इस SEO course के शुरुआत वाले article – “Off-page SEO क्या है” में हमने backlinks के बारे में पढ़ा था, जो SEO का एक मुख्य हिस्सा होते हैं। जब कोई एक site अपने content में किसी दूसरी site का URL किसी keyword साथ hyperlink करके लिखती है, तो उसको back linking कहा जाता है।
यह off-page SEO की एक तकनीक है क्योंकि यह हमारे control में नहीं बल्कि दूसरी sites के control में होती है। Google द्वारा यह स्पशट्ट बताया गया है कि backlinks किसी भी site के ranking factors में सबसे उपर वाले factors में गिने जाते हैं।
विषय सूची
Backlinks क्या होते हैं? | What is Backlinks
उदाहरण से समझते हैं, मान लीजिये 2 websites हैं – P.com और Q.com, जिसमे site P में एक ऐसे विषय पर article है जिस विषय पर दूसरी वेबसाइट Q.com पर अच्छी और detailed information share कर रखी है। अब वेबसाइट P संक्षिप्त में लिख कर अपने article में website Q का link दे सकती है जिससे अगर किसी को detail में उस विषय को जानना हो तो वो website Q में जाकर पढ़ सकते हैं।
ऐसा करने से दोनों websites P और Q को फायदा हुआ। P के readers को अच्छी information मिली जिससे उनका भरोसा उस website पर बढ़ा और Q को extra ट्रैफिक मिला और साथ में Google से भी फायदा मिला क्योंकि जिन websites को ज्यादा backlinks मिलते हैं उन्हें authority sites माना जाता है और search में ऊपर rank दी जाती है।
इसके अलावा अगर आप किसी दूसरी website की image, video या कोई content directly use करें तब भी आपको उसे link देना चाहिए। यह भी backlink में count होता है।

Link Building के फायदे
Google यह तो साफ बताता है कि internal links और content किसी भी site के लिए सबसे important 2 factors हैं। परंतु इस ranking की क्रिया को विस्तार में समझें तो link building के निम्नलिखित फायदे सामने आते हैं–
- Google के लिए मार्ग: जब google site P पे crawl करने आएगी तो कंटेंट में site R का link देख के site R पर crawl करने चली जाएगी। बिना internal links के google को आपकी site मिलना असंभव के करीब है।
खास कर यदि आपकी site बिलकुल नई है तो google को सालों लग सकते हैं आपकी साइट ढूंढने में। क्योंकि अनगिनत websites के बड़े समुद्र में google के लिए हर एक साइट पर crawl कर पाना असंभव है। - Users के लिए मार्ग: जिस प्रकार links google के लिए मार्ग बनाते है उसी प्रकार users को भी एक site से दूसरी site तक भटका देते हैं। Users एक site का content पढ़ते पढ़ते बीच में दिए हुए link से आपकी site तक पहुंच सकते हैं। बिना internal links के हो सकता है कि users आपकी site को ना ढूंढ पाए।
- अच्छा content की guarantee: जिन sites पर आप backlinks के द्वारा पहुँचेंगे, उन sites का content अच्छा ही होगा। क्योंकि उन्ही sites को ज़्यादा backlinks मिलते हैं जिनका content असली और जानकारी से भरपूर होता है। नकली content वाली sites को link करने में कोई तरजीह नहीं देता। तो internal links एक तरह से user का आपकी साइट में विश्वास भी बनाते हैं।
Links कैसे होने चाहिए?
ऐसे समझने में लगता है कि हर internal link हमारी site को same तरीके से फायदा देगा। परंतु यह सच नहीं है, हर backlink अलग होता है, और सब links के साथ सामान्य लाभ नहीं होता, बल्कि कई links से लाभ की जगह नुक़सान भी हो सकता है। आईए अच्छे links ki quality को विस्तार में समझते हैं–
- Quality not quantity: यह बात तो हमने SEO की हर तकनीक में सीखी है। ज़्यादा छोटी छोटी sites के links होने से अच्छा है की आपके पास कुछ बड़ी sites के links हो। छोटी या कमजोर sites के साथ जुड़ने में कोई फायदा नहीं होता। Site की quality के अतिरिक्त दूसरा मुख्य point यह है कि आप अपनी साइट में anchor texts किस तरीके से add करते हैं।
Anchor text वाली पंक्ति पढ़ते समय यह बिल्कुल नहीं लगना चाहिए कि ज़बरदस्ती link create करने के लिए keyword घुसाया है। यदि हर पंक्ति में एक- दो anchor texts हो तो content की quality ख़तम हो जाती है। इसलिए कोशिश करें कि links को naturally content के हिसाब से डालें, नहीं तो avoid करें। - कौन सा पेज: सिर्फ link मिल जाने से काम ख़तम नहीं हो जाता। यह ज़रूर ध्यान में रखें कि दूसरी साइट ने आपकी site के कौन से page को link किया है। वह Homepage है या कोई product पेज है? क्या आपका वो page user-friendly है? कहीं वो login करने की तो नहीं कहता? क्या उस page पे अच्छा content मौजूद है जो users को कुछ लाभदायक जानकारी दे सके?
- कौन सा कीवर्ड: यह भी ध्यान रखें की दूसरी साइट ने कौन से keyword को hyperlink करके आपकी साइट साथ जोड़ा है। क्या को keyword आपकी site या आपके content को सही तरीके से represent करते हैं? क्या आपके content में भी उस keyword का उपयोग हुआl है? यदि users जिस शब्द को click करके आपकी साइट तक पहुंचे हैं, आपका content उस शब्द के बारे में है ही नहीं, तो ऐसी चीजें users को धोखा देती हैं और आपकी साइट में उनका विश्वास कम हो जाता है।
- कितना risk: जिस साइट से link मिल रहा है, उस site की सारी details अच्छे से जांच करें। यदि उनका content duplicate निकला तो google उनको सज़ा के रूप में SERP से बेदखल भी कर सकता है। आप बिलकुल नहीं चाहेंगे कि आपकी साइट भी वैसी list में हो, इसलिए लिंक्स के लिए हमेशा reputed sites का चुनाव करें।
- LinkResearchTools: आदर्श links के लिए कोई खास या fixed मंत्र नहीं है। यह हर site के हिसाब से एक subjective तकनीक है। कोई link का प्रकार एक site को लाभ दे सकता है और उसी समय पर दूसरी साइट को नुक़सान पहुंचा सकता है। सहायता के लिए आप link research tools का उपयोग कर सकते हैं।
Links के प्रकार | Type of Links
Links बहुत प्रकार के होते हैं। इनको site की quality के आधार पर, link की quality के आधार पर, risk के आधार पर, आदि में बाँटा जा सकता है। यह सब हम संक्षेप में उपर वाले हिस्से में समझ चुके हैं।
जब हमने linking के फायदे पढ़े थे तो हमने समझा था कि यह links गूगल के लिए आपकी site तक सड़क बनाते हैं, जिसके बिना google को आपकी site ढूंढ ने और crawl करने में बहुत मुश्किल होगी। परंतु ध्यान से समझें तो हमें पता चलेगा कि इस क्रिया का एक नुक़सान भी है।
उदाहरण में साइट P ने साइट Q को लिंक दिया था तो जब गूगल site P पे crawl करने आएगा, content में site Q का link देख के वो site P से भटक जाएगा और उसको छोड़ कर साइट Q पर crawl करने चला जाएगा। इस तरह से site P का crawling समय किसी और site साथ शेयर हो कर कम हो जाएगा।
इस बात के आधार पर अब links को search engine के नज़रिए से प्रकार देते हैं, जो दो तरह के होते हैं–
- No Follow: यदि site P को site Q का content पसंद h जिस वजह से वो उसको लिंक करना चाहती है मगर साथ ही साइट P अपना crawling समय Q साथ share करके कम नहीं करवानी चाहती, तो वो ‘no follow’ प्रकार का लिंक उपयोग कर सकती है। इसके लिए coding में anchor text लिखने के बाद no follow लिखदें। इसका परिणाम यह होगा कि users तो उस लिंक द्वारा साइट Q पर पहुँच सकेंगे परंतु google उस link को follow नहीं कर पाएगा। इस तरह आपका crawling समय कम नहीं होगा और google आपकी site बिना भ्टके जांचेगा।
- Follow: नाम से ही पता चलता है कि यह प्रकार no follow के बिलकुल विपरीत है। Anchor text लिखने के बाद यदि आप ‘follow’ शब्द का प्रयोग करेंगे तो users और search engine दोनों उस link द्वारा साइट Q तक पहुंच सकते हैं। इस प्रकार में crawl time कम होने का ड्डर होता है।
Reciprocal linking अच्छी या बुरी?
जो उदाहरण हमने chapter के शुरुआत में लिया था, वही फिर से लेते हैं। उस case में साइट P ने site Q को link दिया था। अब यदि Q साइट P का एहसान वापिस करना चाहें तो वो भी अपने content में site P को link back कर सकता है। इस क्रिया को reciprocal linking कहते हैं। सरल भाषा में यदि आप मुझे link करोगे तो मैं तुम्हें link करूँगा।

सुनने में लगता है कि यह linking की सबसे आदर्श प्रकार होगी परंतु यह सत्य नहीं है। Reciprocal linking अच्छी भी हो सकती है और हानिकारक भी। यदि ज़्यादा मात्रा में लिंक exchange किए jayen तो इसका ranking results पे बुरा प्रभाव पड़ता है। परंतु यदि उन links की आपकी site के content साथ कोई relevance हो और users को सच्ची उस लिंक से लाभ हो, तो फिर reciprocal linking बुरी नहीं है।
Conclusion
Link building के सारे लाभ और हानी जान ने के बाद अब आप अपनी साइट के लिए backlinks ढूंढने के लिए तैयार है, बस उपर समझे गए rules का ध्यान रखें। यदि आप अपने content में किसी or site को link कर रहे है, तो भी सामान्य ध्यान बरतें।
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3 thoughts on “Link building kya hai? What is Link Building in Hindi”
Such a nice content
Very helpful
आप के दी जनकरी बेहतर है