वाक्यों में जब दो शब्दों या वाक्यों को जोड़ने के लिए संयोजक चिह्नों का प्रयोग किया जाता है, तो उन्हें समुच्चयबोधक कहते है। यह चिह्न मुख्यता दो शब्दों, वाक्यों और वाक्याशों को जोड़ने के लिए प्रयोग में लाए जाते हैं। इन संयोजक चिह्नों को योजक कहते हैं। साथ ही अव्यय के चलते इसे समुच्चय बोधक अव्यय भी माना जाता है। उदाहरण – परंतु, क्योंकि, हालांकि, लेकिन, अत:, जोकि, एवं, और आदि।
- सीता ने खाना बनाया और वह मंदिर चली गई।
- अगर तुम परिश्रम करोगे तभी सफल हो पाओगे।
- मोहन ने प्रयास किया और वह पास हो गया।
- बेशक तुम अच्छे हो लेकिन तुमने गलत का साथ देकर अधर्म किया है।
- राम और श्याम अच्छे दोस्त हैं।
समुच्चय बोधक के भेद – Samuchchay Bodhak ke Bhed
समुच्चय बोधक के दो भेद होते हैं – समानाधिकरण समुच्चयबोधक और व्यधिकरण समुच्चयबोधक।
समानाधिकरण समुच्चय बोधक
वह समुच्चयबोधक शब्द जो सामान प्रकार के वाक्यों, शब्दाशों और वाक्याशों को जोड़ने का कार्य़ करते हैं, वह समानाधिकरण समुच्चयबोधक कहलाते हैं। उदाहरण- और, तो, तथा आदि।
भाई और बहन में असीम प्रेम है।
तुम अकेले चले जाओगे तो मैं किसके साथ जाऊंगा?
समानाधिकरण समुच्चयबोधक के छह प्रकार हैं-
1. संयोजक समानाधिकरण समुच्चय बोधक – जब समुच्चयबोधक शब्द दो या दो से अधिक वाक्यों को जोड़ते हैं, तब वहां संयोजक समानाधिकरण समुच्चयबोधक होते हैं। उदाहरण- भी, व, तथा, एवं आदि।
- आम और सेब दोनों फल हैं।
- राम और मोहन मिलकर विद्यालय जा रहे हैं।
2. विभाजक समानाधिकरण समुच्चय बोधक – जो समुच्चयबोधक शब्द दूसरे वाक्यों, शब्दों और वाक्याशों में विभाजन का बोध कराते हैं, वह विभाजक समानाधिकरण समुच्चयबोधक कहलाते हैं। उदाहरण- ताकि, या, चाहे, नहीं तो, अन्यथा आदि।
- काम निपटा लो वरना डांट पड़ेगी।
- उसने काफी मेहनत की फिर भी जीत न सका।
3. विकल्पसूचक समानाधिकरण समुच्चय बोधक – वाक्यों में मौजूद जिन अव्यय शब्दों से किसी प्रकार के विकल्प का भाव प्रकट होता है, तो वह शब्द विकल्पसूचक समानाधिकरण समुच्चयबोधक कहलाते हैं। उदाहरण- या, अथवा, कि आदि।
- तुम सफाई कर सकते हो या नहीं।
- तेज चलो अन्यथा ट्रेन छूट जाएगी।
4. विरोधदर्शक समानाधिकरण समुच्चय बोधक – जो समुच्चयबोधक शब्द दो विरोधीभासी कथनों और वाक्यों को जोड़ने का कार्य़ करते हैं, वह विरोधदर्शक समानाधिकरण समुच्चयबोधक शब्द कहलाते हैं। उदाहरण- किन्तु, मगर, बल्कि, लेकिन आदि।
- मैंने उसे रोका था लेकिन वह नहीं रूका।
- गीता बाजार गई थी परंतु अभी तक लौटी नहीं।
5. परिमाणदर्शक समानाधिकरण समुच्चय बोधक – जो शब्द किसी वाक्य में प्रयुक्त होकर उपवाक्यों को जोड़ते हैं। इसके साथ ही परिणाम का भाव भी दर्शाते हैं, वह परिमाणदर्शक समानाधिकरण समुच्चयबोधक शब्द कहलाते हैं। उदाहरण- फलस्वरूप, अन्यथा, इसलिए, अतएव आदि।
- ये खाना खराब है अतएव इसे नहीं खाना चाहिए।
- आप मेरी सहायता करेंगे इसलिए मैं आपके पास आया हूं।
6. वियोजक समानाधिकरण समुच्चय बोधक – जिन समुच्चबोधक अव्ययों के वाक्य में प्रयुक्त होने पर उससे जुड़ने या त्याग होने का बोध होता है, वहां वियोजक समानाधिकरण समुच्चयबोधक शब्द होते हैं। उदाहरण- या, न, अथवा आदि।
- न तो तुमने औऱ न ही तुम्हारे भाई ने मेरी मदद की।
- मोहन तथा राकेश दोनों यहां नहीं हैं।
व्यधिकरण समुच्चय बोधक
जो समुच्चयबोधक शब्द वाक्य में मौजूद प्रधान और उपवाक्यों को जोड़ते हैं, वह व्यधिकरण समुच्चयबोधक शब्द कहलाते हैं। उदाहरण- यद्यपि, इसलिए, तथापि आदि। इसके चार भेद होते हैं।
1. कारणसूचक व्यधिकरण समुच्चय बोधक – जो समुच्चयबोधक शब्द पहले वाक्य का समर्थन करते हैं और किसी उपवाक्य के कर्म का कारण व्यक्त करते हैं, वह कारणसूचक व्यधिकरण समुच्चयबोधक कहलाते हैं। उदाहरण- इसलिए, चूंकि, ताकि, कि, इस कारण आदि।
- तुम शांति से बैठो ताकि मैं अपना काम कर संकू।
- वह सुंदर है इसलिए मेरी प्रेमिका है।
2. संकेतसूचक व्यधिकरण समुच्चय बोधक – जब दो वाक्यों में से किसी एक पूर्ण वाक्य से दूसरे उत्तर वाक्य में किसी प्रकार की घटना का उल्लेख मिलता हो, तब वहां संकेतसूचक व्यधिकरण समुच्चयबोधक शब्द होते हैं। उदाहरण- यदि, तो, यद्पि, तथापि, परंतु आदि।
- अगर तुमने पैसे ना लौटाएं तो मैं तुम्हारी शिकायत कर दूंगा।
- तुम यदि ऐसे ही करोगे तो कभी सफल नहीं होगे।
3. उद्देश्यसूचक व्यधिकरण समुच्चय बोधक – जो समुच्चयबोधक शब्द दो या दो से अधिक प्रकार के वाक्यों को जोड़कर उनका उद्देश्य व्यक्त करते हैं, वह उद्देश्यसूचक व्यधिकरण समुच्चयबोधक होते हैं। उदाहरण- जो, ताकि, इसलिए, कि, जिससे आदि।
- हमेशा अच्छे कार्य़ करो ताकि दुनिया तुम पर गर्व कर सके।
- वह मेरे पास आया ताकि पैसे मांग सके।
4. स्वरूपसूचक व्यधिकरण समुच्चय बोधक – जो समुच्चयबोधक शब्द किसी वाक्य का अर्थ व्यक्त करते हैं, वह स्वरूपसूचक व्यधिकरण समुच्चयबोधक शब्द कहलाते हैं। उदाहरण- यानि, कि, मानो, अर्थात्, जैसे आदि।
- तुम आज इतनी सुंदर लग रही हो जैसे कोई चांद हो।
- महात्मा कहते हैं कि इंसान को बुरे कर्मों से डरना चाहिए।
