Vigyan Vardan ya Abhishap Par Nibandh
प्रस्तावना
आधुनिक युग को विज्ञान का युग कहा जाता है। आज मानव जीवन के हर क्षेत्र में विज्ञान का वर्चस्व देखा जा सकता है। विज्ञान ने मानव जीवन को आविष्कारों के माध्यम से अधिक संपन्न बनाया है और इससे मानव की विकास गति भी तीव्र हुई है। वैसे तो रामायण और महाभारत के समय में भी लाखों अस्त्रों और वैज्ञानिक तकनीकों के बारे में पता चलता है।
परन्तु उस समय के आविष्कार समय के साथ ऐसे लुप्त हुए, कि जैसे उनका कोई अस्तित्व ही ना हो। हालांकि वर्तमान वैज्ञानिक युग का इतिहास लाख वर्ष पुराना नहीं है, यही करीब दो ढाई सौ वर्ष पहले से इसकी शुरुआत हुई है। ऐसे में इतने कम समय में ही विज्ञान ने मानव जीवन के भौतिक और ऐश्वर्य सुख में बढ़ोत्तरी कर दी है।
विज्ञान वरदान के रूप में
जैसे हर सिक्के के दो पहलू होते है। ठीक उसी प्रकार ने विज्ञान ने जहां सुई का आविष्कार किया तो वहीं तलवार भी। ऐसे में यदि हम विज्ञान के लाभकारी पक्ष को देखें तो पाएंगे कि चाहे वह भाप, बिजली या परमाणु ताकत की बात हो।
विज्ञान के द्वारा मनुष्य ने इन सबमें कई गुना समृद्धि हासिल कर ली है। इतना ही नहीं देश दुनिया में बड़े बड़े कल कारखानों में विज्ञान के आधुनिक आविष्कारों के प्रयोग से घंटों का काम मिनटों में पूर्ण हो जाया करता है। जिसके कारण आज सभी देश मिलकर आर्थिक संपन्नता की ओर बढ़ गए हैं। तो वहीं विज्ञान के चमत्कार से आज महीनों के काम दिन में और दिनों के काम घंटों में निपट जाया करते है।
ऐसे में हम कह सकते है, मानव जीवन की सम्पूर्ण दिनचर्या में विज्ञान ऐसा समाया है कि अब इसके बिना मानव जीवन की कल्पना करना भी व्यर्थ मात्र है। इतना ही नहीं विज्ञान ने समुन्द्र तल से लेकर अंतरिक्ष के गृह नक्षत्रों का रहस्य भी खोल दिया है। बड़े बड़े जहाजों, हवाई यान, रेल और मोटर के आविष्कार ने मानव जीवन को सुगम बना दिया है।
यदि बात करें सामान्य जीवन की तो घर में कपड़े सिलने वाली मशीन, समय बताने वाली घड़ी, दूर बैठे अपनों का हाल चाल लेने वाला मोबाइल फोन इत्यादि ना जाने कितने ही आविष्कार विज्ञान की ही देन है। इसके अलावा चिकित्सा के क्षेत्र में भी नए नए आविष्कारों ने लाइलाज बीमारियों का इलाज सुलभ कर दिया है। साथ ही कृषि के विकास में भी विज्ञान ने अहम योगदान दिया है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि विज्ञान के चमत्कार ने संपूर्ण विश्व के लोगों को विकास की तीव्र गति से जोड़ा है।
विज्ञान के अभिशाप के रूप में
जहां एक ओर विज्ञान ने मानव जीवन को आसान कर दिया है। तो वहीं दूसरी ओर विज्ञान के बढ़ते प्रभाव से आज मानवीय श्रम की जगह यंत्रों ने लेे ली है। जिससे समाज में बेकारी की समस्या खड़ी हो गई है। इतना ही नहीं वह विज्ञान की ताकत का ही प्रभाव था कि साल 1945 में दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जापान के दो शहर हिरोशिमा और नागासाकी का नामोनिशान तक मिट गया। जहां हुए परमाणु बम के हमले से कठोर लोहा भी पिघलकर लावा बन गया था।
इतना ही नहीं विज्ञान के अधिकतर उपयोग से शत्रु देश स्वयं को शक्तिशाली दिखाने के चलते इसको अन्य देशों के लिए एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल करते हैं, जोकि मानव जीवन को खतरे में डालता है। साथ ही आने वाले समय में रोबोट के इस्तेमाल से मानव जीवन के अस्तित्व पर संकट आ सकता है क्योंकि यदि मशीन का प्रयोग गलत हाथों में पहुंच जाए तो वह घातक सिद्ध हो सकता है।
उपसंहार
इस प्रकार संसार के लोगों का पहला कर्तव्य दूसरों की भलाई करना है। ऐसे में विज्ञान के आविष्कारों का उपयोग भी मानव जीवन की भलाई के लिए करना चाहिए। ताकि दुनिया को जापान के हिरोशिमा और नागासाकी जैसा दंश दुबारा ना झेलना पड़े। साथ ही हमें यह समझना चाहिए कि विज्ञान का जन्म सृष्टि के विकास के लिए हुआ है, विनाश के लिए। ऐसे में हमें सत्य, न्याय, सहानुभूति आदि भावनाओं के साथ विज्ञान का प्रयोग विश्व कल्याण के लिए करना चाहिए। वरन ऐसा ना हो कि विज्ञान के अत्यधिक प्रयोग ने मानव सभ्यता खतरे में पड़ जाए।
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