ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः।।
धरती पर जीवन की सार्थकता सूर्य देव से है। सूर्य देव मानव जीवन को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाते हैं। सनातन धर्म के प्रचलित वेदों में सूर्य देव को भगवान का नेत्र माना गया है। भारतीय समाज में प्राचीन समय से ही सूर्य देवता की आराधना की जाती रही है।
माना जाता है प्रतिदिन सूर्य भगवान की आराधना और उन्हें श्रद्धापूर्वक नमन करने से वह मनुष्य जीवन के समस्त दुखों को हर लेते हैं। जिसके चलते सनातन धर्म को मानने वाले लोग सूर्य देवता को प्रतिदिन जल चढ़ाकर अर्घ्य देते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि सूर्य देवता को अर्घ्य देने के पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक कारण क्या हैं। यदि नहीं तो चलिए आपको बताते हैं…..
सूर्य देव को अर्घ्य देने के धार्मिक कारण
भारतीय समाज में लोग प्रात: काल सूर्योदय के समय सूर्य देवता को जल चढ़ाते हैं। धार्मिक दृष्टि से देखें तो सूर्योदय के समय सूर्य देवता को जल चढ़ाने से व्यक्ति को सौभाग्य की प्राप्ति होती है। व्यक्ति के समस्त कार्य बिना किसी समस्या के पूर्ण हो जाते है।
साथ ही सूर्य देवता को अर्घ्य देने से व्यक्ति का भाग्य अच्छा रहता है। दूसरी ओर, सूर्य देवता की प्रतिदिन उपासना करने से व्यक्ति अपनी कुंडली में उपस्थित ग्रहों के बुरे प्रभाव से बच जाता है। सूर्य देव को जल चढ़ाने से जीवन में मौजूद समस्त नकारात्मक शक्तियां क्षीण हो जाती हैं और व्यक्ति के मन में सकारात्मक विचारों का प्रवाह होने लगता है।
सूर्य देव को अर्घ्य देने के वैज्ञानिक कारण
सूर्य देव को अर्घ्य देने के पीछे धार्मिक कारणों के साथ साथ कई वैज्ञानिक कारण भी हैं। सूर्योदय के समय सूर्य को जल चढ़ाने से हमें विटामिन डी की प्राप्ति होती है।
सुबह के समय सूर्य देवता को अर्घ्य देने से शरीर की हड्डियां मजबूत होती हैं और सुबह के समय पड़ने वाले सूर्य के सीधे प्रकाश से हमारी आंखों की रोशनी भी तेज होती है।
इसके अलावा सुबह के समय सूर्य को अघ्र्य देने से व्यक्ति दिल, त्वचा, आंखों और मस्तिष्क से जुड़ी बीमारियों से सुरक्षित रहता है।
प्रात: काल जल्दी उठकर सूर्य को जल चढ़ाने के समय शुद्ध वायु शरीर में प्रवेश करती है जिससे व्यक्ति का सम्पूर्ण दिन स्फूर्ति भरा रहता है। इस प्रकार सूर्य देवता को सूर्योदय के समय जल चढ़ाने के कई सारे फायदे हैं।
सूर्य देवता को अर्घ्य देने की विधि
प्रात: काल सूर्य को अर्घ्य देने से पहले व्यक्ति को कुछ एक बातों का ध्यान रखना चाहिए। सर्वप्रथम सूर्य देवता को चढ़ाए जाने वाले जल में लाल चंदन, सिंदूर और फूल को मिश्रित करना चाहिए। इसके लिए तांबे केलोटे ही प्रयोग करना चाहिए।
तत्पश्चात् ॐ सूर्याय नम: का 11 बार जाप करना चाहिए और पूर्व दिशा में सूर्य देवता की ओर मुख करके कम से कम तीन बार परिक्रमा करनी चाहिए। आप चाहे तो सूर्य को अर्घ्य देते समय गायत्री मंत्र का भी जाप कर सकते हैं। इसके अलावा सूर्य देवता को जल चढ़ाते समय ध्यान रखना चाहिए कि वह जल आपके पैरों में ना पड़ने पाए।
हालांकि भारत देश में प्रसिद्ध छठ पर्व के दौरान सूर्यास्त के समय सूर्य देवता को जल चढ़ाने की परम्परा है लेकिन अन्य दिनों में सूर्योदय के समय ही जल चढ़ाना शुभ माना जाता है।
