वाक्यों में प्रयुक्त जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम के स्थान पर प्रयोग होते हैं, वह संबंधबोधक (Sambandh bodhak) शब्द कहलाते हैं। दूसरे शब्दों में, जो शब्द किसी वाक्य में संज्ञा या सर्वनाम से पहले प्रयुक्त होकर उसका संबंध अन्य शब्दों के साथ कराते हैं। वह संबंधबोधक शब्द होते हैं। उदाहरण-
- मेरे स्कूल के सामने एक मंदिर है।
- हमारे घर के पीछे एक नदी निकलती है।
- तुम कमरे में आ जाओ।
- यहां से कुछ ही दूरी पर मेरा घर है।
- सूर्य पूर्व में निकलता है।
Sambandhbodhak ke Bhed
अर्थ के आधार पर भेद
- स्थानवाचक संबंधबोधक – जो संबंधबोधक शब्द स्थान का बोध कराते हैं, वह स्थानवाचक संबंधबोधक कहलाते हैं। उदाहरण- नीचे, ऊपर, पीछे, आगे, भीतर, बाहर आदि।
- दिशाबोधक संबंधबोधक – जिन शब्दों से दिशा का बोध होता है, वह दिशाबोधक संबंधबोधक शब्द होते हैं। उदाहरण- सामने, निकट, प्रति, समीप, तरफ आदि।
- कालवाचक संबंधबोधक – संबंधबोधक शब्दों से जब समय के बारे में ज्ञात होता है, तो वह कालवाचक संबंधबोधक कहलाते हैं। उदाहरण- पहले, बाद, आगे, उपरांत, पश्चात् आदि।
- साधनवाचक संबंधबोधक – जो अव्यय किसी वाक्य में साधन का भाव प्रकट करते हैं, वह साधनवाचक संबंधबोधक होते हैं। उदाहरण- जरिए, सहा, माध्यम, मार्फत, निमित्त आदि।
- कारणवाचक संबंधबोधक – जिन शब्दों से वाक्य में कारण का बोध होता है, वह कारणवाचक संबंधबोधक होते हैं। उदाहरण- कारण, हेतु, वास्ते, खातिर, निमित्त आदि।
- सीमावाचक संबंधबोधक – जिन संबंधबोधक शब्दों से सीमा का बोध होता है, वह सीमावाचक संबंधबोधक कहलाते हैं। उदाहरण- तक, पर्यन्त, भर, मात्र, आदि।
- विरोधसूचक संबंधबोधक – जिन अव्यय शब्दों से विरोध का भाव स्पष्ट होता है, वह विरोधसूचक संबंधबोधक शब्द होते हैं। उदाहरण – उल्टे, विरुद्ध, विपरीत, प्रतिकूल आदि।
- समतासूचक संबंधबोधक – जिन शब्दों से किसी वाक्य में समानता ज्ञात होती है, वहां समतासूचक संबंधबोधक होते हैं। जैसे :- समान आदि।
- हेतुवाचक संबंधबोधक – जिन वाक्यों में रहित, सिवा, अथवा आदि शब्दों का प्रयोग होता है, वह हेतुवाचक संबंधबोधक होते हैं।
- सहचरसूचक संबंधबोधक – जहां साथ, संग, समेत आदि शब्दों का प्रयोग हो, वह सहचरसूचक संबंधबोधक शब्द कहलाते हैं।
- विषय़वाचक संबंधबोधक – जिन वाक्यों में विषय, लेख आदि का जिक्र होता है, वहां विषय़वाचक संबंधबोधक शब्द होते हैं।
- संग्रवाचक संबंधबोधक– जिन वाक्यों मौन समेत, भर, तक आदि शब्दों का समावेश होता है, वहां संग्रवाचक संबंधबोधक होता है।
प्रयोग के आधार पर भेद
- स्विभक्तिक संबंधबोधक – वाक्य में जो शब्द विभक्ति समेत संज्ञा और सर्वनाम के बाद आते हैं, वह स्विभक्तिक संबंधबोधक होते हैं। उदाहरण – आगे, पीछे, ऊपर, नीचे, दूर आदि।
- निर्विभक्तीक संबंधबोधक – किसी वाक्य में जो शब्द बिना विभक्ति के प्रयुक्त होते हैं, वह निर्विभक्तीक संबंधबोधक कहलाते हैं। उदाहरण – पर्यन्त, भर, समेत आदि।
- उभय विभक्ति संबंधबोधक – जो शब्द वाक्य में विभक्ति के बिना और विभक्ति के साथ प्रयुक्त होते हैं, वह उभय विभक्ति संबंधबोधक कहलाते हैं। उदाहरण – द्वारा, बिना, रहित आदि।
रूप के आधार पर भेद
- मूल संबंधबोधक – किसी वाक्य में प्रयुक्त जो शब्द सदैव अपने मूल रूप में रहते हैं, वह मूल संबंधबोधक होते हैं। उदाहरण :- बिना, समेत, तक आदि।
- यौगिक संबंधबोधक – जो अव्यय शब्द वाक्य में मौजूद संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया और विशेषण आदि के योग से बनते हैं, वह यौगिक संबंधबोधक कहलाते हैं। उदाहरण – पर्यन्त आदि।

अंशिका जौहरी
मेरा नाम अंशिका जौहरी है और मैंने पत्रकारिता में स्नातकोत्तर किया है। मुझे सामाजिक चेतना से जुड़े मुद्दों पर बेबाकी से लिखना और बोलना पसंद है।