प्रस्तावना
मानव आदि काल से ही सुख और आनंद का अभिलाषी रहा है। सुख साधनों को बढ़ाने के लिए वह प्रारंभ से ही नित्य नवीन आविष्कार कर रहा है। विज्ञान ने तो भौतिक सुविधाओं की वृद्धि में तो आश्चर्यजनक योगदान दिया है। आज का विज्ञान जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में प्रविष्ट हो चुका है। मनोरंजन और ज्ञान के क्षेत्र में उसने जो नवीन आविष्कार किए हैं, उनमें दूरदर्शन और टेलीविजन मुख्य हैं। यूरोपीय देशों में इसका प्रचार कई वर्षों से है, पर भारत में कुछ वर्षों पहले से ही इसका प्रचार हुआ है। ऐसे में कह सकते हैं कि अब तो देश में दूरदर्शन केंद्रों का जाल सा फैल रहा है।
टेलीविजन का आविष्कार
महाभारत में लिखा है कि कौरवों पांडवों के युद्ध के अवसर पर उनकी समस्त घटना और संवादों को संजय ने अपनी दिव्य दृष्टि से देखकर हस्तिनापुर में बैठे ही महाराज धृतराष्ट्र को सुनाया था। संभवत दूरदर्शन का पहला रूप वहीं था। आधुनिक युग में टेलीविजन के सर्वप्रथम निर्माण का श्रेय स्कॉट लैंड के श्री बेयर्ड को दिया जाता है। उन्होंने 1926 में इसका आविष्कार किया। अब तो इसका पूर्ण विकास हो चुका है।
इस वैज्ञानिक देन से मीलों दूर दृश्य घर बैठे बैठे देखे जा सकते हैं और शब्द व ध्वनियां सुनी जा सकती है। आज इसकी उपयोगिता दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। यूरोपीय देशों के लोग घरों में रेडियो सेट की जगह दूरदर्शन कार्यक्रम पहुंच सकता है, लोग टेलीविजन यंत्र रखने लगे है। राजधानी तथा अन्य महानगरों में तो इसकी बहुतायत हो गई है। अब तो रंगीन टेलीविजन भी आ चुका है।
टेलीविजन सेट देखने में रेडियो सेट जैसा ही होता है, परन्तु वह ऐसा सेट है, जिसमें एक पर्दा भी लगा रहता है। इस पर्दे पर आप भाषण करते हुए दूरस्थ वक्ता के और गाते हुए गायक के दर्शन कर सकते हैं तथा नाटक के अभिनय का आनंद उठा सकते हैं। दूरदर्शन केन्द्र पर यदि कोई फिल्म चलाई जा रही हो तो पूरे चित्रपट का घर बैठे ही आनंद प्राप्त किया जा सकता है। साथ ही दूरदर्शन केंद्र में एक मंच होता है, जिस पर वक्ता, कलाकार आदि काम करते है।
टेलीविजन की उपयोगिता
दूरदर्शन और टेलीविजन श्रेष्ठ उपयोगी यंत्र है। यह सभी जानते हैं कि कानों से सुनी हुए बात की अपेक्षा आंखों से देखी हुई घटना का प्रभाव मन पर अत्यधिक होता है। दूरदर्शन में ध्वनि के साथ ही दृश्य भी प्रत्यक्ष हो जाते हैं, ऐसे में उसका प्रभाव दर्शकों पर अधिक होता है। आज हम टेलीविजन पर नाटक चल चित्र, गीत, विविध मंच नेताओं के भाषण, गणतंत्र दिवस के दृश्य, विश्व की प्रमुख घटनाएं और भी अन्य कार्य कर्मों को देख सकते हैं। छात्रों को विभिन्न विषयों के पाठकों को पढ़ाने और कृषकों को कृषि संबंधी नवीनतम जानकारी टेलीविजन के माध्यम से दी जा रही है।
अब तो टेलीविजन पर विज्ञापनों का प्रसारण भी प्रारंभ हो गया है, जिससे वस्तु निर्माताओं और उपभोक्ताओं दोनों को लाभ होता है। दूरदर्शन राष्ट्रीय एकता और समाज सुधार का उत्तम साधन बन सकता है। दूरदर्शन का प्रचार भारत में अभी कुछ बड़े नगरों में हुआ है। वह दिन दूर नहीं जब समस्त भारत में रेडियो के सामान ही इसका प्रचार व प्रसार हो जाएगा। तब जनसाधारण इसके लाभों से लाभान्वित हो सकेगा।
उपसंहार
ऐसे में टेलीविजन के आविष्कार से जहां एक ओर मनोरजंन के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित हुए हैं। तो वहीं इसने विज्ञान की दुनिया में भी चमत्कार किया हैं। आज टेलीविजन पर धार्मिक, राजनैतिक, पारिवारिक, रियलिटी शो और फिल्मों इत्यादि तमाम तरीकों से जनता का मनोरंजन किया जा रहा है। साथ ही टेलीविजन पर कई सारे महत्वपूर्ण नाटकों के माध्यम से समाज को नेतृत्व प्रदान किया जाता रहा है।