हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, जगत के पालनहार भगवान विष्णु ने अपना 8वां अवतार श्री कृष्ण के रूप में लिया था। भगवान विष्णु के कृष्ण स्वरूप को धार्मिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। इतना ही नहीं, भगवान विष्णु के इस रूप को सबसे अधिक पसंद भी किया जाता है।
ऐसे में हमारे आज के इस लेख में हम आपको भगवान श्री कृष्ण की महिमा और उनके प्रचलित 108 नामों के बारे में बताने वाले हैं। और यदि आप भी भगवान श्री कृष्ण के अनन्य भक्त हैं, तो आपको भगवान श्री कृष्ण के इन सभी नामों के बारे में जानकारी अवश्य होनी चाहिए।
ताकि आप पर सदैव भगवान श्री कृष्ण की कृपा बनी रही। तो चलिए सबसे पहले जानते हैं भगवान श्री कृष्ण के सामान्य परिचय के बारे में.
भगवान श्री कृष्ण
भगवान विष्णु के अवतार भगवान श्री कृष्ण का उद्देश्य धरती पर अधर्म का विनाश करके धर्म की स्थापना करना था। जिन्होंने 3228 ईसा पूर्व द्वापरयुग में माता देवकी और वासुदेव की आंठवी संतान के रूप में मथुरा में जन्म लिया था।
जबकि भगवान श्री कृष्ण का लालन पालन मैया यशोदा और नंद बाबा ने गोकुल में किया था। जहां सब लोग इन्हें प्यार से माखन चोर कहा करते थे। भगवान श्री कृष्ण ने अपने बाल्यकाल में ही कंस समेत अनेक राक्षसों का अंत कर दिया था।
भगवान श्री कृष्ण जोकि पांडवों के ममेरे भाई थे, उन्होंने महाभारत युद्ध के दौरान अर्जुन को गीता ज्ञान का उपदेश भी दिया था। इतना ही नहीं, श्री कृष्ण ने महाभारत काल में कई सारी अद्भुत शक्तियों का प्रदर्शन भी किया था।
जिस कारण भगवान विष्णु के समस्त अवतारों में भगवान श्री कृष्ण को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। कृष्ण के अलावा हमने श्री कृष्ण के कई सारे नाम सुने हैं, जैसे बांके बिहारी, लड्डू गोपाल, मधुसूदन, नंद गोपाल, केशव, श्याम सुंदर, कन्हैया, माखन चोर, बांसुरी वाला, मुरलीधर, गिरधर गोपाल आदि।
तो चलिए अब हम भगवान श्री कृष्ण के प्रचलित 108 नामों और उनके अर्थ के बारे में जानते हैं। साथ ही ये भी जानते हैं कि क्यों हिंदू धर्म में भगवान श्री कृष्ण के 108 नाम प्रचलित हैं और क्या है इनका महत्व…
श्री कृष्ण के 108 नाम सौरमंडल में मौजूद सूर्य और चंद्रमा ग्रह की औसत दूरी को दर्शाते हैं। मान्यता है जो भी व्यक्ति भगवान श्री कृष्ण के इन नामों को संबोधित करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
भगवान श्री कृष्ण के 108 नाम उनकी अद्भुत शक्तियों, चमत्कार और विशेषताओं के द्योतक हैं। जिन्हें अष्टोत्तर शतनामवली के नाम से भी जाना जाता है। भगवान श्री कृष्ण के समस्त नामों में सम्पूर्ण जगत की आध्यात्मिक शक्ति मौजूद है, जिनके बारे में आगे हम जानेंगे।
नाम अर्थ और उनके मंत्र

1. कृष्ण (काले रंग के भगवान)
मंत्र:- ओम कृष्णाय नम:
2. वासुदेव (वासुदेव का पुत्र)
मंत्र:- ओम वासुदेवाय नम:
3. कमलनाथ (देवी लक्ष्मी के मित्र)
मंत्र:- ओम कमलनाथाय नम:
4. सनातन (चिरस्थाई भगवान)
मंत्र:- ओम सनातनाय नम:
5. पुण्य (शब्दों से परे और पवित्र)
मंत्र:- ओम पुण्यायै नम:
6. वासुदेव आत्मजा (वासुदेव का सबसे प्रिय पुत्र)
मंत्र:- ओम वासुदेवात्मजाय नम:
7. यशोदा वत्सल (माता यशोदा के प्रिय पुत्र)
मंत्र:- ओम यशोदावत्सलाय नम:
8. लीला मानुष विग्रहा (समय गुजारने को जिन्होंने लिया मानव रूप)
मंत्र:- ओम लीलामनुशा विग्रहाय नमः
9. श्रीवत्स कौस्तुभ धर (जो दिव्य वस्त्र धारण करता हो)
मंत्र:- ओम श्रीवत्स कौस्तुभ धाराय नमः
10. 9. हरि (प्रकृति के रक्षक)
मंत्र:- ओम हरये नमः
10. चतुर्भुज-चक्र-गदा-शंखधयाय (चार सशस्त्र भुजाओं वाले भगवान)
मंत्र:- ओम चतुर्भुजतत्चक्रसिगदा नमः
11. शंखभुजा युदयुजाय (विभिन्न पुष्पों और शस्त्रों को धारण करने वाले
भगवान)
मंत्र:- ओम् शंखभुजायुदाय नमः
12. देवकीनंदन (माता देवकी के पुत्र)
मंत्र:- ओम देवकीनंदनाय नमः
13. श्रीशाय (माता लक्ष्मी का निवास जहां विश्राम करते हैं श्री हरि)
मंत्र:- ओम श्रीशाय नमः
14. नन्दगोपा प्रियतमजा (नंद बाबा के प्रिय पुत्र)
मंत्र:- ओम नन्दगोपप्रियात्मजाय नमः
15. यमुना वेग समहार (भगवान जिन्होंने किया था यमुना नदी के प्रवाह को कम)
मंत्र:- ओम् यमुनावेगाश्रमिने नमः
16. बलभद्र प्रियानुज (बलराम के छोटे भाई)
मंत्र:- ओम बलभद्रप्रियानुजाय नमः
17. पूतनाजीवितहरा (राक्षसी पुतना का वध करने वाला)
मंत्र:- ओम् पूतनाजीवितहराय नमः
18. शकटासुर भंजन (राक्षस शकटासुर का वध करने वाला)
मंत्र:- ओम शकटासुरभंजनाय नमः
19. नंदवराज जनानंदिन (वह दूसरों के लिए आनंद लेकर आए)
मंत्र:- ओम नंदवराजजनानंदिने नमः
20. सचिदानंद विग्रह (भगवान जो हैं जागरूकता और आनंद का प्रतीक)
मंत्र:- ओम सच्चिदानंद विग्रह नमः
- नवनीत विलीप्तंग (भगवान जिन्हें पसंद हैं मक्खन)
मंत्र:- ओम नवनीतविलिपतिंगाय नमः
- नवनीत-नटन (मक्खन का है दीवाना)
मंत्र:- ओम नवनीतनतनयाय नमः
- मुचुकुन्द प्रसादिका (भगवान जो हैं मुचुकुंद की जाति के)
मंत्र:- ओम मुचुकुंदप्रसादकाय नमः
- शोड़शास्त्री-सहस्रेशा (भगवान जो पाते हैं सोलह हजार महिलाओं का प्रेम)
मंत्र:- ओम षोडशस्त्रिषास्रेषाय नमः
- त्रिभंगी (वह जो तीन गुना झुक सके)
मंत्र:- ओम त्रिभंगिने नमः
- मधुराकृत (वह रूप जो सभी को मंत्रमुग्ध कर देता है)
मंत्र:- ओम मधुरकृतायै नमः
- शुकवागमृतभिर्देवे (वह भगवान जिसमें भगवान शुक के अनुसार अमृत का सागर है) मंत्र:- ओम शुकवागमृतभिर्देवे नमः
- गोविंदा (जो इस दुनिया में सभी को खुश कर सकता है)
मंत्र:- ओम गोविन्दाय नमः
- योगिनमपति (भगवान जो योगियों को नियंत्रित करते हैं)
मंत्र:- ओम योगिनीमपतायै नमः
- वत्सवाति चरया (वह जो गायों और बछड़ों की देखभाल करता है)
मंत्र:- ओम् वत्सावतिकराय नमः
- अनंत (वह भगवान जो अंतहीन और निराकार है)
मंत्र:- ओम अनंताय नमः
- धेनुकासुर-भंजनाय (भगवान ने गधा-राक्षस धेनुकासुर को मारकर उसे दंड दिया)
मंत्र:- ओम धेनुकासुरभंजनाय नमः
- त्रणी-कर्ता-त्रणवर्ता (चक्रवाती दानव त्रावर्त का वध करने वाले)
मंत्र:- ओम त्रिणिकिृता त्रिनवर्ताय नमः
- यमलार्जुन भंजना (वह जो एक साथ दो अर्जुन के पेड़ तोड़ सकता था)
मंत्र:- ओम यमलार्जुनभंजनाय नमः
- उत्तलोतलभत्रे (प्रभु जो विशाल ताल के वृक्षों को तोड़ सकते थे)
मंत्र:- ओम उत्तलोतलभत्रे नमः
- तमल-श्यामला-कृते (श्री कृष्ण का काला रंग तमल वृक्षों जैसा दिखता है)
मंत्र:- ओम तमालश्यामलाकृते नमः
- गोप गोपीश्वर (गोप और गोपियों का भगवान)
मंत्र:- ओम गोपगोपिश्वराय नमः।
- योगी (एक परम गुरु जो सर्वोपरि है)
मंत्र:- ओम योगिने नमः।
- कोटि-सूर्य-सम्प्रभा (वह जो हजार सूर्य के समान तेजस्वी हो)
मंत्र:- ओम कोटिसूर्यासम्प्रभाय नमः
- इलापति (वह प्रभु जो सब कुछ जानता है)
मंत्र:- ओम इलैपताय नमः
- पारसमई ज्योतिष (सर्वोपरि अपने आप में प्रकाशमान होता है)
मंत्र:- ओम परमज्योतिषे नमः
- यादवेन्द्र (वह जिसने यादव वंश पर शासन किया)
मंत्र:- ओम यादवेंद्राय नमः
- यदुधवाय (यदुवंश समाज के स्वामी)
मंत्र:- ओम यदुधवहाय नमः
- वनमालिन (जो बनवासी द्वारा बनाई गई माला पहनता है)
मंत्र:- ओम वनमालिने नमः
- पीता वससे (जो पीले वस्त्र पहनना पसंद करता है)
मंत्र:- ओम पीतावासने नमः
- पारिजातप हरकाया (भगवान जिसे पारिजात के फूल चढ़ाते हैं)
मंत्र:- ओम पारिजातपहाकाराय नमः
- गोवर्धनचलो धारत्रेय (वह भगवान जिसने गोवर्धन पर्वत को उठा लिया)
मंत्र:- ओम गोवर्धनचलोद्धृत्राये नमः
- गोपाल भगवान (जो गायों की रक्षा करते हैं)
मंत्र:- ओम गोपालाय नमः
- सर्व पलकया (सभी चीजों के रक्षक)
मंत्र:- ओम सर्वपालकाय नमः
- अजय प्रभु (जो जीवन और मृत्यु से परे है)
मंत्र:- ओम अजाय नमः
- निरंजना (भगवान जो दोषों मुक्त हैं)
मंत्र:- ओम निरंजनाय नमः
- कामजंकाय (माया रचने वाले भगवान, मानवीय इच्छाएँ)
मंत्र:- ओम कामजंकाया नमः
- कंजलोचन (कमल के आकार वाले भगवान)
मंत्र:-ओम कंजलोचनाय नमः
- मधुघने (जिस भगवान ने राक्षस मधु का वध किया था)
मंत्र:- ओम मधुघ्ने नमः
- मथुरानाथ (मथुरा के पवित्र देवता)
मंत्र:- ओम मथुरानाथाय नमः
- द्वारकानायक (द्वारका के रक्षक, राजा और द्वारका के नायक)
मंत्र:- ओम द्वारकाणकाय नमः
- बाली (शक्तिशाली भगवान)
मंत्र:- ओम बलिने नमः
- वृंदावनंत संचरिन (जो वृंदावन के बाहरी स्थानों पर रहता है)
मंत्र:- ओम बृंदावनतां संचरिन नमः
- तुलसीदाम भूषनया (जिस भगवान को तुलसी की माला पहनना बहुत पसंद है)
मंत्र:- ओम तुलसीदामा भूषणाय नमः
- श्यामन्तक-मनेर-हरते प्रभु (जो स्यामंतक गहना पर शासन करते हैं)
मंत्र:- ओम् स्याममन्तकामरन्हत्रे नमः
- नरनारायणतमकाय (नर और नारायण के दो पहजू कृष्ण के माध्यम से प्रतिबिंबित होते हैं)
मंत्र:- ओम नरनारायणतमकाय नमः
- कुब्जा कृष्णंबरधराय (वह जिसने कुबड़े का अभिषेक किया)
मंत्र:- ओम कुब्जा कृष्णम्बरधराय नमः
- मायिने (माया के रचयिता)
मंत्र:- ओम मायिने नमः
- परमपुरूषाय (सभी भगवानों में सर्वोच्च)
मंत्र:- ओम परमपुरुषाय नमः
- मुश्तिकासुर-चानुर-मल्ल-युद्ध-विशारदाय (वह भगवान जिसने पहलवान मुश्तिका और चनूरा का मुकाबला किया)
मंत्र:- ओम मुश्तिकासुर चानुरा मल्लयुद्ध विशारदाय नमः
- संसार-वैरी (भौतिक धन का नाश करने वाला)
मंत्र:- ओम संसारवेरिने नमः
- कमसारीर (कंस का शत्रु)
मंत्र:- ओम कामसाराय नमः
- मुरार (दानव मुरा के शक्तिशाली दुश्मन)
मंत्र:- ओम मुरारये नमः
- नरकंटकाह (वह जिसने राक्षक नरका का वध किया था)
मंत्र:- ओम नरकन्टकाय नमः
- अनादि ब्रह्मचारिक (निरपेक्ष की शुरुआत करने वाला )
मंत्र:- ओम अनादि ब्रह्मचारिणे नमः
- कृष्णव्यासन-कर्शक (प्रभु जिसने द्रौपदी को उसके संकटग्रस्त राज्य से मुक्त कर दिया)
मंत्र:- ओम कृष्णव्यासन कर्शक नमः - शिशुपाल-शिराशचेट्टा (वह भगवान जिसने शिशुपाल का सिर काट दिया था)
मंत्र:- ओम् शिशुपालशिराश्चैत्रे नमः
- दुर्योधन-कुलंतकृत (भगवान जिसने दुर्योधन के वंश को नष्ट कर दिया)
मंत्र:- ओम दुर्योधनकुलंतकाय नमः
- विदुराक्रूर-वरद (वह भगवान जिन्होंने विदुर और अक्रूर को आशीर्वाद दिया था)
मंत्र:- ओम विदुराक्रूर वरदाय नमः
- विश्वरूप-प्रदर्शकाय (भगवान जिन्होंने अपना विश्व रूप प्रकट किया)
मंत्र:- ओम विश्वरूपप्रदर्शकाय नमः
- सत्यवाचे (भगवान जो हमेशा सत्य बोलते हैं)
मंत्र:- ओम सत्यवाचै नमः
- सत्य संकल्प (प्रभु जिसका संकल्प सत्य है)
मंत्र:- ओम सत्य संकल्पाय नमः
- सत्यभामरताय (जो सत्यभामा के प्रेम में पड़ गया)
मंत्र:- ओम सत्यभामरताय नमः
- जयि (वह प्रभु जो कभी पराजित नहीं हो सकता)
मंत्र:- ओम जयिने नमः
- सुभद्रा पुर्वजाय (सुभद्रा का भाई)
मंत्र:- ओम सुभद्रा पूर्वजाय नमः
- विष्णु (विष्णु अवतार)
मंत्र:- ओम विष्णवे नमः
- भीष्म मुक्ति प्रदाय (जिस भगवान ने भगवान भीष्म को मोक्ष प्रदान किया)
मंत्र:- ओम भीष्ममुक्तिप्रदाय नमः
- जगद्गुरु (जो पूरे ब्रह्मांड को बूझ सकता है)
मंत्र:- ओम जगद्गुरवे नमः
- जगन्नाथ (सार्वलौकिक भगवान)
मंत्र:- ओम जगन्नाथाय नमः
- वेणु-नाद-विशारदाय (प्रभु जो बाँसुरी बजाना बखूबी जानते हैं)
मंत्र:- ओम वेणुनाद विशारदाय नमः
- वृषभासुर विध्वंशी (वह भगवान जिसने भगवान वृषभासुर का संहार किया)
मंत्र:- ओम वृषभासुर विध्ंवसिने नमः
- बाणासुर करान्तकाय (बाणासुर के शस्त्रों के विजेता)
मंत्र:- ओम बाणासुर करान्तकाय नमः
- युधिष्ठिर प्रतिष्ठात्रे (युधिष्ठिर का राज्य स्थापित करने वाले भगवान)
मंत्र:- ओम युधिष्ठिर प्रतिष्ठात्रे नमः
- बर्हि बर्हावंतसकाय ( वह जो मोर का पंख धारण करता हो)
मंत्र:- ओम बर्हिबर्हावंतसकाय नमः
- पार्थसारथी (अर्जुन के रथ का चालक)
मंत्र:- ओम पार्थसारथाय नमः
- अव्यक्ताय (वह जो अभी तक प्रकट नहीं हुआ, पर दुनिया उसके नियंत्रण में है)
मंत्र:- ओम अव्यक्ताय नमः
- गीतामृत महोद्धये (अमृत से भरा हुआ एक महासागर)
मंत्र:- ओम गीतामृत महोद्धये नमः
- कालीयफणी-माणिक्य-रंजीता-श्री-पद्मबुजाय (भगवान जो कालिया सर्प के सिर पर विराजते हैं)
मंत्र:- ओम कालीया फणीमाणिक्य रंजीता श्री पद्मबुजाय नमः
- दामोदर (प्रभु ने जिसकी कमर में रस्सी बांध दी)
मंत्र:- ओम दामोदराय नमः
- यज्ञभोक्ता (भगवान जो उन सभी प्रसादों को ग्रहण करते हैं जो किसी न किसी प्रकार के बलिदान का परिणाम है)
मंत्र:- ओम यज्ञभोक्त्रे नमः
- दानवेंद्र विनाशक (असुरों के भगवान का नाश करने वाले भगवान)
मंत्र:- ओम दानवेन्द्र विनाशकाय नमः
- नारायण (स्वयं भगवान विष्णु)
मंत्र:- ओम नारायणाय नमः
- परब्रह्मा (परम आदेश के ब्राह्मण)
मंत्र:- ओम परब्रह्मणे नमः
- पन्नगाशन वाहन (भगवान ईगल पर यात्रा करते हैं, जो सांप खाता है)
मंत्र:- ओम् पन्नगाशन वाहनाय नमः
- जलक्रीड़ा समासक्त गोपीवस्त्र परारक (भगवान जिन्होनें अपनी सभी महिला मित्रों के कपड़े छिपा दिए थे)
मंत्र:- गोपीवस्त्रापहाराकाय नमः
- पुण्य-श्लोक (प्रभु का नाम गुणों से भरा है)
मंत्र:- ओम पुण्य श्लोकाय नमः
- तीर्थकर (उनके लिए पवित्र स्थान बनाए गए हैं)
मंत्र:- ओम तीर्थकृते नमः।
- वेदवेद्य (दुनिया में वैदिक स्रोत उनके अंदर और बाहर प्रवाहित होते हैं
मंत्र:- वेदों का स्रोत
- दयानिधि (करुणा का खजाना)
मंत्र:- ओम दयानिधये नमः
- सर्वभूतात्मकाय (आत्मा के तत्व उनके अंदर प्रवाहित होते हैं )
मंत्र:- ओम सर्वभूतात्मकाय नमः
- सर्वग्रहरूपि (वह जो एक भगवान को रास्ता देता है)
मंत्र:- ओम सर्वग्रह रूपिने नमः
- परात्पराय (भगवान जो सभी महान देवताओं में सबसे महान हैं)
मंत्र:- ओम परात्पराय नमः
- मुरलीधर (मुरली बजाता है जो)
मंत्र:- ओम मुरलीधराय नम:
इस प्रकार, श्री कृष्ण के उपरोक्त नाम लेने पर व्यक्ति जीवन मरण के बंधन से सदा के लिए छुटकारा पा लेता है।
Jai Shree Krishna..