पंखों से कुछ नहीं होता,
हौसलों से उड़ान होती है,
मंजिल उन्हीं को मिलती है,
जिनके सपनों में जान होती है!
यह पंक्तियां उन व्यक्तियों के जीवन पर स्पष्ट रूप से सिद्ध होती हैं जिन्होंने कठिन परिस्थितियों में भी हार नहीं मानी। और आज उनका जीवन दूसरों के लिए प्रेरणास्रोत बन चुका है। तो चलिए जानते हैं 7 सफल व्यक्तियों के संघर्ष की कहानी के बारे में…..
हर व्यक्ति अपने जीवन में सफल होना चाहता है। जिसके लिए वह अथक परिश्रम भी करता है, लेकिन कभी कभार उसे अपनी मेहनत के अनुसार फल नहीं मिलता है। जिसके बाद वह मेहनत करना ही छोड़ देता है। अर्थात् एक बार असफलता हाथ लगने पर सफलता के लिए दुबारा प्रयत्न ही नही करता है।
ऐसे में आज हम आपको कुछ एक सफल व्यक्तियों की ऐसी प्रेरक कहानियों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्हें पढ़कर आप निश्चित ही सफलता के लिए हमेशा प्रयासरत रहने की कोशिश करेंगे। इतना ही नहीं, उपरोक्त कहानियों को पढ़कर आप अवश्य ही प्रेरित होंगे और जीवन में अपने उद्देश्य को पाने में सफल हो सकेंगे।
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सिल्वेस्टर स्टेलॉन की प्रेरक कहानी

सिल्वेस्टर स्टेलॉन अमेरिका के जाने माने हॉलीवुड अभिनेता है। जिन्हें हॉलीवुड की ऑस्कर विजेता फिल्म ”रॉकी” से काफी प्रसिद्धि प्राप्त हुई। हालंकि यह सफलता हासिल होने से पहले उनके जीवन का सफर काफी मुश्किलों भरा रहा। लेकिन उन्होंने हार ना मानते हुए और स्वयं पर भरोसा रखते हुए अपने सपने को पूरा किया।
बचपन में स्टेलॉन की ठोड़ी में चोट लगने के कारण उनके चेहरे और आवाज पर काफी प्रभाव पड़ा था। जिस कारण उन्हें फिल्म जगत में सफलता पाने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा। आरंभ में उन्होंने कई छोटी फिल्मों में काम किया। और अपनी रोजी रोटी चलाने के लिए उन्होंने काफ़ी समय तक एक लेखक के तौर पर भी काम किया।
कुछ समय बाद उन्होंने महान बॉक्सर मोहम्मद अली और चक वेपनर से प्रभावित होकर एक स्क्रिप्ट तैयार की। जिसे निदेशकों द्वारा काफ़ी पसंद किया गया। लेकिन स्टेलॉन अपनी स्क्रिप्ट पर बनने वाली फिल्म में खुद ही मुख्य भूमिका में रहना चाहते थे। जिस कारण उन्हें इस फिल्म के बदले में 3,60,000 डॉलर्स की जगह केवल 23,000 डॉलर्स से ही संतोष करना पड़ा।
इन रुपयों में से 2000 डॉलर खर्च करके स्टेलॉन ने सबसे पहले अपने उस पालतू कुत्ते को वापिस खरीदा, जिसे एक समय आर्थिक तंगी की वजह से उन्होंने किसी व्यक्ति को बेच दिया था। फिर देखते ही देखते इनके द्वारा लिखित और निर्देशित फिल्म रॉकी काफी मशहूर हो गई।
जिसे बाद में कई श्रेणियों में ऑस्कर पुरस्कार भी मिले। इस प्रकार, स्टेलॉन ने अपनी मेहनत के दम पर न केवल खुद को एक अभिनेता बल्कि एक अच्छे स्क्रिप्ट लेखक के तौर पर भी स्थापित किया।
इस प्रकार, सिल्वेस्टर स्टेलॉन के जीवन से हमें कभी ना हार मानने की सीख लेनी चाहिए।
एन आर नारायण मूर्ति की प्रेरक कहानी
इंफोसिस कंपनी के संस्थापक एन आर नारायण मूर्ति किसी परिचय का मोहताज नहीं है। उन्होंने आज भारत देश के युवाओं को रोजगार देकर देश के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। लेकिन कहते हैं ना कि हर सफल व्यक्ति के पीछे उसके संघर्ष की कहानी छुपी होती है।
एन आर नारायण मूर्ति का जन्म भी एक साधारण से परिवार में हुआ था। इनकी आरंभिक शिक्षा सरकारी स्कूल से ही पूरी हुई थी। वह बचपन से ही एक सफल इंजीनियर बनने का सपना देखते थे। जिस कारण उन्होंने 12वीं के बाद आईआईटी कानपुर की प्रवेश परीक्षा दी।
लेकिन आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण उन्हें अपनी इंजीनियरिंग एक स्थानीय कॉलेज से ही पूर्ण करनी पड़ी। हालंकि बाद में उन्होंने इंजीनियरिंग में परास्नातक आईआईटी कानपुर से ही किया। इसी दौरान उनकी मुलाकात अमेरिका के जाने माने कंप्यूटर वैज्ञानिक से हुई।
जिनसे प्रेरणा लेकर एन आर नारायण मूर्ति ने आईटी क्षेत्र में ही अपना करियर बनाने की सोची। हालंकि उन्होंने कभी भी नौकरी को प्रथम वरीयता नही दी। वह चाहते थे कि वह अपनी मातृभूमि के लिए कुछ करें। इस कारण उन्होंने आईआईएम अहमदाबाद में बतौर प्रोग्रामर काम करने के बाद स्वयं की एक कंपनी स्थापित की।
फिर अपने कंप्यूटर इंजीनियर साथियों की मदद से एक उद्यमी के तौर पर खुद को आगे बढ़ाया। और इंफोसिस लिमिटेड नामक कंपनी शुरू की। इंफोसिस इस समय भारत की सबसे बड़ी आईटी कंपनी है। साथ ही एन आर नारायण मूर्ति के देश के आईटी क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए उन्हें भारत सरकार से पद्म श्री और पद्म विभूषण भी प्राप्त हो चुका है।
इस प्रकार, एन आर नारायण मूर्ति के जीवन से हमें कम सुविधाओं में भी रहकर बेहतर प्रदर्शन की सीख लेनी चाहिए।
जे के रॉलिंग की प्रेरक कहानी

हैरी पॉटर की कहानी को दुनिया के सामने लाने वाली इंग्लैंड की जे के रॉलिंग दुनिया के महान लेखकों में से एक हैं। जिनका जीवन काफी चुनौतियों भरा रहा। इन्होंने बचपन से ही अपने घर में अलगाव और लड़ाई वाला माहौल देखा।
जिसका सीधा असर उनकी शिक्षा पर पढ़ा और वह एक औसत स्टूडेंट ही बनकर रह गई। उन्होंने स्नातक की पढ़ाई के लिए ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की भी प्रवेश परीक्षा दी थी, लेकिन वह उसमें फेल हो गई। जिसके बाद उन्होंने एक साधारण सी यूनिवर्सिटी से अपना स्नातक पूरा किया और कई जगह नौकरी भी की।
उन्हें बचपन से ही अजीबो गरीब कहानियां लिखने का शौक था। जिसके चलते वह अपना अधिकतर समय कहानी लिखने में बिताया करती थीं। हालंकि इनका वैवाहिक जीवन भी काफी उथल पुथल भरा रहा। ऐसे में अपने पति से तलाक के बाद बेटी की परवरिश की पूरी जिम्मेदारी उनके ऊपर आ गई।
यह दौर उनके जीवन में ऐसा था कि वह पूरी तरह से अवसाद में आ गई थी, क्योंकि इस दौरान उनके पास कोई काम नही था। ऐसी स्थिति में उन्होंने सरकार से बेरोजगारों को मिलने वाली वित्तीय सहायता के लिए भी आवेदन किया और अपनी बच्ची की परवरिश की।
हालंकि कुछ समय बाद उन्होंने एक स्कूल में बच्चों को पढ़ाकर अपनी कमाई करनी शुरू कर दी थी। इसी दौरान वह हैरी पॉटर की कहानी भी लिखा करती थी। हालांकि शुरुआत में उनके लेखन को छापने के लिए कोई पब्लिशर तैयार नहीं हुआ।
सबका मानना था कि एक महिला लेखक के तौर पर उनके लेखन को इतनी लोकप्रियता हासिल नहीं होगी। लेकिन फिर उनके द्वारा लिखे गए उपन्यास को बाजार में पाठकों द्वारा काफी सराहा गया। और देखते ही देखते उनकी पुस्तक हैरी पॉटर और पारस पत्थर एक फिल्म के तौर पर हॉलीवुड की सबसे हिट फिल्म के तौर पर जानी गई।
आज जे के रॉलिंग हैरी पॉटर की सफलता और अपनी प्रेरक कहानी के लिए दुनिया भर के लोगों के लिए एक मिसाल हैं। और वह एक समय पर इंग्लैंड की महारानी से भी अधिक धनवान बन गई थी और उनका नॉवेल हैरी पॉटर सम्पूर्ण विश्व में पसंद किया जाने वाला पहला नॉवेल बन गया।
इस प्रकार, जे के रॉलिंग के जीवन से हमें चुनौतियों में अवसर की तलाश करने की सीख मिलती है।
बेथानी हैमिल्टन की प्रेरक कहानी

बेथानी हैमिल्टन एक जानी मानी अमेरिकन सर्फिंग एथलीट हैं। जोकि 13 साल की उम्र में एक भयंकर हादसे का शिकार हो गई थी। इनकी एक बांह को समुद्र में सर्फिंग करते समय शार्क ने अपना निवाला बना लिया था। जिस हादसे की वजह से बेथानी ने अपना एक हाथ हमेशा के लिए खो दिया।
परंतु बेथानी हैमिल्टन ने अपनी मजबूरी के आगे घुटने नही टेके और लगातार सर्फिंग में अपना अभ्यास जारी रखा। हालांकि एक हाथ से सर्फिंग करना आसान नहीं था, लेकिन बेथानी प्रयास जारी रखती है। जिसके बाद बेथानी हैमिल्टन राष्ट्रीय स्कॉलोस्टिक सर्फिंग एसोसिएशन में अपने शानदार प्रदर्शन से नंबर वन खिलाड़ी का खिताब जीत लेती है और अपनी विकलांगता को ही अपनी जीत बना लेती है।
हालांकि सर्फिंग की कई प्रतियोगिताओं में वह कई बार हारी लेकिन उन्होंने सर्फिंग करना नही छोड़ा। और इनके जीवन के ऊपर एक फिल्म सोल सर्फर भी बनाई गई है, जिसमें बेथानी हैमिल्टन के संघर्ष के बारे में विस्तार से बताया गया है।
इस प्रकार, बेथानी हैमिल्टन के जीवन से हमें हादसों से बाहर निकलकर आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है।
पाउलो कोइल्हो की प्रेरक कहानी

पाउलो कोइल्हो ब्राज़ील के एक प्रसिद्ध उपन्यासकार हैं। जिनका जीवन भी काफी संघर्षपूर्ण रहा। क्योंकि बचपन में जब उन्होंने अपने माता पिता के समक्ष लेखक बनने की इच्छा जाहिर की थी, तब उनके माता पिता नहीं चाहते थे कि वह लेखक बने। वह उन्हें इंजीनियर बनाना चाहते थे।
जिस वजह से पाउलो कोइल्हो का हमेशा अपने माता पिता से झगड़ा हुआ करता था। वह इस कारण से कभी समय से घर नही आया करते थे और रात-रात भर घर से बाहर ही समय व्यतीत कर दिया करते थे। इस दौरान वह नशे के भी आदि हो गए थे।
जिसके चलते पाउलो कोइल्हो के माता पिता को ऐसा लगता था कि वह मानसिक रूप से अस्वस्थ हैं, जिस कारण उनको मानसिक रोगियों के अस्पताल में भर्ती करा दिया गया। जहां वह काफी समय तक रहे। लेकिन उन्होंने फिर कुछ समय तक तो लेखक बनने का ख्याल ही मन से निकाल दिया और अपने परिवार की इच्छा के मुताबिक एक लॉ कॉलेज में दाखिला ले लिया।
फिर कुछ समय बाद उन्होंने अपना घर छोड़कर दुनिया भर की सैर की। वह इस दौरान कई देशों में गए और वहां की संस्कृति से परिचित हुए। सबसे पहले उन्होंने अपने करियर की शुरुआत में बतौर गीतकार काम किया। इस दौरान वामपंथी गीतों की रचना के लिए उन्हें जेल भी जाना पड़ा।
हालांकि वह एक अभिनेता, पत्रकार और निर्देशक के तौर पर भी कार्यरत रहे। और अपने लेखन करियर की शुरुआत के दौरान उन्होंने काफी उतार चढ़ाव देखें और अंतत इनके द्वारा लिखी गई पुस्तक द अल्केमिस्ट ने इन्हें एक लेखक के तौर पर प्रसिद्धि दिलाई।
जिसकी अब तक 65 मिलियन से अधिक प्रतियां बिक चुकी हैं और इनकी इस पुस्तक के नाम सबसे अधिक भाषाओं में अनुवादित होने का खिताब हैं।
इस प्रकार, पाउलो कोइल्हो के जीवन से हमें अंतर्मन की आवाज को सुनकर जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है।
क्रिस्टियानो रोनाल्डो की प्रेरक कहानी

क्रिस्टियानो रोनाल्डो एक पुर्तगाली फुटबॉलर और राष्ट्रीय टीम के कप्तान हैं। जिन्होंने काफी संघर्ष के पश्चात् खुद को दुनिया के सबसे बेहतरीन फुटबॉलर के तौर पर स्थापित किया है। हालंकि रोनाल्डो ने काफी छोटी उम्र में ही अपना स्कूल छोड़ दिया था और इनके घर की आर्थिक स्थिति काफी खराब थी।
इनके पिता एक माली थे। जिस कारण इन्होंने अपना बचपन एक ही कमरे वाले घर में अपने माता पिता और भाई बहन के साथ बिताया था। इनको रेसिंग हार्ट की भी बीमारी थी, जिस कारण इनको फुटबॉल खेलने को बचपन में ही मना कर दिया गया था। क्योंकि अधिक उछल कूद करने से इनको हार्ट से जुड़ी कई परेशानी हो सकती थीं।
लेकिन इन्होंने अत्यधिक गंभीर सर्जरी करवाने के कुछ समय बाद ही दुबारा फुटबॉल का प्रशिक्षण लेना शुरू कर दिया। जिसके बाद वह काफी सावधानी से फुटबॉल खेला करते थे। रोनाल्डो ने खुद को हमेशा नशे की चीजों से दूर रखा, क्योंकि इनके पिता की मृत्यु शराब पीने से ही हुई थी।
रोनाल्डो ने अपनी मेहनत के दम पर अपने फुटबॉल करियर में चार चांद लगाए, और इनकी खेल प्रतिभा के चलते इन्हें फुटबॉल का सबसे उच्च अवार्ड बैलन डी आर से सम्मानित किया जा चुका है। साथ ही वह अब तक के फुटबॉल के सबसे महंगे खिलाड़ी हैं।
इस प्रकार, क्रिस्टियानो रोनाल्डो के जीवन से हमें अपनी कमजोरी को ताकत बनाने की प्रेरणा लेनी चाहिए।
लियोनेल मेस्सी की प्रेरक कहानी

यह अर्जेंटीना के जाने माने फुटबॉल खिलाड़ी और वर्तमान टीम के कप्तान हैं। जिन्हें 11 साल की उम्र में हार्मोन से जुड़ी बीमारी (ग्रोथ हार्मोन डेफिशिएंसी) हो गई थी। जिस कारण आगे चलकर इनका शारीरिक विकास रुक सकता था।
ऐसे में इनके पिता ने अपना सब कुछ लगाकर इनका इलाज करवाया। लेकिन इस बीमारी का इलाज काफी महंगा था। और बचपन से ही फुटबॉल के बेहतरीन खिलाड़ी होने के बावजूद इन्हें अपना इलाज कराने के लिए कोई सरकारी सहायता प्राप्त नहीं हुई।
फिर मेस्सी के खेल से प्रभावित होकर उन्हें अपना इलाज कराने के लिए आर्थिक सहायता मिली और स्पेन में उनका काफी महंगा इलाज हुआ। जिसके परिणामस्वरूप आज वह अपने फुटबॉल के हर मैच में गोल करने के लिए जाने जाते हैं।
लियोनेल मेस्सी एकमात्र ऐसे खिलाड़ी हैं, जिन्होंने एक से अधिक बार फीफा विश्वकप गोल्डन बॉल पुरस्कार जीता है। साथ ही राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हुए फुटबॉल मैच में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है।
इस प्रकार, लियोनेल मेस्सी के जीवन से हमें अपनी शारीरिक अक्षमता को जुनून के आगे मात देने की प्रेरणा मिलती है।
आशा करते हैं कि आपको हमारे द्वारा बताए गए उपरोक्त व्यक्तियों की प्रेरक कहानी अवश्य ही पसंद आई होगी। ऐसे ही प्रेरणादायक लेख पढ़ने के लिए हमें फॉलो करना न भूलें।
