Vriksharopan Par Nibandh
नदात्ते प्रिय मण्ड नापि भवतो स्नेहेन या पल्लवन।।
हिंदी के महाकवि कालिदास ने अपने प्रसिद्ध नाटक शाकुन्तलम् में कहा है कि शाकुन्तला मण्डनप्रिय होते हुए भी वृक्षों से प्रेम के चलते कभी उनके पत्ते नहीं तोड़ती थी। इतना ही नहीं पुराणों में भी कहा गया है कि घर के उत्तर में पलाश, दक्षिण में आम, पूर्व में वट और पश्चिम में पीपल का पेड़ लगाना चाहिए। ऐसे में जहां प्राचीन समय में वृक्षों को देवता की भांति पूजा जाता था।
तो वहीं आधुनिक समय में अंधाधुन वृक्षों की कटाई के चलते वृक्षारोपण एक आवश्यकता बन गई है। साथ ही आप उस मनोहारी दृश्य की कल्पना स्वयं कर सकते है, जहां चारों ओर अनेकों तरीके के पेड़ पौधे हो, जिन पर फूल खिले हो, उन पर तितलियां उड़ रही हो। ऐसे में इसकी जगह उजड़े हुए मैदान को देखकर किसका मन दुखी नहीं होगा। इसलिए यदि हम खुद के साथ साथ आने वाली पीढ़ी का भी उज्ज्वल भविष्य चाहते हैं, तो हमें अधिक से अधिक वृक्षारोपण करना चाहिए।
वृक्षों की उपयोगिता
यदि धरती पर मानव का अस्तित्व बरकरार है, तो वृक्ष उसका एकमात्र कारण है। वृक्ष वायु को शुद्ध बनाए रखने में सहायक है। वृक्ष धरती पर वर्षा का स्रोत होते हैं। साथ ही वृक्षों से हमें ईधन और लकड़ी प्राप्त होती है। इतना ही नहीं वृक्षों से विभिन्न प्रकार की औषधियां, गोंद, कागज समेत पौष्टिक फलों की प्राप्ति होती है। साथ ही ग्रीष्मकाल में वृक्ष छाया प्रदान करने में सहायक है। कई प्रकार की आवश्यक वनस्पतियों की प्राप्ति भी हमें वृक्षों के माध्यम से होती है। इसके अलावा वृक्ष पशु पक्षियों के आहार और रहने का स्थान होते हैं। साथ ही प्रकृति की रक्षा के लिए वृक्ष आवश्यक होते हैं। तो वहीं वृक्ष भूमि की उपजाऊ शक्ति बनाए रखते हैं। इसलिए हमें वृक्षारोपण को बड़े स्तर पर सफल बनाना चाहिए। ताकि हमारे आस पास का माहौल हमेशा हरा भरा बना रहे।
वृक्षों का विनाश
आधुनिक समय में सरकार वृक्षों की महत्ता को जानते हुए भी विकास के नाम पर उनका दोहन कर रही है। नए वृक्ष लगाने को लेकर लोग अधिक जागरूक नहीं हैं, फलत हरे भरे मैदान रेगिस्तान में तब्दील हो रहे हैं। इतना ही नहीं वृक्ष की कमी के चलते ठीक समय पर वर्षा नहीं हो रही है, जिससे कृषि विकास ठीक से नहीं हो पा रहा है। साथ ही वृक्ष की कटाई के चलते नदियों में बाढ़ हमेशा उफान पर रहती है। तो वहीं वृक्ष के कटाव से मिट्ठी स्थिर नहीं रह पा रही है, जोकि पर्वतीय भूमि के लिए नुकसानदायक है। यदि ऐसा ही चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब वृक्ष से प्राप्त होने वाली सुविधाओं के अभाव में धरती पर हाहाकार मच जाएगा।
वृक्षों का चयन
वृक्षारोपण के दौरान हमें इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए कि हम वह पेड़ लगाएं। जो हमारे पर्यावरण के लिए उपयोगी हो। ऐसे में हमें पर्वतीय स्थानों पर शीशम, साल, चीड, देवदार, बबूल और मैदानी स्थानों पर पीपल, बड़, नीम आदि के पेड़ लगाने चाहिए। साथ ही घर के आस पास आम, पपीता, जामुन, नींबू, अमरूद आदि के पेड़ लगाने चाहिए। इसके अलावा खेतों के आस पास नीम, आंवला, शीशम इत्यादि के पेड़ लगाने से कृषि को फायदा पहुंचता है। उक्त बातों से यह स्पष्ट है कि आज शहरों के साथ साथ गांव में भी वृक्षारोपण की आवश्कता है। क्यूंकि ना केवल इससे प्रकृति को लाभ प्राप्त होता है, बल्कि वातावरण भी शुद्ध रहता है।
इस प्रकार यदि मानव जीवन को समाप्त होन से बचाना हैं, तो अधिक संख्या में पेड़ लगाने चाहिए। इसी से मानव, देश और समाज की प्रगति संभव होगी और स्वस्थ वातावरण की प्राप्ति होगी।