Panchtantra ki Kahaniyan – पंचतंत्र की कहानियाँ

Panchtantra ki Kahaniyan

Panchtantra ki Kahaniyan

पंचतंत्र की कहानियां नीतिगत, मनोवैज्ञानिक, व्यवहारिक और राज पाठ पर आधारित कहानियां है। जिसमें मनुष्य के साथ साथ प्रकृति और जीव जंतु के भी जीवंत पहलू को कहानी के माध्यम से पाठकों के सामने रखा गया है।

पंचतंत्र कहानियों के जनक पंडित विष्णु शर्मा है, जिन्होंने अपनी जिंदगी के 50 वर्षों में इस ग्रंथ की रचना सम्पूर्ण की थी। आज विश्व में मौजूद सभी भाषाओं में पंडित विष्णु शर्मा की पंचतंत्र कहानियों का अनुवाद किया जा चुका है। साथ ही इस ग्रंथ के कुल पांच भेद है जैसे मित्रभेद, मित्रलाभ, काकोलुकियम, लब्धप्रणाश और अंतिम अपरीक्षित कारक।

स्वयं हिंदी के जाने माने लेखक डॉ. वासुदेव शरण अग्रवाल ने पंचतंत्र  कहानियों की प्रशंसा में लिखा है कि मनुष्य का नैतिक जीवन ऐसा हो जिसमें उसे आत्मरक्षा, विद्या, मित्र, सत्कर्म, आंनद की प्राप्ति हो। ऐसे में पंचतंत्र में बुद्धिमान मानव और जीव जंतु की बौद्धिक क्षमता से जुड़ी कहानियों को रोचक तरीके से दर्शाया गया है। 

Panchatantra Stories in Hindi

सच्चे मित्र की निशानी

पंचतंत्र की कहानियाँ
पंचतंत्र की कहानियाँ

महिलारोप्य नाम के शहर में एक बार एक शिकारी था। जिसने कबूतरों को पकड़ने के लिए वहां पेड़ के नीचे एक जाल बिछाया था। जिसके ऊपर उसने अनाज के दाने बिखेर दिए थे ताकि पक्षी उसके जाल में फंस सकें। ऐसे में जमीन पर अनाज पड़ा देख कबूतरों का एक झुंड नीचे उतर आया और जैसे ही कबूतरों ने अनाज चुगना शुरू किया। शिकारी ने जाल खींच लिया और सारे कबूतरों को अपने कब्जे में कर लिया।

अब कबूतरों के राजा चित्रग्रीव के दिमाग में एक उपाय सूझा। उसने अपने सभी  साथियों से कहा कि यदि हमें इससे बाहर निकलना है तो सबको एक साथ मिलकर इस जाल के साथ उड़ना होगा। अपने राजा की बात को मानते हुए सभी कबूतर एक साथ जाल लेकर उड़ गए। काफी दूर तक शिकारी ने उनका पीछा किया लेकिन  कबूतरों का झुंड उसकी आंखों से ओझल हो गया। फिर सभी कबूतर अपने राजा के आदेश पर महिलारोप्य शहर के अंदर जा पहुंचे।

जहां राजा चित्रग्रीव का दोस्त हिरण्यक मूसा रहता था। राजा ने अपने दोस्त को आवाज दी कि वह उसकी मदद करने को बाहर आए। तो हिरण्यक मूसा अपने बिल से बाहर आया और तुरंत अपने नुकीले दांतों से जाल को काट दिया। इसके बाद सभी कबूतरों ने मिलकर अपने राजा चित्रग्रीव और हिरण्यक मूसा को धन्यवाद कहा। फिर सभी आसमान की ओर उड़ गए।

शिक्षा – इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि विपदा के समय जो काम आएं, वह व्यक्ति ही मनुष्य का सच्चा दोस्त होता है।

एकता में शक्ति

Panchtantra ki Kahaniyan
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एक बार जंगल में एक कछुआ, चूहा और एक कौआ आपस में बातचीत कर रहे थे। तभी वहां एक हिरण आ गया। देखते ही देखते वह चारों एक दूसरे के सच्चे मित्र बन गए और हंसी खुशी जीवन व्यतीत करने लगे। एक बार जंगल में एक शिकारी आया और उसने हिरण को अपने जाल में फंसा लिया। जिसे बचाने के लिए शेष तीनों दोस्तों ने एक योजना बनाई और जाकर हिरण को बचाने लगे।

तभी अचानक शिकारी वहां आ गया। जिसे देखते ही चूहे ने जल्दी से हिरण का जाल कुतर दिया। जिसमें से निकलकर हिरण जंगल की ओर भाग गया। तो वहीं चूहा पेड़ में बने एक बिल में छुप गया और कौआ आसमान में उड़ गया लेकिन बेचारा कछुआ शिकारी की नजरों से बच ना सका। फिर तीनों दोस्तों ने मिलकर कछुए को शिकारी के चंगुल से छुड़ाने के लिए योजना बनाई।

कौए ने कहा कि हिरण मेरे दोस्त तुम तालाब के पास मृत होकर लेट जाना। उस दौरान में अपनी चोंच के माध्यम से तुम्हारी आंख निकालने का नाटक करूंगा। तभी शिकारी अपना थैला जिसमें उसने हमारे दोस्त कछुए को बंद कर लिया है। वह उसे छोड़ जाएगा और तुम्हें पकड़ने के लिए आगे बढ़ेगा। जैसे ही शिकारी तुम्हारी तरफ बढ़ेगा तुम जंगल की ओर भाग जाना। उधर तब तक चूहे भाई तुम शिकारी का थैला कुतर देना। कौए के कहेनुसार चूहे और हिरण ने ठीक वैसा ही किया।

शिकारी ने जब हिरण को तालाब किनारे मृत समझकर पकड़ना चाहा तो  शिकारी को आता देख हिरण उठकर जंगल की ओर भाग गया। तो वहीं दूसरी ओर चूहे ने शिकारी का थैला  काट दिया। जिसके बाद  चूहा कछुए को लेकर जंगल की ओर भाग गया। फिर जब शिकारी थैलेे के पास वापस आया तो उसने देखा कि थैले में कछुआ भी नहीं है। जिसके बाद उसे काफी निराशा हुई और चारों दोस्त फिर से साथ जीवन बसर करने लगे।

शिक्षा – इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि यदि हम एकजुट होकर कोई काम करें। तो उसमें हमें निश्चित ही सफलता प्राप्त होती है। 

जैसा करोगे वैसा मिलेगा

Panchtantra ki Kahaniyan
Panchtantra ki Kahaniyan

एक बार एक व्यापारी को व्यापार में काफी नुकसान हुआ। जिसके बाद उसने विदेश जाने की सोची लेकिन विदेश जाने के लिए उसके पास पर्याप्त धन नहीं था। ऐसे में उसने अपने लोहे के तराजू को एक महाजन के पास गिरवी रखवा दिया और बदले में उससे काफी सारे पैसे ले लिए।

विदेश से लौट आने के बाद जब व्यापारी महाजन के पास अपना लोहे का तराजू वापस लेने पहुंचा तो महाजन ने उसे यह कहकर लौटा दिया कि तुम्हारे लोहे के तराजू को चूहे ने कुतर दिया है। जिसके बाद व्यापारी को यह समझ आ गया कि महाजन अब उसे उसका लोहे का तराजू वापस नहीं करेगा। उसके बाद व्यापारी को एक युक्ति सूझी। उसने महाजन के बेटे को अपने साथ नदी पर स्नान के लिए ले जाने की बात कही। जिस पर महाजन ने अपने बेटे को व्यापारी के साथ स्नान पर भेज दिया। 

शाम को जब व्यापारी नदी से वापस आया तो महाजन ने उससे पूछा कि मेरा बेटा कहां है? तब व्यापारी ने उत्तर दिया कि तुम्हारे बेटे को चील उड़ा कर ले गई है। व्यापारी की बात सुनते ही महाजन को गुस्सा आ गया और उसने कहा अरे ! क्या इतने बड़े बच्चे को चील उड़ा कर ले जा सकती है? जिसके बाद व्यापारी ने महाजन को जवाब देते हुए कहा कि जैसे इतने बड़े बच्चे को चील उड़ाकर नहीं ले जा सकती है। ठीक वैसे ही मेरे लोहे के तराजू को चूहा भी नहीं कुतर सकता है। जिसके बाद महाजन को अपनी गलती पर पछतावा हुआ और उसने उसे उसका लोहे का तराजू वापस कर दिया। उसके बाद व्यापारी ने भी महाजन को उसका बेटा लौटा दिया और महाजन ने व्यापारी से अपने किए पर माफी मांग ली।

शिक्षा – इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हम जैसा व्यवहार दूसरों के साथ करेंगे। वैसा ही व्यवहार हमारे साथ होगा। इसलिए यदि हम अपना भला चाहते हैं तो हमें दूसरों के साथ भी करना होगा।

लालच बुरी बला है

Panchtantra Stories in Hindi
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एक बार एक नगर में हरिदत्त नाम का ब्राह्मण रहा करता था। जिसके पास संपत्ति के रूप में केवल उसका अपना खेत हुआ करता है। एक बार की बात है कि वह अपने खेत में लेटा हुआ था। तभी उसने देखा कि उसके आसपास एक सांप है, जैसे ही उसने उस सांप को देखा वह उसकी पूजा-अर्चना करने लगा। साथ ही उससे कहने लगा कि आप ही मेरे कर्ताधर्ता हो लेकिन आज तक मैं आपको पहचान नहीं पाया।

लेकिन अब जब आप मुझे मिल गए हो तो अब मैं आपकी ही पूजा करूंगा। फिर वह ब्राह्मण प्रतिदिन उस सांप की पूजा करने लगा। साथ ही वह सांप के लिए दूध भी रखने लगा। अगले दिन जब उसने दूध के बर्तन की ओर देखा तो उसने दूध के बर्तन में सोने की मुद्रा पाई। फिर अगले दिन भी उसने सांप की पूजा की और फिर उसके लिए दूध रखा तो फिर उसे एक सोने की मुद्रा मिली। फिर ऐसा प्रतिदिन होने लगा। एक बार ब्राह्मण को अपने गांव से कहीं बाहर जाना था। ऐसे में उसने अपने बेटे से कहा कि वह उसके पीछे सांप के पास दूध से भरा हुआ एक बर्तन रख दिया करे।

बेटे ने अपने पिताजी के कहेनुसार ठीक वैसा ही किया और उसने सांप के लिए प्रतिदिन एक बर्तन में दूध रखना शुरू कर दिया। अगले दिन ब्राह्मण के बेटे को भी वहां पर एक सोने की मुद्रा रखी हुई मिली।  जिसे देखकर ब्राह्मण के पुत्र के मन में लालच आ गया। उसने सोचा कि लगता है सांप के बिल के अंदर स्वर्ण की मुद्राओं का भंडार है। जैसे ही उसके मन में यह विचार आया उसने सोचा कि क्यों ना सांप को मारकर उसके बिल से सारी स्वर्ण मुद्राएं ले ली जाए। लेकिन उसे यह भय था कि कहीं सांप उसको डस ना ले। इसके लिए जब सांप दूध पीने के लिए बिल से बाहर निकला तो उसने उसके सिर पर लाठी से प्रहार कर दिया। ऐसे में सांप को तो कुछ नहीं हुआ लेकिन सांप के काटने से  ब्राह्मण का बेटे तुरंत ही मर गया।

शिक्षा – यह कहानी हमें यह सीख देती है मनुष्य को कभी लालच नहीं करना चाहिए अन्यथा उसका परिणाम बहुत बुरा होता है।

शेर के बच्चे की कहानी

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एक जंगल में एक शेर और शेरनी रहते थे। उनके दो बच्चे भी थे। शेर प्रतिदिन अपनी शेरनी और अपने बच्चे के भोजन के लिए शिकार करके लाता था। एक दिन वह जंगल से बिना शिकार के ही वापस लौट रहा था। तभी उसे रास्ते में एक गीदड़ का बच्चा मिला जिसे देखकर उसके मन में दया आ गई और वह उसे जीवित ही अपनी पत्नी के पास ले आया और उसने शेरनी से कहा कि प्रिय अगर तुम चाहो तो इसे मार कर खा सकती हो।

जिस पर शेरनी ने कहा कि यदि तुम इस बच्चे को जीवित लाए हो तो अब मैं इसे मारकर कैसे खा सकती हूं? अब मैं गीदड़ के बच्चे को भी अपने बच्चे की भांति ही पालूंगी। जिसके बाद शेरनी ने गीदड़ के बच्चे को अपने बच्चे की तरह ही पाला और उसे अपना दूध भी पिलाया और देखते ही देखते तीनों बच्चे एक साथ बड़े हो गए। एक बार की बात है जंगल में कई सारे हाथियों का झुंड आ गया।

जिसे देखकर शेरनी के तीनों बच्चे उनके पास गए और शेरनी के दो बच्चे हाथी पर दहाड़ने लगे लेकिन शेरनी के तीसरे बच्चे ने हाथियों का विरोध नहीं किया और उसने कहा कि हम सब एक ही कुल के हैं। हमें किसी का विरोध नहीं करना चाहिए और ऐसा कह कर वह अपने घर की ओर लौट आया। उसे देखकर शेरनी के दोनों बच्चे भी घर की तरफ लौट आए और उन्होंने घर आकर शेर और शेरनी को तीसरे बच्चे की कहानी बताई। साथ ही उस पर हंसने भी लगे। जिस पर शेरनी ने अपने तीसरे बच्चे को समझाया कि वह बुरा ना माने क्योंकि वह उनके कुल का नहीं है।

अपनी माता के मुख से यह बात सुनकर शेरनी का तीसरा बच्चा काफी नाराज हो गया और वह मुंह फुला कर बैठ गया। जिसके बाद शेरनी ने उसे समझाया कि तुम शेर के नहीं बल्कि गीदड़ के बच्चे हो और तुम्हारे कुल में हाथियों का विरोध नहीं किया जाता है। तुम हमें रास्ते में मिल गए थे इसीलिए मैंने तुम्हें पाला। अब तुम्हें अपने कुल के पास चले जाना चाहिए ताकि तुम उनके साथ सुरक्षित महसूस कर सको। ऐसा सुनते ही गीदड़ का बच्चा वहां से तुरंत चला गया और अपने गीदड़ कुल में जाकर मिल गया।

शिक्षा – शेर और गीदड़ के बच्चे की इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि व्यक्ति जिस कुल में पैदा होता है, उसमें उसी के संस्कार आते है। चाहे उसकी परवरिश अन्य किसी कुल में ही क्यों ना हुई हो।

शुभचिंतकों की बात पर कहानी

Panchtantra Stories in Hindi
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एक धोबी के पास एक गधा था। जोकि अपने गधे से दिनभर सामान ढोने का काम करवाता था लेकिन ना तो उसे खाने के लिए चारा देता था और ना ही उसकी परवाह करता था। इतना ही नहीं गधे को रात में चरने के लिए खुला छोड़ देता था लेकिन सही समय पर खाना ना मिलने से गधा काफी दुर्बल हो गया था। ऐसे में एक रात गधे की मुलाकात गीदड़ से हुई जिसने पूछा कि भैया आपकी हालत क्यों खराब है?

गधे ने बताया कि मेरा मालिक मुझे खाने के लिए कुछ नहीं देता है और रात में भटकने के लिए छोड़ देता है। ऐसे में मैं भुखमरी का शिकार हो गया हूं। गधे की बात सुनकर गीदड़ ने कहा कि भाई अब तुम्हें भूखा नहीं सोना पड़ेगा। चलो मैं तुम्हें एक जगह ले चलता हूं। जहां हमें खाने को खूब सारी सब्जियां और फल मिलेंगे। इसके बाद दोनों  रोज एक बाग में जाने लगे। देखते ही देखते कुछ दिनों में गधे का स्वास्थ्य पहले जैसा हो गया और धीरे-धीरे उसकी तबीयत में भी सुधार आने लगा।

एक बार गधा गाना गाने की जिद करने लगा।  जिस पर गीदड़ ने कहा कि यदि तुम्हारे गाना गाने से चौकीदार उठ गए तो हमें वह डंडे से मारेंगे। लेकिन गधे ने गीदड़ की एक बात नहीं सुनी और बोला कि मेरे संगीत के बारे में तुम्हें क्या मालूम। मैं तो गाना गाऊंगा। मेरा गाना सुनकर चौकीदार तो क्या बाग का मालिक भी मेरे लिए फूलों की माला लेकर आएगा। गीदड़ ने कहा, नहीं भाई तुम चाहो तो मैं तुम्हारे गले में फूलों की माला डाल दूं लेकिन तुम गाना मत गाओ। पर गधे ने गीदड़ की एक नहीं मानी और गीदड़ फिर गधे को छोड़ कर वहां से भाग गया। उसके बाद गधे ने गाना गाना शुरू कर दिया। गधे का गाना सुनकर चौकीदार उठ गए और फिर उन्होंने डंडे से पीट-पीटकर गधे को अधमरा कर दिया।

शिक्षा – इस प्रकार गधे और गीदड़ की कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें सदैव अपने शुभचिंतकों की बात का सम्मान करना चाहिए। ताकि आने वाले खतरे से स्वयं की रक्षा कर सकें।

भीड़ का हिस्सा ना बनें

Panchtantra Stories in Hindi
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एक तालाब में कई सारी मछलियां और एक कछुआ रहता था। उसी तालाब में दो बुद्धिमान मछलियां रहती थी। जिनका नाम शत बुद्धि और सहस्त्र बुद्धि था। एक बार की बात है कि दो मछुआरे आपस में तालाब पर जाल डालने की बात कर रहे थे, जिसे सारी मछलियों ने सुन लिया। मछुआरों की बात सुनकर सभी मछलियां परेशान हो गई और सब मिलकर इस बात पर विचार करने लगी कि अब मछुआरों से कैसे बचा जाएगा।

जिस पर दोनों बुद्धिमान मछलियों ने कहा कि वह लोग परेशान ना हो। पहली बात तो मछुआरे आएंगे नहीं और यदि आए तो वह दोनों अपनी बुद्धिमता से मछलियों की रक्षा करेंगी। उन्होंने कहा कि हम किसी भी शत्रु के डर से अपने पूर्वजों के घर को तो नहीं छोड़ सकते। लेकिन तालाब में रहने वाले कछुए ने उन मछलियों की बात नहीं मानी और वह अपनी पत्नी को लेकर दूसरे तालाब में चला गया। अगले दिन मछुआरों ने तालाब में जाल डाल दिया। जिसमें एक-एक करके सारी मछलियां फंस गई। और  बुद्धिमान मछलियों ने भी काफी कोशिश की लेकिन वह भी मछुआरों के जाल से बच ना सकी और धीरे-धीरे तड़प कर मर गई। जिसके बाद कछुए ने अपनी प्रियसी से कहा कि देखा भीड़ से हटकर अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करने पर  आज हम कम से कम जीवित तो हैं।

शिक्षा – इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें विपत्ति के समय अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करना चाहिए। अन्यथा भीड़ का हिस्सा बनकर हम अपनी जान जोखिम में डाल सकते हैं।

आलस्य का त्याग

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एक गांव में एक ब्राह्मण अपने परिवार के साथ रहता था। वह एक खुशहाल जीवन बसर कर रहा था क्योंकि उसके पास सुंदर और होनहार पत्नी, दो बच्चे और एक खेत था। परन्तु वह ब्राह्मण हर काम को करने में सदैव आलस्य दिखाया करता था। उसकी पत्नी उसे समझाने का काफी प्रयास करती थी कि तुम अपना सारा काम स्वयं किया करो लेकिन ब्राह्मण कभी अपनी पत्नी की बात नहीं सुनता था। वह कहा करता था कि वह कोई काम नहीं करेगा।

तभी एक बार ब्राह्मण के घर पर एक साधु पधारे। ब्राह्मण ने तन, मन, धन से उनकी सेवा की। जिससे प्रसन्न होकर साधु ने ब्राह्मण से एक वरदान मांगने को कहा। जिस पर ब्राह्मण ने साधु से कहा कि महाराज आप मुझे ऐसा वरदान दो कि मुझे अपना कोई काम खुद ना करना पड़े। बल्कि कोई ऐसा व्यक्ति दे दीजिये जो सदैव मेरा काम कर दे। जिस पर साधु  ब्राह्मण को तथास्तु कहकर वहां से चले गए। जाते जाते साधु ने ब्राह्मण को चेताया कि मैं तुम्हें उपयुक्त वरदान तो दे रहा हूं।

लेकिन तुम्हें ध्यान रखना होगा कि तुम्हें उस व्यक्ति को सदैव कोई ना कोई काम देते रहना होगा। अन्यथा वह तुम्हें खा जाएगा। जिस पर ब्राह्मण ने साधु को हामी भर दी। साधु के जाने के तुरंत बाद ब्राह्मण के सामने एक जिन्न प्रकट हुआ। जिसने ब्राह्मण से काम मांगना शुरू कर दिया। जिस पर ब्राह्मण ने उसे खेत में पानी डालने को कहा। थोड़ी देर बाद जिन्न ब्राह्मण के पास दुबारा काम मांगने आ गया। ऐसे में ब्राह्मण पहले तो घबरा गया लेकिन फिर उसने उसे खेत जोतने के लिए भेज दिया और जैसे ही ब्राह्मण भोजन करने बैठा। उतने में ही जिन्न फिर से ब्राह्मण के सामने उपस्थित हो गया। वह ब्राह्मण से कहने लगा मुझे काम दो वरना मैं तुम्हें खा जाऊंगा।

इतने में ब्राह्मण की पत्नी ने जिन्न को आदेश दिया कि वह उनके कुत्ते मोती की पूंछ को सीधा करे। जिसके बाद जिन्न वहां से चला गया और तब ब्राह्मण ने चैन की सांस ली। फिर उसे अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने अपनी पत्नी से वादा किया कि अब से वह आलस्य का त्याग करके अपने काम स्वयं करेगा। जिसके बाद अगली सुबह ब्राह्मण जब खेत की ओर जाने के लिए घर से निकला तो उसने देखा कि जिन्न अभी तक उसके कुत्ते की पूंछ को सीधा करने में लगा हुआ था। जिसे देखकर ब्राह्मण को काफी हंसी अाई और वह जिन्न को यह कहकर खेत की ओर चल दिया कि तुम अभी तक इसी काम में लगे हो, अभी तो तुम्हें और भी काम करने हैं।

शिक्षा – हमें इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि हमें किसी भी कार्य को करने के पहले अपने आलस्य का त्याग करना होगा। तभी हम उस कार्य को पूर्ण कर पाएंगे।

आत्मविश्वास की कमी

पंचतंत्र की कहानियाँ
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एक मंदिर में एक साधु रहा करता था। जिसे मंदिर के लोग वस्त्र, कपड़ा, पैसा इत्यादि दान दे जाया करते थे। जिससे उस साधु को किसी भी चीज की कोई कमी नहीं होती थी। तो वहीं साधु हर रात बचे हुए भोजन को खूंटी पर टांग दिया करता था। ताकि सुबह उसे गरीबों में बांट सकें। लेकिन कुछ रातों से उसके साथ एक अजीब सी घटना हो रही थी। उसने देखना कि रात को वह जो खाना खूंटी पर टांगता है, वह सुबह होते ही गायब हो जाता है।

जिस पर साधु ने आश्चर्य प्रकट किया और एक रात जागकर उसने यह पता लगाने की कोशिश की। आखिर उसका खाना गायब कहां हो जाता है। जिसके बाद उसने देखा कि एक छोटा सा चूहा हर रात खूंटी पर चढ़कर भोजन लेे जाता था। उस रात से साधु ने भोजन को खूंटी ऊंची करके टांग दिया। लेकिन अगली रात जब साधु ने देखा तो वहां से बचा हुआ भोजन फिर गायब हो गया था। जिस पर साधु ने सोचा कि चूहा इतनी ऊंची खूंटी पर कैसे चढ़ गया।

जिस पर उन्होंने एक रात चूहे का पीछा किया। तब साधु ने देखा कि चूहे के बिल में काफी सारा भोजन एकत्रित है। जिसके कारण ही चूहा इतनी ऊंची खूंटी पर चढ़ जाया करता था। ऐसे में अगले दिन साधु ने चूहे के बिल से सारा भोजन बाहर निकाल लिया और उसे गरीबों में बांट दिया। जिसके बाद जब चूहा अपने बिल में पहुंचा। तो सारा भोजन गायब देखकर उसका आत्मविश्वास कमजोर पड़ गया और अगले दिन वह आत्मविश्वास की कमी के चलते खूंटी तक नहीं पहुंच पाया और साधु ने उसे मंदिर से भगा दिया।

शिक्षा – इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि उपलब्ध संसाधनों के अभाव में व्यक्ति आत्मविश्वास खो देता है। इसलिए व्यक्ति को अपने पास जो पहले से मौजूद है, उस पर भरोसा करना चाहिए।

चतुराई से निर्णय लेना

पंचतंत्र की कहानियाँ
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एक जंगल में कई सारे जानवर रहा करते थे। लेकिन उस जंगल के सभी जानवर अपने राजा शेर के आंतक से काफी परेशान थे। उनका मानना था कि यदि उनका राजा शेर एक एक करके जंगल के सारे जानवरों को खा गया तो जंगल में एक भी जानवर नहीं बचेगा। ऐसे में इसका उपाय खोजने के लिए जंगल के सारे जानवरों ने मिलकर शेर से मिलने की योजना बनाई। जंगल के सारे जानवरों को अपनी ओर आता देख शेर चौकन्ना हो गया।

उसने पूछा कि तुम सब लोग यहां क्यों आए हो? जिस पर सारे जानवरों ने शेर से कहा कि महाराज यदि आप एक एक करके जंगल के सारे जानवरों को खा जाएंगे तो फिर आपकी सारी प्रजा समाप्त हो जाएगी। आप अपनी गुफा से बाहर मत निकला करिए। हम स्वयं आपके लिए भोजन की व्यवस्था करेंगे। सभी जानवरों के आग्रह के बाद शेर ने उनकी बात मान ली और कहा ठीक है लेकिन यदि तुम लोगों ने मेरी भूख को इंतजार करवाया तो मैं तुम सबको मारकर खा जाऊंगा। जिसके बाद प्रतिदिन एक जानवर को शेर के पास भेजा जाता था। कुछ दिनों बाद जब खरगोश की बारी आई तो उसने शेर से सभी जानवरों को बचाने के लिए एक उपाय सोचा। वह जानबूझ कर देर से शेर के पास पहुंचा। जिससे शेर क्रोधित हो गया।

लेकिन खरगोश ने उसे बताया कि उसे रास्ते में एक दूसरा शेर मिल गया था। जिससे बचकर वह आपके पास पहुंचा है। खरगोश की यह बात सुनकर शेर को और गुस्सा आने लगा। उसने कहा कि मेरे अलावा इस जंगल में दूसरा शेर कौन है, चलो मुझे उससे मिलवाओ। शेर के इतना कहते ही खरगोश उसे कुएं की तरफ ले गया। जहां कुएं में अपनी परछाई को देखकर शेर ने दहाड़ना शुरू कर दिया और उसने कुंए में छलांग लगा दी। इस प्रकार खरगोश की सूझ बूझ से जंगल के सभी जानवरों की जान बच गई।

शिक्षा – इस कहानी से हमें यह प्रेरणा लेनी चाहिए कि चाहे कितनी भी विपदा आ जाए। हमें सदैव बुद्धिमता और होशियारी से काम लेना चाहिए।

इस प्रकार हम उम्मीद करते हैं कि आपको पंचतंत्र की कहानियाँ [panchatantra ki kahaniya] पसंद आई होंगी। यह कहानियां आपके बच्चों के नवनिर्माण चरित्र का साधन बनेंगी और उन्हें एक अच्छा इंसान बनाने में मददगार साबित होंगी। इसी प्रकार की ज्ञानप्रद कहानियों और विचारों को पढ़ने के लिए Gurukul99 को लाइक करना ना भूलें।


अंशिका जौहरी

मेरा नाम अंशिका जौहरी है और मैंने पत्रकारिता में स्नातकोत्तर कर रही हूं। मुझे सामाजिक चेतना से जुड़े मुद्दों पर बेबाकी से लिखना और बोलना पसंद है।

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