वाक्य की परिभाषा, भेद और उदाहरण | Vakya in hindi

Vakya

हिंदी व्याकरण में वर्ण से शब्द और शब्दों से पद किस प्रकार से बनते है, हम इसके बारे में जान चुके है। आज हम हिंदी व्याकरण में वाक्यों के बारे में पढ़ेंगे।

वाक्य की परिभाषा – Vakya ki Paribhasha

वाक्य शब्दों के उस व्यवस्थित समूह को कहते है, जिसका कोई सार्थक अर्थ मौजूद होता है। दूसरे शब्दों में वाक्य से अभिप्राय शब्दों का क्रमबद्ध तरीके से लगा होना होता है, जिनका एक अर्थ भी स्पष्ट होता है। यह शब्दों की पूर्णता को दिखाते हैं। जैसे – राम स्कूल जाता है, सीता खाना खाती है।


वाक्य के अंग – Vakya ke Ang

वाक्य के मुख्यता दो अंग होते हैं-

1. उद्देश्य – दो लोगों के बीच वार्तालाप के दौरान जिसके विषय में बात की जाती है वह वाक्य का उद्देश्य कहलाता है। जैसे – ऊपर दिए गए उदाहरण में राम स्कूल जाता है तो यहां राम वाक्य का उद्देश्य कहलाएगा।


2. विधेय – वाक्य से जुड़े उद्देश्य के विषय में जब कोई बात कही जाती है तो उसे विधेय कहते हैं। जैसे – ऊपर दिए गए उदाहरण में राम स्कूल जाता है तो यहां स्कूल जाना विधेय कहलाएगा।


वाक्य के लक्षण – Vakya ke Lakshan

हिंदी व्याकरण में मौजूद शब्दों के मिलन से वाक्य की उत्पत्ति होती है। ऐसे में यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि शब्दों के मिलन से बने वाक्य का कोई अर्थ मौजूद है क्योंकि बिना अर्थ के वाक्य की कोई उपयोगिता नहीं रह जाती है। ऐसे में अर्थ सहित वाक्य के निम्न लक्षण होते हैं।

1. सार्थकता – किसी भी वाक्य का अर्थ तभी होगा जब उसमें सार्थक शब्दों का प्रयोग किया जाएगा इसलिए अर्थसहित वाक्य के लिए सार्थक शब्दों का प्रयोग किया जाना चाहिए।


2. योग्यता – वाक्य बनाते समय शब्दों को उनके रूप के आधार पर चयनित करना चाहिए। जैसे :- हमने रोटी पी। यह वाक्य योग्य नहीं कहलाएगा क्यूंकि रोटी खाई जाती है उसे हम पी नहीं सकते हैं। इसलिए वाक्य की योग्यता उसके अर्थ को प्रभावित करती है।


3. आकांक्षा – वाक्य में उपयुक्त शब्दों का अभाव भी वाक्य के अर्थ को प्रभावित करता है। जैसे :- खाना खा लिया। उपरोक्त वाक्य का सही अर्थ नही निकल रहा है, क्योंकि यहां कर्ता मौजूद नहीं है। इसका सही वाक्य होगा – राम ने खाना खा लिया।


4. निकटता – वाक्य की संरचना के दौरान उसमें प्रयुक्त शब्दों में घनिष्ठता होनी चाहिए तभी उसका अर्थ स्पष्ट होता है।


5. क्रमबद्ध – वाक्य निर्माण के समय शब्दों का क्रमबद्ध तरीके से लिंग, वचन, कारक आदि के आधार पर लगा होना आवश्यक है अन्यथा वह स्पष्ट वाक्य नहीं बन पाता है। जैसे – चक्कर सूरज लगाती है धरती। इसका सही वाक्य होगा कि धरती सूर्य का चक्कर लगाती है।


वाक्य के प्रकार – Vakya ke Prakar

वाक्यों को दो आधार पर वर्गीकृत किया गया है-
1. अर्थ के आधार पर
2. रचना के आधार पर


अर्थ के आधार पर

1. विधानवाचक – जो वाक्य कर्ता द्वारा किसी कार्य का होना बताते हैं वह विधानवाचक वाक्य कहलाते हैं। जैसे – गीता खाना बना रही है, सुमित कल दिल्ली जा रहा है आदि।


2. निषेध वाचक – जिन वाक्यों में कर्ता द्वारा किसी काम का ना होना बताया जाए, वह निषेध वाचक वाक्य कहलाते हैं।


3. आज्ञा वाचक – जिन वाक्यों में आदेश, प्रार्थना, उपदेश आदि का भाव उत्पन्न होता है वह आज्ञा वाचक वाक्य कहलाते हैं। इनमें कर्ता छुपा हुआ होता है। जैसे :- पानी पिला दो, बुजुर्गों का सम्मान करो, बाज़ार से सामान ले आओ, यहां बैठो आदि।


4. प्रश्नवाचक – जिन वाक्यों में किसी प्रकार के प्रश्नों का बोध होता है, या प्रश्न पूछे जाते हैं। वह प्रश्नवाचक वाक्य कहलाते हैं। जैसे :- तुम स्कूल कब जाओगे?, राम मंदिर क्यों नहीं जा रहा है आदि।


5. विस्मयादिबोधक – जिन वाक्यों में हृदय से निकले भाव को प्रधानता दी जाती है वह विस्मयादिबोधक वाक्य कहलाते हैं। इन वाक्यों में शोक, दुःख, सुख, हर्ष, प्रसन्नता, आश्चर्य आदि का जिक्र होता है। जैसे :- वाह ! हम मैच जीत गए, हे राम ! उसके माता पिता दोनों ही चल बसे आदि।


इसके अलावा कुछ अन्य वाक्य के भेद भी मौजूद है।

1. संकेत वाचक – उपरोक्त वाक्यों के अंतर्गत ऐसे वाक्य आते हैं जिनके पीछे उनके परिणाम का जिक्र किया जाता है। जैसे :- यदि तुम कठिन परिश्रम करोगे तब सफ़लता निश्चित है।


2. संदेह वाचक – जिन वाक्यों में बात की निश्चितता ना हो, वह संदेह वाचक वाक्य कहलाते हैं। जैसे :- हो सकता है कि राम दिल्ली चला जाए, शायद शाम को वर्षा हो जाए आदि।


3. इच्छा वाचक – जिन वाक्यों से इच्छा, भगवान से प्रार्थना, व्यक्ति से प्रार्थना या किसी प्रकार की शुभकामनाओं का भाव प्रकट होता है,वह इच्छा वाचक वाक्य कहलाते हैं। जैसे :- भगवान तुम्हें दीर्घायु प्रदान करे, तुम्हारा कल्याण हो, ईश्वर मुझे शक्ति प्रदान करे आदि।


रचना के आधार पर

1. सरल वाक्य – जिन वाक्यों में कर्ता से जुड़ा एक ही उद्देश्य और विधेय मौजूद हो, वह सरल वाक्य कहलाते हैं।


2. संयुक्त वाक्य – जो वाक्य दो या दो से अधिक प्रकार के योजकों से मिलकर बने होते हैं, वह संयुक्त वाक्य होते है। जैसे – राम सुबह दिल्ली गया था और शाम को लौट आया आदि।


3. मिश्रित वाक्य – जिन वाक्यों में एक प्रधान वाक्य और अन्य आश्रित वाक्य मौजूद होते हैं वह मिश्रित वाक्य कहलाते हैं। जैसे – उसने खेल में प्रतिभाग किया जबकि वह जानता था कि हार जाएगा।


इस प्रकार दो या दो से अधिक प्रकार के शब्दों का हस्तक्षेप होने पर वाक्यों का निर्माण होता है और वाक्यों का अपना अर्थ भी मौजूद होता है। दूसरी ओर, वाक्यों के विभिन्न अंगों को जब अलग किया जाता है तब इस प्रक्रिया को वाक्य विग्रह कहते हैं।

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अंशिका जौहरी

मेरा नाम अंशिका जौहरी है और मैंने पत्रकारिता में स्नातकोत्तर किया है। मुझे सामाजिक चेतना से जुड़े मुद्दों पर बेबाकी से लिखना और बोलना पसंद है।

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