जिन शब्दों से क्रिया की विशेषता ज्ञात होती है, वह क्रियाविशेषण कहलाते हैं। जैसे – राम धीरे धीरे खाना खाता है। इस उदाहरण में राम कर्ता है, खाना खाना क्रिया है और धीरे धीरे क्रिया की विशेषता है। यह हमें वाक्य में प्रयुक्त क्रिया की अच्छाई और बुराई बताता हैं।
क्रियाविशेषण के उदाहरण – Kriya Visheshan ke Udaharan
1. राम तेज तेज दौड़ रहा था।
2. सीता ने अपना काम बहुत जल्दी निपटा लिया।
3. वह अभी बहुत छोटा है।
4. वह सबसे कम ही बोलता है।
5. मनोज हमेशा ही झूठ बोलता है।
उपरोक्त उदाहरणों में धीरे धीरे, तेज, हमेशा, बहुत आदि शब्द दौड़ना, काम करना, बोलना आदि
क्रिया की विशेषता बता रहे हैं।
क्रियाविशेषण के भेद – Kriya Visheshan ke Bhed
क्रियाविशेषण के अर्थ के आधार पर चार भेद होते हैं-
1. कालवाचक क्रियाविशेषण – वह शब्द जिनसे किसी वाक्य में क्रिया के होने का समय मालूम चलता है, वह कालवाचक क्रियाविशेषण कहलाते हैं। उदाहरण –
1. मैंने आज सुबह खाना खाया था।
2. राम कल दिल्ली चला जाएगा।
3. सीता ने कल शाम को मुझे अपनी किताब दी थी।
4. हम एक सप्ताह बाद मुंबई से लौटेंगे।
5. गीता परसो घर नहीं जाएगी।
2. रीतिवाचक क्रियाविशेषण – जिन क्रियाविशेषण शब्दों से क्रिया के होने की विधि के बारे में पता चलता है, वह रीतिवाचक क्रियाविशेषण कहलाते हैं। उदाहरण –
1. राम सदैव सच बोलता है।
2. तुम अपना काम जल्दी निपटाओ।
3. सीता अपना काम ध्यानपूर्वक करती है।
4. वह गेंद धीरे डालता है।
5. मोहन अपना काम अच्छे से कर रहा है।
उपरोक्त उदाहरणों में मौजूद क्रिया विशेषण शब्द रीतिवाचक क्रियाविशेषण कहलाएंगे।
3. स्थानवाचक क्रियाविशेषण – वाक्य में प्रयुक्त जो शब्द क्रिया के होने का स्थान बतलाते है, वह स्थानवाचक क्रियाविशेषण कहलाते हैं। उदाहरण –
1. सीता छत पर कपड़े डालने गई है।
2. बच्चे कमरे में खेल रहे हैं।
3. पिताजी बाज़ार सब्जी लेने गए हैं।
4. मेरे आने तक तुम अन्दर बैठो।
5. मैं तुम्हारी ऊपर वाली सीट पर हूं।
उपरोक्त उदाहरणों में अन्दर, बाहर, ऊपर, नीचे, कमरा आदि शब्द क्रिया के स्थान के बारे में बता रहे हैं इसलिए यहां स्थानवाचक क्रियाविशेषण है।
4. परिमाणवाचक क्रियाविशेषण – जिनसे क्रिया के परिमाण, संख्या और मात्रा का बोध होता है, वह क्रियाविशेषण शब्द परिमाणवाचक क्रियाविशेषण कहलाते हैं। उदाहरण –
1. मैं तुमसे अधिक खाना खाता हूं।
2. राम बाहर कम ही निकलता है।
3. सीता गीता से अधिक पढ़ती है।
4. कल रात मैं पूरी नींद नहीं ले पाया था।
5. तुम थोड़ा अधिक परिश्रम करो।
उपरोक्त उदाहरणों में क्रिया की संख्या और मात्रा के बारे में पता चलता है, यह परिमाणवाचक क्रियाविशेषण है।
प्रयोग के आधार पर क्रियाविशेषण के तीन भेद होते हैं।
1. साधारण क्रियाविशेषण – जिन क्रियाविशेषण शब्दों का किसी वाक्य में स्वतंत्र रूप से प्रयोग होता है, वह साधारण क्रियाविशेषण कहलाते हैं। उदाहरण –
1. अरे! उसके साथ कितना बुरा हुआ।
2. हाय राम! हम हार गए।
3. चलो! तुम जल्दी करो।
4. वाह! तुमने कितना स्वादिष्ट भोजन बनाया है।
5. छी! तुमने इसको बिगड़ कर रख दिया।
2. संयोजक क्रियाविशेषण – जब क्रियाविशेषण का संबंध वाक्य में उपवाक्यों से होता है। तब वहां संयोजक क्रियाविशेषण होता है। उदाहरण :-
1. तुम जो कर रहे हो, हमने पहले ही कर लिया है।
2. सीता पढ़ने में अच्छी है, गीता बिल्कुल नहीं पढ़ती है।
3. जहां तुम्हारा घर है, पहले यहां स्कूल हुआ करता था।
4. वह तुम्हारा भाई है, यह मेरा भाई है।
5. चलो मंदिर चलते हैं, फिर मैं घर चला जाऊंगा।
3. अनुबद्ध क्रियाविशेषण – जिन क्रियाविशेषण शब्दों को निश्चितता के लिए वाक्य में कहीं भी प्रयोग कर लिया जाता है, वह अनुबद्घ क्रियाविशेषण कहलाते हैं। उदाहरण :-
1. उसके साथ तो यह बहुत ही गलत हुआ।
2. तुम दोनों भर के लिए काफी है।
क्रियाविशेषण के रूप के आधार पर भी तीन भेद होते हैं।
1. मूल क्रियाविशेषण – जिन क्रियाविशेषण शब्दों को बिना प्रत्यय लगाए तैयार किया जाता है, वह मूल क्रियाविशेषण शब्द कहलाते हैं। उदाहरण :- दूर, पास, आज, कल, सदा, फिर आदि।
2. स्थानीय क्रियाविशेषण – जो शब्द बिना अपने रूप में परिवर्तन किए वाक्य में एक निश्चित स्थान पर आते हैं, वह स्थानीय क्रियाविशेषण कहलाते हैं। उदाहरण :- तुम दौड़कर क्यों चलते हो आदि।
3. योगिक क्रियाविशेषण – जो क्रियाविशेषण शब्द किसी दूसरे शब्द में प्रत्यय और पद लगाने से बनते है, वह योगिक क्रियाविशेषण कहलाते हैं। उदाहरण :- रातभर, मन से, सवेरे, बहुधा आदि।
आशा करते हैं कि क्रियाविशेषण की परिभाषा और भेद आपको स्पष्ट हो गए होंगे।
