हिंदी साहित्य के अनुसार, निबंध उस गद्य रचना को कहते हैं जिसमें लेखक किसी विषय को केंद्र बनाकर क्रमबद्ध तरीके से उस पर अपने विचार लिखता हो। निबंध का अर्थ किसी विषय को लेखक द्वारा अपनी लेखनी के माध्यम से सामाजिक और व्यक्तिगत विचारों में बांधना होता है।
हिंदी साहित्य की विभिन्न विधाओं जैसे कहानी, उपन्यास, नाटक इत्यादि की तरह ही निबंध लेखन (Nibandh Lekhan) के लिए भी सतत अभ्यास की आवश्यकता होती है।
निबंध के भाग – Nibandh ke Bhag
किसी भी विषय पर निबंध लिखते समय हमें उसे प्रायः कुछ एक भागों में बांटना होता है। जिसे हम निबंध की श्रेणी में प्रस्तावना, मध्य भाग और उपसंहार आदि के नाम से जानते हैं।
भूमिका – सर्वप्रथम किसी विषय पर निबंध लिखते समय उसकी प्रस्तावना या भूमिका के बारे में लिखना आवश्यक होता है। इसे हम निबंध का प्रारंभिक परिचय भी कहते हैं। निबंध के उपरोक्त भाग के अंतर्गत हमें विषय के संबंध में संक्षिप्त जानकारी लिखनी होती है।
जिसके लिए निबंध में अलंकृत भाषा का प्रयोग किया जाना चाहिए और इस दौरान विषय संबंधी जिस बात पर विशेष जोर देना है उसे कौतूहल पूर्वक लिखना चाहिए।
मध्य भाग – किसी भी विषय पर निबंध लिखते समय उसके मध्य भाग में विषय के बारे में सब कुछ वर्णित किया जाना चाहिए। इस दौरान विषय से जुड़ी उसकी लाभ और हानियों का जिक्र भी किया जाना चाहिए। निबंध लिखते समय मध्य भाग में विचारों को विभिन्न भागों में तोड़कर लिखना चाहिए ताकि पढ़ते समय पाठक को नीरसता ना लगे।
निबंध के मध्य भाग में विषय से जुड़े किसी दृश्य या घटना का सुंदर शैली में वर्णन करना चाहिए। इस दौरान वाक्यों में क्रमबद्धता होनी चाहिए। निबंध के उपरोक्त भाग में विषय से संबंधी समस्त आवश्यक जानकारियां तिथियों, नामों, जगह इत्यादि का पूर्ण विवरण देना चाहिए।
कहीं कहीं पर लेखक द्वारा निबंध के मध्य भाग को अनेक उप भागों में बांटकर भी लिखा जाता है इससे पाठक की रोचकता निबंध के विषय के प्रति बनी रहती है।
उपसंहार – निबंध लिखते समय जिस प्रकार भूमिका का आकर्षक होना जरूरी है। ठीक उसी प्रकार से उपसंहार का रोचक तरीके से लिखा होना भी आवश्यक है। प्रस्तुत भाग में लेखक को उन बातों का संक्षिप्त सार देना चाहिए जिन्हें वह निबंध में पहले ही वर्णित कर चुका हो। इस प्रकार उपसंहार किसी भी निबंध का अंतिम भाग होता है जिसमें विषय का अंतिम सार वर्णित किया जाता है।
निबंध के प्रमुख तत्व – Nibandh ke Tatva
निबंध के चार प्रमुख तत्व होते हैं। जिसमें सबसे पहले आत्म अभिव्यक्ति आता है। जिसके अंतर्गत किसी विषय पर निबंध लिखते समय केवल दूसरों के मतों को ही ना लिखे अपितु लेखक को अपने निजी विचार भी प्रकट करने चाहिए।
दूसरा निबंध लिखते समय लेखक को कुछ इस प्रकार से लिखना चाहिए ताकि पाठक को ऐसा प्रतीत हो कि निबंध का लेखक उनसे संबंध स्थापित कर रहा हो। इसके अलावा निबंध के दौरान वाक्यों में तारतम्यता होनी चाहिए ताकि निबंध का मूल उद्देश्य बना रहे। साथ ही निबंध की शैली को सजीव होना चाहिए क्योंकि यही सम्पूर्ण निबंध की प्राण आत्मा होती है।
निबंध के प्रकार – Types of Nibandh
विचारात्मक निबंध – उपरोक्त निबंध शैली के अंतर्गत किसी विषय का स्पष्टीकरण विभिन्न प्रकार के प्रमाण और तर्क देते हुए किया जाता है। प्रायः इन निबंधों की शैली भी गंभीर हुआ करती है। इसमें निबंध लेखन के दौरान विषय का स्पष्टीकरण और प्रतिपादन करने के लिए आगमन और निर्गमन शैली का प्रयोग किया जाता है।
भावनात्मक निबंध – जिन निबंधों में विचारों के स्थान पर भावों की प्रधानता रहती है, उन्हें भावनात्मक निबंध कहते हैं। इन निबंधों में लेखक किसी विषय का तर्क और प्रमाणों के आधार पर विवेचन नहीं करते, अपितु अपनी अनुभूतियों और भावों को व्यक्त करने पर बल दिया करते हैं। इन निबंधों में भावुकता का अधिक पुट रहता है।
वर्णनात्मक निबंध – उपरोक्त निबंधों में प्रकृति, नगर, ग्राम, खेल, यात्रा और युद्ध इत्यादि के बारे में वर्णित किया जाता है। ये निबंध मूल रूप से सूचनात्मक हुए करते हैं। इनमें लेखक विषय संबंधी स्पष्टता और पूर्ण विवरण का उल्लेख करते हैं।
निबंध के प्रारूप – Nibandh Format
निबंध लिखने से पहले उसके प्रारूप को अवश्य जान लेना चाहिए। अगर आप निबंध लिखते समय उचित प्रारूप को ध्यान में रखते हैं तो आप स्पष्ट रूप से अपना संदेश पाठक तक पहुंचा सकते हैं।
निबंध लिखने से पहले उसकी रूपरेखा तैयार की जाती है। जिसमें प्रस्तावना, विषय वस्तु की बिंदुवार जानकारी, लाभ, हानि, कारण, महत्व और उपसंहार को दर्शाया जाता है।
1. परिचय – निबंध के आरंभिक परिचय में विषय वस्तु के बारे में और मुख्य बिंदुओं की जानकारी दी जाती है। किसी भी निबंध का परिचय इस बात पर प्रमुख जोर देता है कि आप किसके बारे में बात करने वाले हैं और पाठकों को क्या बताने वाले हैं। परिचय के अंत में आप किसी विषय पर क्यों लिख रहे हैं, इसके बारे में बताया जाता है। इस प्रकार से निबंध लिखते समय परिचय पर मुख्य रूप से ध्यान दिया जाता है ताकि पाठकों तक आपका संदेश स्पष्टता से पहुंच सके।
2. मध्य भाग – किसी निबंध के आरंभ और अंत के बीच विषय से संबंधित जो कुछ भी लिखा जाता है, वह निबंध का मध्य भाग कहलाता है। इसमें निबंध के मुख्य बिंदुओं पर विस्तार से लिखा जाता है और जरूरी बातों का समावेश किया जाता है। यहां किसी विषय पर विस्तृत रूप से चर्चा की जाती है।
3. उपसंहार या निष्कर्ष – यहां किसी विषय पर लिखे जा रहे निबंध का अंतिम सार लिखा जाता है। मुख्य रूप से निबंध में समस्त बातों का उल्लेख करने के बाद उसके सभी तर्कों को एकत्रित करके यहां उसको अंतिम रूप दिया जाता है।
अगर आपने किसी विषय पर तर्क सहित निबंध लिखा है, तो निबंध के निष्कर्ष के दौरान पाठकों के लिए एक प्रश्न या उनके विचार जानने की कोशिश करके इसका अंत किया जाता है। इसके अलावा, निबंध लिखते समय उचित शब्द सीमा, प्रभावपूर्ण शब्दों का चयन और लय युक्त भाषा का प्रयोग करना चाहिए। तभी आप एक प्रभावी निबंध लिख पाने में सक्षम हो सकेंगे।
निबंध लेखन के समय ध्यान रखने योग्य बातें
- निबंध की भूमिका आकर्षक और सरस होनी चाहिए और प्रत्येक वाक्य अंतिम वाक्य से विधिवत् जुड़ा होना चाहिए।
- निबंध में प्रयोग किए गए वाक्य एक दूसरे से भली भांति संबंधित होने चाहिए।
- निबंध में किसी भी वाक्य, भाव और विचार की पुनरावृत्ति नहीं होनी चाहिए।
- निबंध लिखते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि विषय से सम्बन्धित कोई बात लिखने से छूट ना जाए और ना ही कोई अनावश्यक बात कही जाए।
- निबंध लिखते समय ऐसी भाषा का प्रयोग करना चाहिए जिससे पाठक आपसे जुड़ सके और साथ ही इसमें निजी विचारों का समावेश होना चाहिए।
- निबंध की भाषा सरल, रोचक और स्पष्ट होनी चाहिए। इसके अलावा निबंध के प्रारंभ में किसी भी भाषा के साहित्य से जुड़े विशेष लोगों की प्रसिद्ध उक्तियों का प्रयोग किया जाना चाहिए।
- निबंध का उपसंहार भी निबंध की भूमिका की भांति आकर्षक होना चाहिए।
- निबंध के विषय से जुड़ी महत्वपूर्ण तिथियां यदि मौजूद हो तो उनका भी निबंध के दौरान उल्लेख करना चाहिए।
- किसी उत्सव, कर्म या पर्व के बारे में निबंध लिखते समय कारण और विधियों का भी जिक्र करना चाहिए। साथ ही किसी त्योहार को किस प्रकार से मनाया जाता है इसके बारे में भी स्पष्टता से लिखा जाना चाहिए।
- यदि निबंध लेखन के दौरान शब्द सीमा का उल्लेख किया गया हो तो उन्हीं के अंतर्गत निबंध लिखना चाहिए।
इस प्रकार निबंध लेखन (Nibandh Lekhan) के दौरान मुख्य रूप से भाषा शैली, व्याकरण संबंधी नियम, वर्तनी और भाव पर विशेष ध्यान देना चाहिए। जिसके बल पर ही किसी विषय पर सरल और रोचक ढंग से निबंध लिखा जा सकता है।
निबंध लेखन का महत्व
निबंध लेखन का महत्व अत्यधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि यह एक व्यक्ति की भाषा, विचार और व्यक्तिगत विकास का माध्यम होता है। निबंध लेखन के माध्यम से हम अपने विचारों को स्पष्ट और प्रभावशाली तरीके से व्यक्त कर सकते हैं, और दूसरों को अपने विचारों को समझाने का अवसर प्रदान कर सकते हैं। निबंध लेखन से हमारी भाषा और व्याकरण कौशल में सुधार होता है और हमें लेखन में महारत प्राप्त करने का अवसर मिलता है। इसके अलावा, निबंध लेखन से हम नए विषयों के बारे में ज्ञान प्राप्त करते हैं और विचारशीलता में सुधार करते हैं, जो हमारे व्यक्तिगत और सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण होता है।
Nibandh Lekhan – Essays in Hindi For Class 4, 5, 6, 7, 8
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