भारत समेत विश्व के समस्त देशों में तारीख, दिन और महीनों का निर्धारण करने के लिए अंग्रेजी भाषा के ग्रेगोरी कैलेंडर (gregorain calender) का प्रयोग किया जाता है। इसी के आधार पर सारे त्योहार और प्रमुख दिनों की तिथि निर्धारित की जाती है।
लेकिन आरंभ से ही हिंदू धर्म के अनुयायियों द्वारा प्रमुख धार्मिक दिवसों को मानने के लिए हिंदू पंचांग (hindu panchang) देखा जाता हैं। जिसे हिंदू या हिंदी कैलेंडर (hindi calendar) भी कहा जाता है। यह अंग्रेजी कैलेंडर से काफी अलग होता है। तो चलिए आज हम हिंदू पंचांग के बारे में पढ़ते हैं।
साथ ही यह भी जानते हैं कि हिंदू पंचांग में महीनों, दिनों आदि का नाम और महत्व क्या है? जोकि परीक्षा और सामान्य ज्ञान की दृष्टि से आपके लिए काफी महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
हिंदू पंचांग – Hindu Panchang
हिंदी भाषा के कैलेंडर को हिंदू पंचांग कहा जाता है। जहां पंचांग शब्द संस्कृत भाषा के पंच+ अंगम से मिलकर बना है। जिससे तात्पर्य चंद्र दिन, चंद्रमास, अर्ध दिन, चंद्रमा के कोण और सौर दिन से है। इस प्रकार, हम कह सकते हैं कि हिंदी कैलेंडर में इन्हीं पांच तत्वों के आधार पर समय, दिन, तारीख, महीना और साल आदि की गणना की जाती है।
साथ ही चंद्रमा और सूर्य की गतियों की मदद से भी दिन और समय का ठीक ठीक पता लगाया जाता है। हालांकि अंग्रेजी कैलेंडर की तरह हिंदी कैलेंडर में भी एक वर्ष में कुल 12 महीने होते हैं। जिन्हें प्रत्येक को दो भागों में बांटा गया है।
यानि हर महीने के पहले 15 दिन शुक्ल पक्ष और अंतिम 15 दिन कृष्ण पक्ष कहलाते हैं। ऐसे में आगे बढ़ने से पहले हम यह जान लेते हैं कि आखिर यह शुक्ल और कृष्ण पक्ष क्या है?
मूल रूप से, शुक्ल और कृष्ण पक्ष चंद्रमा की घटती और बढ़ती कलाओं से प्रभावित होता है।
शुक्ल पक्ष: इसे उजाला पाक भी कहा जाता है। यानि जब हम आसमान में उज्ज्वल और पूर्ण प्रकाशमयी चंद्रमा को देखते हैं, तब उसे शुक्ल पक्ष माना जाता है। शुक्ल पक्ष का आरंभिक दौर अमावस्या कहलाती है। इसको लोग अध्यात्मिक और धार्मिक दृष्टि से शुभ मानते हैं।
कृष्ण पक्ष: इसे अंधेरा पाक कहा जाता है। यह पूर्णिमा से आरंभ होकर अमावस्या तक प्रभावी रहता है। इसे भगवान श्री कृष्ण के नाम से भी जाना जाता है। इस दौरान चंद्रमा का प्रकाश काफी फीका दिखाई पड़ता है। धार्मिक आधार पर लोग कृष्ण पक्ष को प्रतिकूल मानते हैं और अधिकतर कार्य शुक्ल पक्ष के समय ही संपन्न करते हैं।
इसके अलावा हर महीने के दोनों पक्ष में दो अयन भी होते हैं। जिनमें लगभग 27 नक्षत्र भ्रमण करते हैं। जिनकी ज्योतिष शास्त्र के आधार पर काफी महत्ता है।
अब हम हिंदी कैलेंडर के आधार पर महीनों, ऋतुओं और दिनों के बारे में विस्तार से जानेंगे।
हिंदू पंचांग के अनुसार, नया साल 1 अप्रैल को मनाया जाता है। और हर साल 31 मार्च को वर्ष का अंतिम दिन कहा जाता है। इसी दिन सारे व्यापारिक कामों का वर्ष भर का लेखा जोखा तैयार किया जाता है। जबकि अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से नया साल 1 जनवरी से माना जाता है। साथ ही हिंदी में महीनों को मास कहा जाता है।
Hindi Months Name
हिंदी मास | अंग्रेजी महीने | English Months |
---|---|---|
चैत्र | मार्च-अप्रैल | March-April |
वैशाख | अप्रैल-मई | April-May |
ज्येष्ठ | मई-जून | May-June |
आषाढ़ | जून-जुलाई | June-July |
श्रावण | जुलाई-अगस्त | July-August |
भाद्र पक्ष | अगस्त-सितंबर | August-September |
आश्विन | सितंबर-अक्टूबर | September-October |
कार्तिक | अक्टूबर-नवंबर | October-November |
मार्गशीष | नवंबर-दिसंबर | November-December |
पौष | दिसंबर-जनवरी | December-January |
माघ | जनवरी-फरवरी | January-February |
फाल्गुन | फरवरी मार्च | February-March |
चैत्र – मार्च अप्रैल [March April]
ग्रीष्म काल की शुरुआत चैत्र के महीने से होती है। इसे हिंदू कैलेंडर का पहला मास कहा जाता है। इसमें होली का त्योहार मनाया जाता है। चैत्र मास में पूर्णिमा चित्रा नक्षत्र में होती है। इसलिए अंग्रेजी का मार्च अप्रैल हिंदी का चैत्र महीना कहलाता है।
माना जाता है कि चैत्र माह में ही भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था। चैत्र के महीने में महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा, तमिलनाडु में चेत्री विशु, कर्नाटक में उगडी, उत्तर भारत में रामनवमी और हनुमान जयंती मनाई जाती है। साथ ही इस महीने में खरबूज, लौकी, तुरई, पालक और भिंडी उगाई जाती है।
वैशाख – अप्रैल मई [April May]
वैशाख माह में सूर्य विशाखा तारे के नजदीक होता है। इसलिए इसका नाम वैशाख पड़ा। यह हिंदू कैलेंडर के अनुसार दूसरा महीना होता है। जबकि यह अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक अप्रैल मई का महीना होता है।
इस माह का हिंदू धर्म में महत्व इसलिए अधिक है, क्योंकि इस माह हिंदू धर्म के कई सारे देवी देवताओं ने अवतार लिया था। तो वहीं फसल कटाई की दृष्टि से भी यह महीना काफी लाभप्रद होता है। वैशाख के महीने में बुद्ध पूर्णिमा मनाई जाती है। बैशाख के महीने में चौलाई और मूली उगाई जाती है।
ज्येष्ठ -मई जून [May June]
इस मास में गर्मी अपनी मूल अवस्था में होती है। यह हिंदी पंचांग का तीसरा महीना होता है। जोकि अंग्रेजी में मई और जून का महीना कहलाता है। इस महीने में हिंदुओं के प्रमुख व्रत और त्योहार मनाए जाते हैं। जैसे:- निर्जला एकादशी, वट सावित्री व्रत, गंगा दशहरा और शनि जयंती आदि। इस माह में सम्पूर्ण भारत की सबसे प्रसिद्ध जगन्नाथ पूरी की स्नान यात्रा निकाली जाती है। इस माह में फूलगोभी, प्याज, मूली, बैंगन और मिर्च उगाई जाती है।
आषाढ़ – जून जुलाई [June July]
यह हिंदी पंचांग का चौथा महीना होता है। जिसे वर्षा ऋतु का मास भी कहा जाता है। क्योंकि इस दौरान बारिश का मौसम शुरू हो जाता है। इसे अंग्रेजी का जून जुलाई का महीना माना जाता है। साथ ही आषाढ़ माह में ही गुरु पूर्णिमा पड़ती है। इस मास में करेला, बीन, पेठा, टमाटर और शरीफा की फसल उगाई जाती है।
श्रावण – जुलाई अगस्त [July August]
इसे हिंदू कैलेंडर का पांचवा महीना माना जाता हैं। हिंदू धर्म में इस माह का विशेष महत्व है क्योंकि इसे भगवान शिव का महीना कहा जाता है। इस महीने का नाम श्रावण इसलिए पड़ा, क्योंकि इसमें श्रवण नक्षत्र युक्त पूर्णिमा पड़ती है।
अंग्रेजी का जुलाई और अगस्त का महीना श्रावण मास के नाम से जाना जाता है। इसमें मुख्य रूप से महिलाओं के त्योहार जैसे हरियाली तीज, नाग पंचमी, रक्षा बंधन और भगवान श्री कृष्ण का जन्मदिन मनाया जाता है। साथ ही भगवान शिव के भक्त इस महीने में कावड़ यात्रा निकालते हैं।
भाद्र पक्ष – अगस्त सितंबर [August September]
अंग्रेजी का अगस्त और सितंबर का महीना हिंदी का भाद्र पक्ष कहलाता है। इस माह में पितरों को प्रसन्न करने के लिए तर्पण दिया जाता है। इसलिए इस माह को चौमासा भी कहा जाता है। यह हिंदू पंचांग के अनुसार छठा महीना होता है। इसमें अनंत चतुर्दशी, गणेश चतुर्थी और राधा अष्टमी आदि मनाई जाती है। इसमें गाजर, काली सरसों के बीज, धनिया, पालक और शलजम उगाई जाती है।
आश्विन – सितंबर अक्टूबर [September October]
अंग्रेजी कैलेंडर के सितंबर और अक्टूबर महीने को अश्विन के नाम से जाना जाता है। इसे कुआरों का माह भी कहा जाता है। यह हिंदुओं का सांतवा सबसे पवित्र महीना कहलाता है। इसमें दिवाली, धनतेरस, दशहरा, पूर्णिमा, नवरात्रि और दुर्गापूजा का त्योहार मनाया जाता है। इसमें ब्रोकली, पत्ता गोभी, आलू, टमाटर और गाजर उगाई जाती है।
कार्तिक – अक्टूबर नवंबर [October November]
यह हिंदू कैलेंडर के अनुसार आंठवा महीना होता है। जिसमें गोवर्धन पूजा, कार्तिक पूर्णिमा और भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से अक्टूबर और नवंबर का महीना कार्तिक का माह कहलाता है।
इसी माह में देव उठनी एकादशी और तुलसी विवाह पूजन भी होता है। हिंदू धर्म में धार्मिक और शादी विवाह से जुड़े सभी शुभ कार्य इसी माह से किए जाते हैं। इस दौरान गेहूं, हरी प्याज, लहसुन, मूली और चावल की फसल बोई जाती है।
मार्गशीष – नवंबर दिसंबर [November December]
अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक यह नवंबर और दिसंबर का महीना होता है। जिसमें मुख्य रूप से मोक्ष एकादशी मनाई जाती है। इसे हिंदू पंचांग का नौवां महीना माना जाता है। इस माह में चुकंदर, मूली, गाजर, मटर और शिमला मिर्च उगाई जाती है।
पौष – दिसंबर जनवरी [December January]
इस माह से जाड़ों की शुरुआत होती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, दिसंबर और जनवरी का महीना हिंदी में पौष के नाम से जाना जाता है। इस महीने में लोहड़ी, मकर संक्रांति और पोंगल का त्योहार मनाया जाता है। इसे हिंदू कैलेंडर का दसवां महीना कहा जाता है। इसमें पालक, मूली, पत्ता गोभी, टमाटर और बैंगन उगाया जाता है।
माघ – जनवरी फरवरी [January February]
माना जाता है कि इसी माह में सूर्य कुंभ राशि में प्रवेश करता है। इसलिए इसे माघ मासी कहा जाता है। अंग्रेजी का जनवरी और फरवरी महीना माघ मास के नाम से जाना जाता है। इस माह में विद्या की देवी सरस्वती जी की पूजा की जाती है।
यह हिंदू पंचांग का 11वां महीना होता है। इस दौरान महा शिवरात्रि का त्योहार भी पड़ता है। इस माह में शिमला मिर्च, मूली, पालक, बैंगन और कद्दू की फसल बोई जाती है।
फाल्गुन – फरवरी मार्च [February March]
यह हिंदी पंचांग का 12वां महीना होता है। जिसमें होली का त्योहार पड़ता है। अंग्रेजी के अनुसार फरवरी और मार्च का महीना फाल्गुन के नाम से जाना जाता है। इस माह में राजमा, भिंडी, तरबूज, फूलगोभी और ग्वार की फसल बोई जाती है।
इसके अलावा, अधिक मास भी हिंदू पंचांग का एक महीना होता है। जोकि 32 महीनों और करीब 16 दिनों के बाद आता है। इसमें कोकिला व्रत का काफी धार्मिक महत्व है। इसे पुरुषोत्तम माह के नाम से भी जाना जाता है।
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