हिंदी वर्णमाला में वर्णों को स्वर और व्यंजन के रूप में व्यवस्थित किया जाता है। आखिर स्वर होते क्या हैं, कौन कौन से वर्ण स्वर होते हैं और ये कितने प्रकार के होते हैं। हिंदी व्याकरण में वर्ण विचार के अंतर्गत वर्ण के दो भेद होते हैं। पहला स्वर और दूसरा व्यंजन।
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स्वर क्या होते हैं? | What is Swar in Hindi?

स्वतंत्र रूप से बिना किसी रोकटोक के बोले जाने वाले वर्णों को स्वर कहा जाता है। यानि कि जिन भी वर्णों को बिना किसी दूसरे वर्ण की सहायता से बोला जाता है उन्हें ही स्वर कहते हैं। हिंदी वर्णमाला में स्वरों की संख्या 13 होती है लेकिन उच्चारण के आधार पर 10 स्वर, 1 अर्ध स्वर और 2 अनुस्वार होते हैं।
जिसमें से अर्ध स्वर को भी स्वर के साथ ही गिना जाता है एवं अनुस्वर को स्वर की श्रेणी से बाहर रखा जाता है।स्वर उन ध्वनियों को कहा जाता है जिनका उच्चारण बिना किसी अन्य वर्णों की सहायता के किया जाता है। स्पष्ट रूप से कहा जाये तो स्वतंत्र रूप से बोले जाने वाले वर्ण ही स्वर कहे जाते हैं। हिन्दी भाषा में मूल रूप से स्वरों की संख्या ग्यारह होती है।
ग्यारह स्वर के वर्ण अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ आदि हैं। हिन्दी भाषा में ऋ को आधा स्वर यानि अर्धस्वर माना जाता है, इसे भी स्वर में शामिल किया गया है। अं और अः वर्णों की गिनती न तो स्वर में होती है और न तो व्यंजन में ही।
स्वरों का वर्गीकरण
हिन्दी भाषा और देवनागरी लिपि विश्व भर में अपनी वैज्ञानिकता और तार्किक स्वरुप के लिए जानी जाती है अथवा प्रचलित है। स्वर ऐसी ध्वनियों को कहा जाता है जिनका उच्चारण फेफड़ों से निकलने वाली वायु के साथ, किसी रुकावट या विशेष प्रयास के बिना किया जाता सकता है। देवनागरी लिपि में इन स्वरों को कई आधारों पर वर्गीकृत किया गया है। इन आधारों का उदाहरण सहित विस्तृत विवरण यहाँ किया गया है।
1. मात्रा काल के आधार पर स्वरों का वर्गीकरण और उदाहरण
मात्रा काल अर्थात पलक झपकने में लगने वाले समय के आधार पर स्वरों को तीन वर्गों में बाँटा गया है।
- ह्रस्व स्वर – वे लघु स्वर जिनके पूर्ण उच्चारण में एक मात्रा काल का समय लगता है अर्थात एक बार पलक झपकने के समान समय लगता है। उदाहरण स्वरुप, अ, इ, उ
- दीर्घ स्वर – ये वे स्वर हैं जिन के उच्चारण में ह्रस्व स्वरों के मुकाबले थोड़ा अधिक समय लगता है। दीर्घ स्वरों को उच्चारित करने में दो मात्रा काल का समय लगता है। उदाहरण स्वरूप, आ, ई, ऊ
- प्लुत स्वर – प्लूटो स्वर वे होते हैं जो दीर्घ स्वरों से भी अधिक समय लेकर उच्चारित लिए जाते हैं। इनके उच्चारण में तीन मात्रा काल का समय लगता है।
2. ओष्ठों की आकृति के आधार पर स्वरों का वर्गीकरण
स्वरों का उच्चारण करते समय ओष्ठों की जो आकृति बनती है उसके आधार पर स्वरों को तीन वर्गों में वर्गीकृत किया है।
- वृत्ताकार स्वर – जिन स्वरों के उच्चारण के समय होठों की स्थिति वृत्ताकार हो जाती है अर्थात गोल आकार की हो जाती है उन्हें वृत्ताकार स्वर कहा जाता है। उदाहरण: उ, ऊ, ओ, औ
- अवृत्ताकार स्वर – जिन स्वरों के उच्चारण के समय होठों का आकार नहीं बदला एवं वे तटस्थ रहते हैं, उन्हें अवृत्ताकार स्वर कहा जाता है। उदाहरण: अ, इ, ए, ऐ
- अर्धवृत्ताकार स्वर – जिन स्वरों के उच्चारण के दौरान होठों का आकार नहीं तो पूर्णतः गोलाकार बनता है और न ही तटस्थ रहता है। उदाहरण: आ
3. जिह्वा की क्रियाशीलता के आधार पर स्वरों का वर्गीकरण
स्वरों को उच्चारित करते समय मुख में बनती जिह्वा की विभिन्न स्थितियों के आधार पर स्वरों को तीन भागों में बाँटा गया है।
- अग्र स्वर – जिन स्वरों का उच्चारण करते समय जिह्वा के आगे का भाग (अग्र भाग) तालु से निकट आता है, परंतु तालु को स्पर्श नहीं करता, उदाहरण स्वरुप : इ, ई, ए, ऐ
- मध्य स्वर – ऐसे स्वर जिन्हें उच्चारित करते समय जिह्वा का मध्य भाग तालु के निकट जाता है उन्हें मध्य स्वर कहते हैं। उदाहरण : अ, आ
- पश्च स्वर – ऐसे स्वर जिन्हें उच्चारित करते समय जिह्वा का पिछला भाग तालु के निकट जाता है उन्हें पश्च स्वर कहते हैं। उदाहरण : उ, ऊ
4. तालु की स्थिति के आधार पर स्वरों का वर्गीकरण
स्वरों का उच्चारण करने के दौरान तालु और जिह्वा के बीच की दूरी के आधार पर स्वरों को चार वर्गों में वर्गीकृत किया गया है।
- संवृत स्वर – ऐसे स्वर जिनका उच्चारण करते समय जिह्वा तालु की ओर बढ़ती है और दोनों के बीच की दूरी कम होती है उन्हें संवृत स्वर कहा जाता है। उदाहरण : इ, ई, ऊ, ऊ
- अर्ध संवृत स्वर – जिन स्वरों का उच्चारण करते समय, संवृत स्वरों की अपेक्षा, जिह्वा और तालु के बीच की दूरी थोड़ी अधिक होती है। उदाहरण : ए, ओ
- विवृत स्वर – ऐसे स्वर जिन्हें उच्चारित करते समय जिह्वा और तालु के बीच की दूसरी अधिक होती है। उदाहरण : आ
- अर्ध विवृत स्वर – ऐसे स्वर जिनके उच्चारण के समय जिह्वा और तालु के बीच की दूरी विवृत स्वरों की अपेक्षा थोड़ी कम होती है। उदाहरण : अ, ऐ, औ
5. जाति के आधार पर स्वरों का वर्गीकरण
स्वरों का उच्चारण रते समय जो मूल ध्वनियाँ उच्चारित होती हैं उनके आधार पर स्वरों को दो वर्गों में विभाजित किया गया है।
- सजातीय स्वर – जिन स्वरों की मूल ध्वनि समान होती है वे सजातीय स्वर कहलाते हैं। उदाहरण : अ और आ, इ और ई, उ और ऊ
- विजातीय स्वर – जिन स्वरों की मूल ध्वनियाँ भिन्न होती हैं उन्हें विजातीय स्वर कहा जाता है। उदाहरण : अ और इ, इ और उ
6. उच्चारण अथवा अनुनासिकता के आधार पर स्वरों का वर्गीकरण
स्वरों के उच्चारण में मुख के जिस भाग का मुख्य रूप से उपयोग होता है, इस आधार पर स्वरों को निम्नलिखित वर्गों में वर्गीकृत किया गया है।
- कंठ्य – जिन स्वरों को उच्चारित करने में मूल भूमिका कंठ की होती है उन्हें कंठ्य स्वर कहा जाता है। उदाहरण : अ, आ
- तालव्य – जिन स्वरों को उच्चारित करने में मूल भूमिका तालु की होती है उन्हें तालव्य स्वर कहा जाता है। उदाहरण : इ, ई
- मूर्धन्य – जिन स्वरों को उच्चारित करते समय जिह्वा मूर्धा (ऊपरी दंत माला के पीछे का तालु का भाग) की ओर बढ़ती है उदाहरण : ऋ, ॠ
- दंत्य – जिन स्वरों को उच्चारित करते समय जिह्वा ऊपरी दंत माला को स्पर्श करती है उन्हें दंत्य स्वर कहते हैं। उदाहरण : ऌ, ॡ
- ओष्ठ्य – जिन स्वरों को उच्चारित करने में मूल भूमिका होठों की होती है उन्हें ओष्ठ्य स्वर कहा जाता है। उदाहरण : उ, ऊ
- कंठतालव्य – जो स्वर कंठ और तालु दोनों की मुख्य भूमिका से उच्चारित किए जाते हैं उन्हें कंठतालव्य स्वर कहा जाता है। उदाहरण : ए, ऐ
- कंठओष्ठ्य – जो स्वर कंठ और होठों दोनों की मुख्य भूमिका से उच्चारित किए जाते हैं उन्हें कंठओष्ठ्य स्वर कहा जाता है। उदाहरण : ओ, औ
- अनुनासिक – जिन स्वरों को उच्चारित करते समय मुख्य के साथ-साथ नासिका से भी वायु प्रवाहित होती है उन्हें अनुनासिक कहते हैं। उदाहरण : आँ, ओं
अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
प्र1. हिन्दी वर्णमाला में कितने स्वर हैं?
उ. हिन्दी वर्णमाला में कुल सोलह 16 स्वर हैं।
अ आ इ ई उ ऊ ऋ ॠ
ऌ ॡ ए ऐ ओ औ अं अः
प्र2. स्वर क्या होते हैं?
उ. ऐसे वर्ण जिनके उच्चारण के लिए किसी दूसरे वर्ण की आवश्यकता नहीं पड़ती उन्हें स्वर कहा जाता है।
प्र3. अल्पप्राण वर्ण क्या होते हैं?
उ. जिन वर्णों के उच्चारण के समय बाकी वर्णों की अपेक्षा मुख से कम वायु निकलती है उन्हें अल्पप्राण कहा जाता जाता। सभी स्वर अल्पप्राण कहलाते हैं।
प्र4. उच्चारण के आधार पर स्वरों के कितने वर्ग हैं?
उ. उच्चारण के आधार पर स्वरों के आठ वर्ग हैं- कंठ्य, तालव्य, मूर्धन्य, दंत्य, ओष्ठ्य, कंठतालव्य, कंठओष्ठ्य, अनुनासिक।