शिव पुराण संहिता के अनुसार, भगवान शिव ने समस्त पृथ्वी की देहधारियों की इच्छाओं की सिद्धि के लिए ॐ नमः शिवाय के मंत्र का प्रतिपादन किया है। यह शिव षडक्षर मंत्र संपूर्ण विधाओं का बीज है। यह मंत्र समस्त शक्तियों की खान है। अत्यंत सूक्ष्म होते हुए भी यह मंत्र महान अर्थ से परिपूर्ण है।
देवों के देव महादेव, इस धरती पर प्राणियों के दुखहर्ता हैं। भोले भंडारी कहलाने वाले महादेव, अपने भक्तों के जीवन में सुख के भंडार भर देते हैं। यह मंत्र समस्त शक्तियों की खान है। अत्यंत सूक्ष्म होते हुए भी यह मंत्र महान अर्थ से परिपूर्ण है।
भगवान शिव की महिमा से जुड़े विभिन्न स्त्रोत तथा उपासना युक्त मंत्र आदि हैं। इसी श्रृंखला में शिवषडक्षर स्त्रोत भी शिव की महिमा से जुड़ा एक स्त्रोत पाठ है। इस शिवषडक्षर स्त्रोत में कुल छह श्लोक हैं। इन छह श्लोकों में ॐ नमः शिवाय की पूर्ण व्याख्या की गई है।
जो भी भक्त भगवान शिव के इस शिवषडक्षर स्त्रोत का सच्ची श्रद्धा भक्ति के साथ गुणगान करता है। उसे शिव की असीम कृपा प्राप्त होती है। इसके साथ ही ॐ नमः शिवाय के मंत्र से होने वाले लाभों का भी फल प्राप्त होता है।
आइए जानते हैं, शिव षडक्षर स्तोत्र पाठ के लिरिक्स :
शिवषडक्षर स्तोत्र..
ऒंकारं बिन्दुसंयुक्तं नित्यं ध्यायन्ति योगिनः ।
कामदं मोक्षदं चैव ऒंकाराय नमो नमः ॥१॥
नमन्ति ऋषयो देवा नमन्त्यप्सरसां गणाः ।
नरा नमन्ति देवेशं नकाराय नमो नमः ॥२॥
महादेवं महात्मानं महाध्यान परायणम ।
महापापहरं देवं मकाराय नमो नमः ॥३॥
शिवं शान्तं जगन्नाथं लोकानुग्रहकारकम ।
शिवमेकपदं नित्यं शिकाराय नमो नमः ॥४॥
वाहनं वृषभो यस्य वासुकिः कण्ठभूषणम ।
वामे शक्तिधरं देवं वकाराय नमो नमः ॥५॥
यत्र यत्र स्थितो देवः सर्वव्यापी महेश्वरः ।
यो गुरुः सर्वदेवानां यकाराय नमो नमः ॥६॥
षडक्षरमिदं स्तोत्रं यः पठेच्छिवसन्निधौ ।
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते ॥७॥
इति श्रीरुद्रयामले उमामहेश्वरसंवादे शिवषडक्षरस्तोत्रं संपूर्णम ।।
शिव षडक्षर स्तोत्र (हिंदी अर्थ सहित)
श्रीशिवषडक्षरस्तोत्रम्
ॐ कारं बिंदुसंयुक्तं नित्यं ध्यायंति योगिन:।
कामदं मोक्षदं चैव ॐ काराय नमो नमः।।१।।
जो ओंकार के रूप में आध्यात्मिक ह्रदय केन्द्र में रहते हैं, जिनका योगी निरंतर ध्यान करते हैं, जो सभी इच्छाओं को पूरा करते हैं और मुक्ति भी प्रदान करते हैं, उन शिव को नमस्कार ,जो ॐ शब्द द्वारा दर्शाया गया है।
नमंति ऋषयो देवा नमन्त्यप्सरसां गणा:।
नरा नमंति देवेशं नकाराय नमो नमः।।२।।
जिनको ऋषियों ने श्रद्धा से नमन किया है, देवों ने नमन किया है, अप्सराओं ने नमन किया है और मनुष्यों ने नमन किया है, उन देवों के देव महादेव को न शब्द द्वारा दर्शाया गया है।
महादेवं महात्मानं महाध्याय परायणम्।
महापापहरं देवं मकाराय नमो नमः।।३।।
जो महान देव है, महान आत्मा है, सभी ध्यान का अंतिम उद्देश्य है, जो अपने भक्तों के पाप का महा विनाशक है, उन शिवजी को नमस्कार है जो म शब्द द्वारा दर्शाया गया है।
शिवं शांतं जगन्नाथं लोकानुग्रहकारकम्।
शिवमेकपदं नित्यं शिकाराय नमो नमः।।४।।
शिवजी शांति का निवास है, जो जगत के स्वामी है और जगत का कल्याण करते है, शिव एक शाश्वत शब्द है, उन शिवजी को नमस्कार है जो शि शब्द द्वारा दर्शाया गया है।
वाहनं वृषभो यस्य वासुकि कंठभूषणम्।
वामे शक्तिधरं देवं वकाराय नमो नमः।।५।।
जिनका वाहन बैल है, जिनके गले में आभूषण के रूप में वासुकि नामक सांप है, जिनके बाई ओर साक्षात शक्ति बिराजमान है, उन शिवजी को नमस्कार है जो वा शब्द द्वारा दर्शाया गया है।
यत्र यत्र स्थितो देव: सर्वव्यापी महेश्वर:।
यो गुरु: सर्वदेवानां यकाराय नमो नमः।।६।।
जहां कहीं देवों का निवास है, शिवजी प्रत्येक जगह मौजूद है, वो सभी देवों के गुरु हैं, उन शिवजी को नमस्कार है, जो य शब्द द्वारा दर्शाया गया है।
षडक्षरमिदं स्तोत्र य: पठेच्छिवसंनिधौ।
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते।।७।।
जो कोई भी शिवजी के सानिध्य में, इस षडक्षर स्तोत्र का पाठ करता है, वो शिव लोक में जाकर, उनके साथ आनंद से निवास करता है।
उम्मीद करते हैं कि आपको उपरोक्त लेख के माध्यम से शिव षडक्षर स्तोत्र पाठ आपके लिए लाभकारी सिद्ध हुआ होगा। इसी प्रकार के धार्मिक लेख पढ़ने के लिए हमारे पेज पर विजिट कर सकते हैं।
