भाग दौड़ भरी इस जिंदगी में आज हर कोई बहुत व्यस्त हो चला है। किसी के पास खुद के लिए सोचने का वक्त ही नहीं है। जहां एक ओर हम एक दूसरे से आगे बढ़ने की होड़ में इस कदर मशगूल है कि जिंदगी में हार का सामना करते ही हताश और निराश हो जाते हैं। इतना ही नहीं जीवन में हार के कारण खुद को निराशा के गर्त में धकेल देते है, ऐसे में आज हम आपके लिए हिंदी के कुछ महान् कवियों की प्रेरक कविताएं (Motivational Poems in Hindi) लाए हैं।
इन्हे पढ़कर आप जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित होंगे। साथ ही यह समझेंगे कि एक हार आपकी जिंदगी नहीं हो सकती बल्कि उससे सीख लेकर आपको सदैव सही मार्ग पर स्वयं को प्रशस्त करना है।
विषय सूची
जागो फिर एक बार
Motivational Poems in Hindi by Suryakant Tripathi Nirala
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का जन्म 16 फरवरी वर्ष 1896 को बंगाल में हुआ था। प्रारंभ में निराला जी ने बंगाली काव्य की शुरुआत की। उसके बाद उन्होंने हिंदी भाषा में अपनी रचनाएं लिखी। सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की प्रस्तुत कविता का शीर्षक है – जागो फिर एक बार।
जागो फिर एक बार,
प्यार जगाते हुए हारे सब तारे तुम्हें
अरुण पंख तरुण किरण
खड़ी खोलती है द्वारजागो फिर एक बार
आंखें अलियों सी
किस मधु की गलियों में फंसी
बंद कर पांखे
पी रही है मधु मौन
अथवा सोयी कमल कौरकों में
बंद हो रहा गुंजार
जागो फिर एक बार
सच है विपत्ति जब आती है
Motivational Poems in Hindi by Ramdhari Singh Dinkar
बिहार राज्य के सिमरिया में 23 सितम्बर साल 1908 में जन्मे रामधारी सिंह दिनकर ना केवल श्रेष्ठ कवि थे बल्कि एक कुशल राजनीतिज्ञ भी थे। रामधारी सिंह दिनकर की उपयुक्त कविता का शीर्षक है – सच है विपत्ति जब आती है।

सच है विपत्ति जब आती है,
कायर को ही दहलती है,
शूरमा नहीं विचलित होते,
पल एक नहीं धीरज खोते,
विघ्नों को गले लगाते हैं,
कांटों में भी राह बनाते हैं !
है कौन विघ्न ऐसा जग में,
टिक सके वीर नर के मग में,
खम ठोंक ठेलता है जब नर,
पर्वत के जाते पांव उखड़,
मानव जब जोर लगाता है,
तो पत्थर पानी बन जाता है !
एक तुम हो
Motivational Poems in Hindi by Makhanlal Chaturvedi
18 वीं सदी को अपनी रचनाओं से प्रभावित करने वाले लेखक, पत्रकार और साहित्यकार माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म 4 अप्रैल 1889 को मध्यप्रदेश के होशंगाबाद में हुआ था। माखनलाल चतुर्वेदी की प्रस्तुत कविता का शीर्षक है – एक तुम हो !
गगन पर दो सितारें, एक तुम हो,
धरा पर दो चरण है, एक तुम हो,
त्रिवेणी दो नदी है, एक तुम हो,
हिमालय दो शिखर है, एक तुम हो !
रहे मन भेद तेरा और मेरा,
अमर हो देश का कल का सवेरा,
कि वह कश्मीर, नेपाल और गोवा,
कि साक्षी वह जवाहर, यह विनोबा
प्रलय की आह युग है, वाह तुम हो,
जरा से किन्तु लापरवाह तुम हो !
बुझे दीपक जला लूं
Inspirational Poem in Hindi by Mahadevi Verma
साल 1907 में उत्तर प्रदेश के फरुखाबाद में महादेवी वर्मा का जन्म हुआ था। इन्हें आधुनिक मीरा के नाम से भी जाना जाता है। महादेवी वर्मा जी की प्रस्तुत कविता का शीर्षक है – बुझे दीपक जला लूं।

सब बुझे दीपक जला लूं
घिर रहा तम आज दीपक रागिनी अपनी जगा लूं !
क्षितिज कारा तोड़कर अब
गा उठी उन्मत आंधी
अब घटाओं में न रुकती
लास तन्मय तड़ित बांधी
धूलि की इस वीण पर मैं तार हर तृण का मिला लूं !
सब जीवन बीता जाता है
Motivational Poems in Hindi by Jaishankar Prasad
हिंदी साहित्य में छायावाद के चौथे स्तंभ कहे जाने वाले सुप्रसिद्ध जयशंकर प्रसाद का जन्म 1989 को वाराणसी में हुआ था। इन्हें मातृभाषा हिंदी के अलावा संस्कृत, उर्दू और फारसी का भी अच्छा ज्ञान था। इनकी कविता का शीर्षक है – सब जीवन बीता जाता है।
सब जीवन बीता जाता है
धूप छांव के खेल सदॄश
सब जीवन बीता जाता है।
समय भागता है प्रतिक्षण में
नव अतीत के तुषार कण में
हमें लगा कर भविष्य रण में
आप कहां छिप जाता है
सब जीवन बीता जाता है।
परिवर्तन
Motivational Poems in Hindi by Sumitranandan Pant
प्रकृति प्रेमी सुमित्रानंदन पंत का जन्म का 1900 में उत्तराखंड राज्य के अल्मोड़ा शहर में हुआ था। इनकी रचनाएं सदैव प्रकृति और उससे जुड़ी चीज़ों के इर्द गिर्द ही हुआ करता थी। इनकी उपयुक्त कविता का शीर्षक है – परिवर्तन।
अहे निष्ठुर परिवर्तन
तुम्हारा ही तांडव नर्तन
विश्व का करुण विवर्तन
तुम्हारा ही नयनोन्मीलन
निखिल उत्थान पतन !
अहे वासुकि सहस्त्र फन
लक्ष्य अलक्षित चरण तुम्हारे चिन्ह निरंतर
छोड़ रहे हैं जग के विक्षत वक्षस्थल पर !
अग्निपथ
Motivational Poem by Harivansh Rai Bachchan
मिट्टी का तन, मस्ती का मन, क्षण भर जीवन, मेरा परिचय कहने वाले हरिवंश राय बच्चन का जन्म 1907 को इलाहाबाद में हुआ था। अपनी काव्य रचनाओं के लिए इन्हें भारत सरकार द्वारा पदम् भूषण दिया गया था। हरिवंशराय बच्चन की उपयुक्त कविता का शीर्षक है – अग्निपथ।

वृक्ष हो भले खड़े
हो घने हो बड़े
एक पत्र छांह भी
मांग मत, मांग मत, मांग मतअग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ।
तू ना थकेगा कभी, तू ना रुकेगा कभी
तू ना मुड़ेगा कभीकर शपथ, कर शपथ, कर शपथ
अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ !
नर हो ना निराश करो मन को
Motivational Poems in Hindi by Maithili Sharan Gupt
भारत सरकार द्वारा पदम् विभूषण पाने वाले महाकवि मैथिली शरण गुप्त का जन्म 1886 में झांसी में हुआ था। इन्होंने अपनी कविताओं में खासकर खड़ी बोली का प्रयोग किया है। इनकी उपयुक्त कविता का शीर्षक है – नर हो ना निराश करो मन को।
कुछ काम करो, कुछ काम करो,
जग में रहकर कुछ नाम करो,
यह जन्म हुआ किस अर्थ अहो,
समझो जिसमें यह व्यर्थ ना हो,
कुछ तो उपयुक्त करो तन को,
नर हो, ना निराश करो मन को।
संभलो कि सुयोग न जाय चला,
कब व्यर्थ हुआ सदुपाय भला,
समझो जग को न निरा सपना,
पथ आप प्रशस्त करो अपना,
अखिलेश्वर है अवलंबन को,
नर हो, ना निराश करो मन को।
उल्लास
Motivational Poems in Hindi by Subhadra Kumari Chauhan
महान् स्वतंत्रता सेनानी और कवियत्री के रूप में प्रसिद्ध सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म 16 अगस्त 1904 को प्रयागराज में हुआ था। इनके राष्ट्र हित में किए गए कार्यों के चलते भारतीय तटरक्षक सेना ने एक जहाज का नाम इनके नाम पर रखा था। इन्होंने सदैव अपनी रचनाओं में राष्ट्रीय चेतना को बरकरार रखा। इनकी सुप्रसिद्ध कविता का शीर्षक है – उल्लास।
शैशव के सुंदर प्रभात का
मैंने नव विकास देखा।
यौवन की मादक लाली में
जीवन का हुलास देखा।।
जग झंझा झकोर में
आशा लतिका का विलास देखा
आकांक्षा, उत्साह, प्रेम का
क्रम क्रम से प्रकाश देखा।।
जीवन में न निराशा मुझको
कभी रुलाने को आयी।
जग झूठा है यह विरक्ति भी
नहीं सिखाने को आयी।।
अरिदल की पहिचान कराने
नहीं घृणा आने पायी
नहीं अशांति हृदय तक अपनी
भीषणता लाने पायी।।
अनसुनी करके तेरी बात
Motivational Kavita by Rabindranath Tagore
प्रथम नोबेल पुरस्कार विजेता रविन्द्र नाथ टैगोर का जन्म 7 मई 1861 को कलकत्ता में हुआ था। इन्हें गुरु देव की उपाधि भी दी गई है। यह एक जाने माने कवि, दार्शनिक, नोबेल पुरस्कार विजेता और साहित्यकार हैं। इसके साथ ही उन्होंने भारतीय राष्ट्र गान की रचना की है। इनकी उपरोक्त कविता का शीर्षक है – अनसुनी करके तेरी बात।
अनसुनी करके तेरी बात
न दे जो कोई तेरा साथ
तो तुही कसकर अपनी कमर
अकेला बढ़ चल आगे रे।
देखकर तुझे मिलन की बेर
सभी जो लें अपने मुख फेर
न दो बातें भी कोई क रे
सभय हो तेरे आगे रे
अरे ओ पथिक अभागे रे।
तो अकेला ही तू जी खोल
सुरीले मन मुरली के बोल
अकेला गा, अकेला सुन।
अरे ओ पथिक अभागे रे
अकेला ही चल आगे रे।।
हो गई है पीर पर्वत सी
Motivational Kavita in Hindi by Dushyant kumar
आधुनिक गजलकार के तौर पर प्रसिद्ध दुष्यंत कुमार का जन्म 27 सितंबर 1931 को उत्तर प्रदेश के बिजनौर में हुआ था। यह हिंदी के कवि और कथाकार के रूप में भी जाने जाते हैं। इनके द्वारा लिखी गई गजलों को हिंदी भाषा में मुहावरों के रूप में प्रयोग किया जाने लगा था। इनकी उपरोक्त सुप्रसिद्ध कविता का शीर्षक है – हो गई है पीर पर्वत सी।
हो गई है पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए
आज यह दीवार परदों की तरह हिलने लगी
शर्त ये थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए
हर सड़क पर, हर गली में, हर नगर में, हर गांव में
हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए
सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं
मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए
समय क्षण भर थमा
Motivational Poem by Sachchidananda Hirananda Vatsyayan
अज्ञेय का जन्म 7 मार्च 1911 को यूपी के कुशीनगर में हुआ था। इनका पूरा नाम सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय था। यह हिंदी के कवि, संपादक, अध्यापक और कथाकार के रूप में जाने जाते हैं। अज्ञेय को अपनी रचनाओं के लिए साहित्य अकादमी और ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। इनकी उपरोक्त कविता का शीर्षक है – समय क्षण भर थमा सा।
समय क्षण भर थमा सा
फिर तोल डैने
उड़ गया पंछी क्षितिज की ओर
मद्धिम लालिमा ढरकी अलक्षित
तिरोहित हो चली ही थी कि सहसा
फूट तारे ने कहा रे समय,
तू क्या थक गया?
रात का संगीत फिर
तरने लगा आकाश में।
थके हुए कलाकार से
Motivational Poems in Hindi by Dharmveer Bharti
धर्मवीर भारती का जन्म 25 दिसंबर 1926 को प्रयागराज में हुआ था। यह हिंदी साहित्य के जाने माने लेखक, कवि और एक नाटककार थे। इन्हें साल 1972 में भारत सरकार द्वारा पदम श्री पुरस्कार भी प्राप्त हुआ था। इनकी उपरोक्त कविता का शीर्षक है – थके हुए कलाकार से।
सृजन की थकन भूल जा देवता
अभी तो पड़ी है धरा अधबनी
अभी तो पलक में नहीं खिल सकी
नवल कल्पना की मधुर चांदनी
अभी अधखिली ज्योत्सना की कली
नहीं जिंदगी की सुरभि में सनी
अभी तो पड़ी है धरा अधबनी
अधूरी धरा पर नहीं है कहीं
अभी स्वर्ग की नींव का भी पता
सृजन की थकन भूल जा देवता
रुका तू गया रुक जगत का सृजन
तिमिरमय नयन में डगर भूल कर।।
क्या क्या नहीं है मेरे पास
Inspirational Poem in Hindi by Pash
क्रांतिकारी कवि के रूप में प्रख्यात पंजाबी कवि पाश का जन्म 9 सितंबर 1950 को जालंधर में हुआ था। इनकी कलम ने सदैव क्रांति लिखी और इन्होंने सदा ही जरूरतमंदों के हक की लड़ाई लड़ी। यह पंजाबी कवि के नाम से मशहूर हैं। इनकी उपरोक्त कविता का शीर्षक है – क्या क्या नहीं है मेरे पास।
क्या क्या नहीं है मेरे पास
शाम में रिमझिम
नूर में चमकती जिंदगी
लेकिन मैं हूं
घिरा हुआ अपनों से
क्या झपट लेगा कोई मुझ से
रात में क्या किसी अनजान में
अन्धकार में कैद कर देंगे
मसल देंगे क्या
जीवन से जीवन
अपनों में से कर देंगे क्या मुझे अलहदा
और अपनों में से ही मुझे बाहर छिटका देंगे
छिटकी इस पोटली में कैद है
आपकी मौत का इंतज़ाम
अकूत हूं सब कुछ है मेरे पास
जिसे देखकर तुम समझते हो कुछ नहीं इसमें।।
कर्मवीर
Motivational Kavita by Ayodhya Singh Upadhyay
अयोध्या सिंह उपाध्याय ” हरिऔध ” का जन्म 15 अप्रैल 1865 को उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में हुआ था। इन्होंने हिंदी का पहला महाकाव्य प्रिय प्रवास लिखा था। जिसके लिए इन्हें मंगलाप्रसाद पारितोषिक से भी नवाजा गया था। यह हिंदी साहित्य के महान् कवि, कथाकार और निबंधकार थे। इनकी उपरोक्त कविता का शीर्षक है – कर्मवीर।
देख कर बाधा विविध, बहु विघ्न घबराते नहीं
रह भरोसे भाग्य के दुख भोग पछताते नहीं
काम कितना ही कठिन हो किन्तु उकताते नहीं
भीड़ में चंचल बने जो वीर दिखलाते नहीं
हो गए एक आन में उनके बुरे दिन भी भले
सब जगह सब काल में वे ही मिले फूले फले।।
आज करना है जिसे करते उसे हैं आज ही
सोचते कहते हैं जो कुछ कर दिखाते हैं वही
मानते जी की हैं, सुनते हैं सदा सबकी कही
जो मदद करते हैं अपनी इस जगत में आप ही
भूल कर वे दूसरों का मुंह कभी तकते नहीं
कौन ऐसा काम है वे कर जिसे सकते नहीं।।
इसके साथ ही हमारा आर्टिकल – Motivational Poems in Hindi समाप्त होता है। आशा करते हैं कि आपको यह पसंद आया होगा।
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