बेरोजगारी पर निबंध – Essay on Unemployment in Hindi

berojgari par nibandh

Berojgari par Nibandh

प्रकृति ने मनुष्य को मस्तिष्क, हाथ, पैर, हृदय आदि कई सारी शक्तियां दी है। कि उनका सदुपयोग करके व्यक्ति आत्म सिद्धि प्राप्त कर सके। लेकिन यदि व्यक्ति के पास करने को कोई कार्य ना हो। तो काफी समस्याएं खड़ी हो सकती है। जिसके कारण व्यक्ति अपराधिक गतिविधियों में लिप्त होता है और खुद को मानसिक तनाव से घेर लेता है।

कुंठा के चलते वह अपने परिवार के साथ साथ समाज पर भी बोझ बन जाता है। हालांकि आज देश के रोजगार कार्यालय में करोड़ों लोग रोजगार की तलाश में खुद को पंजीकृत करवाते हैं। लेकिन बढ़ती जनसंख्या और सरकार की अपेक्षाकृत नीतियों के चलते बेरोजगारी देश में चरम सीमा पर है।

प्रस्तावना

भारत देश के सामने आज कई समस्याएं विकराल रूप धारण करे हुए हैं। जिनमें से बेरोजगारी सबसे ज्वलंत समस्या है। साथ ही इसके निराकरण के बिना देश कभी विकसित श्रेणी में नहीं आ सकता, ओर ना ही समाजवाद की कल्पना पूर्ण सिद्ध हो सकती है।

क्यूंकि रोजगार किसी भी देश के नागरिक की पहली प्राथमिकता है। ऐसे में इसके बिना कोई भी व्यक्ति देश का छोड़ो स्वयं का नैतिक और आध्यात्मिक विकास करने में असमर्थ है। और इसके अभाव में देश के नागरिक निराशा और अपराधिक मानसिकता की गिरफ्त में आ जाते हैं। ऐसे में बेरोजगारी की समस्या का समाधान खोजना जरूरी है।

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बेरोजगारी के कारण

भारत देश में बेरोजगारों के दो वर्ग है। जिनमें से एक है शिक्षित वर्ग और दूसरा अशिक्षित वर्ग। शिक्षित वर्ग में बेरोजगारी का कारण वर्तमान शिक्षा प्रणाली है, जहां महाविद्यालयों से हर साल लाखों बच्चे डिग्री लेकर निकलते है। लेकिन उनमें किसी तरह का कौशल ना होने की वजह से वह नौकरी से वंचित रह जाते हैं।

दूसरी ओर अशिक्षित वर्ग के लिए बेरोजगारी का मुख्य कारण है कुटीर उद्योगों का नाश। ऐसे में कल कारखानों में बढ़ती मशीनों के प्रयोग के कारण लाखों कामगारों का रोजगार समाप्त हो गया है। इसके अलावा भारत की तेजी से बढ़ती जनसंख्या भी बेरोजगारी का कारण है। जिसके चलते आज आसानी से सरकारी नौकरियां पाना असंभव हो गया है। क्यूंकि जनसंख्या के अनुरूप सरकार नौकरियों का सृजन नहीं कर पाती है, तो लोग रोजगार से वंचित रह जाते हैं।

साथ ही हमारे देश का युवा नौकरीपेशा है, वह अपना खुद का व्यवसाय करने की सामर्थ्य नहीं जुटा पाते। और तो और बेरोजगारी का सबसे बड़ा कारण है, लोगों की मानसिकता। जो उन्हें इस बात पर जोर देने को कहती है, कि नौकरी ऐसी हो। जिसमें अधिक श्रम ना करना पड़े और वेतन वक़्त पर मिलता रहे।

इसी का परिणाम है कि आज कई सारे ऐसे निजी और सरकारी संस्थान है, जहां पर योग्य काम करने वालों की कमी है। दूसरी ओर सरकार की नीतियां ना तो रोजगारपरक शिक्षा दे पा रही हैं, और ना उद्योग के साथ शिक्षा का तालमेल बिठा पा रही है।

बेरोजगारी के उपाय

सर्वप्रथम यदि देश में रोजगार की गारंटी देनी है, तो देश की बढ़ती जनसंख्या पर नियंत्रण करना होगा। और परिवार नियोजन को मुख्य रूप से सम्पूर्ण देश में लागू करना होगा। साथ ही वर्तमान शिक्षा प्रणाली में व्यवसायों और शिल्पों की शिक्षा भी दी जानी चाहिए। ताकि पढ़ाई करने के पश्चात वह अपनी जीविका का उपार्जन कर सके।

साथ ही यदि सरकार देश की जनता के समुचित विकास का लक्ष्य लेकर चलती है , तो उसे देश में कुटीर और लघु उद्योगों के विकास पर ध्यान देना चाहिए।  और स्वदेशी के इस्तेमाल को लेकर जागरूकता फैलानी चाहिए। और आज जिन परिवारों का संबध कृषि से है, उन्हें अपनी जमीन पर साग सब्जी, फल, फूल इत्यादि उगाना चाहिए। ताकि वह देश की तरक्की में अपना योगदान जोड़ सकें। साथ ही देश के युवाओं में जोखिम उठाने की भावना का संचार करना होगा, ताकि वह स्वयं ही रोजगार उत्पन्न कर सकें।

उपसंहार

हालांकि सरकार की कई प्रकार की रोजगार परक योजनाओं के चलते लाखों लोग रोजगार सृजन में लगे हुए हैं। साथ ही सरकार की आर्थिक उदारीकरण कार्यक्रमों के चलते रोजगार के कई अवसर प्राप्त हो रहे हैं। ऐसे में यदि हम देश से बेरोजगारी को समाप्त करना चाहते हैं, तो जनता और सरकार दोनों को इस ओर प्रयास करना होगा। तभी हम आने वाली पीढ़ी को एक उज्ज्वल भविष्य की ओर अग्रसरित कर पाएंगे।


इसके साथ ही हमारा आर्टिकल – Berojgari par Nibandh समाप्त होता है। आशा करते हैं कि यह आपको पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य कई निबंध पढ़ने के लिए हमारे आर्टिकल – निबंध लेखन को चैक करें।

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अंशिका जौहरी

मेरा नाम अंशिका जौहरी है और मैंने पत्रकारिता में स्नातकोत्तर किया है। मुझे सामाजिक चेतना से जुड़े मुद्दों पर बेबाकी से लिखना और बोलना पसंद है।

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