काल की परिभाषा – Kaal ki Paribhasha
किसी वाक्य में मौजूद क्रिया के जिस रूप से किसी कार्य के होने का समय और पूर्ण – अपूर्ण होना ज्ञात होता है, वह काल कहलाता है। यानि जिसके माध्यम से यह मालूम चल सके कि उपरोक्त कार्य हो चुका है, होने वाला है या हो रहा है। ऐसे में किसी भी वाक्य में समय की निश्चितता के लिए काल का निर्धारण होना आवश्यक है।
काल के भेद – Kaal ke Bhed
यह मुख्यता तीन प्रकार के होते हैं-
- वर्तमान काल (present tense) – जब किसी वाक्य में क्रिया के द्वारा कार्य के निरंतर होने का पता चलता है, तो वह वर्तमान काल कहलाता है। इसका तात्पर्य वर्तमान समय से होता है। इसके मुख्यता चार भेद होते हैं।
- 1 सामान्य वर्तमान (indefinite present Tense) – उपरोक्त काल में क्रिया के माध्यम से कार्य के वर्तमान समय में होने का पता तो चलता है, लेकिन इस बात की अनिश्चितता रहती है कि यह कार्य कब होता है। इसमें वाक्य के अंत में है, हैं आदि आता है। जैसे – राम पढ़ता है, सीता खाना खाती है आदि वाक्यों में समय के बारे में कुछ भी निश्चित तरीके से ज्ञात नहीं है।
- तात्कालिक वर्तमान (continuos present tense) – इसके माध्यम से यह ज्ञात हो जाता है कि उपयुक्त कार्य वर्तमान समय में चल रहा है। इसमें वाक्य के अंत में रहा है, रही है, रहे हैं आदि आता है। जैसे – श्याम स्कूल जा रहा है, सीता मंदिर जा रही है, हम सब लोग घूमने जा रहे हैं आदि।
- पूर्ण वर्तमान (perfect present Tense) – जिस क्रिया के द्वारा किसी कार्य के वर्तमान में पूर्ण होने का बोध होता है, तब वहां पूर्ण वर्तमान होता है। इसमें वाक्य के अंत में चुका है, चुकी है, चुके हैं आदि आता है। जैसे – राम स्कूल जा चुका है, सीता खाना बना चुकी है, वह लोग वापस आ चुके हैं आदि।
- संभाव्य वर्तमान (perfect continuous present tense) – जब वाक्य में किसी कार्य के होने वाले समय का पता चलता है, तब उसे संभाव्य वर्तमान कहते हैं। इसमें समय दिया गया होता है। साथ ही वाक्य के अंत में कर रहा है, कर रही है, जा रही है आदि आता है। जैसे – कमला सुबह से काम कर रही है, श्याम कल से नौकरी पर जा रहा है, गीता आज 2 बजे मंदिर जा रही है आदि।
- 1 सामान्य वर्तमान (indefinite present Tense) – उपरोक्त काल में क्रिया के माध्यम से कार्य के वर्तमान समय में होने का पता तो चलता है, लेकिन इस बात की अनिश्चितता रहती है कि यह कार्य कब होता है। इसमें वाक्य के अंत में है, हैं आदि आता है। जैसे – राम पढ़ता है, सीता खाना खाती है आदि वाक्यों में समय के बारे में कुछ भी निश्चित तरीके से ज्ञात नहीं है।
- भूतकाल (past tense) – जब क्रिया से किसी कार्य के बीते कल में होने का पता चलता है, तो उसे भूतकाल कहते हैं। इसमें कार्य बीते दिन में पूर्ण हो जाता है।
इसके भी चार भेद हैं-- सामान्य भूत (Indefinite past Tense) – वाक्य में क्रिया के द्वारा कोई कार्य बीते समय में पूर्ण तो हो जाता है, लेकिन उसमें समय अनिश्चित होता है। तब उसे सामान्य भूतकाल कहते हैं। इसमें वाक्य के अंत में ई, य, यी आदि आता है। जैसे – मोहन दुकान चला गया, रवि ने अपने छोटे भाई को स्कूल छोड़ दिया, मम्मी ने गीता को खाना नहीं दिया आदि।
- तात्कालिक भूत (continuous past tense) – क्रिया के द्वारा जब किसी कार्य के कुछ समय पहले ही समाप्त होने का बोध होता है, तो वह तात्कालिक भूतकाल कहलाता है। जैसे – राम स्कूल पढ़ने जा रहा था, सीता मंदिर की ओर जा रही थी आदि।
- पूर्ण भूत (perfect past tense) – वाक्य में प्रयुक्त क्रिया के माध्यम से किसी कार्य के पूर्ण रूप से बीते काल में होने का पता चलता है, तब वहां पूर्ण भूतकाल होता है। जैसे – सुरेश ऑफिस जा चुका था, काम वाली बाई घर आ चुकी थी, तुम कल कहां चले गए थे?, उसके आने के बाद वह वहां से चला गया था, सूरज निकलने से पहले ही राम घर से जा चुका था आदि।
- संभाव्य भूत (perfect continuous past tense) – जब किसी कार्य का भूत में होने का समय ज्ञात हो जाता है, तब वहां संभाव्य भूतकाल होता है। जैसे – सीता कल रात तक दिल्ली पहुंच चुकी थी, रीता कल 12 बजे तक यहां आ गई थी आदि।
- सामान्य भूत (Indefinite past Tense) – वाक्य में क्रिया के द्वारा कोई कार्य बीते समय में पूर्ण तो हो जाता है, लेकिन उसमें समय अनिश्चित होता है। तब उसे सामान्य भूतकाल कहते हैं। इसमें वाक्य के अंत में ई, य, यी आदि आता है। जैसे – मोहन दुकान चला गया, रवि ने अपने छोटे भाई को स्कूल छोड़ दिया, मम्मी ने गीता को खाना नहीं दिया आदि।
- भविष्यकाल (Future tense) – वाक्य में प्रयुक्त क्रिया के द्वारा किसी कार्य का भविष्य में होना बतलाया जाता है, तब उस काल को भविष्य काल कहते हैं। इसमें वाक्य के अंत में होगा, होगी, हो रहा होगा, हो चुका होगा आदि आता है।
इसके चार प्रकार होते हैं-- सामान्य भविष्य (indefinite future tense) – जिन वाक्यों में क्रिया से किसी कार्य का आने वाले समय में होने का पता चलता है, तब उसे सामान्य भविष्यकाल कहते हैं। यहां भी भविष्य में किसी कार्य को लेकर अनिश्चितता बनी रहती है। जैसे – गीता गाना गाएगी, पूजा जयपुर नहीं जाएगी, राम पढ़ेगा आदि।
- तात्कालिक भविष्य (continuous future tense) – जिस वाक्य में क्रिया से भविष्य में किसी काम का चालू रहना दर्शाया जाता है, वहां संभाव्य भविष्यकाल होता है। जैसे – राम पढ़ रहा होगा, सीता खाना बना रही होगी आदि।
- पूर्ण भविष्य ( perfect future tense) – जब वाक्य में कर्ता द्वारा भविष्य में किसी कार्य को पूर्ण करने की बात होती है, तब वहां पूर्ण भविष्यकाल होता है। जैसे – मोहन परीक्षा की तैयारी कर चुका होगा, सुमन अपने छोटे भाई बहनों के साथ दिल्ली के लिए रवाना हो चुकी होगी आदि।
- संभाव्य भविष्य (perfect continuous future tense) – वाक्य में क्रिया के माध्यम से जब किसी कर्म के बीते समय में पूरा होकर आने वाले समय में होना बताया जाए, तब वहां संभाव्य भविष्य होता है। जैसे – रवि सुबह तक दिल्ली नहीं पहुंच रहा होगा, वे दो घंटे तक खेलते रहे होंगे आदि।
- सामान्य भविष्य (indefinite future tense) – जिन वाक्यों में क्रिया से किसी कार्य का आने वाले समय में होने का पता चलता है, तब उसे सामान्य भविष्यकाल कहते हैं। यहां भी भविष्य में किसी कार्य को लेकर अनिश्चितता बनी रहती है। जैसे – गीता गाना गाएगी, पूजा जयपुर नहीं जाएगी, राम पढ़ेगा आदि।

अंशिका जौहरी
मेरा नाम अंशिका जौहरी है और मैंने पत्रकारिता में स्नातकोत्तर किया है। मुझे सामाजिक चेतना से जुड़े मुद्दों पर बेबाकी से लिखना और बोलना पसंद है।