विशेषण की परिभाषा – Visheshan ki Paribhasha
हिंदी व्याकरण में मौजूद जो शब्द किसी वाक्य में संज्ञा या सर्वनाम के बाद प्रयुक्त होकर उसकी विशेषता बतलाते हैं, वह विशेषण कहलाते हैं। दूसरा, वाक्य में उपस्थित जिसकी विशेषता बतलाई जाती है, वह विशेष्य होते हैं। इस प्रकार, जो शब्द वाक्य में किसी की विशेषता बतलाने के लिए प्रयोग किए जाते हैं, वह विशेषण कहलाते हैं।
जैसे – वह लड़की बहुत सुंदर है, सुरेश मोटा है, तुम अच्छे व्यक्ति हो आदि।
विशेषण के भेद – Visheshan ke Bhed
विशेषण के मुख्यता चार भेद होते हैं-
- सार्वनामिक विशेषण – किसी वाक्य में जो सर्वनाम विशेषण के रूप में प्रयुक्त होते हैं, उन्हें सार्वनामिक विशेषण कहते हैं। यह सर्वनाम किसी वाक्य में संज्ञा समेत आते हैं और पुरुषवाचक, निजवाचक सर्वनामों को छोड़कर समस्त शब्द सार्वनामिक विशेषण की श्रेणी में आते हैं। इसके दो भेद होते हैं-
- मौलिक सार्वनामिक विशेषण – जो सर्वनाम विशेषण वाक्य में बिना किसी परिवर्तन के संज्ञा से पहले आकर उसकी विशेषता बतलाते हैं, वह मौलिक सार्वनामिक विशेषण कहलाते हैं। जैसे – वह व्यक्ति रो रहा है, यह कपड़ा फटा है आदि।
- यौगिक सार्वनामिक विशेषण – किसी वाक्य में जो सर्वनाम विशेषण परिवर्तित होकर संज्ञा की विशेषता बताते हैं, वह यौगिक सार्वनामिक विशेषण कहलाते हैं। जैसे – कैसा लड़का चाहिए, ऐसा इंसान नहीं देखा आदि।
- मौलिक सार्वनामिक विशेषण – जो सर्वनाम विशेषण वाक्य में बिना किसी परिवर्तन के संज्ञा से पहले आकर उसकी विशेषता बतलाते हैं, वह मौलिक सार्वनामिक विशेषण कहलाते हैं। जैसे – वह व्यक्ति रो रहा है, यह कपड़ा फटा है आदि।
- गुणवाचक विशेषण – किसी वाक्य में प्रयुक्त होकर जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम के गुण, धर्म और स्वभाव के बारे में बतलाते हैं, वह गुणवाचक विशेषण कहलाते हैं। यह कई प्रकार के होते हैं-
- कालबोधक – नया, पुराना, प्राचीन, आधुनिक, ताजा
- स्थानबोधक – निचले, उपरेले
- रंगबोधक – काला, नीला, लाल, पीला, हरा
- दशाबोधक – मोटा, पतला, गीला, सूखा, वृद्ध, युवा
- गुणबोधक – झूठा, सच्चा, अच्छा, भला, बुरा
- आकारबोधक – चौड़ा, तिकोना, नुकीला, गोल, पतला, मोटा
- संख्यावाचक विशेषण – किसी वाक्य में जो शब्द संज्ञा और सर्वनाम की संख्या के बारे में बतलाते हैं, वह संख्या वाचक विशेषण कहलाते हैं। यह दो प्रकार के होते हैं-
- निश्चित संख्या वाचक – जिन शब्दों से संज्ञा और सर्वनाम की निश्चित संख्या का बोध होता है, वह निश्चित संख्या वाचक सर्वनाम कहलाते हैं। इनके भेद निम्न हैं-
- पूर्णाकवाचक – एक, दो, तीन, चार, पांच, छह
- अपूर्णावाचक – आधा, पौन, सवा, ढेड़, ढाई
- क्रमवाचक – पहला, चौथा, दसवां, सौंवा
- आवृत्ति वाचक – तिगुना, दुगना, चौगुना
- समुदाय वाचक – दोनों, तीनों, चारों, दसों
- प्रत्येक बोधक – हर एक, एक-एक, प्रति
- अनिश्चित संख्या वाचक सर्वनाम – जिन शब्दों से संज्ञा या सर्वनाम की निश्चित संख्या का बोध नहीं होता है, वह अनिश्चित संख्या वाचक सर्वनाम कहलाते हैं। जैसे – बहुत सारे लोग आए थे, यहां से कुछ लोग अभी निकले हैं, वहां सब कुछ बर्बाद हो गया है आदि।
- निश्चित संख्या वाचक – जिन शब्दों से संज्ञा और सर्वनाम की निश्चित संख्या का बोध होता है, वह निश्चित संख्या वाचक सर्वनाम कहलाते हैं। इनके भेद निम्न हैं-
- परिमाण बोधक – वाक्यों में प्रयुक्त जिन विशेषण शब्दों से संज्ञा और सर्वनाम शब्दों के परिमाण के बारे में पता लगता है, वह परिमाण बोधक विशेषण कहलाते हैं। यह दो प्रकार के होते हैं-
- निश्चित परिमाण बोधक – सात क्विंटल, दस किलो घी, दो किलो चीनी आदि।
- अनिश्चित परिमाण बोधक – थोड़ा अनाज, अधिक दूध, बहुत तेल आदि।
इसके अलावा वाक्य में स्थान की दृष्टि से विशेषण दो प्रकार के होते हैं-
- किसी वाक्य में जो विशेषण विशेष्य के ठीक पहले आते हैं वह उद्देश्य विशेषण कहलाते हैं। जैसे – उसके ऊपर नीला रंग बहुत सुंदर लगता है। इसमें नीला शब्द उद्देश्य विशेषण है।
- किसी वाक्य में जो विशेषण विशेष्य के ठीक बाद में आते हैं वह विधेय विशेषण कहलाते हैं। जैसे – सुशील होशियार लड़का है। उपरोक्त में होशियार विधेय विशेषण है।

अंशिका जौहरी
मेरा नाम अंशिका जौहरी है और मैंने पत्रकारिता में स्नातकोत्तर किया है। मुझे सामाजिक चेतना से जुड़े मुद्दों पर बेबाकी से लिखना और बोलना पसंद है।