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Swachh Bharat Abhiyan Essay
भूमिका
हम में से बहुत लोगों को आदत होती है कि चलती गाड़ी की खिड़की में से चिप्स का खाली पैकेट बाहर सड़क पर फेंक देते हैं या फिर अपना घर साफ कर के कूड़ा घर के बाहर ही पड़ा रहने देते हैं। हम तो एक ही पैकेट फेंकते हैं परंतु यदि देश भर के लोग ऐसा करेंगे तो सड़कों पर ढेरों कूड़ा जमा हो जाएगा। यही भारत कि वास्तविकता है।
देश की साफ सफाई में सरकार, नागरिकों, और कारख़ानों का मिल कर योगदान होता है। यदि इन में से एक भी क्षेत्र अपनी ज़िम्मेदारी से पीछे हटे तो देश स्वच्छ नहीं बन सकता।
अभियान का प्रक्षेपण
हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी का आज़ाद, स्वच्छ और स्वस्थ भारत का सपना था। इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनकी 150 वीं वर्षगांठ पर उन्हें स्वच्छ भारत का उपहार देने के लिए और सबको स्वछता के प्रति अपनी ज़िम्मेदारियों का एहसास करवाने के लिए महात्मा गांधी जी के जन्मदिन पर यानी 2 अक्टूबर, 2014 में स्वच्छ भारत अभियान ( Swachh Bharat Abhiyan ) का राज घाट में प्रक्षेपण किया।
यह अभियान 2019 तक चलने वाला देश का आज तक का सबसे बड़ी स्वछता अभियान था जिसमें देश भर में से तीस लाख सरकारी कर्मचारियों ने भाग लिया और देश के चार हजार से ज़्यादा शहरों में भाग लिया, जिस में विभिन्न स्कूल के बच्चों का भी बहुत योगदान रहा।
अभियान के उद्देश्य
इस अभियान का मुख्य उद्देश्य देश भर की ग्नदगी को दूर करना था, जिस में खुले में शौच करने से रोकना और स्वछता बना कर गनदगी से फैलने वाली बीमारियों को रोकना था। साथ ही इस आंदोलन का लक्ष्य देश के हर नागरिक को स्वच्छता के प्रति जागरूक कर के देश की सुंदरता को बरकरार रखना था।
इस आंदोलन से जुड़ कर देश के महान नेताओं और कलाकारों ने भी लोगों को स्वछता की महत्ता के बारे में जागरूक किया और उनको अपनी आदतों और जीवन चलन को बदल कर देश के प्रति उनकी जिम्मेदारी का एहसास करवाया।
अभियान की आवश्यकता
शौचालयों की घाट देश के विभिन्न इलाकों में बहुत वर्षों से एक मुख्य समस्या थी जो आस पास के नागरिकों के स्वास्थ्य पर बहुत गहरा प्रभाव डाल रही थी। खुले में शौच करने से मनुष्य स्वास्थ्य को विभिन्न बीमारियों से खतरा बढ़ जाता है। जहां पर शौचालाय मौजूद थे भी, वहां भी लोग उसका प्रयोग नहीं करते थे।
इसके अतिरिक्त साफ पीने के पानी की समस्या भी बहुत बड़ी थी। पीने के पानी में अशुद्धियां होने से पेट और पाचक शक्ति से जुड़े कई रोग हो सकते हैं। जब तक देश के नागरिक स्वस्थ नहीं होंगे तब तक देश तरक्की नहीं कर सकता। इसी समस्याओं का समाधान निकालने के लिए इस योजना का आगमन किया गया।
अभियान के कार्यान्वयन
इस अभियान के अधीन प्रधान मंत्री जी ने देश के कुछ मुख्य लोगों जैसे बॉलीवुड के सितारों और नेताओं को प्रितिनिधी बना कर नागरिकों में जागरूकता फैलाई। शुरुआत में महान कलाकार जैसे प्रियंका चोपड़ा, सलमान खान, महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर, विराट कोहली आदि इस अभियान के मुख्य चेहरे थे। इसके अतिरिक्त जागरूकता के लिए राष्ट्रपति भवन में एक दौड़ भी करवाई गई।
चेन्नई में समुद्र तट साफ करने के लिए रोबोट बनाए गए और देश भर में सरकार ने एक करोड़ से अधिक शौचालाय बनाए। हर शोचलया के लिए सरकार ने उस परिवार को 12000 की रकम दी, जिस बजट के लिए सरकार को वर्ल्ड बैंक से उधार भी लेना पड़ा।
इसके अतिरिक्त सरकार ने पी. डब्ल्यू. डी. के विभाग साथ मिलकर सरकारी दफ्तरों के कूड़े कचरे साथ अच्छे से निपटने की ज़िम्मेदारी ली। सूरज की ऊर्जा से चलने वाले कूड़ेदान बनाए गए जो भर जाने पर संकेत देते हैं। विशाापट्टनम के चक्रवात के बाद भी उस राज्य के स्वछता और स्वास्थ्य की जिम्मेदारी ली गई।
अभियान के परिणाम
अभियान के परिणाम स्वरूप 2017 के एक सर्वे से पता चला कि इस अभियान के चलते भारत के ग्रामीण इलाकों में शौचालयों का उपयोग नब्बे से अधिक प्रतिशत छू गया। अभियान के शुरू होने से पहले केवल चालीस प्रतिशत लोगों को शौचालाय की सुविधा उपलब्ध थी परन्तु अभियान के पश्चात यह संख्या साठ प्रतिशत हो गई।
खुले में शौच रोकने से अतिसार बीमारी से होने वाली मृत्यु लगभग दो लाख के करीब कम हो गई। इसके अतिरिक्त गंदगी से फैलने वाले मच्छर और उनसे फैलने वाली बीमारियाँ भी कम हो गई।
अभियान का आलोचना
जहां इस अभियान की बहुत तारीफ होती है, वही बहुत सारे आलोचकों का यह मानना है कि शौचालाय की सुविधा इतनी तेज़ी से नहीं बड़ी जितनी सरकार ने दर्शाई। यह भी कहा जाता है कि शौचालाय उपयोग करने के लिए ग्रामीण लोगों पर दबाव डाला गया और इस बात का उल्लंघन करने पे उनका राशन पानी बन्द करने की धमकियां भी दी गई।
और तो और यह भी देखने में आया कि इस आंदोलन के बाकी उद्देश्य को नज़र अंदाज़ कर के केवल शौचालाय बनाने पे ज़ोर दिया गया। पीने के पानी की सफाई और बाकी उद्देश्य भी अनिवार्य थे जिन पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया गया।
जागरूकता बढ़ाने के लिए भी केवल शुरुआत में ज़ोर दिया परन्तु बाद में आंदोलन के दौरान इस कार्य को भी नज़रअंदाज़ कर दिया गया। अखबारों और टीवी के ज़रिए से जागरूकता बढ़ाने के प्रयास किए गए परंतु यह समाचार और जानकारी ग्रामीण लोगों और जाता गरीब हिस्सों तक नहीं पहुंची, जिनको सबसे अधिक अवश्यता थी।
सारांश
इस अभियान के परिणाम संक्षेप में देखें तो देश की स्वच्छता में इस अभियान से बहुत सकारात्मक बदलाव आए। आलोचक तो हर चीज के ही होते हैं परंतु हमें अच्छे बदलाव पर दबाव दे कर सरकार की इस पहल को सराहना चाहिए और देश के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी का एहसास होना चाहिए।
स्वच्छ भारत, सुंदर भारत!
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