भारत देश प्रारंभ से ही अपनी प्राचीन संस्कृति और संस्कारों के लिए विश्वभर में जाना जाता है। प्राचीन समय में भारतीय समाज विश्व गुरु की पदवी धारण किए हुए था लेकिन वर्तमान समय में पाश्चात्य संस्कृति के आधिपत्य के चलते भारतीय संस्कारों का चलन समाज में धीरे धीरे कम हो गया है। जिसके चलते वर्तमान पीढ़ी अभिवादन के लिए हाथ जोड़ने के बजाय हाथ मिलाने लगी है।
हालांकि बदलते वैज्ञानिक युग में भारतीय संस्कार आज भी प्रासंगिक है। ऐसे में सनातन धर्म में अभिवादन के समय दोनों हाथ जोड़ने के पीछे क्या वजह है, चलिए जानते हैं।
सनातन संस्कृति के आधार पर जब भी लोग अपने से अधिक आयु वाले व्यक्तियों से रूबरू होते हैं तो वह हाथ जोड़कर उनका अभिवादन करते हैं। इसके साथ ही मुख से नमस्ते या नमस्कार शब्द का उच्चारण करते हैं। जिसका अर्थ होता है नमन करके या झुककर सामने वाले व्यक्ति को सम्मान देना। नमस्कार शब्द की उत्पत्ति संस्कृत भाषा के नमस शब्द से हुई है, जिसका अर्थ होता है एक आत्मा का दूसरी आत्मा के प्रति आभार व्यक्त करना।
वैज्ञानिक दृष्टि से देखें तो नमस्कार करते समय हमारे चित्त में प्रसन्नता का भाव उत्पन्न होता है और हमारी निर्भीकता का विकास होता है। साथ ही सामने वाले व्यक्ति को नमस्ते करते समय हमारा दिमाग सकारात्मक विचारों के चलते तरोताजा महसूस करता है।
एक्यूप्रेशर चिकित्सा के मुताबिक, अभिवादन के दौरान दोनों हाथ जोड़ने से हाथों की समस्त उंगलियां एक दूसरे के संपर्क में आती है और इससे व्यक्ति की यादाश्त तेज होती है। जिसके कारण हम सामने वाले व्यक्ति को अधिक समय तक याद रख पाते हैं।
हाथ जोड़कर अभिवादन करने से आप सामने वाले व्यक्ति के शरीर के सीधे संपर्क में नहीं आते हैं, ऐसे में यदि वह व्यक्ति किसी प्रकार के संक्रमण से ग्रसित है तो आप उस संक्रमण की चपेट में आने से बच सकते हैं।
अपने से बड़े व्यक्ति को सम्मान देने के लिए हमें उनके आगे श्रद्धा से सिर झुकाना चाहिए तत्पश्चात् आंखे बंद करके उनका अभिवादन करना चाहिए। कहते है जब भी व्यक्ति को सामने वाले व्यक्ति पर अत्यंत क्रोध आएं तब उसे हाथ जोड़कर नमस्कार कर लेना चाहिए। जिससे उसके साथ-साथ सामने वाले के व्यवहार में भी मधुरता देखने को मिलती है।
इसके अलावा सनातन धर्म में ईश्वर और अपने से बड़े किसी व्यक्ति का अभिवादन अलग अलग प्रकार से किया जाता है। जहां ईश्वर को हाथ जोड़कर उनका अभिवादन करना साष्टांग नमस्कार की श्रेणी में आता है तो वहीं किसी बुजुर्ग और अपने से बड़े व्यक्ति का अभिवादन सामान्य नमस्कार की श्रेणी में आता है।
भारतीय समाज में कुछ लोग बड़े बुजुर्गों के पैर छूकर उनका अभिवादन करते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस प्रकार भारतीय सनातन संस्कृति के अनुसार, अभिवादन के समय दोनों हाथ जोड़कर सामने वाले के प्रति सम्मान व्यक्त करने से व्यक्ति के मन में अच्छे भाव विकसित होते हैं और व्यक्ति को जीवन में अध्यात्मिक सफ़लता हासिल होती है।