सफल व्यक्तियों में कोई विशेष प्रतिभा नहीं होती, वे केवल इच्छाशक्ति के बल पर दूसरों से बेहतर करते हैं…जानिए कैसे?

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मैं तुम्हारी तरह टैलेंटेड नही हूं! मुझे तुम्हारी तरह फर्राटेदार अंग्रेजी भी नहीं आती! मैं तुम्हारी तरह सुंदर नहीं दिखती! काश मेरे पास भी ढेर सारा पैसा होता!

आपने अक्सर लोगों को इस तरह से बातें करते सुना होगा और अगर आप भी इसी तरह से सोचते हैं, तो आप कभी भी सफल नहीं हो सकते हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि अगर ऐसा कह दिया तो गलत क्या है..ये तो हकीकत है।

लेकिन दुनिया में जितने भी सफल व्यक्ति हुए हैं..उनमें से अधिकतर लोग ऐसे हैं, जोकि किसी विशेष प्रतिभा या ताकत की बदौलत जीवन में सफल नहीं हुए हैं।

बल्कि उन्होंने कड़ी मेहनत, आत्मविश्वास और दृढ़ इच्छाशक्ति के बल पर ही जीवन में सफलता का स्वाद चखा है। साथ ही जिन्होंने निम्न कहावत को सत्य सिद्ध कर दिखाया है, जिसके बारे में आज हम बात करने वाले हैं।

अमेरिका के जाने माने फुटबॉल कोच लोम्बार्डी की एक प्रसिद्ध कहावत है कि….

“एक सफल व्यक्ति और अन्य व्यक्तियों के बीच अंतर ताकत या ज्ञान का नहीं होता, बल्कि दृढ़ इच्छाशक्ति की कमी का होना है”

उपरोक्त कहावत से कोच लोम्बार्डी का आशय है कि जो व्यक्ति अपने जीवन में सफल होता है, वह अन्य लोगों की तुलना में अधिक होशियार या कहें दिव्य शक्तियों के साथ पैदा नहीं होता है। वह केवल अन्य लोगों से अधिक मजबूत इच्छाशक्ति रखता है, जिसके बलबूते ही वह सफलता हासिल करता है। 

हमारे आज के इस लेख में हम इसी कहावत का विस्तार से वर्णन करने वाले हैं। साथ ही आपको उन व्यक्तियों के बारे में भी बताने वाले हैं, जिन्होंने अपने जीवन में इस कहावत को सच कर दिखाया है। तो चलिए शुरू करते हैं…

इस कहावत का आधार कोच लोम्बार्डी ही है। जिन्होंने अपने खेल करियर के दौरान यह अनुभव किया कि जो लोग हमेशा मजबूत और शक्तिशाली दिखाई पड़ते हैं, केवल वही लोग जीवन में सफलता के अत्यधिक निकट नहीं होते।

बल्कि अगर आप इच्छाशक्ति के बल पर आगे बढ़ते हैं, तो आप ना केवल एक अच्छे खिलाड़ी बल्कि अपने जीवन में एक सफल व्यक्ति भी बन सकते हैं।

ऐसे में कहा जा सकता है कि अधिकतर क्षेत्रों में उन्हीं व्यक्तियों ने नाम कमाया है, जिनकी ताकत पर समाज ने संदेह किया है या उन्हें इस काबिल नहीं पाया है।

जिससे ये सिद्ध होता है कि अगर आप एक अति साधारण व्यक्ति है, आपमें कोई विशेष शक्ति या प्रतिभा नहीं है, तब भी आप अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति के बल पर जीवन में वो सब हासिल कर सकते हैं, जो आप करना चाहते हैं।पढ़िए उनके बारे में…जिनपर पूर्णतया लागू होती है ये कहावत….

हमारे समाज में कई ऐसे लोग हुए जिन्होंने कोच लोम्बार्डी की ये कहावत को सच साबित किया है। जिनमें से कुछ व्यक्ति आपके जीवन के लिए भी आदर्श बन सकते हैं या इनके जीवन से प्रेरणा लेकर आप आगे बढ़ सकते हैं।

इस कड़ी में पहला नाम आता है बल्ब का आविष्कार करने वाले थॉमस अल्वा एडीसन का। जिनकी शरारतों के चलते उन्हें स्कूल तक से निकाल दिया गया था। इतना ही नहीं, अपने अजीबो गरीब आविष्कारों के कारण कई बार उनको अपनी माता से डांट तक खानी पड़ी, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।

वह दुनिया को रोशनी देने के लिए दृढ़ संकल्पित थे, यही कारण है कि हजारों लाखों आविष्कार करने के पश्चात् उन्होंने दुनिया को बल्ब की रोशनी से जगमग कर दिया।

अब हम बात करेंगे अमेरिका के 16वें राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन के बारे में। जिनकी पत्नी उन्हें कई बार भयानक शक्ल का व्यक्ति कहकर दुत्कार देती थी। इतना ही नहीं, अब्राहम लिंकन का जन्म अत्यंत ही साधारण परिवार में हुआ था।

जिनके परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी, जिस कारण उनका स्कूल बचपन में ही छुड़वा दिया गया था। अब्राहम लिंकन ने अपने जीवन में 

ऐसा कोई संघर्ष नहीं था, जिसे सहा नहीं हो। उन्होंने खेती, लकड़हारे का काम, डाक डालना, मजदूरी, सर्वेक्षण आदि सारे काम किए थे। लेकिन अब्राहम लिंकन ने हार नहीं मानी और खुद की इच्छाशक्ति की बदौलत ही अमेरिका के 16वें राष्ट्रपति बने। 

एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति के तौर पर विख्यात जैक मा का जीवन किसी परिचय का मोहताज नहीं है। जैक मा अपने स्कूली दिनों में काफी कमजोर छात्र रहे और करियर के शुरुआत में करीब 30 बार उन्होंने नौकरी के लिए अयोग्य करार दिया गया। इतना ही नहीं, दुबले पतले शरीर के चलते उन्हें पुलिस में भी लेने से मना कर दिया गया।

लेकिन उन्होंने अपनी इच्छाशक्ति और आत्मविश्वास के बल पर अलीबाबा नाम की विश्व स्तरीय कंपनी खोली और खुद को इंटरनेट की दुनिया के शीर्ष व्यक्ति के तौर पर स्थापित कर लिया।

आगे हम आपको निक वुजिसिक के बारे में बताएंगे। निक वुजिसिक वर्तमान में ऑस्ट्रेलिया के मोटिवेशनल स्पीकर के तौर पर जाने जाते हैं। जोकि बचपन से ही ट्रेटा अमेलिया सिंड्रोम से ग्रसित हैं यानि उनके ना हाथ हैं और ना पैर।

सोचिए जिस व्यक्ति के जन्म से हाथ पैर ही नहीं है, वह व्यक्ति किस बल पर जीवन में सफलता हासिल कर सकता है। लेकिन निक वुजिसिक ने असंभव को संभव करते हुए ना केवल खुद की अलग पहचान बनाई, बल्कि वह एक फुटबॉल और गोल्फ खिलाड़ी भी हैं।

ऐसा नहीं है कि निक वुजिसिक ने जीवन में केवल शारीरिक अपंगता का ही दर्द झेला, उन्होंने अपने जीवन में सामाजिक उपेक्षा और अकेलेपन का भी घुट पिया है। लेकिन अपने मजबूत इरादों के दम पर उन्होंने हार ना मानते हुए खुद के सपनों को साकार किया और आज वह लाखों लोगों की प्रेरणा बनकर दूसरों का जीवन सफल बना रहे हैं।

अब हम बात करेंगे भारत देश के 11वें राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम आजाद के बारे में। जिन्होंने भी अपना बचपन काफी गरीबी में काटा, लेकिन उन्होंने ये स्कूल के दिनों में ही तय कर लिया था कि वह अंतरिक्ष विमान में करियर बनाएंगे।

हालंकि उनके जीवन का ये सफर काफी चुनौती भरा रहा। करियर के दिनों में जब उन्होंने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में प्रवेश लिया था, तब उन्हें अपनी मां और बहन के गहने तक बेचने पड़े थे। लेकिन इच्छाशक्ति के बल पर वह ना केवल महान वैज्ञानिक बल्कि एक प्रसिद्ध राजनेता के तौर पर भी जाने गए। 

उपरोक्त समस्त उदाहरणों में, एक शब्द इच्छाशक्ति आपको काफी पढ़ने को मिला, जिससे तात्पर्य यह है कि अगर आपने जीवन में कुछ करने का ठाना है, तो आप उसके लिए तब तक प्रयासरत रहेंगे, जब तक उसे हासिल नहीं कर लेंगे।

इसी को इच्छाशक्ति यानि विल पावर कहा जाता है। जिसके होने पर ही व्यक्ति जीवन में सफलता हासिल करता है और जिसके भीतर विल पावर नहीं होती, वह संघर्षों के आगे घुटने टेक देता है। इसलिए आवश्यक है कि आप जीवन में कुछ भी पाने के लिए प्रयासरत हो, तब अपनी इच्छाशक्ति को मजबूत रखें।

अन्यथा आप जीवन में कभी भी सफलता का स्वाद नहीं चख सकते हैं।

{आशा करते है आपको यह ज्ञानवर्धक जानकारी अवश्य पसंद आई होगी। ऐसी ही अन्य धार्मिक और सनातन संस्कृति से जुड़ी पौराणिक कथाएं पढ़ने के लिए हमें फॉलो करना ना भूलें।}

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अंशिका जौहरी

मेरा नाम अंशिका जौहरी है और मैंने पत्रकारिता में स्नातकोत्तर किया है। मुझे सामाजिक चेतना से जुड़े मुद्दों पर बेबाकी से लिखना और बोलना पसंद है।

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