Rakshabandhan Par Nibandh
प्रस्तावना
भारतीय जीवन में पर्वों और त्योहारों का बड़ा महत्व है। हिन्दुओं के अनेक त्योहार हैं। जिनमें चार त्यौहार बहुत ही महत्व के हैं, जिनमें से रक्षाबंधन एक विशेष त्यौहार माना जाता है। रक्षाबंधन का त्यौहार श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाए जाने के कारण इसे श्रावणी पर्व के नाम से भी पुकारा जाता है। इस राखी और सलूनों भी कहते हैं।
प्राचीनकाल में वर्षा ऋतु में वर्षा की अधिकता के कारण राजा, व्यापारी, संन्यासी आदि देशाटन नहीं करते थे और प्रायः अपने अपने स्थानों पर रहते थे। चातुर्मास्य में ऋषि मुनि भी नगरों या गांवों में आते थे। लोग उनकी सेवा में उपस्थित होकर उनके उपदेशामृत का पान करते थे। फिर श्रावण की पूर्णिमा को पवित्र नदियों में स्नान कर नया यज्ञोपवीत धारण किया करते थे। यज्ञ आदि का विधान था और वेदारंभ भी होता था। यज्ञ की समाप्ति पर राजा लोग प्रजा सहित आश्रमा अध्यक्ष ब्राह्मणों की पूजा करते थे। आश्रमा अध्यक्ष अपने यजमानों की कलाई में एक पीले रंग का रक्षा सूत्र अभिमंत्रित करके बांधते थे। आगे चलकर यह सूत्र ही रक्षा बंधन के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
रक्षा बंधन का मध्यकालीन रूप
काल और क्रमानुसार इस रीत में कुछ परिवर्तन आया। ब्राह्मणों के साथ साथ बहनें भी रक्षा बंधन की अधिकारिणी हो गईं। बहनें प्राय अपने भाइयों के हाथों में ही रक्षा बंधन करती थी लेकिन अन्य व्यक्ति भी राखी बांधे जाने पर अपने को उस स्त्री का भाई समझने में अपना गौरव अनुभव करता था। उस काल में इस प्रथा का बड़ा महत्व रहा। रक्षा बंधन करवाने वाला व्यक्ति अपने प्राणों को संकट में डालकर राखी की पवित्रता की रक्षा करता था। इतिहास इस बात का साक्षी है कि हुमायूं ने चित्तौड़ की महारानी कर्मवती की राखी प्राप्त करके अपने सैनिकों के विरोध करने पर भी गुजरात के मुसलमान शासक के दांत खट्टे कर दिए।
रक्षा बंधन का आधुनिक रूप
आजकल ब्राह्मण अपने यजमानों को राखी बांधने के लिए निकल पड़ते हैं, वे यजमानों के हाथ में राखी बांधकर उनसे दक्षिणा प्राप्त करते हैं। बहनें भी राखी बांधकर अपने भाइयों से दक्षिणा या उपहार प्राप्त करती हैं। घरों में तरह तरह के पकवान बनते हैं। मिष्ठान वितरण होता है और सारा दिन उल्लास से बीतता है।
रक्षा बंधन का महत्व
यह त्यौहार भाई बहन के पवित्र स्नेह का द्योतक है। भारत का हिन्दू समाज ही विश्व में ऐसा समाज है, जिसमें भाई बहन के स्नेह संबंध इतने पवित्र और अटूट हैं। स्त्रियां इसी बहाने अपने मायके चली जाती हैं और अपने बचपन की सहेलियों से मिलने का अवसर प्राप्त कर लेती हैं।
गाना और अमोद प्रमोद इस पर्व को मनाने के लिए अत्यंत सुंदर साधन हैं। बहनें भाइयों के हाथों पर राखी बांधती हैं और उन्हें मिठाई खाने को देती हैं। भाई बहन की मान मर्यादा की रक्षा का उत्तरदायित्व निभाने का वचन लेकर बहन को कुछ उपहार देकर प्रसन्न करता है। इस प्रकार देश के उत्तरी भाग में रक्षा बंधन का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास से मनाया जाता है।
रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है?
रक्षाबंधन का शाब्दिक अर्थ ”एक ऐसा बंधन जोकि रक्षा प्रदान करे” होता है। यह त्योहार भाई और बहन के मध्य परस्पर प्रेम में वृद्धि करता है। रक्षाबंधन का पर्व भाई को बहन के प्रति अपने कर्तव्य की याद दिलाता है। तो वहीं बहनें इस दिन अपने भाई के लिए मंगल कामना करती हैं।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है? रक्षाबंधन का त्योहार हर युग में अलग-अलग उद्देश्यों को ध्यान में रखकर मनाया गया। परंतु मूल रूप से, यह त्योहार इसलिए मनाया जाता है, ताकि एक पुरुष भाई बनकर एक स्त्री के आत्मसम्मान की रक्षा कर सके।
हालांकि यह आवश्यक नहीं है कि एक सगा भाई या बहन ही एक दूसरे को रक्षा का वचन दे सकते हैं या राखी बांध सकते हैं। बल्कि कोई भी स्त्री और पुरुष जो विपदा आने पर एक दूसरे की मदद करते हैं। वह लोग भी राखी का त्योहार मना सकते हैं।
क्योंकि किसी भी स्त्री के जीवन में पिता, पति और उसका भाई ही प्रमुख होते हैं। ऐसे में जहां एक लड़की का अपने बाबुल यानि पिता के घर को छोड़कर पति के घर जाना ही संसार की रीत है। तो ऐसे में एक भाई ही बहन के दोनों घरों के मध्य की कड़ी होता है।
जो उसके अपने घर और ससुराल में उसको जरूरत पड़ने पर सदैव मौजूद रहता है। हालांकि भाई और बहन के रिश्ते में प्रेम और लड़ाई झगड़े दोनों की मौजूदगी होती है, लेकिन फिर भी एक भाई और बहन का रिश्ता सभी मानवीय रिश्तों में सबसे अच्छा माना जाता है।
हिंदू धर्म में रक्षाबंधन से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। जो इस त्योहार को मानने के लिए उत्तरदायी मानी जाती हैं। जिनमें देवराज इंद्र की कहानी, कृष्ण और द्रौपदी, यम और यमुना, संतोषी मां की कहानी, राजा बलि और मां लक्ष्मी आदि प्रमुख हैं।
इसके अलावा भारतीय इतिहास में सिकंदर और महाराज पुरु, सिख समुदाय, रानी कर्णावती और हुमायूं व बंग भंग और रवींद्रनाथ से जुड़े किस्से रक्षा सूत्र की कहानी बतलाते हैं। ऐसे में भाई और बहन के पवित्र रिश्ते के जश्न को मानने के लिए रक्षाबंधन का त्योहार हर वर्ष हर्षोल्लास से मनाया जाता है।
रक्षा बंधन पर्व की तैयारी
रक्षा बंधन पर्व की तैयारी में बाज़ार कुछ दिन पहले से ही सज जाया करते हैं। दुकानों पर रंग बिरंगी आदि अनेकों प्रकार राखियां मिलती है। दुकानों पर राखियां खरीदने वालों की भीड़ रहती है। राखी के दिन हलवाई की दुकान भी तरह तरह की मिठाईयों से सजी रहती है और उन पर भी खरीददारों की बड़ी भीड़ रहती है।
उपसंहार
राष्ट्रीय चेतना और अपनी श्रेष्ठ सामजिक परंपराओं को जीवित रखने के लिए इस प्रकार इन त्योहारों की अत्यधिक उपयोगिता है। साथ ही जिस युग में जिसमें स्वार्थ भावना ही बलवती हो, वहां रक्षा बंधन जैसे पर्व मानवता और प्रेम का दिव्य संदेश दे सकते हैं और मानव जीवन को उल्लास से परिपूर्ण कर उसे स्वार्थ त्याग के लिए प्रेरित कर सकते हैं। इस प्रकार प्रत्येक व्यक्ति को अपने त्योहारों को पूर्ण उत्साह से मानना चाहिए।
इसके साथ ही हमारा आर्टिकल – Rakshabandhan Par Nibandh समाप्त होता है। आशा करते हैं कि यह आपको पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य कई निबंध पढ़ने के लिए हमारे आर्टिकल – निबंध लेखन को चैक करें।
आपका निबंध बहुत बढ़िया था
आपका बहुत बहुत शुक्रिया