कारक – परिभाषा, भेद और उदाहरण | Karak in Hindi

कारक की परिभाषा – Karak ki Paribhasha

वाक्यों में प्रयुक्त संज्ञा और सर्वनाम का जो सम्बन्ध वाक्य के अन्य पदों से होता है, वह कारक कहलाता हैं।

इस प्रकार वाक्यों में मौजूद जो चिह्न क्रिया को पूर्ण करते हैं या उसको पूरा करने में मदद करते हैं वह चिह्न कारक होते हैं। यह चिह्न वाक्य में संज्ञा और सर्वनाम का सम्बन्ध दूसरे वाक्यों से कराते हैं।

जैसे – सीता ने खाना बनाया, गोपाल सुबह ही विद्यालय चला गया था आदि।

कारक के भेद – Karak ke Bhed

कारक मुख्यता आठ प्रकार के होते हैं।

  1. कर्ता कारक – कर्ता कारक की विभक्ति ‘ने’ होती है। जिसका प्रयोग वाक्य में भूतकाल के रूप में होता है। कर्ता कारक के माध्यम से वाक्य में क्रिया के होने का पता चलता है। यानि किसी वाक्य में कर्ता द्वारा जो चिह्न कोई कार्य करता है तो वह कर्ता कारक कहलाता है।
    जैसे – पिताजी ने अपने बच्चों को बहुत मारा, महिमा ने कपड़े धो लिए हैं आदि।

  2. कर्म कारक – कर्म कारक की विभक्ति ‘को’ होती है। वाक्य में मौजूद क्रिया के कर्म का फल जिस व्यक्ति या वस्तु को प्रभावित करता है, वह कर्म कारक कहलाता है। कर्म कारक की विभक्ति का प्रयोग वाक्य में मुख्यता तब किया जाता है, जब विशेषण को संज्ञा की तरह प्रयोग किया जाता है। साथ ही जब क्रिया के तौर पर वाक्य में कर्म संज्ञा होती है तब कर्म विभक्ति का प्रयोग किया जाता है।
    जैसे – नरेश ने सुरेश को आवाज दी है, अध्यापक राहुल को पीट रहे हैं आदि।

  3. करण कारक –  जब वाक्य में मौजूद पदों की मदद से किसी कार्य को संपन्न किया जाता है तो वहां करण कारक होता है। दूसरों शब्दों में, जिस प्रक्रिया के माध्यम से यह ज्ञात हो सके कि उपरोक्त कार्य कैसे पूर्ण हुआ है, वह करण कारक कहलाते हैं। करण कारक के विभक्ति चिह्न ‘से’ और ‘के द्वारा’ होते हैं।
    जैसे – पत्र को कलम के द्वारा लिखा गया है, रानी बाज़ार से सब्जी खरीद रही है आदि।

  4. संप्रदान कारक – जब वाक्य में किसी वस्तु के आदान प्रदान का जिक्र किया जाता है तो वहां संप्रदान कारक होता है। संप्रदान कारक की विभक्ति ‘के लिए’ या ‘को’ होती है। संप्रदान का सीधा अर्थ कर्ता द्वारा किसी वस्तु को लेने और देने से लगाया जाता है। उपरोक्त कारक को किसके लिए लगाकर भी पहचाना जा सकता है।
    जैसे – पिताजी को पानी दे दो, प्रत्येक सुबह उठकर सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए, मैं यह सामान अपने भाई बहनों के लिए खरीद कर लाया हूं आदि।

  5. अपादान कारक – जब वाक्य में संज्ञा के एक रूप का दूसरे से अलग होना दर्शाया गया हो, तब वहां अपादान कारक होता है। अपादान कारक की विभक्ति ‘से’ होती है। जिसका वाक्य में मौजूद पदों को एक दूसरे से अलग करने के अर्थ में प्रयोग किया जाता है।
    जैसे – बच्चा खेलते खेलते गिर पड़ा, पतझड़ में पत्ते पेड़ से गिरते हैं, सांप अपने बिल से बाहर निकल आया है आदि।

  6. संबंध कारक – जो चिह्न किसी वाक्य में वस्तुओं के बीच संबंध का बोध कराते हैं, वह संबंध कारक कहलाते हैं। इस प्रकार, वाक्य में मौजूद संज्ञा और सर्वनाम के जो पद वस्तुओं के मध्य किसी प्रकार के संबध के बारे में बतलाते हैं, वह संबंध कारक होते हैं। संबंध कारक की विभक्ति का, के, की, ना, ने, नो, रा, रे, री आदि हैं।
    जैसे – कोमल राकेश की छोटी बहन है, यह राम का पालतू कुत्ता है आदि।

  7. अधिकरण कारक – वाक्य में मौजूद संज्ञा के जिस रूप से क्रिया के आधार के बारे में ज्ञात होता है, वह अधिकरण कारक कहलाते हैं। अधिकरण कारक की विभक्ति ‘में’ और ‘पर’ होती है। उपरोक्त वाक्य में भीतर, ऊपर, बीच आदि कारकों का प्रयोग किया जाता है। दूसरे शब्दों में, अधिकरण कारक से वाक्य में स्थान, समय, अवसर आदि के बारे में मालूम चलता है।
    जैसे – राम के घर में आठ लोग हैं, उसके घर में कूलर है, कोमल ने मेरी किताब मेज पर रख दी है आदि।

  8. संबोधन कारक – जैसा कि इसके नाम से स्पष्ट है कि जब किसी वाक्य में संज्ञा या सर्वनाम के किसी रूप को बुलाने या पुकारने का बोध होता है तो उसे संबोधन कारक कहते हैं। संक्षेप में, जब वाक्य में किसी रूप के होने से किसी प्रकार के संबोधन का भाव उत्पन्न होता है तो वहां संबोधन कारक होता है। इसकी पहचान किसी वाक्य में विस्मयादिबोधक चिह्न (!) से भी होती है। संबोधन कारक की विभक्ति अरे, अजी आदि होती है।
    जैसे – हे राम! उसके पिताजी की मृत्यु हो गई, अरे! यहां कितना शोर हो रखा है आदि।

संक्षेप में

कारकचिह्नअर्थ
कर्ता नेकर्म करने वाला
कर्मकोकाम द्वारा प्रभावित होने वाला
करणसे, के द्वाराकर्ता जिसके माध्यम से काम करे
संप्रदानको, के लिएजिसके लिए क्रिया की जाए
अपादानसेअलगाव
सबंधका, के, कीअन्य पदों से जुड़ाव
अधिकरणमें, परक्रिया का आधार
संबोधनहे, अरपुकारना, बुलाना

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अंशिका जौहरी

मेरा नाम अंशिका जौहरी है और मैंने पत्रकारिता में स्नातकोत्तर किया है। मुझे सामाजिक चेतना से जुड़े मुद्दों पर बेबाकी से लिखना और बोलना पसंद है।

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