Vidyalay ke Varshikotsav par Nibandh
प्रस्तावना
उत्सवों की ओर मनुष्य की स्वाभाविक रुचि होती है, क्यूंकि उनसे उसे आनंद, उत्साह और स्फूर्ति मिलती है और उनका मनोरंजन होता है। इसी कारण छात्रों के जीवन में विद्यालय के वार्षिकोत्सव का भी बड़ा महत्व है। इससे छात्रों के जीवन में स्फूर्ति आ जाती है। इससे उन्हें अपनी कार्यकुशलता और विभिन्न क्रिया कलापों में योग्यता के प्रदर्शन का अवसर मिलता है और उन्हें पारितोषिक भी प्राप्त होते है। हमारे विद्यालय का उत्सव भी सदैव अत्यधिक आकर्षक, आनंददायक और उत्साहवर्धक होता है।
समय और साज सज्जा
हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी विद्यालय का वार्षिकोत्सव काफी धूमधाम से मनाया गया। विद्यालय के प्रांगण में चारों ओर झालरें लगा दी गई थी। विद्यालय की जमीन पर कालीन बिछा हुआ था। पश्चिम की ओर उच्च मंच पर सभापति महोदय के लिए सुंदर कुर्सी पड़ी थी और उसके पार्श्व में दोनों ओर दो दो कुर्सियां थी। इसके पीछे दो बड़ी बड़ी मेजों पर पारितोषिक की वस्तुएं और ट्रॉफी आदि सजा दी गई थी। दक्षिण की ओर आमंत्रित सज्जनों के बैठने के लिए प्रबंध था और दूसरी ओर विद्यार्थियों के लिए बैठने का स्थान था। सभापति के मंच से लेकर मुख्य द्वार तक सफेद चादर और बीच बीच में लाल वस्त्र बिछा हुआ था। प्रांगण के अंदर ध्वनि विस्तारक का प्रबंध था और एक ध्वनि विस्तारक मुख्य द्वार पर लगा दिया गया था। ताकि सड़क पर आने जाने वाले व्यक्ति भी विद्यालय के उत्सव का परिचय प्राप्त कर सकें। शाम के चार बजे से ही आमंत्रित व्यक्तियों का आगमन प्रारंभ हो गया था। मुख्य द्वार पर आगंतुक महानुभावों का स्वागत किया जाता और फिर उन्हें यथोचित स्थान पर बिठा दिया जाता। देखते ही देखते विद्यालय का प्रांगण खचाखच भर गया। अभ्यागतों के आगमन से विद्यार्थियों में नवीन स्फूर्ति तथा चेतना का संचार हो रहा था। प्रत्येक विद्यार्थी अपने आपको आदर्श रूप में उपस्थित करने का प्रयत्न कर रहा था।
सभापति महोदय का स्वागत
साढ़े चार बजे के लगभग सभापति महोदय पधारे। प्रधानाचार्य जी ने अन्य अध्यापकों सहित मुख्य द्वार पर सभापति जी का स्वागत किया। बालचर दल ने स्वागत में बैंड बजाया। उनके पंडाल में प्रविष्ट होते ही अन्य सभासद खड़े हो गए तथा चारों ओर से करतल ध्वनि होने लगी। सभापति जी के बैठते ही सभी आमंत्रित सज्जन और विद्यार्थी शांतिपूर्वक बैठ गए। तदनंतर प्रधानाचार्य जी ने सभापति जी का परिचय देकर पुष्पमाला से उनका अभिनंदन किया। समस्त पंडाल पुन्न तल ध्वनि से गूंज उठा।
कार्यक्रम
इसके पश्चात् कार्यक्रम प्रारंभ हुए। जिसमें सर्वप्रथम विद्यार्थियों ने ईश प्रार्थना की। कुछ विद्यार्थियों ने शारीरिक व्यायाम के अद्भुत प्रदर्शन किए, तत्पश्चात् बीमार का इलाज एकांकी का प्रदर्शन किया गया। अनंतर कुछ विद्यार्थियों ने उत्तम निबंध पढ़े और कुछ ने सुंदर गीत गाए। इन सभी कार्यक्रमों में दर्शकों ने अच्छी रुचि ली और विद्यार्थी वर्ग की दक्षता की भूरि भूरि प्रशंसा की।
धन्यवाद
कार्यक्रम के पश्चात् पारितोषिक वितरण आरंभ हुआ और समस्त सभामंडप करतल ध्वनि से बार बार गूंजने लगा। सभापति महोदय प्रत्येक पुरस्कार विजेता से हाथ मिलाते, उसकी प्रशंसा करते और उसे उत्साहित करते थे। पुरस्कार बांटने के बाद सभापति जी ने अपने संक्षिप्त भाषण में विद्यालय और विद्यार्थियों की बड़ी प्रशंसा की और अध्यापक वर्ग की योग्यता को लेकर भी सराहना की। भाषण के बाद मुख्याध्यापक जी ने अध्यक्ष जी और निमंत्रित व्यक्तियों का ह्रदय से धन्यवाद दिया। इस प्रकार हमारे विद्यालय का वार्षिकोत्सव बड़ी धूमधाम से संपन्न हुआ। जोकि मेरे मन में सदैव स्मृति के रूप में बना रहेगा।
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