Save Soil Movement By Sadhguru
मेरा मकसद नहीं है,
हंगामा खड़ा करना।
मेरी कोशिश है,
कि ये सूरत बदलनी चाहिए।
मेरे सीने में ना सही, तेरे सीने में सही,हो कहीं भी, लेकिन ये आग जलनी चाहिए।
इन्हीं पंक्तियों को सत्य सिद्ध करते हुए भारत के जाने माने धर्म गुरु जग्गी वासुदेव यानि सद्गुरु ने हाल ही में मिट्टी के संरक्षण हेतु एक यात्रा अभियान की शुरुआत की है
। जिसके माध्यम से वह सम्पूर्ण दुनिया को भविष्य में मिट्टी के संरक्षण के लिए आज ही से जागरूक करने का प्रयास कर रहे हैं। तो चलिए विस्तार से जानते हैं कि क्या है.. सद्गुरु द्वारा शुरू किया गया मृदा बचाओ अभियान (Save Soil Movement)
ईशा फाउंडेशन के संचालक जग्गी वासुदेव को भारतीय लोग “सद्गुरू” के नाम से जानते हैं। जोकि योग गुरु होने के साथ-साथ एक अच्छे लेखक भी हैं। आधुनिक समय में सद्गुरु पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कार्यरत है। जिनके पर्यावरण को बचाने की दिशा में किए गए कार्यों के चलते ही इन्हें भारत सरकार से पद्म विभूषण प्राप्त हुआ है।
ऐसे में बात की जाएं सद्गुरु के वर्तमान कार्यों की..तो हाल ही में सद्गुरु ने “मिट्टी बचाओ जागरूकता” (Save Soil Movement) अभियान शुरू किया है। जिसका मुख्य उद्देश्य मिट्टी की गुणवत्ता को मानव जीवन के अनुकूल बनाए रखना है।
विषय सूची
क्या है “मिट्टी बचाओ अभियान” ( Save Soil Movement )

“मिट्टी बचाओ अभियान” सद्गुरु के ईशा फाउंडेशन (Isha Foundation) और कॉन्शियस प्लैनेट मूवमेंट (Conscious Planet Movement) द्वारा शुरू किया गया एक भारतीय अभियान है।
जिसकी शुरुआत 21 मार्च 2022 को हुई थी, और ये अभियान 21 जून 2022 तक चलेगा। यानि अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर सद्गुरु इस अभियान की समाप्ति कावेरी बेसन में करेंगे।
इस अभियान को सद्गुरु ने मोटरसाइकिल पर सवार होकर लंदन से भारत तक, यानि यूरोप से लेकर भारत के मध्य पूर्व तक शुरू किया है। जिसे जर्नी टू सेव सोल (Journey To Save Soil) का नाम दिया गया है।
सद्गुरु इस यात्रा के माध्यम से करीब 26 देशों के लोगों को मिट्टी के संरक्षण के प्रति जागरूक करने का प्रयास करेंगे। जानकारी के लिए बता दें कि इस यात्रा में सद्गुरु लगभग 30,000 किलोमीटर तक करीब 27 देशों और 3 महाद्वीपों की यात्रा करेंगे।
जिसे बीती 21 मार्च को लंदन के पार्लियामेंट स्क्वायर से आरंभ किया गया था, इस दौरान सद्गुरु की इस बेहद ही कठिन यात्रा के चलते दुनिया भर के लोग उन्हें शुभकामनाएं प्रदान कर रहे हैं।
सद्गुरु के इस अभियान को काफी लोगों का समर्थन मिल रहा है। जिसमें वेस्टइंडीज के पूर्व दिग्गज क्रिकेटर सर विवियन रिचर्डस (Sir Vivian Richards) और इयान बाथम (Lord Ian Botham), एंटीगुआ व बारबुडा देश के प्रधानमंत्री गेस्टन ब्राउन का नाम भी शामिल है।
एंटीगुआ व बारबुडा देश के प्रधानमंत्री ने मृदा संरक्षण और मिट्टी को क्षरण से बचाने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर भी किए हैं।
तो वहीं, सद्गुरु इस यात्रा अभियान के दौरान करीब 27 देशों के शीर्ष नेताओं से मिलकर उन्हें मिट्टी के संरक्षण से जुड़ी नीतियों को क्रियान्वित करने की बात को प्रमुखता से कहेंगे।
उनका कहना है कि अगर सारे देश मिलकर मृदा संरक्षण की दिशा में कार्य करते हैं, तो हमारी कृषि भूमि में मौजूद मिट्टी करीब 3 से लेकर 6 प्रतिशत तक जैविक और उपयोगी हो सकेगी। ताकि हमारी आने वाली पीढ़ी मृदा के क्षरण संबंधी दूरगामी संकटों को झेलने ना पाएं।
कौन है सद्गुरु? ( Who Is Sadhguru )

सद्गुरु भारतीय भूमि पर जन्मे महान् योग गुरु है। जिनका जन्म 5 सितंबर 1957 को कर्नाटक के मैसूर में हुआ था। इन्होंने मानव जाति के उत्थान और लोगों को योग व अध्यात्म से जोड़ने के लिए वर्ष 1992 में तमिलनाडु में ईशा फाउंडेशन की स्थापना की थी।
इन्होंने ना केवल योग और अध्यात्म बल्कि लेखन की दिशा में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। जिनकी अब तक 100 से अधिक किताबों का प्रकाशन हो चुका है। वर्तमान में सद्गुरु द्वारा आयोजित मृदा बचाओ आंदोलन से पूर्व सद्गुरु द्वारा कावेरी कालिंग परियोजना शुरू की गई थी।
जिसमें सद्गुरु और भारतीयों के सहयोग से कावेरी नदी के पानी को वापिस लाने और करीब 62 मिलियन पेड़ लगाने का संकल्प लिया गया था। अब जब मृदा संरक्षण की बात आई, तो सद्गुरु ने मिट्टी बचाओ आंदोलन को विश्व स्तर पर शुरू करने की कोशिश की है।
मृदा बचाओ अभियान की क्या है जरूरत?

सद्गुरु का मानना है कि मिट्टी का क्षरण आज मानव जीवन के साथ-साथ जलवायु के लिए भी खतरा बनता जा रहा है।
ऐसे में हम मनुष्य और समस्त पर्यावरणविद् मिलकर पर्यावरण संरक्षण की दिशा में तो कार्य कर रहे हैं, लेकिन मिट्टी के विषय में अधिक जागरूकता नहीं दिखा रहे हैं, मिट्टी हमारे जीवन में उन सब चीजों का आधार है, जिन्हें हम जरूरी मानते हैं।
ऐसे में उसका क्षरण और दोहन पर्यावरण की सबसे बड़ी चिंता है। और अगर समय रहते हम नहीं चेते तो, वर्ष 2050 तक धरती पर मौजूद मिट्टी सबसे खराब हो जाएगी।
जिसके कारण धरती पर अन्न और पानी की कमी और बड़े स्तर पर जलवायु परिवर्तन देखने को मिलेगा, जोकि मानव जीवन के लिए किसी बड़े संकट से कम नहीं है।
साथ ही उनका मानना है कि मिट्टी को जीवांत रखना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है, ताकि हम निकट भविष्य में उसे सुरक्षित रखकर आने वाली पीढ़ी को सौंप सके।
उन्होंने भारतीयों से अपील की है कि मिट्टी को बचाने के लिए हर भारतीय चाहे वह किसान हो या युवा, उसे संकल्पित होना पड़ेगा। मिट्टी की खराब गुणवत्ता खाद्य पदार्थों और जलवायु दोनों के लिए ही हानिकारक है।
और अगर समय रहते हम नहीं चेते, तो मिट्टी का क्षरण सम्पूर्ण विश्व को गंभीर संकट में डाल सकता है। इतना ही नहीं, मिट्टी का क्षरण लाखों हेक्टेयर जमीन को बंजर बना सकता है, जिससे मानव जीवन का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा।
ऐसे में, इस मृदा बचाओ आंदोलन से विश्व स्तर पर लोगों को जुड़ना चाहिए और मिट्टी को बचाने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए।
शोध के मुताबिक, 52 प्रतिशत मिट्टी पहले ही खराब हो चुकी है, जबकि कई जगहों पर मृदा जैविक कमी की वजह से रेत में तब्दील हो जा रही है।
ऐसे में शेष को उपजाऊ और उपयोगी बनाने के लिए सद्गुरु द्वारा इस आंदोलन को सर्वव्यापी बनाया गया है।
सद्गुरु आज दुनिया भर के प्रभावशाली लोगों में शीर्ष पर आते हैं, जोकि अपनी दूरगामी सोच के आधार पर पर्यावरण की दिशा में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं और नदियों, पेड़ों और मृदा का संरक्षण कर रहे हैं।
