Article Written by – पूजा बाबल (Gurukul99 Hindi Essay Competition 19 May 2022)
विषय सूची
प्रस्तावना
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और समाज आज भी बहुत सारी पुरानी विडंबनाओं,कुरीतियों और अंधविश्वासों पर विश्वास करता आ रहा है। अंधविश्वास एक ऐसी समस्या है जिसका समाधान सामने होते हुए भी कोसों दूर है, आज के समय जिस तरह मनुष्य अपने आप में बुराइयों को समाए हुए हैं, मनुष्य सगे सगे रिश्ते पर भी विश्वास नहीं कर सकता लेकिन इसके बावजूद कई ऐसे अंधविश्वास है जिसका शिकार आज हर एक तीसरा व्यक्ति है फिर चाहे वह पढ़ा लिखा हो या अनपढ़।
अंधविश्वास क्या है
किसी भी बात को बिना सोचे समझे और बिना किसी निश्चित निष्कर्ष के मानना, अंधविश्वास है फिर वह भगवान की भक्ति हो या किसी इंसान की।
“ मुरति धरि धंधा रखा, पाहन का जगदीश
मोल लिया बोले नहीं, खोटा विस्वा बीस।”
अर्थात – कबीर दास जी ने कहा है कि आज लोग ईश्वर की मूर्ति खरीद कर उसका धंधा करते हैं वह पत्थर की मूरत को भगवान कहकर खुद पैसा कमाते हैं जिस ईश्वर को वह मोल लेते हैं उसे खुद कुछ नहीं मिलता लेकिन उसके नाम पर एक खोटा बिना काम का व्यक्ति महान बन जाता है। निष्कर्ष यही है कि ईश्वर की आस्था मन एवं सत्कर्म से जाहिर होती है धार्मिक आडंबर से नहीं।
अंधविश्वास के उदाहरण
कई तरह के अंधविश्वास ऐसे होते हैं जिनमें मान्यता होती है जो नुकसान नहीं देती और कुछ मान्यताएं ऐसी होती है जो नुकसान पहुंचाती है।कुछ महत्वपूर्ण अंधविश्वासों के उदाहरण निम्नलिखित हैं-
बिल्ली का रास्ता काटना – कुछ लोग जब बिल्ली रास्ता काट देती है तो उसे अशुभ मानते हैं ऐसे लोग कुछ समय के लिए रास्ते में रुकते हैं तथा उसके बाद फिर चलना प्रारंभ करते हैं।
जादू टोना करना – कुछ लोग अपनी समस्याओं को सुलझाने के लिए चौराहे रास्तों पर काजल, बिंदिया, सफेद व लाल वस्त्र दीपक आदि रखकर जादू टोना करते हैं।
कांच का टूटना – कुछ लोगों के अनुसार कांच के टूटने से बुरी खबर आती है जिससे लोग डर जाते हैं और भगवान को मानने लगते हैं।
आंख की पुतली का फड़कना – कुछ लोगों यहां तक की रामायण, महाभारत में भी आंख के फड़कने को अशुभ माना गया है।
छींक आना – कुछ लोग जब घर से बाहर निकलते हैं उस वक्त कोई भी व्यक्ति अगर छींक दे तो उसे बुरा शगुन समझते हैं इसलिए वे कुछ देर बैठ जाते हैं और उसके बाद फिर वापस अपने गंतव्य स्थान की ओर चलने लगते है।कहा जाता है कि छींक आने से बना बनाया काम बिगड़ जाता है।
अशुभ नंबर – कुछ लोग 3,13,17 आदि संख्याओं को अशुभ संख्या मानते हैं इन तारीखों पर कोई शुभ कार्य नहीं करते हैं।
हथेली में खुजली आना – कुछ लोग हथेली में खुजली आने को धन प्राप्ति का संकेत मानते हैं।
रात में लोमड़ी का बोलना – कुछ लोग रात को लोमड़ी के बोलने को बुरी खबर का संकेत समझते हैं।
कोआ को कहकर उड़ाना – कुछ लोग कोआ को ऐसा कहकर उड़ाते हैं – “ उड रे कोआ मेरे मामा जी आए” ऐसा कहने पर अगर कोआ उड़ जाता है तो मेहमान के आने का शुभ संकेत मिलता है।
सूर्योदय के समय विधवा, बांझ और अनाथ लोगों का मिलना – कुछ लोग सुबह के समय विधवा, बांझ, तलाकशुदा और अनाथ लोगों के मिलने को अपशगुन मानते हैं।
और भी ऐसे अनेकों उदाहरण है जैसे- विधवा औरत रंगीन वस्त्र नहीं पहन सकती, पैरों में खुजली आना, ज्योतिषज्ञान पर आंख बंद करके विश्वास करना आदि।
अंधविश्वास के कारण
अंधविश्वास के कई कारण हो सकते हैं – वर्षों पहले पूर्वजों द्वारा बनी बनाई मान्यताओं, आडंबरओं और विडंबनाओं जिनके कारण वर्तमान पीढ़ी अभी आज उसे अपनी मान्यताओं के रूप में स्वीकार करती है जिसके कारण अंधविश्वास बढ़ता ही जाता है। जैसे- काले कपड़े नहीं पहनना, सती प्रथा, शादी के 1 महीने तक काले या सफेद कपड़े नहीं पहनना, विधवा औरतों द्वारा रंगीन वस्त्र नहीं पहनना आदि।यह सभी बातें वर्तमान पीढ़ियों द्वारा भी निभाई जा रही है। अंधविश्वास का मुख्य कारण है- डर और यह एक ऐसी बीमारी है जिसका कोई इलाज नहीं है और लोग इसका इलाज ढूंढने निकल पड़ते हैं जिसके कारण अंधविश्वास लगातार बढ़ता जाता है, अंधविश्वास में व्यक्ति की साइकोलॉजि (मनोविज्ञान) परिवर्तित हो जाती है व्यक्ति जो कुछ भी सोचता है वैसा ही होने लगता है जैसे- हाथों पर अपने आप लाल रंग लग जाना, अजीबो-गरीब आवाजें सुनाई देना आदि कार्य कहीं ना कहीं अंधविश्वास को बढ़ावा दे रहे हैं।
भारत में फैलता अंधविश्वास
“भेष फकीरी जे करें, मन नहिं आये हाथ, दिल फकीरी जे हो रहे, साहेब तिनके साथ।”
अर्थात महान कवि संत मलूक ने कहा है कि फ़कीर के वस्त्र धारण करने से मनुष्य का मन और व्यवहार साधु जैसा नहीं हो जाता उसके ऊपर ईश्वर का हाथ नहीं आ जाता है जिसके मन में फकीराना भाव होते हैं,जो मन से निश्छल होते हैं ईश्वर उसी के साथ होता हैं।
भारत में सबसे ज्यादा अंधविश्वासी लोग रहते हैं क्योंकि यहां पग-पग पर भगवान को माना जाता है जिसका कई लोग गलत फायदा उठाते हैं ईश्वर में आस्था जरूरी है लेकिन सही गलत का विचार भी जरूरी हैं।आजकल हर गली मोहल्ले, शहर में कई भगवा चोला पहने मिलते है और उनके कई शिष्य बन जाते हैं।
सन्यासी का रूप लिये ऐसे यह लोग राजनीति, फिल्मी और टेलीविजन की दुनिया में चमक रहे हैं कुछ लोग उनके पीछे अपना घर-परिवार छोड़कर उनके चरणों में पड़े हुए हैं जो मनुष्य खुद राजनीति और मोहजेमाया नहीं छोड़ पाता वह हमें कैसे वैराग्य सिखा सकता है। यह एक प्रश्न मन मस्तिष्क में उठता है कि कैसे पढ़े लिखे लोग भी सही और गलत का आकलन करना भूल जाते हैं, अर्थात मूर्ख को महान और महान को मूर्ख समझने लग जाता है।
अंधविश्वास के उपाय
आत्मविश्वासी बने – अंधविश्वास का एकमात्र उपाय है कि व्यक्ति को अपने आप पर भरोसा रखना चाहिए कड़ी मेहनत और लगन से सफलता मिलती है जादू-टोटको से नहीं। सफलता का कोई शॉर्टकट रास्ता नहीं होता है सफलता प्राप्त करने के लिए दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत जरूरी है।
डर को भगाएं – डर के कारण ही मनुष्य में अंधविश्वास पैदा होता है मनुष्य को डर का सही कारण और उपाय खोजना चाहिए। डर को भगाने के लिए अंधविश्वास का कोई उपाय नहीं होता है।
कर्मशील बने – कोई व्यक्ति यदि कर्मशील है तो उसमें अंधविश्वास पैदा नहीं होता है। कई बार हम जो चाहते हैं वह हमें नहीं मिलता है और हम उसे पाने के लिए अलग-अलग रास्ते अपनाते हैं हम यह नहीं सोचते कि उस चीज को पाने के लिए हममें जो काबिलियत होनी चाहिए वो है या नहीं हम सीधे टोटके और तंत्र-मंत्र के शिकार हो जाते हैं। मनुष्य को सदैव अपने कर्म पर विश्वास करना चाहिए और उसे रास्ते पर मिलने वाली सफलता और असफलता से सीखना चाहिए।
सच्चाई को स्वीकारना – कई बार हम किसी कार्य में सफल होते हैं तो कई बार नहीं भी होते हैं हमें निराश नहीं होना चाहिए हमें अपनी कमजोरियों को पहचानना चाहिए और उन से सीख कर आगे बढ़ना चाहिए। उपरोक्त सभी उपाय हैं जो मनुष्य को किसी भी बात से अंधविश्वासी होने से बचाते हैं।
उपसंहार – अंधविश्वास आज एक अभिशाप है जो देश की जड़ों को कमजोर कर रहा है और कहीं ना कहीं मनुष्य को कर्मठ बनाने की बजाय भाग्यवादी बना रहा है इसे समझने और आसपास के लोगों को समझाने की जरूरत है।
Andhvishwas par Nibandh (Essay – 2)
Article Written by – Meenakshi (Gurukul99 Hindi Essay Competition 19 May 2022)
अंधविश्वास का अर्थ
अंधविश्वास का अर्थ है किसी पर आवश्यकता से अधिक विश्वास करना। जैसा कि हम सब जानते हैं इस दुनिया में अलग-अलग संस्कृति, जाति, धर्म, सम्प्रदाय के लोग रहते हैं। लोगों के भगवान को पूजने का तरीका भी अलग अलग है। लोगों में भगवान के प्रति अपार श्रद्धा है। परन्तु कुछ लोग इस श्रद्धा के नाम पर अंधविश्वास फैलाते हैं।
अंधविश्वास की परंपरा तो सदियों से चली आ रही है।कहीं धर्म के नाम पर लोगों में अंधविश्वास है तो कहीं रीति-रिवाज रूढ़िवादी परंपराओ के नाम पर अंधविश्वास पाया जाता है। यहां तक कि अंधविश्वास के नाम पर बेजुबान जानवरों तथा निर्दोष मनुष्यों की बलि भी चढा दी जाती है।
लोग अपनी बीमारी के इलाज के लिए डाक्टर से ज्यादा तांत्रिकों के पास जाते हैं। किसी को बेटा चाहिए वो तांत्रिक के पास जा रहा है, किसी की औलाद नहीं है वो तांत्रिक के पास जा रहा है, परीक्षा में सफलता चाहिए तो तांत्रिक के पास जा रहे हैं और कुछ पाखण्डी चार मंत्र बोलना सीखकर अड्डा बनाकर बैठ जाते हैं और लोग उन्हें ज्ञानी समझने लगते हैं।
इस तरह अंधविश्वास के नाम पर लोग लाखों रुपए खर्च कर देते हैं और कुछ भी करने को तैयार हो जातें हैं। आजकल तो टेलीविजन के माध्यम से भी अंधविश्वास फैलाया जा रहा है एक बाबा आकर बड़ी सी कुसी पर बैठ जाते है लोगो की भीड लगी रहती है लोग अपनी समस्या बाबा को बताते हैं और बाबा जो उपाय बता दें वही करने लग जाते हैं।
अंधविश्वास के कारण
अंधविश्वास का प्रमुख कारण डर होता है। ऐसा डर जिसे दूर करने के लिए लोग कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं।देखा जाए तो अंधविश्वास का शिकार ज्यादातर अशिक्षित या कम पढ़े लिखे लोग होते हैं। लेकिन शिक्षित लोगो में भी बढ़चढ़कर अंधविश्वास पाया जाता है।
अंधविश्वास केवल तंत्र विद्याओं को मानने से ही नहीं बल्कि लोगों का मानना है कि कुछ कियाओं के होने या न होने से अच्छी या बुरी घटनायें घटित हो सकती हैं। जैसे-
हथेली खुजाने पर धन प्राप्त होना
बिल्ली के रास्ता काटने से अपशकुन होना
शीशा टूटने से अपशकुन होना
दूध उबल कर गिरने से कुछ बुरा होना
छींक आने पर कुछ बुरा होना
आँख का फड़कना
मानव जीवन में ये कियायें अक्सर होती रहती हैं और इसके साथ होने वाली घटनाओं को वह सच मान लेते हैं।मगर ये एक प्रकार का अंधविश्वास है इन कियाओं के होने या न होने से मानव जीवन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है परन्तु जो डर हमारे मन में है वो ये सब मानने को मजबूर करता है।
अंधविश्वास की बढ़ती
अंधविश्वास का चलन इतनी तेजी हो रहा है कि लोग अपनी जान देने को और किसी की जान लेने को भी तैयार हो जाते हैं। पिछले कुछ समय से ऐसी घटनाएं हमारे सामने आ रही हैं-
- नई दिल्ली/ बुराड़ी क्षेत्र की घटना बेहद चौंका देने वाली है यहां रहने वाले एक परिवार के 11 लोगों ने एक साथ आत्महत्या कर ली। पुलिस को मौके पर एक रजिस्टर मिला जिसमें लिखा था कि वे सब परमात्मा में लीन हो रहें हैं।
- राजस्थान के भरतपुर के वैर में अंधविश्वास के चलते एक मासूम की जान उसके दादा ने ले ली।
- एक युवक ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली और सुसाइड नोट में लिखा कि उसे सिद्धी करनी है।
- पाली शहर में भूत का प्रकोप बताकर एक महिला के शरीर पर गर्म त्रिशूल दाग कर उसकी जान ले ली।
- 2017 में उत्तर भारत के अनेक राज्यों से महिलाओं के चोटी कटने की खबर आई थी लोगों ने इसे भूत-प्रेत का काम बताया था। जबकि डाक्टर ने इसे मनोवैज्ञानिक बाधा बताई जिसके चलते खुद ही अपनी चोटी काटने का काम कर रही थीं।
- जनवरी 2018 में तेलंगाना; हैदराबाद में एक व्यक्ति ने तांत्रिक के कहने पर अपनी पत्नी की लम्बी बीमारी को ठीक करने के लिए अपने बच्चे को छत से फेंक कर उसकी बलि दे दी थी।
- 2018 में ही हरियाणा में भी एक ऐसी वारदात सामने आई थी जिसमें जलेबी बाबा नामक बाबा को गिरफ्तार किया गया था। जिसने तंत्र मंत्र के नाम पर चाय में नशीला पदार्थ मिलाकर 90 महिलाओं के साथ दुष्कर्म किया था और 120 अश्लील फिल्में बनाई थीं।
अंधविश्वास के नुकसान
अंधविश्वास में फंसाकर कर लोगो से पैसा ऐठां जाता है। कई हत्याकांड किए जाते हैं। महिलाओं के साथ दुष्कर्म जैसे अपराध किए जाते हैं। अंधविश्वास की आड में कई गैर कानूनी कार्यो को अंजाम दिया जाता है। तंत्र मंत्र के चक्कर में फंस कर लोग अपनी हो जान ले लेते हैं।
अंधविश्वास को कैसे रोकें
यदि आप अपने आस-पास इस तरह के घटनाक्रम को होते हुए देखे तो तुरंत पुलिस को खबर दें। ढोंगी बाबाओं के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए। शिक्षा का अधिक से अधिक विस्तार हो।
निष्कर्ष
मनुष्य को अपने डर से लड़कर खुद पर विश्वास रखना चाहिए। मानवता से बढ़ा कोई धर्म नहीं होता।