भारत का दिल कहे जाने वाले दिल्ली शहर में कई प्राचीन इमारतें और धरोहरें स्थित हैं। इन सभी पुरानी और खास इमारतों में से एक इमारत है QutubMinar जो कि दिल्ली में स्थित है। क़ुतुब मीनार भारत और विश्व की सबसे ऊंची मीनार है।
कुतुब मीनार भारत की सबसे खास और सुप्रसिद्ध पर्यटक स्थल है। ये मीनार दिल्ली के दक्षिणी इलाके में महरौली में स्थित है। ये इमारत हिंदू-मुगल इतिहास का एक बहुत खास हिस्सा है। कुतुब मीनार को यूनेस्को द्वारा भारत के सबसे पुराने वैश्विक धरोहरों की सूची में शामिल किया गया है।
मोहाली की फतह बुर्ज इमारत के बाद भारत की सबसे बड़ी मीनार में क़ुतुब मीनार का नाम शामिल है। क़ुतुब मीनार दुनिया की सबसे बड़ी ईटों की दीवार है, जिसकी ऊंचाई लगभग 73 मीटर है। कुतुब मीनार के आसपास का परिसर कुतुब कॉम्पलेक्स के नाम से जाना जाता है, जो कि यूनेस्को वर्ल्ड हेरीटेज साइट भी है।
कुतुब मीनार पर 10 वाक्य ( 10 lines on Qutub Minar )
- कुतुब मीनार दिल्ली के दक्षिण में महरौली में स्थित है। ईंटो से बनी ये दीवार दुनिया की सबसे ऊँची मीनार है।
- कुतुब मीनार के आधार का व्यास 14.3 मीटर है जोकि ऊपर की ओर बढ़ते-बढ़ते शिखर पर जाने तक घटकर मात्र 2.75 मीटर ही रह जाता है।
- कुतुब मीनार के आसपास का क्षेत्र कुतुब कॉम्पलेक्स कहलाता है। इसके आसपास का ये पूरा क्षेत्र विश्व धरोहर स्थल के अंतर्गत आता है।
- कुतुब मीनार के परिसर में ही एक लोहे का खंबा है, जिसे लौह स्तंभ के नाम से जाना जाता है। जिसमें तकरीबन 2000 साल बाद भी जंग नहीं लगी है।
- कुतुब मीनार में अरबी और नागरी लिपि में लिखे गए कई शिलालेख इसका इतिहास बताते हैं।
- ये मीनार देखने में सीधी नहीं है बल्कि थोड़ी झुकी हुई सी प्रतीत होती है। इस मीनार के झुकने का कारण इसकी बार-बार मरम्मत होना है।
- क़ुतुब मीनार लाल रंग और हल्के पीले रंग के पत्थरों से बनी हुई है। जिस पर कुरान की आयतें लिखी गई हैं।
- कुतुब मीनार के भीतर गोलाकार में सीढियाँ बनाई गई हैं, जो नीचे से ऊंचाई तक कुल 378 सीढ़ियां हैं।
- कुतुब मीनार के भीतर केवल पानी पीने की ही इजाजत है। इसके अलावा आप वहाँ खाने की समाग्रि नहीं ले सकते हैं।
- कुतुब मीनार में शाम 6:30 बजे से लेकर 8:00 बजे तक सजावटी लाइट शो होता है। अक्टूबर-नवम्बर में यहाँ क़ुतुब मीनार महोत्सव का भी आयोजन किया जाता है।
कुतुब मीनार पर 10 वाक्य ( 10 lines on Qutub Minar )
- कुतुब मीनार का निर्माण कार्य सन् 1193 ईस्वी में कुतुबुद्दीन ऐबक के द्वारा शुरू किया गया था। लेकिन वो इसकी केवल पहली मंजिल का ही निर्माण करा सका।
- इस मीनार की एक के बाद की तीन मंजिलों का र्निर्माण दिल्ली के सुल्तान बने इल्तुतमिश द्वारा कराया गया।
- सन् 1368 ईस्वी में फिरोज शाह तुगलक ने इस मीनार की पांचवी और आखरी मंजिल का निर्माण कराया।
- कुतुबुद्दीन ऐबक के द्वारा सन् 1193 ईस्वी में कुतुब मीनार की नींव अफगानिस्तान में स्थित जाम के मीनार से प्रेरित होकर रखी गई थी लेकिन वो इसे पूरा ना बनवा सका।
- कुतुब मीनार के परिसर में कुब्बत उल इस्लाम मस्जिद, अलाई मस्जिद, अलाई दरवाजा, लोह स्तंभ, इल्तुतमिश का मकबरा, इमाम जामिन के मकबरे और अलाउद्दीन का मकबरा आदि ऐसे स्थान स्थित हैं, जो भारत में घूमने के लिए बहुत प्रसिद्ध हैं।
- कुतुब मीनार के उत्तर दिशा में स्थित अलाई मीनार का निर्माण अलाउद्दीन खिलजी ने कुतुब मीनार के आकार से दुगना बनाने के इरादे से करवाया था। परंतु वो उसकी केवल पहली मंजिल ही बनवा सका जोकि अब मात्र 25 मीटर लम्बी है।
- कुतुब मीनार के पास एक लोहे का खंबा है, जिसे लौह स्तंभ कहते हैं। इस स्तंभ में लोहे की मात्रा लगभग 98% है। इस स्तंभ का निर्माण चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ने कराया था। इसकी ऊंचाई लगभग 7 मीटर है।
- ससन्1368 ईस्वी में बिजली गिरने के कारण कुतुब मीनार की ऊपरी मंजिल क्षतिग्रस्त हो गई थी। फिर फिरोजशाह तुगलक में इसकी मरम्मत करवाई और साथ ही साथ उसने सफेद संगमरमर से इसके ऊपर दो और मंजिलों का निर्माण कराया।
- सन् 1505 ईसवी में तेज भूकंप आ जाने के कारण मीनार पुनः क्षतिग्रस्त हो गई थी। इसके बाद सिकंदर लोदी ने इसकी मरम्मत करवाई।
- क़ुतुब मीनार ई-टिकट की सुविधा देने वाला पहला भारतीय स्मारक भी है। इस अद्भुत मीनार को देखने के लिए एंट्री फीस 10 रुपए है।
अगर इस बार आप दिल्ली घूमने जाने का प्लान बना रहे हैं तो Qutub Minar देखना बिल्कुल भी ना भूले यह एक ऐतिहासिक इमारत इंदौर इस्लामिक आर्किटेक्चर का एक बेहतरीन नमूना है एक से बनी यह दुनिया की सबसे ऊंची इमारत है जिसका निर्माण 12वीं शताब्दी में किया गया था कुतुबमीनार की ऊंचाई 73 मीटर है।
इसके ऊपर तक पहुंचने के लिए आपको 378 सीढ़ियां चढ़नी पड़ेंगी। Qutub Minar का निर्माण दिल्ली के तीन राजाओं ने तीन चरणों में कराया था। इसकी नींव कुतुबुद्दीन ऐबक ने रखी थी परंतु वो इसकी केवल एक मंजिल ही बनवा सका था। इसके बाद की तीन मंजिले इल्तुतमिश ने बनवाई थी।
अंत में आखिरी की पांचवी मंजिल का निर्माण फिरोजशाह तुगलक ने कराया था। और इसका निर्माण अंततः चौदहवीं सदी में पूरा हुआ था। बार-बार पुनर्निर्माण के कारण ही शायद ये मीनार थोड़ा झुकी हुई लगती है।
क़ुतुब मीनार बहुत सी बड़ी ऐतिहासिक इमारतों से घिरा हुआ है और ये सभी इमारतें कुतुब कोंपलेक्स के भीतर आती हैं।
इसी कांपलेक्स में लौह स्तंभ, अलाई दरवाजा, इल्तुतमिश की कब्र, अलाई मीनार, अलाउद्दीन का मदरसा, कुब्बल उल इस्लाम मस्जिद आदि इमारतें स्थित हैं, जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। सर्दियों के मौसम में आधी कोहरे से ढकी इमारत देखने में बहुत आकर्षक लगती है। शाम के समय में भी यहाँ का नजारा बहुत लुभावना होता है।
इस मीनार की हर एक मंजिल बेहद खूबसूरत शिल्प कौशल से बनी हैं। इस मीनार की ऊंची मंजिल पर पहुंचकर आप दिल्ली शहर का पूरा अद्भुत नजारा देख सकते हैं। इस खूबसूरत मीनार में संगमरमर और लाल बलुआ पत्थर का बेहद खूबसूरती से इस्तेमाल किया गया है।
ये एक उत्कृष्ट शिल्प कला का प्रदर्शन करती है। कुतुब मीनार हमेशा से ही चर्चे में रही है क्योंकि बहुत से विभागों का ऐसा मानना है कि ये मीनार कई सारे हिंदू मंदिरों को तोड़ कर उसी स्थान पर बनाई गई है।
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