हिन्दुओं का पवित्र ग्रंथ महाभारत कई सारे रहस्यों और पात्रों को खुद में समेटे हुए है। यह युद्ध प्राचीन भारत का सबसे भयंकर युद्ध था। जिसमें कई सारे महान् योद्धाओं ने भाग लिया था। इस युद्ध में धर्म और अधर्म के बीच लड़ाई छिड़ी थी और भगवान कृष्ण ने मनुष्यों को भागवत गीता का ज्ञान कराया था।
ऐसे में आज हम आपको महाभारत काल के एक प्रचलित किस्से के बारे में बताने जा रहे हैं कि क्यों युद्ध भूमि में भगवान श्री कृष्ण रोज मूंगफली खाया करते थे?
धार्मिक स्त्रोतों के अनुसार, जब पांडवों और कौरवों के बीच महाभारत का युद्ध चल रहा था। तब कई सारे राज्यों के राजा अपनी अपनी सेना के साथ युद्ध के मैदान में उतरे थे। इस दौरान कुछ राजाओं ने कौरवों और कुछ राजाओं ने पांडवों का साथ दिया।
इन सभी राजाओं में से एक राजा ऐसे भी थे जो युद्ध के मैदान में ना तो कौरवों की ओर से लड़े थे और ना ही पांडवों की ओर से। वह उडुपी राज्य के राजा उडुपी थे। जिन्होंने युद्ध के दौरान कौरवों और पांडव सैनिकों के लिए भोजन की व्यवस्था की थी।
राजा उडुपी ने भगवान कृष्ण से कहा था कि हर शाम युद्ध समाप्ति के बाद वह कौरवों और पांडवों के सैनिकों को भोजन करवाएंगे। राजा उडुपी के इस निर्णय से भगवान श्री कृष्ण काफी प्रसन्न हुए लेकिन राजा उडुपी के सामने यह समस्या थी कि वह प्रतिदिन यह कैसे सुनिश्चित करेंगे कि युद्ध के बाद कितने सैनिकों के लिए भोजन की व्यवस्था की जाए? क्योंकि युद्ध में प्रत्येक दिन कई सारे सैनिक वीर गति को प्राप्त होते हैं।

ऐसे में सैनिकों की संख्या के हिसाब से खाना तैयार करना मुश्किल था क्योंकि यदि किसी दिन सैनिकों के लिए खाना कम पड़ जाए तो वह वीर सैनिकों के साथ अन्याय होगा। यदि खाना अधिक बन जाए तो वह अन्नपूर्णा माता का अपमान होगा।
जिसके बाद राजा उडुपी ने भगवान श्री कृष्ण के समक्ष अपनी समस्या रखी। जिस पर भगवान श्री कृष्ण ने राजा उडुपी को उपरोक्त समस्या का समाधान बताते हुए कहा कि मैं युद्ध भूमि में हर रोज मूंगफली के जितने दाने खाऊंगा, तुम समझ लेना कि उतने हजार सैनिक युद्ध में मारे जाएंगे।
इस प्रकार राजा उडुपी की समस्या का समाधान भी हो गया और युद्ध के दौरान भोजन की बर्बादी भी नहीं हुई। कहते है राजा उडुपी की अन्न समस्या को हल करने के लिए महाभारत युद्ध के दौरान भगवान श्री कृष्ण ने मूंगफली के दाने खाए थे। महाभारत में भगवान श्री कृष्ण की उपयुक्त कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें किसी भी तरीके से भोजन की बर्बादी नहीं करनी चाहिए।
