Sanatan Dharm Kya Hai
सनातन धर्म और हिंदू धर्म को प्राय: लोग एक ही मानते हैं। उनका मानना है कि वर्तमान में जो हिंदू धर्म के नाम से प्रचलित है, वह आरंभ में सनातन धर्म के नाम से ही जाना जाता था।
सनातन का मूल अर्थ होता है, शाश्वत या सदा बना रहने वाला। यानि जिसका ना कभी आरंभ हुआ है और ना ही कभी अंत होगा। यह विश्व का तीसरा सबसे प्राचीन धर्म है। जिसके पूरी दुनिया में लगभग 90 करोड़ अनुयायी हैं।
सनातन धर्म में मुख्य रूप से वेदों का अध्ययन किया जाता है और ईश्वर के विभिन्न रूपों की पूजा भी की जाती है। यह धर्म स्वयं में कई प्रकार के रहस्यों, मान्यताओं और पद्धतियों को समेटे हुए है। इसलिए आज हम सनातन धर्म की स्थापना, उद्देश्य और महत्व के बारे में जानेंगे?
सनातन धर्म की उत्पत्ति – Sanatan Dharma Origin
आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद ने वैदिक धर्म को सनातन धर्म कहा है। उनके अनुसार, सनातन धर्म वैदिक काल से ही अस्तित्व में आया है। इस आधार पर कहा जा सकता है कि आज से करीब 90 हजार साल पहले सनातन धर्म की स्थापना हुई थी। जिसकी स्थापना का श्रेय स्वयं भगवान ब्रह्मा जी को दिया जाता है।
हालांकि भारतीय इतिहास में सनातन धर्म की उत्पत्ति को लेकर कई मतभेद भी मौजूद है। लेकिन पुरातात्विक साक्ष्यों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि सनातन धर्म की उपस्थिति के प्रमाण सिंधु घाटी सभ्यता के समय में भी देखने को मिलते हैं।
जहां खुदाई के बाद अनेकों देवी देवताओं की मूर्तियां मिली थीं। साथ ही उस दौरान जिस जाति का प्रादुर्भाव हुआ था। वह आर्य जाति के लोग भी ईश्वर के उपासक हुआ करते थे। लेकिन मुगल शासकों के भारत आते ही सनातन संस्कृति की पहचान धूमिल होने लगी थी। उन्होंने सम्पूर्ण भारत वर्ष पर इस्लाम को अपनाने का जोर बनाना प्रारंभ कर दिया।
ऐसे में सनातन संस्कृति के उपासकों ने अथक प्रयासों से सनातन धर्म के मूल्यों को जीवित रखने का प्रयास किया। माना जाता है कि इसके बाद सनातन धर्म को मानने वाले लोगों को ब्रिटिश हुकूमत द्वारा जनगणना की दृष्टि से हिंदू कहा जाने लगा।
हालांकि सनातन धर्म को जानने वालों के लिए सनातनी रहस्यों को समझना इतना आसान नहीं है। लेकिन सनातन धर्म का उपासक होने के लिए आपका वेदांत और मीमांसा आदि में विश्वास होना ही काफी होता है।
सनातन धर्म के प्रकार – Sanatan Dharm ke Prakar
मुख्य रूप से सनातन धर्म को अलग अलग युगों के आधार पर पांच भागों में बांटा गया है। परंतु सनातन धर्म की मुख्य शिक्षा इसके प्रत्येक अनुयायी को यही सिखाती है कि समस्त देवताओं में एक ही ईश्वर का वास है। कहते हैं तभी से सनातन धर्म को मानने वाले अनुयायियों के लिए यह सनातनी संस्कृति सर्वश्रेष्ठ हो गई। जिसके चलते आज भी इसके द्वारा प्रसारित किए गए ज्ञान की ज्योति से सम्पूर्ण विश्व रोशन हो रहा है।
गणपत्य – इस समूह के लोग भगवान श्री गणेश की उपासना किया करते थे। वर्तमान में किसी भी धार्मिक अनुष्ठान से पहले भगवान श्री गणेश जी की ही पूजा की जाती है।
शैव – इस समुदाय से जुड़े लोग भगवान शंकर की आराधना किया करते थे। इसी समय भगवान शंकर से जुड़े मंदिरों और शिवलिंग का महत्व स्वीकार किया गया था।
वैष्णव – यह लोग समस्त संसार के पालनहार भगवान विष्णु को पूजते थे। इनके अनुसार भगवान विष्णु ने सदैव धरती पर अवतार लेकर मानवों के प्राणों की रक्षा की है। इसलिए इन्हें वैष्णव संप्रदाय के रूप में जाना जाने लगा।
सौर – इस समुदाय के लोग सूर्य देवता के उपासक थे। जोकि सूर्य देवता की पूजा को सर्वोत्तम मानते थे।
शाक्त – यह लोग देवी मां और उनके समस्त रूपों की आराधना किया करते थे। इनके मुताबिक दुर्गा माता इनके समस्त दुखों को हरने वाली हैं।
सनातन धर्म से जुड़ी रोचक बातें
- यह धर्म सृष्टि की रचना के बाद उत्पन्न हुआ माना जाता है। जिसमें कुल 33 करोड़ देवी देवताओं का उल्लेख किया गया है।
- सनातन धर्म में मानव शरीर को आत्मा का निवास स्थान बताया गया है। जो मानव की मृत्यु के बाद भी जीवित रहती है।
- यह धर्म मानव को आध्यात्मिक, मानसिक और शारीरिक सुखों की अनुभूति का ज्ञान कराता है।
- मानव को इस धरती पर अपने कर्मों का भोग करने के लिए जन्म लेना पड़ता है और समय पूर्ण हो जाने पर उसकी मृत्यु भी निश्चित है। यह धर्म कर्मों के बाद फल के भोग के सिद्धांत का प्रतिपादन करता है।
- सनातन धर्म एकमात्र ऐसा धर्म है जिसमें नारी को पुरुष की जीवनसाथी और अर्धांगिनी माना गया है।
- आपको जानकर आश्चर्य होगा कि सनातन धर्म में शोक या दुख का कोई स्थान नहीं हैं। यहां भगवान श्री राम, श्री कृष्ण, श्री गणेश और भगवान शंकर के जन्मदिन को हर्षोल्लास से मनाया जाता है।
- अगर आप सनातन धर्म के अनुयायी हैं तो आप बंधन मुक्त है। इसमें आप किसी भी तरीके से मंदिर जाने को बाध्य नहीं है। ना ही भगवान की उपासना करने को। क्योंकि सनातनी संस्कृति के अनुसार, धरती पर प्रत्येक जगह ईश्वर विद्यमान है।
- उपरोक्त धर्म में काम को मनुष्य जीवन के लिए आवश्यक तो बताया गया है। लेकिन उसकी अधिकता होने पर उसके अंत का भी जिक्र किया गया है।
- इस धर्म में ही चार युगों का वर्णन किया गया है। जिसके मुताबिक वर्तमान युग कलियुग है। जहां अधर्म का नाश करने और धर्म की स्थापना के लिए भगवान विष्णु कल्कि का अवतार लेंगे।
- साथ ही यह आवश्यक नहीं है कि आप मूर्ति पूजा करो। सनातन धर्म में साकार और निराकार दोनों ही भगवान की उपासना करने को श्रेयस्कर माना गया है।
इस प्रकार, सनातन धर्म ही मानव को जीवन जीने से लेकर मृत्यु और मोक्ष का रास्ता बताता है। इसके अनुसार जैसे प्रकृति की पांच अवस्थाएं होती हैं, आकाश, वायु, जल, आग और पृथ्वी। ठीक उसी प्रकार से मानव की भी अवस्थाएं होती हैं। प्राण, अपान, समान और यम। और जो व्यक्ति सत्य, अहिंसा, न्याय, दया, क्षमा, जप, तप, दान इत्यादि गुणों को अपनाते हैं। असल में वही सनातनी संस्कृति के सच्चे उपासक हैं।
सनातन धर्म के विषय में ऋग्वेद में भी लिखा है कि…..
सनातन धर्म के मार्ग पर चलकर ही मनुष्य प्रगति करता है। उसी से मानव जीवन का अस्तित्व है। इसलिए हे मानव, कृपया अपनी उत्पत्ति के आधार को यूं व्यर्थ ना जानें।
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2 thoughts on “Sanatan Dharma | सनातन धर्म क्या है?”
33 crore Devi Devta nahi hai ose thik kro baki bahut acha hai
Sanatan dharm ka adhar kya hai