“महामृत्युंजय” मंत्र जिसके बारे में कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति नित्य इसका जाप करता है, वह अकाल मृत्यु के भय से हमेशा के लिए छुटकारा पा लेता है। लेकिन ऐसा कैसे संभव है कि एक मंत्र के माध्यम से व्यक्ति की मृत्यु टल सकती है?
परंतु हमारे हिंदू धर्म में कई सारे ऐसे चमत्कारी मंत्र मौजूद हैं, जिनके जाप से आपको अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। इन्हीं में से एक शक्तिशाली मंत्र है महामृत्युंजय। जिसके प्रभावों के बारे में हम आपको आगे बताने वाले हैं।
“महामृत्युंजय” हिंदू धर्म में प्रचलित समस्त मंत्रों में सबसे प्रभावशाली मंत्र माना गया है। माना जाता है कि महामृत्युंजय का जाप करने से व्यक्ति को देवों के देव महादेव का आशीर्वाद मिलता है।
इतना ही नहीं, इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को गंभीर रोगों से भी छुटकारा मिलता है, दीर्घायु की प्राप्ति होती है, अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है और जीवन में मौजूद अनेक प्रकार के संकट दूर हो जाते हैं।
लेकिन अधिकांश लोगों को इस बात की जानकारी नहीं है कि किस तरह से महामृत्युंजय मंत्र का जाप करके लाभ प्राप्त किया जा सकता है?
ऐसे में आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से महामृत्युंजय मंत्र की उत्पत्ति, महत्व और किस तरह से इसका जाप करके पुण्य कमाया जा सकता है, इस बारे में विस्तार से जानकारी देने वाले हैं।
विषय सूची
महामृत्युंजय मंत्र (दीर्घ)
ॐ हौं जूं स: ॐ भूर्भुवः स्व: ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्व: भुव: भू: ॐ स: जूं हौं ॐ।।
भावार्थ: सम्पूर्ण संसार में मौजूद हर व्यक्ति भगवान शिव की भक्ति करता है। ऐसे में हे शंभू आप हमें सांसारिक मोह माया से मुक्ति दिलाकर मोक्ष प्रदान करें!
महामृत्युंजय मंत्र (लघु)
ॐ जूं स माम् पालय पालय स: जूं ॐ।।
हे जगत कल्याणकारी भगवान शिव अपने भक्तों पर दया दृष्टि बनाए रखें!
सबसे पहले जानेंगे कि….
कैसे हुई थी महामृत्युंजय मंत्र की उत्पत्ति?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्राचीन भारत में ऋषि मृकण्डु हुए। जिनकी कोई संतान नहीं थी, जिसके लिए उन्होंने भगवान शिव की भक्ति की।
ऋषि मृकण्डु की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें एक पुत्र का वरदान दिया, लेकिन उस पुत्र की अल्पायु निकली। यानि ऋषि मृकण्डु के उस पुत्र की आयु केवल 16 वर्ष थी।
जिससे ऋषि मृकण्डु हताश हो गए, परंतु उनकी पत्नी ने कहा… कि भगवान शिव ही हमारे इस पुत्र की रक्षा करेंगे! जिसके बाद ऋषि मृकण्डु ने अपना सारा समय भगवान शिव की भक्ति में लगा दिया।
उधर, उनका पुत्र मार्कण्डय भी भगवान शिव की भक्ति में लगा रहता था। एक दिन जब ऋषि मृकण्डु ने अपने पुत्र को उसकी अल्पायु की बात बताई, तो मार्कण्डेय ने कहा कि भगवान शिव चाहेंगे तो वे मेरी आयु को बढ़ा देंगे।
ऐसे में जब यमराज मार्कण्डेय के प्राण लेने आए, तब मार्कण्डेय भगवान शिव की भक्ति में लीन थे। कहते हैं कि इसी दौरान उन्होंने महामृत्युंजय मंत्र की रचना की।
यमराज ने जब उनको अपने साथ चलने को कहा, तब उन्होंने शिवलिंग को कसकर पकड़ लिया। जिसके बाद स्वयं भगवान शिव वहां पहुंचे और उन्होंने विधि के विधान को बदलते हुए मार्कण्डेय को अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति दिलाकर उन्हें नया जीवन दान दिया।
तभी से महामृत्युंजय मंत्र को ऐसे मंत्र की संज्ञा दी जाती है, जोकि मृत्यु को भी जीत या टाल सकता है।
साथ ही शिवजी के महामृत्युंजय अवतार को ही इस मंत्र का कर्णधार माना गया है, जिसके अनुसार भगवान शिव अपने भक्तों के लिए अमृत लिए खड़े हैं।
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महामृत्युंजय मंत्र का शाब्दिक अर्थ?
महामृत्युंजय मंत्र में कुल 32 शब्द मौजूद हैं, जिनमें ॐ लगा देने पर 33 शब्द हो जाते हैं, 33 संख्या हिंदू धर्म में काफी विशेष मानी जाती है, ये संख्या 33 कोटि के देवी देवताओं को दर्शाती है।
जिस कारण इसे तेतीस अक्षरी मंत्र भी कहते हैं। जिसके प्रत्येक 33 शब्दों में शिवजी की महिमा का बखान किया गया है। जोकि निम्न है….
त्र्यम्बकं: तीन नेत्रों वाले भगवान शिव।
यजामहे: उनकी हम आराधना करते हैं।
सुगन्धिं: सुगंधित और मीठी महक वाले भगवान शिव।
पुष्टि: समृद्धशाली जीवन प्रदान करने वाले भगवान शिव।
वर्धनम्: पोषण देने वाले, आनंद देने वाले, स्वास्थ्य लाभ देने वाले भगवान शिव।
उर्वारुकमिव: कर्मों के अनुसार फल देने वाले भगवान शिव।
बन्धनान्: बंधनों से मुक्त भगवान शिव।
मृत्यो: मृत्यु से छुटकारा दिलाने वाले भगवान शिव।
र्मुक्षीय: मोक्ष प्रदान करने वाले भगवान शिव।
मामृतात्: अमरत्व जीवन का सुख देने वाले भगवान शिव।
महामृत्युंजय मंत्र अनेक प्रकार के होते हैं यानि अलग अलग प्रकार से इसका जाप किया जा सकता है। जैसे..
1 अक्षर (हौं) को एकाक्षरी महामृत्युंजय मंत्र कहा जाता है, जिसका सुबह के समय जाप करने से आपको दीर्घायु प्राप्त होती है।
3 अक्षर (ॐ जूं स:) को त्रयक्षरी महामृत्युंजय मंत्र कहा जाता है। जिसका रात्रि के समय 27 बार जाप करने से व्यक्ति के जीवन में बीमारियों का खतरा दूर हो जाता है।
4 अक्षर (ॐ हौं जूं स:) को चतुराक्षरी मंत्र कहा जाता है। जिसका प्रात: काल 3 बार जाप करने से व्यक्ति के जीवन में असामयिक दुर्घटनाएं होने का भय कम हो जाता है।
10 अक्षर (ॐ जूं स: माम पालय पालय) जिसे दशाक्षरी मंत्र कहा जाता है, इसे अमृत मंत्र भी कहा जाता है। जिसका जाप करते समय तांबे के लोटे में जल भरकर भगवान शिव की आराधना करें, जिससे भी व्यक्ति के जीवन में कष्ट दूर हो जाते हैं।
महामृत्युंजय मंत्र के जाप से होने वाले लाभ
महामृत्युंजय मंत्र को वेदों का ह्रदय कहा गया है। अर्थात् भगवान शिव की स्तुति के तौर पर इस मंत्र को वेदों में सबसे पहले लिखा गया है।
ऐसे में हिंदू धर्म में प्रचलित समस्त मंत्रों में महामृत्युंजय मंत्र काफी विशेष और फलदायी है, जिससे मिलने वाले लाभों के बारे में आगे हम चर्चा करेंगे।
- इसके नित्य जाप से आपकी कुंडली में मौजूद नाड़ी दोष, मंगल दोष और कालसर्प दोष दूर हो जाता है।
- इसके प्रयोग से व्यक्ति को बुरे सपनों और भूत प्रेत के भय से मुक्ति मिल जाती है।
- महामृत्युंजय का पाठ किसी भी स्त्री को गर्भ नाश से बचाता है।
- इस मंत्र का जाप करने वाले व्यक्ति को लंबी आयु का वरदान मिलता है।
- ये मंत्र व्यक्ति को अनेक गंभीर रोगों से मुक्ति दिलाता है और स्वस्थ जीवन प्रदान करता है।
- जो व्यक्ति स्वच्छ तन-मन से महामृत्युंजय मंत्र का पाठ या जाप करता है, उसके जीवन में धन और ऐश्वर्य की कमी नहीं रहती है।
- जिन लोगों को संतान का सुख नहीं मिला है, उन्हें भी इस मंत्र का जाप करने से संतान की प्राप्ति होती है।
- महामृत्युंजय मंत्र के दीर्घ मंत्र का जाप आपको सवा लाख बार और लघु मंत्र का जाप 11 लाख बार करने पर ही आपको लाभ मिलता है।
- महामृत्युंजय का जाप भगवान भोले से जुड़े सावन के दिनों में करना लाभदायक माना गया है।
- आप किसी भी माह के सोमवार को महामृत्युंजय मंत्र का जाप कर सकते हैं।
- महामृत्युंजय मंत्र का जाप।पूर्ण करने के बाद हवन करके ही उठना चाहिए, तभी आपको इससे मनचाहा लाभ मिलेगा।
- अगर आप गृह क्लेशों, जमीन से जुड़े विवाद, मानसिक तनाव से छुटकारा पाना चाहते हैं, तो महामृत्युंजय मंत्र का जाप आपको इन सबसे निजात दिलवा सकता है।
- जो लोग महाशिवरात्रि पर्व के दौरान महामृत्युंजय मंत्र के साथ रुद्राभिषेक भी करते हैं, उन्हें भी अपने जीवन में इसका चमत्कारी लाभ देखने को मिलता है।
- जो लोग दूध को देखते हुए या दूध का सेवन करने के दौरान इस मंत्र का जाप करते हैं, उनके यौवन में निखार आता है।
- साथ ही शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय जो लोग इस मंत्र का उच्चारण करते हैं, उनका जीवन आरोग्य पूर्ण होता है।
महामृत्युंजय मंत्र के जाप की सही विधि क्या है?
महा मृत्युंजय का जाप सही तरीके और विधि से करने के पश्चात ही आपको उसका अपने जीवन में असर देखने को मिलता है। मुख्य तौर पर आपको इस मंत्र का उच्चारण या जाप कुछ विशेष परिस्थितियों में भी लाभ देता है।
जैसे… जब आपका मन धार्मिक भावनाओं से दूर भाग रहा हो, धन की हानि हो रही हो, हर तरफ महामारियां पांव पसार रही हो, देश या राज्य का विभाजन हो रहा हो, समाज या घर परिवार में चहुं ओर क्लेश और झगड़े हो रहे हो आदि।
महामृत्युंजय मंत्र का जाप सदैव पूर्व दिशा में मुख करके ही करना चाहिए।
इसका जाप करने के लिए आपको जप आसान पर ही बैठना चाहिए।
दोपहर के बाद महामृत्युंजय मंत्र का जाप कदाचित नहीं करना चाहिए। सुबह और शाम का वक्त इसके लिए उपयुक्त होता है।
जो लोग इस मंत्र का उच्चारण करते हैं, वह ध्यान रखें कि इस मंत्र का उच्चारण ठीक और शुद्ध हो, तभी आपको फल मिलता है।
कभी भी महामृत्युंजय मंत्र का जप निर्धारित संख्या से कम नहीं करें, अधिक कर सकते हैं।
महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते समय आपके आसपास दीपक जलता रहना चाहिए।
महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते समय रुद्राक्ष की माला अवश्य जपें। ध्यान करें कि माला गोमुखी से बाहर नहीं जानी चाहिए।
मंत्र का जाप करते समय शिवजी की प्रतिमा, तस्वीर या शिव यंत्र अपने सम्मुख रखें। साथ ही भगवान शिव को बेलपत्र और फूल आदि भी चढ़ाएं।
महामृत्युंजय मंत्र का जाप आपको नित्य एक निश्चित स्थान पर बैठकर ही करना चाहिए। इस दौरान मन को इधर उधर भटकने नहीं देना चाहिए।
महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते समय आलस्य, उबासी, मांसाहार, स्त्री मोहकता आदि से दूरी बनाए रखें, अन्यथा आपको इसका विपरीत फल भी मिल सकता है।
इस प्रकार, महामृत्युंजय मंत्र ना केवल व्यक्ति को मृत्यु के भय से मुक्त करता है, बल्कि इस मंत्र का जाप व्यक्ति को जीवन में सुख, शांति और समृद्धि प्रदान करता है।
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