हिन्दू धर्म में वर्णित समस्त ग्रंथों में महाकाव्य महाभारत ऐतिहासिक, धार्मिक और पौराणिक ग्रंथों में से एक हैं। महाभारत की कहानी लगभग 8 वीं और 9 वीं शताब्दी पुरानी है और महाभारत का युद्ध प्राचीन भारतीय इतिहास का सबसे विशाल युद्ध था। इस युद्ध में कई सारे महान् योद्धाओं ने भाग लिया था। जिसमें पाण्डु पुत्र अर्जुन और सूर्य पुत्र कर्ण के मध्य सदा ही तुलना की जाती रही है।
हिंदी से जुड़े कई सारे साहित्यों और तमाम धारावाहिकों की ओर नजर डालें तो पाएंगे कि महाभारत के युद्ध में कौरवों की ओर से लड़ने के बावजूद लोग कर्ण को पांडव अर्जुन से बेहतर मानते हैं। उनका मानना है कि सूर्य पुत्र कर्ण ने अर्जुन को युद्ध भूमि में सदैव ही कड़ी टक्कर दी थी और महाभारत के युद्ध में भगवान श्री कृष्ण अर्जुन के सारथी थे। जबकि कर्ण ने अकेले ही सभी पांडव भाइयों को पराजित किया लेकिन वह मारा गया। ऐसे में हम सिर्फ महाभारत के युद्ध में जीवित रहने पर अर्जुन को बेहतर नहीं कह रहे हैं बल्कि कई सारे ऐसे युद्ध हैं जिनमें अर्जुन ने कर्ण से बेहतर प्रदर्शन किया है।
विराट युद्ध
महाभारत काल का सबसे चर्चित विराट युद्ध उस दौरान हुआ था जब पांडव एक वर्ष के अज्ञातवास के चलते विराट नगरी में भेष बदलकर रह रहे थे। तभी कौरवों ने विराट नगरी पर आक्रमण कर दिया था। जिसे ही आगे चलकर विराट युद्ध के नाम से जाना गया। जिसमें अर्जुन और कर्ण के बीच काफी घमासान युद्ध हुआ था। अर्जुन ने कर्ण पर वार करते हुए गांडीव धनुष और अक्षय तुणीर चलाया था जोकि कोई साधारण बाण नहीं थे।
साथ ही विराट युद्ध में अर्जुन ने सम्मोहन अस्त्र का प्रयोग किया था। जिसकी तुलना वर्तमान रासायनिक अस्त्रों से की जाती है। दूसरी ओर कर्ण ने विराट युद्ध में अर्जुन पर काफी सारे बाण चलाए थे लेकिन अर्जुन के कठोर प्रहार के चलते कर्ण कौरव सेना को छोड़कर भाग गया था। इस प्रकार विराट युद्ध में अर्जुन ने अकेले ही अपने सामर्थ्य से कुरु सेना को पीछे खदेड़ दिया था।
गुरु द्रोणाचार्य के परम शिष्य
महाभारत काल में गुरु द्रोणाचार्य ने ही समस्त कौरवों और पांडवों को अस्त्र और शस्त्र का ज्ञान दिया था। जिनमें पांडव अर्जुन गुरु द्रोणाचार्य के परम प्रिय शिष्य थे। गुरु द्रोणाचार्य अर्जुन को विश्व का सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर बनाना चाहते थे। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि गुरु द्रोणाचार्य की नज़रों में भी अर्जुन श्रेष्ठ योद्धा हुआ करते थे।
धर्म की लड़ाई
महाभारत के युद्ध के समय कर्ण ने यह जानते हुए कि दुर्योधन ने अधर्म किया है, उन्होंने मित्रता के मोह में कौरवों का साथ दिया। जबकि पाण्डु पुत्र अर्जुन ने धर्म और न्याय की रक्षा करते हुए युद्ध में सत्य के लिए लड़ाई लड़ी।
अस्त्र विद्या का ज्ञान
समस्त पांडव भाइयों में अर्जुन ऐसे योद्धा थे, जिनके पास ब्रह्मास्त्र, सूर्य अस्त्र, चन्द्र अस्त्र, गरुड़ अस्त्र, वायु अस्त्र, मोहिनी अस्त्र आदि विभिन्न प्रकार की शक्तियां मौजूद थीं। दूसरी ओर, कर्ण के पास आत्मरक्षक कुंडल और कवच थे। साथ ही इंद्र देवता ने कर्ण को वरदान के तौर पर वज्र अस्त्र दिया था लेकिन महाभारत के युद्ध में कौरवों की सेना का साथ देने के चलते भगवान इन्द्र ने कर्ण ने सारी शक्तियां वापस ले ली थीं।
महाभारत का युद्ध
महाभारत युद्ध के ग्यारहवें दिन जब भीष्म पितामह घायल हो गए थे। तब कर्ण ने युद्ध में प्रतिभाग किया और युद्ध के मैदान में जब कर्ण और अर्जुन आमने सामने आए तब दैवीय अस्त्रों की बौछार शुरू हो गई। फिर एक ऐसा क्षण आया जब युद्ध के दौरान कर्ण के रथ का पहिया जमीं में धंस गया तो उसे ठीक करने के लिए वह रथ से नीचे उतरा और अर्जुन से निवेदन किया कि वह उस पर बाण ना चलाएं लेकिन भगवान श्री कृष्ण के कहने पर अर्जुन ने बाण चला दिया। जिससे कर्ण का सर धड़ से अलग होकर जमीन पर गिर पड़ा और सूर्य पुत्र कर्ण महाभारत के युद्ध में कौरवों का साथ देने के चलते मारा गया।
इस प्रकार, हम कह सकते है कि पांडव होने के कारण ही नहीं बल्कि अर्जुन हर रूप में कर्ण से बेहतर थे। अर्जुन की शक्ति को कर्ण से इसलिए कम नहीं आंका जा सकता है कि कर्ण को अर्जुन जैसा जीवन नहीं मिला। जहां महाभारत का युद्ध कर्ण ने मित्रता के आधार पर लड़ा था तो वहीं अर्जुन ने नीति और धर्म की रक्षा के लिए युद्ध में भाग लिया और जीता भी। ऐसे में कर्ण एक बेहतर मित्र हो सकते हैं लेकिन अर्जुन एक बेहतर योद्धा थे।
Karn-Arjun Image credit – Mahabharat (2013 TV Series)
Arjun me bhisham ko shikhandi kE piche rah kar Mara or dronachary ko murchit avsthame Mara or veer kran ko nishastr hone par mara. To be kese mahan give?
Kripya rishi ved vyas ji swara likhi gayi mahabharat ka adhayan karen tv serial na dekhe to pata chal jayega arjun sabse sarvshresth yodha tha
Karn is best