Hindi Bhasha ka Mahatva
हिंदी है हमारी मातृभाषा,
जीवित रखे इसका स्वरूप,
नहीं तो एक दिन हम पहचान नहीं पाएंगे
अपने ही भारत का रूप।
यह पंक्तियां पूर्ण रूप से सिद्ध करती है कि हिंदी को हम केवल इसलिए नहीं ठुकरा सकते हैं। क्योंकि उसमें विज्ञान और सम्पूर्ण तकनीक की जानकारी विद्यमान नहीं है। बल्कि हमारी मातृभाषा होने के कारण वह हमारी माता समान है। जोकि सदैव हमारे लिए आदरणीय है।
हिंदी भाषा ने सम्पूर्ण विश्व में भारत को ख्याति अर्जित कराई है। और यह समस्त विश्व में बोली जाने वाली प्रसिद्ध भाषाओं में तीसरे स्थान पर आती है। जिसे भारत की मातृभाषा का दर्जा भी प्राप्त है। ऐसे में देश की मातृभाषा होने के कारण हिंदी के अस्तित्व को बनाए रखना हमारा परम कर्तव्य है।
क्योंकि किसी ने सही कहा है कि…..
हिंदी से हिन्दुस्तान है,
हिंदी से यह जहान है,
हिंदी हमारी मातृभाषा है,
विश्व में यही एक महान् भाषा है।
हिंदी का इतिहास
हिंदी का वर्तमान स्वरूप जो हमारे सामने मौजूद है, वह प्राचीन समय की संस्कृत भाषा समेत पालि, प्राकृत, अपभ्रंश और अवहट्ट आदि भाषाओं के मध्य से निकलकर यहां तक पहुंचा है। हालांकि हिंदी के लिए वर्तमान सफर इतना आसान नहीं रहा। प्रारम्भ से ही हिंदी को अपने अस्तित्व को बचाए रखने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा। पहले उसे संस्कृत और उर्दू भाषा से अवतरित माना जाता था।
तत्पश्चात् जैसे जैसे भारत पर ब्रिटिश हुकूमत का शासन हो गया। वैसे वैसे हिंदी पर भी अंग्रेजी भाषा ने अपना वर्चस्व स्थापित कर लिया। हालांकि हमारे देश के कई महान व्यक्तियों ने हिंदी के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। जिसके परिणामस्वरूप हिंदी आज भी अखबारों, पत्र पत्रिकाओं, लेखों, कविताएं, सरकारी लेनदेनों, साधारण बोलचाल समेत साहित्य की भाषा मानी जाती है।
इतना ही नहीं, हिंदी भाषा के महत्व को स्वीकारते हुए वर्धा समिति के अनुरोध पर वर्ष 1953 से प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को हिंदी पखवाड़ा मनाया जाता है। जिसका मुख्य उद्देश्य हिंदी भाषा को भारत देश के कोने कोने में प्रसारित करना है। ऐसे में कहा जा सकता है कि हिंदी ना केवल भारत की राष्ट्रीय अखंडता का प्रतीक है। बल्कि यह एक सच्चे भारतीय की पहचान भी है। इसलिए प्रत्येक भारतीय को हिंदी भाषा के प्रति अपने सम्मान और प्रेम को सदैव प्रकट करते रहना चाहिए।
अंग्रेजी का दौर हिंदी के लिए बना काल
दुर्भाग्यवश आधुनिक विज्ञान के इस युग में हिंदी भाषा अंग्रेजी के अत्यधिक प्रचलन से पिछड़ती जा रही है। आज बच्चा जन्म लेने के कुछ सालों बाद जैसे ही पढ़ने के लिए विद्यालय जाता है। तो अंग्रेजी शिक्षा पद्धति पर आधारित स्कूलों में उसे हिंदी वर्णमाला के स्थान पर अंग्रेजी वर्णमाला का अभ्यास कराया जाता है।
और यदि बच्चा हिंदी विषय के अलावा अन्य किसी विषय की कक्षा में हिंदी के शब्द का गलती से प्रयोग भी कर लेता है। तो उस पर भारी जुर्माना लगा दिया जाता है। ऐसे में अपने ही देश में हिंदी की ऐसी दुर्दशा देखकर किसी के द्वारा कही हुई कुछ पंक्तियां याद आती है कि…..
हिंदी के माथे की बिंदी बन गई आज उसका कलंक,
एक दो तीन तो नहीं पर याद है सब अंग्रेजी के अंक,
आने वाली पीढ़ी जब हिंदी से नज़रें चुराएगी,
बेतुकी बढ़ेगी और हिंदी कहकर उसकी हंसी उड़ाएगी,
तो फिर हिंदी किसकी शरण में जाएगी?
आज यह प्रश्न हम सबके सामने खड़ा है कि आखिर हिंदी जिसकी शरण में जाएगी? क्योंकि अंग्रेजी पढ़कर हम बड़े आदमी जरूर बन सकते हैं। लेकिन देश की प्राचीन सभ्यता और संस्कृति को बांधे रखने के लिए हिंदी भाषा का ज्ञान आवश्यक है। दूसरा, अंग्रेजी आज भी एक ऐसी भाषा है। जो हमारे सगे संबंधियों में फर्क नहीं बता पाई है। फिर ऐसी भाषा से हम कैसे एक परिवार, समाज और राष्ट्र के विकास की उम्मीद लगा सकते हैं। इसलिए एक दोहा भी प्रचलित है कि….
अंग्रेजी पढ़कर यद्यपि
सब गुन होत प्रवीन,
पै निज भाषा ज्ञान के
रहत हीन के हीन।।
यानि अंग्रेजी का ज्ञान होने पर आप समस्त प्रकार के भौतिक गुणों से संपन्न हो जाते हैं। लेकिन अपनी मातृ भाषा का ज्ञान नहीं होने पर आप ज्ञान हीन ही रह जाते हैं।
हिंदी भाषा की आवश्यकता और महत्व
किसी भी राष्ट्र के विकास के लिए उसकी मातृभाषा का होना आवश्यक है। ऐसे में तमाम भारतीयों द्वारा बोली जाने वाली भाषा हिन्दी ही सम्पूर्ण देश को एकजुट करने में सक्षम है। इसलिए देश की आज़ादी के पश्चात् हिंदी को राजभाषा का दर्जा दे दिया गया था। क्योंकि सम्पूर्ण भारतवर्ष में हिंदी ही एक ऐसी भाषा है, जोकि देश के हर क्षेत्र में अलग अलग प्रकार से बोली जाती है।
इसमें सरलता, आत्मीयता, सर्वव्यापकता का गुण विद्यमान है। हिंदी भाषा का प्रयोग देश के अनेकों राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, बिहार, मध्य प्रदेश, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश आदि में होता है। इसके अलावा विश्व के कई देश नेपाल, श्रीलंका, मॉरीशस, यूनाईटेड स्टेट्स, फ़िजी, युगांडा, यूनाईटेड किंगडम, न्यूजीलैंड, जर्मनी, सिंगापुर इत्यादि देशों में भी हिंदी भाषा का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर किया जाता है।
साथ ही हिंदी भाषा विदेशियों को काफी आकर्षित करती है। जिसके चलते वह भारत आने से पहले या भारत आकर यहां हिंदी सीखने की इच्छा जाहिर करते हैं। तो वहीं कुछ लोग हिंदी को वर्तमान समय की भाषा ना बताते हुए किताबी भाषा कहते हैं।
जबकि इसके उलट जब से ऑनलाइन बाज़ार बढ़ा है। तब से हिंदी भाषा के क्षेत्र में भविष्य की अपार संभावनाएं तलाश ली गई है। यही कारण है कि आज हिंदी भाषी व्यक्ति भी पैसा कमा सकता है। उदाहरणार्थ, ब्लॉगिंग, भाषा अनुवादक, भाषा प्रेषक और कंटेंट के क्षेत्र में अच्छे हिंदी जानकारों की मांग काफी बढ़ गई है।
हिंदी से जुड़े रोचक तथ्य
हिंदी विश्व में प्रचलित चाइनीज भाषा मंडारिन के बाद बोली जाने वाली तीसरी सबसे लोकप्रिय भाषा है।
भारत में हिंदी, बंगला, तेलगु, मराठी और फिर तमिल सर्वाधिक प्रचलित भाषाएं हैं। भारत में कुल आबादी का 77% वर्ग हिंदी भाषा का प्रयोग करता है।
हिंदी की लिपि देवनागरी है। जिसमें कुल 52 वर्ण होते हैं। जिनमें से 11 स्वर और 33 व्यंजन होते है।
इंटरनेट पर हिंदी का पहला शब्द वेबपोर्टल था। जिसके बाद से हिंदी भी इंटरनेट की दुनिया में छा गई।
हिंदी की सबसे पहली कविता अमीर खुसरो ने लिखी थी। और हिंदी की पहली फिल्म आलम आरा थी।
भारत समेत विश्व के कई प्रसिद्ध विश्व विद्यालयों में हिंदी एक महत्वपूर्ण विषय के रूप में पढ़ाई और सिखाई जाती है।
हिंदी भाषा का आधुनिक जनक भारतेंदु हरिश्चंद्र को कहा जाता है। और इसका प्रथम उपन्यास लाला श्रीनिवास द्वारा रचित परीक्षा गुरूकहलाता है। इसका प्रथम महाकाव्य पृथ्वीराजरासो है। जिसमें पृथ्वीराज के जीवन का वर्णन मिलता है। साथ ही हिंदी का पहला अखबार उदंत मार्तण्ड कहलाता है। जिसे जुगल किशोर शुक्ल द्वारा संपादित किया गया था। हिंदी भाषा की प्रथम कहानी का श्रेय रानी केतकी की कहानी को दिया जाता है। और इसका प्रथम नाटक नहुष था। सर्वप्रथम हिंदी विश्व सम्मेलन का आयोजन 1975 में नागपुर में आयोजित हुआ था।
हिंदी ना केवल भारतीयों की एक भाषा है। अपितु समस्त देशवासियों को एक सूत्र में पिरोए रखने का एक माध्यम है। जिसके सम्मान और विकास को लेकर हमें जीवनभर प्रयत्न करना चाहिए।
इसके साथ ही हमारा निबंध हिंदी भाषा का महत्व (Hindi Bhasha ka Mahatva) समाप्त होता है। आशा करते हैं कि यह आपको पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य कई निबंध पढ़ने के लिए निबंध लेखन को पढ़ें।
