Abraham Lincoln ki Jivani
अमेरिका के 16वें अश्वेत राष्ट्रपति के रूप में विख्यात अब्राहम लिंकन के नाम से हर कोई परिचित होगा। जिन्हें अमेरिका में दास प्रथा का अंत करने का श्रेय दिया जाता है। इन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन गरीबी और लाचारी में व्यतीत किया। साथ ही जीवन के प्रत्येक मार्ग पर इन्हें असफलताओं का सामना करना पड़ा। लेकिन इन्होंने कभी हार नहीं मानी। ऐसे में आज हम अब्राहम लिंकन के एक साधारण व्यक्ति से राष्ट्रपति बनने तक के सफर को विस्तार से जानेंगे।
Abraham Lincoln ki Jivani – एक दृष्टि में
पूरा नाम | अब्राहम लिंकन |
जन्म तिथि | 12 फरवरी 1809 |
मृत्यु तिथि | 14 अप्रैल 1865 |
जन्म स्थान | होड्जेंविल्ले, केंटुकी (अमेरिका) |
मृत्यु स्थान | वॉशिंगटन डीसी |
पिता का नाम | थॉमस लिंकन |
पिता का व्यवसाय | किसान |
माता का नाम | नेंसी हैंक्स लिंकन, बुश जॉनसन (सौतेली मां) |
भाई और बहन | थॉमस, सारा लिंकन |
शिक्षा | घर पर रहकर ही ग्रहण की |
राजनीति | 1837 |
वकालत | 1844 |
पेशा | राजनीति और वकालत |
जीवनसाथी | मैरी टॉड |
संतान | 4 (रॉबर्ट, एडवर्ड, विल्ली, टेड) |
राजनैतिक पार्टी | गणतंत्रवाद पार्टी |
रुचि | किताबों का अध्ययन |
लंबाई | 6 फुट 4 इंच |
लोकप्रियता | वर्ष 1860 में बने अमेरिका के 16वें राष्ट्रपति |
पहचान | दास प्रथा का अंत, साल 1865 के गृह युद्ध में निभाई सक्रिय भूमिका |
अत्यंत गरीब परिवार में जन्मे थे अब्राहम लिंकन – Abraham Lincoln Life Story
अब्राहम लिंकन का जन्म 12 फरवरी 1809 को अमेरिका के होड्जेंविल्ले, केंटुकी नामक स्थान पर एक अत्यंत गरीब परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम थॉमस लिंकन था। जोकि एक किसान थे। इनकी माता का नाम नेंसी हैंक्स लिंकन था। अब्राहम लिंकन का एक छोटा भाई थॉमस था।
इनकी एक बड़ी बहन सारा भी थी। हालांकि लिंकन का आरंभिक जीवन काफी कष्टों भरा रहा। ऐसे में मात्र 6 वर्ष की उम्र में ही उनका स्कूल छूट गया था, क्योंकि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। साथ ही अब्राहम लिंकन के पिता यह भी नहीं चाहते थे कि वह पढ़े। इसलिए भी अब्राहम लिंकन के ऊपर जिम्मेदारियां बढ़ गई थी।
लेकिन बचपन से ही अब्राहम लिंकन को पढ़ने में काफी रुचि थी। यही वजह थी कि वह किताबों का अध्ययन करने के लिए मीलों दूर पैदल चले जाया करते थे। अब्राहम लिंकन अमेरिका के प्रथम राष्ट्रपति जॉर्ज वॉशिंगटन को अपना प्रेरक मानते थे। जिसके चलते उन्होंने उनसे जुड़ी एक किताब पढ़ने के लिए अपने पड़ोसी से मांगी। जो किसी कारणवश गीली हो गई।
आर्थिक स्थिति ठीक ना होने के चलते अब्राहम लिंकन पड़ोसी को वह किताब लौटा तो नहीं सके। लेकिन उन्होंने इसके बदले में पड़ोसी के खेतों में काम करके पुस्तक का मूल्य अदा किया। इनकी प्रिय पुस्तक दा लाइफ ऑफ जॉर्ज वॉशिंगटन थी। एक बार बचपन में इन्हें जमीन के विवाद को लेकर अपने आरंभिक नगर केंटुकी को छोड़कर इंडिआना के पैरी काउंटी आना पड़ा।
जहां इनके परिवार को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। फिर जब अब्राहम लिंकन मात्र 9 साल के थे, तभी इनकी माता का निधन हो गया था। कहा जाता है इनकी माता को जहर देकर मारा गया था। जिसके बाद अब्राहम लिंकन की देखभाल के लिए इनके पिता ने साल 1819 में सारह बुश जॉनसन नाम की महिला से दूसरी शादी कर ली।
जिनके तीन बच्चे थे। हालांकि अब्राहम लिंकन की दूसरी माता अधिक पढ़ी लिखी नही थी। लेकिन उन्होंने सदैव ही लिंकन को पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। परन्तु आर्थिक तंगी के चलते अब्राहम लिंकन अपनी शिक्षा पूरी ना कर सके। इसलिए उन्होंने घर पर रहकर ही कई सारी किताबों का अध्ययन किया।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अब्राहम लिंकन एक मजबूत शरीर वाले इंसान थे। जिनकी लंबाई करीब 6 फुट 4 इंच थी। इसके अलावा अब्राहम लिंकन ने अपनी 22 वर्ष की उम्र तक काफी संघर्षपूर्ण जीवन व्यतीत किया था।
साथ ही ऐसा कोई कार्य नहीं था, जिसे अब्राहम लिंकन ने अपने जीवन के कठिन दिनों में ना किया हो। फिर चाहे वह लकड़हारे का काम हो, पोस्टमास्टर, सर्वेक्षक या फिर खेतों में मजदूरी करना हो। अब्राहम लिंकन ने अपनी आजीविका को सुचारू रूप से चलाने के लिए कई सारे कार्य किए।
लिंकन ने वकालत को अपने आरंभिक भविष्य के रूप में चुना
जब अब्राहम लिंकन अपने पूरे परिवार के साथ काउंटी में रह रहे थे। उस दौरान अपने परिवार को आर्थिक मदद देने के लिए अब्राहम लिंकन ने कई सारी नौकरियां की। इसके बाद उन्होंने एक किराने की दुकान भी खोली थी। जिसे कुछ समय बाद बंद करना पड़ा।
तत्पश्चात् साल 1837 में अब्राहम लिंकन ने राजनीति की ओर अपना रुख मोड़ा। जिसके लिए उन्होंने व्हिग पार्टी चुनी। जिसके बैनर तले अब्राहम लिंकन ने कई सारे चुनाव लड़े भी और जीते भी। किन्तु एक समय बाद उन्होंने फैसला लिया कि वह गरीबों को इंसाफ दिलाने की खातिर वकालत करेंगे। जिसके लिए उन्होंने घर पर रहकर ही वकालत की किताबों का अध्ययन किया।
इसी दौरान उनकी मुलाकात एक रिटायर्ड जज से हुई। जिनसे वकालत की किताबें लेने के उद्देश्य से लिंकन ने उनके घर में नौकर बनकर कई समय तक कार्य किया। अब्राहम लिंकन के जज्बे से प्रभावित होकर जज ने उन्हें वकालत की सारी किताबें दे दी।
जिनको पढ़ने के बाद साल 1844 में इलिनॉय में रहकर अब्राहम लिंकन ने विलियम हेनदों के साथ मिलकर अपनी वकालत की प्रैक्टिस शुरू कर दी। अब्राहम लिंकन ने उस समय के मशहूर वकील स्टुअर्ट के साथ भी काम किया था। लेकिन वकालत से उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत ना होने पाई। क्योंकि वह अपने किसी का मुकदमा लड़ने के लिए अधिक पैसा नहीं लिया करते थे।
लेकिन वह अपना कार्य ईमानदारी से करते थे, इसलिए अपने जीवन से काफी संतुष्ट थे। अब्राहम लिंकन ने लगभग 20 साल तक वकालत के पेशे में सदैव ही सच्चाई और ईमानदारी का साथ दिया। इसलिए वह इस क्षेत्र में काफी कम समय में ही लोकप्रिय हो गए थे।
अब्राहम लिंकन की पत्नी ने किया था उन्हें राष्ट्रपति बनने के लिए प्रेरित
अब्राहम लिंकन जब 24 साल के थे। तब उनको रूटलेज नाम की एक लड़की से प्रेम हो गया था। परन्तु एक गंभीर बीमारी के चलते उसकी मृत्यु हो गई। जिसकी मौत का अब्राहम लिंकन पर काफी प्रभाव पड़ा था। फिर वर्ष 1843 में अब्राहम लिंकन ने स्प्रिंग फील्ड में मैरी टॉड नाम की एक ऐसी लड़की से विवाह किया था।
जो कहा करती थी कि वह एक ऐसे पुरुष से विवाह करेगी जोकि आगे चलकर अमेरिका का राष्ट्रपति बनेगा। मैरी टॉड लेक्सिंगटन केंटकी की निवासी थी। जिनके काफी सारे भाई गृह युद्ध के दौरान मारे गए थे। अपने और मैरी के विवाह से पहले ही लिंकन जानते थे कि मैरी एक घमंडी और ऊंचे ख्यालों की महिला है, जोकि उनके लिए उचित नहीं है।
परन्तु मैरी के आंसुओं और जिद ने अब्राहम लिंकन के दिल को पिघला दिया था। जिसके कारण ना चाहते हुए भी अब्राहम लिंकन ने मैरी से विवाह को हां कह दिया। दूसरी ओर, मैरी अब्राहम लिंकन से इसलिए विवाह करना चाहती थी क्योंकि वह अब्राहम लिंकन के राजनैतिक दृष्टिकोण से काफी प्रभावित थी।
इसके अलावा विवाह के बाद अब्राहम लिंकन और मैरी टॉड की चार संतानें हुई थी। जिनके नाम क्रमशः रॉबर्ट, एडवर्ड, विल्ली, टेड थे। जिनमें से रॉबर्ट ही जीवित बचा था। हालांकि अब्राहम लिंकन से विवाह के बाद मैरी टॉड ने कभी उनसे ठीक से बात नहीं की। वह सदैव ही उनसे झगड़ा करती रहती थी। और अब्राहम लिंकन ने भी उन्हें एक महत्वाकांक्षी महिला बताया था।
साल 1842 की एक घटना थी जब अब्राहम लिंकन अपनी पत्नी मैरी टॉड के साथ किराए के मकान में रहते थे। जहां किसी बात पर गुस्से में आकर मैरी टॉड ने अब्राहम लिंकन के मुंह पर चाय फेंक दी थी। आश्चर्य की बात यह थी कि अब्राहम लिंकन ने इसका विरोध नहीं किया। कई बार तो मैरी टॉड अब्राहम लिंकन को घर से बाहर निकाल देती थी।
कहा जाता है इसके पीछे अब्राहम लिंकन का पहनावा और रहन सहन था। जोकि उनकी पत्नी को बिल्कुल पसंद नहीं था। कभी कभार तो वह अब्राहम लिंकन को भयानक कह दिया करती थी। परन्तु वह मैरी टॉड के प्रयासों का ही परिणाम था कि अब्राहम लिंकन अमेरिका के राष्ट्रपति बने। क्योंकि मैरी टॉड सदैव से ही उन्हें व्हाइट हाउस के सपने दिखाया करती थी।
साथ ही उनको राजनैतिक सलाह भी दिया करती थी। इतना ही नहीं, अब्राहम लिंकन जब भी कोई चुनाव हार जाया करते थे तो मैरी ही उन्हें दुबारा लड़ने के लिए प्रेरित किया करती थी। इस प्रकार, मैरी टॉड से विवाह अब्राहम लिंकन के सफल जीवन का आवश्यक पहलू बनकर उभरा था।
जब अब्राहम लिंकन ने राजनीति में भाग लेकर जीता राष्ट्रपति का चुनाव
वर्ष 1854 में अब्राहम लिंकन ने दुबारा से राजनीति में कदम रखा। जिसके चलते वह साल 1856 में गणतंत्रवाद नामक पार्टी से जुड़ गए। जहां उन्होंने एक सक्रिय नेता के रूप में कार्य किया। आगे चलते वह इसी पार्टी से उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए खड़े हुए।
हालांकि वह यह चुनाव हार गए। इसके साथ ही वह अमेरिका सीनेट का चुनाव भी दो बार हार गए थे। इसके साथ ही जब अब्राहम लिंकन 29 साल के थे, तब उन्होंने स्पीकर पद के लिए चुनाव लड़ा था। लेकिन उसमें भी वह हार गए थे। तत्पश्चात् उन्होंने इलेक्टर का चुनाव लड़ा, जहां भी उनको हार देखनी पड़ी। हालांकि उन्होंने हार नहीं मानी। और विधायक का चुनाव लड़ा।
जिसमें उन्हें जीत मिली और उनकी पहचान प्रभावी युवा विधायकों में की जाने लगी। साथ ही पार्टी से जुड़कर अमेरिका में दास प्रथा को समाप्त करने के उद्देश्य से काफी कार्य किया।
अब्राहम लिंकन का मानना था कि….
राष्ट्र के टुकड़े नहीं हो सकते है। यहां आधे नागरिक गुलाम और आधे बिना गुलाम बनकर नहीं रह सकते हैं। सबको एकजुट होकर रहना होगा। इसी में राष्ट्र की भलाई है।
इसी प्रकार के विचारों से ओत प्रोत होने के कारण अब्राहम लिंकन वर्ष 1860 में अमेरिका के 16वें राष्ट्रपति बने। जिसके बाद उन्होंने समूचे अमेरिका और विश्व से दास प्रथा को खत्म करने की मुहिम छेड़ी।
अमेरिका के गृह युद्ध में निभाई सक्रिय भूमिका
आपको बता दें कि उन दिनों दक्षिण अमेरिका और उत्तरी अमेरिका के बीच गुलामी प्रथा चल रही थी। यानि दक्षिण अमेरिका के श्वेत लोग उत्तरी अमेरिका के अश्वेत लोगों को अपना गुलाम बनाकर रखना चाहते थे। ऐसे में अब्राहम लिंकन के काफी प्रयासों के बाद दास प्रथा से उत्तरी अमेरिका के लोगों को छूटकारा मिल गया।
परन्तु अब्राहम लिंकन के राष्ट्रपति बनते ही साल 1861 में सम्पूर्ण अमेरिका में गृह युद्ध छिड़ गया। यह युद्ध मिसिसिप्पी, फ्लोरिडा, अल्बामा, जेओर्गिया, लौइसियान, टेक्सास जैसे शहरों के बीच लड़ा गया था। इस दौरान युद्ध को रोकने के लिए अब्राहम लिंकन ने उन्मूलवादी आंदोलन चलाया।
इसके बाद साल 1863 में अब्राहम लिंकन ने इन राज्यों के गुलामी से आजाद होने की घोषणा कर दी। हालांकि मिसौरी, केंसास, नेब्रास्का, अर्कासस समेत अन्य कई राज्यों को अभी भी गुलामी के बंधन से मुक्ति नहीं मिली थी। जिसमें कई प्रकार के कानूनी दांव पेंच आड़े आ रहे थे।
हालांकि इस गृह युद्ध को समाप्त करने की खातिर अब्राहम लिंकन को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ा था। लेकिन इसे रोकने के लिए अब्राहम लिंकन ने एक राष्ट्रपति होने के नाते काफी सक्रिय भूमिका निभाई। जिसके कारण साल 1865 में यह युद्ध समाप्त हो गया।
अब्राहम लिंकन की हुई थी हत्या
साल 1865 को 14 अप्रैल के दिन जब अब्राहम लिंकन वॉशिंगटन डीसी के फोर्ड नामक सिनेमाघर में ओवर अमेरिकन कजिन एक नाटक देख रहे थे। उसी दौरान जॉन विल्केस बूथ नाम के जाने माने अमेरिकी अभिनेता ने अब्राहम लिंकन पर गोली चला दी।
जिससे उसी दौरान उनकी मौत हो गई। कहते है अपनी मृत्यु का सपना अब्राहम लिंकन को मौत से तीन दिन पहले आया था। जिसका जिक्र उन्होंने मैरी टॉड से किया था। अब्राहम लिंकन को मारने के जुर्म में बूथ को भी अमेरिकी सैनिकों द्वारा मार गिराया गया। हालांकि बूथ ने लिंकन को क्यों मारा, यह अभी भी एक रहस्यमयी बात है।
अब्राहम लिंकन का पत्र
अब्राहम लिंकन ने एक पत्र अपने पुत्र के शिक्षक को लिखा था। जोकि ऐतिहासिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। अब्राहम लिंकन द्वारा लिखा गया पत्र…..
प्रिय गुरु जी,
सादर नमस्कार
मैं अपने पुत्र की शिक्षा आपके हाथों में सौंप रहा हूं। ऐसे में मैं आपसे यह आशा करता हूं कि आप इसे ऐसी शिक्षा दें ताकि यह एक अच्छा इंसान बन सके। हालांकि इस दुनिया में सभी लोग अच्छे नहीं होते। हालांकि यह मेरा बेटा समय के साथ सीख जाएगा।
परन्तु उसे यह भी समझाइएगा कि दुनिया में अच्छे लोगों की भी कमी नहीं है। अगर दुनिया में स्वार्थी राजनेता भी हैं तो जनता के लिए कार्य करने वाले देशप्रेमी भी हैं। इस संसार में ना दुश्मनों की कमी है और ना ही अच्छे दोस्तों की।
साथ ही उसे यह भी समझाएं कि मेहनत से कमाया हुआ एक रुपया भी हराम की गड्डी पर भारी होता है। आप शिक्षक होने के नाते यदि उसे जीत पर खुश होना सिखाते हैं। तो उसे हारने पर भी दुखी होने के लिए ना कहें। उसे मुसीबतों से लड़ना सिखाएं। यदि हो सके तो उसे प्रकृति की सुंदरता, आसमान में उड़ते आज़ाद पक्षियों की आवाज, लहराते फूलों की हंसी से परिचित कराएं।
आप उसे सिखाना कि परीक्षा में नकल करने से बेहतर है उसमें फेल हो जाना। इसके अतिरिक्त चाहे लोग उसे बुरा भला कहें। लेकिन वह सदैव ही अपने विचारों का पक्का हो। सदैव अपने मार्ग पर अडिग रहे। साथ ही लोगों के साथ नेक व्यवहार करें। उसमें भीड़ से अलग चलने का साहस हो। वह अपने से बड़ों की बात को भली भांति सुनें।
साथ ही केवल अच्छाई को ही ग्रहण करने के लिए बाध्य हो। आप चाहो तो उसे दुख की स्थिति में भी हंसना सिखाना। और जीवन में यदि रोना भी पड़े तो उसे शर्म ना आए। उसे हमेशा चाटुकारों से बचने की सलाह देना। उसको समझना कि पैसा कमाने के लिए वह अपनी सम्पूर्ण ताकत लगा दे लेकिन कभी भी अपनी आत्मा और ईमान के विरुद्ध जाकर कार्य ना करें।
आप उसे सदैव ही ऐसी शिक्षा देना ताकि वह मानव समाज का कल्याण करने में सक्षम हो। अतः मैंने अपने पत्र में काफी चीज़ों का वर्णन किया है। अब देखना यह है कि इसमें से क्या संभव हो पाएगा।
आपका शुभेच्छु,
अब्राहम लिंकन
अब्राहम लिंकन के जीवन से जुड़े रोचक तथ्य
1. अब्राहम लिंकन के जन्म वाले दिन ही चार्ल्स डार्विन का भी जन्म हुआ था। जोकि एक जाने माने प्रकृतिवादी वैज्ञानिक थे।
2. अब्राहम लिंकन के जीवन में एक समय ऐसा भी आया था। जब अवसाद और निराशा ने उन्हें घेर लिया था। उस दौरान वह स्वयं को चाकू और छूरी से दूर रखते थे, क्योंकि उन्हें यह डर था। कि कहीं वह इससे खुद को कोई नुक़सान ना पहुंचा ले।
3. अब्राहम लिंकन अमेरिका के सबसे अधिक समय तक बने रहने वाले राष्ट्रपति थे। जिनके नाम एक पेटेंट भी है।
4. अब्राहम लिंकन की लंबाई लगभग 6 फुट 4 इंच थी। यह पहले ऐसे राष्ट्रपति थे जोकि चेहरे पर दाढ़ी रखा करते थे।
5. अब्राहम लिंकन की रुचि यांत्रिकी आविष्कारों में भी थी। वह सदैव इसी से जुड़ी खोजों में लगे रहते थे।
6. आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि अब्राहम लिंकन ने वकालत की कोई डिग्री हासिल नहीं की थी। बल्कि उन्होंने इससे जुड़े विषयों का अध्ययन स्वयं ही किया था।
7. अब्राहम लिंकन को बिल्लियां अत्यधिक प्रिय थी। उनकी डिक्सी नामक बिल्ली उनके साथ व्हाइट हाउस में मेज पर बैठकर भोजन किया करती थी। उसके विषय में अब्राहम लिंकन कहा करते थे कि वह उनके मंत्रिमंडल में सबसे अधिक रूपवान है।
8. लिंकन टेलीग्राफ का इस्तेमाल करने वाले पहले राष्ट्रपति थे। इसके साथ ही थैंक्स गिविंग डे को राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने राष्ट्रीय पर्व घोषित किया था।
9. अब्राहम लिंकन ने अपने जीवन में एक बार जेम्स शील्ड्स नामक व्यक्ति से द्वंद युद्ध किया था। हालांकि बाद में इसे रोक दिया गया था। पर उससे अब्राहम लिंकन को यह सीख मिली कि कभी भी किसी व्यक्ति का उपहास नहीं उड़ाना चाहिए।
10. अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा अब्राहम लिंकन को प्रेरणास्रोत मानते थे। यही कारण था कि जब बराक ओबामा राष्ट्रपति बने तब उन्होंने शपथ लेने के लिए वह स्थान चुना। जहां अब्राहम लिंकन ने अपने राजनैतिक जीवन की शुरुआत की थी।
11. अब्राहम लिंकन के सम्मान में अमेरिकी मुद्रा पर लिंकन की फोटो होती है। साथ ही डाक टिकट पर भी लिंकन का फोटो अंकित है।
12. अब्राहम लिंकन की सबसे बड़ी मूर्ति माउंट रशमोर में स्थापित है। जिसे ही लिंकन मेमोरियल के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा वॉशिंगटन डीसी के पीटरसन हाउस में भी उनकी एक बड़ी सी मूर्ति लगी हुई है।
13. लिंकन की मौत के बाद उनकी कब्र उनके घर के ही पास बनाई गई है। परन्तु साल 1876 में दो चोर लिंकन की कब्र से चोरी करते हुए पकड़े गए। उन्होंने ऐसा इसलिए किया था क्योंकि उन्हें इसके बदले में दो लाख रुपए मिलने वाले थे।
14. लिंकन की तस्वीर दाढ़ी में ही हर जगह विद्यमान है। इसके साथ ही अब्राहम लिंकन एक अच्छे कथाकार भी थे। जिन्हें चुटकुले सुनाने का काफी शौक था।
15. लिंकन के नाम पर स्प्रिंग फील्ड इलिनॉय में अब्राहम लिंकन नामक लाइब्रेरी और संग्रहालय बना हुआ है।
अब्राहम लिंकन के अनमोल विचार
1. जनता के सेवक यदि जनता का भरोसा तोड़ दें। तो दुबारा वह कभी उनसे सम्मान और आदर नहीं पा सकेंगे।
2. मैं जैसा हूं और जैसा भी बनने की कोशिश करता है। उसका श्रेय मेरी माता को ही जाता है।
3. जब आप यह सुनिश्चित कर लो कि आपके पैर सही जगह पर पड़े हैं। तभी आप सीधे खड़े होने का प्रयत्न करना।
4. मैं चलता जरूर धीमी गति से हूं लेकिन कभी वापस पीछे नहीं आता हूं।
5. साधारण से दिखने वाले लोग ही दुनिया के बेहतरीन लोग होते हैं। इसलिए भगवान ऐसे बहुत सारे लोगों को निर्मित करते हैं।
6. जब मैं अच्छे कार्य करता हूं, तब मुझे अच्छा लगता है। और जब मैं बुरे कार्य करता हूं, तब मुझे बुरा लगता है।
7. अगर आप शांत जीवन की तलाश में है तो आपको लोकप्रियता से बचना होगा।
8. चिंता यह नहीं है कि भगवान हमारी तरफ है या नहीं। बल्कि हमारा भगवान की तरफ होना है। क्यूंकि ईश्वर तो सदैव ही सही होते हैं।
9. किसी दूसरे व्यक्ति में यदि आप बुराई की तलाश कर रहे हैं। तो वह आपको अवश्य ही प्राप्त हो जाएगी।
10. अपने भविष्य के बारे में किसी भी तरह की भविष्यवाणी करने का सही तरीका उसे बनाना है।
इस प्रकार, अब्राहम लिंकन के जीवन से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें अपनी असफलताओं से सदैव सीखना चाहिए। जीवन में हार पर कभी शर्मिंदा नहीं होना चाहिए। और लगातार प्रयासरत रहना चाहिए। इसके साथ ही अब्राहम लिंकन दुनिया भर में लोकतंत्र की एक नई परिभाषा को जन्म देकर गए थे। उनका मानना था कि लोकतंत्र से आशय जनता का, जनता द्वारा और जनता के लिए किया गए शासन से है।
इसके साथ ही – Abraham Lincoln ki Jivani समाप्त होती है। आशा करते हैं कि यह आपको पसंद आयी होगी। ऐसे ही अन्य कई जीवनी पढ़ने के लिए हमारी केटेगरी – जीवनी को चैक करें।
Good one story
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