हमारा जीवन तीन महत्वपूर्ण चीजों पर निर्भर करता है। हमारे जीवन की तीन ऐसी आवश्यकताएं हैं जिनके बिना हम अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। इनमें हमारी सबसे पहली जरूरत है वायु, दूसरी जल और तीसरी है भोजन। इन तीनों का पर्याप्त मात्रा में होना और वो शुद्ध होना अति आवश्यक है। इनके अशुद्ध होने से न जाने कितनी प्रकार की बीमारियां फैलती हैं।
बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए आज कल वायु प्रदूषण एक बहुत बड़ा मुद्दा बन गया है। वायु गैसों का मिश्रण होती है, जिसमें 78% नाइट्रोजन, 21% ऑक्सीजन और बाकी के 1% में कार्बन डाइऑक्साइड, आर्गन, मेथेन और साथ ही जल वाष्प की भी अल्प मात्रा वायु में मिश्रित रहती है।
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क्या है वायु प्रदूषण? What is Air Pollution

जब स्वच्छ वायु में ऐसे हानिकारक तत्व मिल जाते हैं, जो समस्त जीवों और वस्तुओं तक को नुकसान पहुंचा सकते हैं, इसे ही वायु प्रदूषण (air pollution) कहते हैं । जब वायु में ऐसे हानिकारक प्रदूषक तत्व उपस्थित होते हैं तो ऐसा कहा जाता है कि वायु प्रदूषित है।
वायु प्रदूषण मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं:-
- प्राकृतिक स्रोत
- मानवीय स्रोत
वायु प्रदूषण के प्राकृतिक स्रोत
कुछ ऐसी प्राकृतिक क्रियाएँ भी होती हैं जिनके कारण भी वायु प्रदूषण होता है, लेकिन ये सीमित और क्षेत्रीय होता है। इसमें ज्वालामुखी का विस्फोट एक एक प्राकृतिक क्रिया है, जिसके द्वारा विस्फोट होने के आस पास के क्षेत्र का वायु मण्डल प्रदूषित हो जाता है।
वनों में लगने वाली आग भी वायु प्रदूषण का एक कारण बनती है, इससे होने वाला धुआँ और राख के कण वायु में मिल कर इसे प्रदूषित कर देते हैं । स्वच्छ वायु पर तेज चलने वाली हवाओं एवं आंधी-तूफान से भी प्रदूषण फैलता है क्योंकि जो धूल के कण होते हैं वे वायु मण्डल में फैल जाते हैं।
कुछ पौधों से उत्पन्न हाइड्रोजन के यौगिक और पराग कण भी प्रदूषण का कारण हैं। ठंड के मौसम में होने वाला कोहरा भी प्रदूषण का एक मुख्य कारण है। प्राकृतिक स्रोतों से होने वाला वायु प्रदूषण सीमित एवं बहुत कम हानिकारक होता है क्योंकि प्रकृति स्वयं विभिन्न क्रियाओं से इसमें संतुलन बनाए रखती है।
वायु प्रदूषण के मानवीय स्रोत
वायु को प्रदूषित करने में सबसे बड़ा हाँथ मानव जाति का है । मनुष्यों ने अपनी विभिन्न क्रियाओं से संपूर्ण वायुमंडल को बहुत अधिक प्रदूषित किया है और लगातार करता जा रहा है। ऊर्जा के अनेक उद्योग, परिवहन, रसायनों के प्रयोग में वृद्धि आदि ने मानव को बहुत सी सुविधाएं प्रदान की हैं, लेकिन वायु प्रदूषण के रूप में एक बहुत बड़े संकट को भी जन्म दिया है।
नियमित रूप से होने वाले घरेलू कार्य जैसे भोजन बनाने, पानी गर्म करने आदि में प्रयोग होने वाले ईंधन, जैसे लकड़ी, कोयला, मिट्टी का तेल, गैस आदि के जलाने से वायु में कार्बन डाईऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाईऑक्साइड आदि हानिकारक गैसें मिल जाती हैं, जो वायु को प्रदूषित करती हैं।
वर्तमान में परिवहन के क्षेत्र में अत्यधिक प्रगति हुई है जिसके चलते वायुमंडल में प्रदूषण का खतरा दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। वाहनों से निकलने वाला धुआँ जोकि बहुत विषैली गैसों और हानिकारक प्रदूषण तत्वों से युक्त होता है, जो वायु को सबसे अधिक प्रदूषित करते हैं। यही धुंआ कोहरे का भी जन्म देता है।
वायु प्रदूषण के लिए एक ओर परिवहन उत्तरदायी है तो दूसरी ओर उद्योग। दरअसल वास्तविक रूप से तो वायु प्रदूषण औद्योगिक क्रांति की ही एक सबसे बड़ी देन है। उद्योगों में एक ओर दहन क्रिया होती है तो दूसरी ओर विविध पदार्थों का धुआँ जो औद्योगिक चिमनियों से निकलकर वायु मण्डल में विलीन हो जाता है, जिसके कारण वायु प्रदूषण होता है।
अम्लीय वर्षा भी वायु प्रदूषण का एक खतरनाक कारण है। अम्लीय वर्षा तब होती है जब सल्फर डाईऑक्साइड वायु में पहुँच कर सल्फ्यूरिक एसिड बन जाता है, जो सूक्ष्म कणों के रूप में गिरता है जिसमें सल्फेट आयन अधिक मात्रा में उपस्थित होता है। इस प्रकार ये जल मानव और वनस्पति दोनों के लिए बहुत अधिक हानिकारक होता है ।
वायु प्रदूषण का स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव
वायु प्रदूषण (air pollution) का समस्त जीवधारियों के स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ता है । इसके द्वारा मानव को सांस लेने में कठिनाई, घबराहट होना, खाँसी आना, अस्थमा और हृदय संबंधी आदि बीमारियां हो जाती हैं। वायु प्रदूषण के द्वारा मुख्य रूप से शरीर की श्वसन प्रणाली और हृदय प्रणाली पर अधिक प्रभाव पड़ता है।
घर के अंदर और बाहर वायु प्रदूषण की के कारण होने वाली कुल मौतों के आंकड़ों को देखते हुए ये कहा जा सकता है कि विकासशील देशों में रहने वाले पांच साल से कम उम्र के बच्चों पर इसका प्रभाव सबसे अधिक पड़ता है ।पर्यावरणीय स्वास्थ्य खतरों के कारण होने वाली मौतों के मामले में वायु प्रदूषण दुनिया का सबसे बड़ा कारण है।
इसके कारण मृत्यु दर भारत में कहीं से भी सबसे अधिक है। वायु प्रदूषण की बिगड़ती स्थिति मानव जीवन के लिए बहुत बड़ा खतरा है। वायु प्रदूषण को कम करने के लिए हम सभी को अपनी जिम्मेदारियों को न केवल समझना चाहिए, बल्कि निभाना भी चाहिए वरना आगे चलकर इससे हमें ही समस्या होने वाली है ।
वायु प्रदूषण को कम करने के उपाय
वाहनों के इस्तेमाल को कम करना होगा और उसकी अच्छी तरह से रख-रखाव करना। डीज़ल या सीसा रहित पेट्रोल का उपयोग करें । वाहनों के बदले में आस पास जाने के लिए साइकिल का उपयोग करें । पत्तों, टायरों आदि को नहीं जलाना चाहिए ।
अपने घरों के आस-पास अधिक से अधिक पेड़-पौधे लगाएं। पेड़-पौधे वातावरण में उपस्थित कार्बन डाईऑक्साइड को खींचकर ऑक्सीजन छोड़ते हैं। इसलिए वायु प्रदूषण को रोकने के सबसे अहम उपायों में से एक है बड़ी संख्या में पेड़-पौधे लगाना।
पेड़ों की अंधाधुंध कटाई को रोकना होगा क्योंकि इसके कारण वायु प्रदूषण की स्थिति दिन-प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है। जीवाश्म ईंधन के बजाए वैकल्पिक ईंधन के प्रयोग को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और जल ऊर्जा का प्रयोग करना चाहिए।
कारखानों में प्रदूषण मानकों का पालन सुनिश्चित करना आवश्यक है। प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों को शहरों से दूर रखना चाहिए। ऐसी तकनीकों का इस्तेमाल शुरू किया जाना चाहिए जिससे कम से कम धुँआ निकले। सभी नागरिकों को वायु प्रदूषण के नुकसान, प्रदूषण फैलाने वाली गतिविधियों और इन्हें रोकने के उपायों के बारे में जागरूक करना।
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