जो लक्ष्य को भेद कर पुनः लौट सकते थे।
इसी कारण से बर्बरीक बहुत शक्तिशाली हो गए थे और जब कुरुक्षेत्र में युद्ध प्रारंभ हुआ तब इन्होंने असहाय पक्ष की ओर से युद्ध करने का निर्णय लिया। दरअसल एक बार बर्बरीक ने अपनी माता को वचन दिया था कि वो सदैव कमजोर और निर्बल पक्ष की ओर से ही युद्ध करेंगे।
बर्बरीक के द्वारा लिए गए इस निर्णय के विषय में भगवान श्री कृष्ण ने बर्बरीक से पूछा की तुमने कमजोर पक्ष से लड़ने का निर्णय लिया है, सो तो ठीक है लेकिन प्रत्येक क्षण में आपसे दूसरा वाला पक्ष हारेगा और वो निर्बल एवं शक्तिहीन हो जाएगा क्योंकि कुरुक्षेत्र के इस युद्ध में भाग लेने वाला कोई भी योद्धा तुम्हारे बाणों का मुकाबला करने में सक्षम नहीं है।
दरअसल, बर्बरीक के इन तीन बाणों के वरदान के विषय में भगवान श्री कृष्ण पूरी तरह से अवगत थे। उन्होंने सोचा कि यदि बर्बरीक युद्ध में हिस्सा लेता है तो वो जिस भी पक्ष में रहेगा वो पक्ष आसानी से निश्चित जीत जाएगा और न्याय की अभिव्यक्ति नहीं हो सकेगी। इस कारण से भगवान श्री कृष्ण ने ब्राह्मण का रूप धारण करके बर्बरीक से भिक्षा में उसका सिर मांग लिया और बिना किसी हिचकिचाहट के बर्बरीक ने अपना सिर काट कर भगवान श्री कृष्ण के चरणों में रख दिया।
बर्बरीक के इस त्याग और बलिदान को देखकर श्याम सुंदर बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने बर्बरीक को वचन दिया कि हे शीशदानी आज से मैं तुम्हें अपना नाम और अपनी शक्ति प्रदान करता हुँ। आज से तीनों लोगों में तुम खाटू श्याम के नाम से विख्यात होगे और मेरे साथ ही पूजे जाओगे। उस समय से ही खाटू श्याम नाम अस्तित्व में आया और राजस्थान के सबसे बड़े तीर्थ स्थल के रूप में भगवान श्री कृष्ण के साथ बर्बरीक की विधिपूर्वक खाटू श्याम के रूप में पूजा होने लगी।
- वर्तमान में यदि आप बाबा खाटू श्याम के दरबार में जा रहे हैं, तो पूरी तरह से व्यवस्था करके जाएं।
- जब भी आप खाटू श्याम जाएं तो कोरोना की वैक्सीन लगवाने के बाद ही जाएं।
- बाबा के मंदिर में प्रवेश करने से पूर्व आपके पास एक मास्क होना अनिवार्य है अन्यथा आपको ₹2000 का जुर्माना भरना होगा।
- 18 से कम उम्र के लोगों का रजिस्ट्रेशन नहीं होगा।
- मंदिर परिसर के भीतर आप कोई भी वस्तु या प्रसाद लेकर नहीं जा सकते हैं।
- इन सभी बातों का अच्छी तरह से ध्यान रखते हुए उसके बाद ही अपना रजिस्ट्रेशन करायें और खूब मजे से भक्ति भाव में डूब कर बाबा के दर्शनों को जाएं ।
खाटू श्याम मंदिर में बाबा की पूजा विधि
हर महीने की द्वादशी तिथि खाटू श्याम बाबा की पूजा के लिए मुख्य रूप से विशेष मानी जाती है। जो भी व्यक्ति इस दिन पूरे मन से खाटू श्याम बाबा की पूजा आराधना करता है उसे भगवान श्रीकृष्ण की ही पूजा करने के समान फल प्राप्त होता है और जो भी व्यक्ति भगवान श्री कृष्ण की पूजा करता है वो तो भवसागर से ही पार हो जाता है।
यहाँ ऐसी मान्यता प्रचलित है कि यदि कोई भी भक्त खाटू श्याम बाबा के लगातार पांच द्वादशी को व्रत रखकर सच्चे मन से उनकी भक्ति पूर्वक पूजा करता है तो उसके सारे बिगड़े हुए काम बन जाते हैं।
खाटू श्याम बाबा की पूजा में लगने वाली सामग्री
सामग्री – एक मुट्ठी चावल, बिना टूटे हुए, खीर, चूरमा के लड्डू, एक मीठा पान, रोली, देसी घी का दीपक और अक्षत।
विधि – संध्या के समय गौ पूजन करते हुए एक सुंदर चौकी बनाकर उस पर रोली और अक्षत मिलाकर ज्योति में अर्पण करें उसके बाद चूरमे के लड्डू की आहुतियाँ दें। इन सभी सामग्री को रखकर ज्योति जलाकर उसमें पांच बार देसी घी से आहुतियां देते हुए खाटू श्यामाये नमः का जप करते रहना चाहिए। बाबा श्याम की पूजा करने से व्यक्ति को मनोवांछित फल मिलता है। उसकी संपूर्ण इच्छाएं निः संदेह पूर्ण होती हैं।
खाटू श्याम बाबा मंदिर खुलने का समय
गर्मीयों में मंदिर खुलने का समय
सुबह 5:00 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक
शाम 4:00 बजे से रात्रि 10:00 बजे तक
प्रत्येक वर्ष फागुन के महीने में लक्खी मेले के समय बाबा के मंदिर का द्वार सभी भक्तों के लिए 24 घंटे खुला रहता है।
सर्दियों में मंदिर खुलने का समय
सुबह 5:30 बजे से दोपहर 1:00 बजे तक
शाम को 5:00 बजे से रात्रि 9:00 बजे तक
यहां भी पढ़ें