हिंदी व्याकरण की इस श्रृंखला में आज हम Upsarg aur Pratyay के बारे में पढ़ेंगे। तो आएये शुरू करते हैं पहले उपसर्ग की परिभाषा से।
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उपसर्ग की परिभाषा – Upsarg ki Paribhsha
उपसर्ग उन शब्दांशों को कहते है, जो किसी शब्द से पूर्व लगाकर उसके अर्थ में विशेषता उत्पन्न करते हैं या उसके अर्थ को बदल देते हैं। दूसरी ओर, उपसर्ग दो शब्दों से मिलकर बना है। उप + सर्ग। यानि किसी शब्द से जुड़कर नए शब्द का निर्माण करना। जैसे प्रहार, आहार, विहार, संहार इत्यादि में प्र, आ, वि, सम् उपसर्ग हैं और इनके बिना किसी शब्द का कोई अर्थ नहीं होता है। इसलिए इन शब्दांशों को उपसर्ग कहा जाता है।
ऐसे में आज हम आपके लिए लाए हैं संस्कृत, उर्दू और हिंदी भाषा में महत्वपूर्ण उपसर्ग और उनके बनाए गए शब्द।
उपसर्ग के उदाहरण – Upsarg ke Udaharan
संस्कृत के उपसर्ग
प्र – प्रगति, प्रबल, प्रभाव, प्रणाम, प्रख्यात, प्रकृति, प्रस्थान
परा – पराज्य, पराधीन, पराभव, परामर्श
अप – अपमान, अपयश, अपवाद, अपकर
सम् – सम्मुख, संपत्ति, संहार, संगठन, संस्कार, संगम, संतुष्ट, संभव
अनु – अनुज, अनुवर, अनुरूप, अनुभव, अनुशासन, अनुसार, अनुचरअव – अवतार, अवगुण, अवनति, अवतरणनिस् – निसंदेह, निस्सार, निशुल्क
निर् – निर्गुण, निर्दय, निरादर
दुस् – दुष्कर, दुस्साहस, दुष्परिणाम, दुष्चरित्र
दूर् – दुर्बोध, दुर्जन, दुराचार, दुर्दशा, दुराचार, दुर्गम
वि – विशेष, विदेश, विज्ञान, वियोग, विलाप, विपक्ष
आ – आजन्म, आहार, आगमन, आरक्षण, आक्रमण, आजीवन, अवनति
नि – निषेध, निरोध, निदेशक, निवारण, निपात, निरोग, निर्जन
अधि – अध्यक्ष, अधिपति, अधिकार, अधिनायक
अति – अतिशय, अत्यावश्यक, अतिरिक्त, अत्यंत
अभि – अभिवादन, अभ्युदय, अभिनव, अभियान, अभिनय, अभिषेक, अभिमुख
सु – सुपुत्र, सुबोध, सुजन, सुशिक्षित, सुपात्र
उत् – उन्नति, उत्कर्ष, उत्तम, उत्पत्ति
प्रति – प्रतिकूल, प्रतिकार, प्रत्युत्तर, प्रतिदिन, प्रत्यक्ष, प्रतिक्षण, प्रतिशत
परि – परिणाम, परिपूर्ण, परिक्रमा, परिजन
उप – उपमान, उपकार, उपमंत्री, उपदेश, उपहार
उद् – उद्गम, उद्भव
अव्यय के उपसर्ग
अधस् – अध पतन, अधोगति, अधोमुखी, अधोलिखित
अंतर – अंत करण, अंतर्देशीय, अंतर्मन, अंत:पुर
पुरा – पुराण, पुरातन, पुरातत्व, पुरावृत्त
सत् – सज्जन, सत्कार, सत्कर्म, सदाचार, सत्कार्य
पुरस् – पुरस्कार, पुरोहितबहिस् – बहिष्कार, बहिर्गमन, बहिर्जगत
का – का पुरुष
कु – कुपुत्र, कुपात्र
पुनर् – पुनरुक्ती, पुनर्जन्म, पुनर्लेखन, पुनर्जीवन
सह – सहयोग, सहोदर, सहपाठी, सहयोगी, सहकार
चिर – चिरस्थाई, चिरंजीवी, चिरकुमार, चिरकाल, चिरायु
हिंदी के उपसर्ग
अ – अटल, अचल, अथाह, अछूता
अन – अनजान, अनदेखा, अनपढ़, अनबन, अनमोल
अध – अधपका, अधकचरा, अधमरा, अधकच्चा
औ – औगुण, औघट, औसान, औसर
नि – निडर, निकम्मा, निहत्था, निगोड़ा
भर – भरपेट, भरपूर, भरसक, भरमार
स – सजग, सपूतक
कू – कपूत, कुटेव, कचोट
उन – उनतीस, उनसठ, उनचालीस, उन्हात्तर
पर – परलोक, परोपकार, परसर्ग, परहित
सु – सुडौल, सुजान, सुघड़, सुफल
बिन – बिनब्याहा, बिनबादल, बिन पाए, बिन जाने
उर्दू के उपसर्ग
बे – बेगार, बेदाग, बेचारा, बेवकूफ, बेईमान, बेइज्जत
बा – बाकार, बाकायदा, बाइज्जत, बाअदब, बारुसूख
ना – नालायक, नामुमकिन, नासमझ, नाराज, नापसंद
हर – हरेक, हरघड़ी, हरदिन, हरसाल, हरएक, हरबार
खुश – खुशबू, खुशदिल, खुशनसीब, खुशखबरी, खुशहाल
ला – लाईलाज, लाजवाब, लावारिस, लापरवाह
सर – सरकार, सरताज, सरपंच, सरदार, सरंजाम
बद – बदमाश, बदनाम, बदकिस्मत, बदबू
ग़ैर – ग़ैर क़ानूनी, ग़ैर हाज़िर, गैर मुल्क, गैर जिम्मेदार
कम – कमजोर, कम खर्च, कमअक्ल, कमबख्त
अंग्रेजी के उपसर्ग
सब – सब जज, सब कमेटी, सब इंस्पेक्टर
डिप्टी – डिप्टी कलेक्टर, डिप्टी रजिस्ट्रार, डिप्टी मिनिस्टर
वाइस – वायसराय, वाइस चांसलर, वाइस प्रेसिडेंट
जनरल – जनरल मैनेजर, जनरल सेक्रेटरी
चीफ – चीफ मिनिस्टर, चीफ इंजीनियर, चीफ सेक्रेटरी
हेड – हेडमास्टर, हेड क्लर्क
प्रत्यय की परिभाषा – Pratyay ki Paribhasha
प्रत्यय उन शब्दांशों को कहते हैं जो किसी शब्द के अंत में लगकर उसके अर्थ में परिवर्तन कर देते हैं और किसी नए शब्द का निर्माण करते हैं। जैसे बलहीन, सुंदरता, पढ़ाई आदि शब्दों में हीन, ता, आई आदि प्रत्यय हैं। प्रत्यय शब्द दो अव्ययों से मिलकर बना है, प्रति + अय यानि पीछे चलना। हालांकि प्रत्यय का अपना कोई सार्थक अर्थ नही होता है, वह स्वतंत्र रूप से प्रयोग में लाए जाते हैं। प्रत्यय मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं।
प्रत्यय के उदाहरण – Pratyay ke Udaharan
1. कृत प्रत्यय
जो प्रत्यय क्रिया के मूल रूप से जुड़ते है वह कृत प्रत्यय कहलाते हैं। जैसे – लिख + अक़ = लेखक। यहां अक कृत प्रत्यय के रूप में प्रयोग हुआ है।
कृत प्रत्यय के उदाहरण
अक्कड़ – घुमक्कड़, भुलक्कड़, बुझकक्कड़, पियक्कड़
अंत – भिड़ंत, रटन्त, उड़न्तू, घुमन्तु
आ – घेरा, छापा, ठेला, झूला
आऊ – टिकाऊ, बिकाऊ
आन – चढ़ान, ढलान, धसान, भासन
आवट – थकावट, रुकावट, लिखावट, सजावट
आहट – घबराहट, चिकनाहट, चिल्लाहट, जगमगाहट
इयल – अड़ियल, मरियल, सड़ियल
इया – घटिया, जड़िया, धुनिया, बढ़िया, भुंजिया
ई – छुट्टी, बोली, हंसी, टांकी, फांसी, पारखी
उआ – टहलुआ, तरुआ, पढ़ु
आऊ – कमाऊ, खाऊ, चालू
एरा – बसेरा, लुटेरा
ऐत – फेंकैत
ऐल – बिगड़ैल, रखैल
वैया – खवैया, खेवैया, गवैया, रखवैया
औवल – फुड़ौवल, बुझौवल, मनौवल, मिचौवल
औता – समझौता, चुनौती, मनौती
2. तद्धित प्रत्यय
जो प्रत्यय क्रिया की मूल धातु को छोड़कर संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और अव्यय में जुड़ते हैं, वह तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं। जैसे – जेठानी में जेठ + आनी। जिसमें आनी तद्धित शब्द है जबकि जेठ तद्धितांत शब्द है।
तद्धित प्रत्यय के उदाहरण
आ – भूखा, प्यासा, खारा, प्यारा, कडुवा, बबुआ, बिटिया, मुठिया, आपा, डाका
आई – अच्छाई, मिठाई, खटाई, ललाई
आऊ – घराऊ, पंडिताऊ
आटा – खर्राटा, फर्राटा
आयत – अपनायत, बहुतायत
आलू – झगड़ालू, लजालू
आव – मुटावआस – खटास, मिठास
आहट – काडुवाहट, गरमाहट, चिकनाहट
इन – जोगिन, तेलिन, मालिनइम – रक्तिम, स्वनिम, स्वर्णिम
इयाली – खुशियाली, हरियाली
ई – अंगूठी, कंठी, बिहारी, हलवाई, सरकारी
ईला – खर्चीला, गुबरीला, छबीला, जहरीला, नुकीला, पथरीला, पनीला, रेतीला
उआ – अगुआ, गेरुआ, फगुआ, मछुआ, शहरु
आऊ – गरजू, ढालू, नक्कू, पिट्ठू, पेटू, हितू
ए – धीरे, पीछे, बदले, लेखे, सामने
एला – अधेला, मुरेला
ऐला – खपरैल, गुस्सैल, दुधैल, विषैला
वाल – केजरीवाल, धारीवाल, प्रयागवाल
इसके अलावा हिंदी प्रत्ययों को चार भागों में विभाजित किया गया है।
तत्सम प्रत्यय
वान् – गुणवान, धनवान, बलवान, रूपवान
मान् – विद्यमान, सेव्यमान, बुद्धिमान
ता – नवीनता, मधुरता, सुंदरता
त्व – कृतित्व, ममत्व, महत्व, सतीत्व
तया – विशेषतया, सामान्यतया
जीवी – परजीवी, बुद्धिजीवी, लघुजीवी, दीर्घ जीवी
कार – पत्रकार, जानकार
आलु – कृपालु, दयालु, निद्रालु, श्रद्धालु
क – घटक, ठंढक, शतक, सप्तक
तद्भव प्रत्यय
अगड़ – बतंगड़
अंतू – रटंतू, घुमंतू
अत – खपत, पढ़त, रंगत, लिखत
आ – जोड़ा, फोड़ा, झगड़ा, रगड़ा
आई – कठिनाई, बुराई, सफाई
आऊ – खाऊ, टिकाऊ, पंडिताऊ
इन – जुलहिन, ठकुराइन, तेलिन, पुजारिन
इया – कन्नौजिया, पर्वतिया, भोजपुरिया, चुटिया, डिबियाई
ला – चमकीला, पथरीला, शर्मिला, हठीला
जा – भतीजा, भांजा, आत्मजा
देशज प्रत्यय
अक्कड़ – घुमक्कड़, पियक्कड़, भुलक्कड़
अड़ – अधड़, भूक्खड़
आक – चटाक, धड़ाक, धमाका, फटाक
इयल – अड़ियल, दढ़ियल, सड़ियल
विदेशज प्रत्यय
आ – सफेदा, खराबा
आना – जुर्माना, दस्ताना, मर्दाना, जनाना
इयत – अंग्रेजियत, असलियत, आदमियत, इंसानियत, खैरियत
कार – काश्तकार, दस्तकार, सलाहकार, पेशकार
मंद – अक्लमंद, जरूरतमंद, दौलतमंद
साज – घड़ीसाज, जालसाज, बंदूक साज
नाक – खतरनाक, खौफनाक, दर्दनाक, शर्मनाक
इस प्रकार Upsarg aur Pratyay के माध्यम से कई प्रकार के शब्दों की रचना की जाती है। कहीं जगहों पर शब्दों की रचना के समय उपसर्ग और प्रत्ययों दोनों का ही प्रयोग किया जाता है।
