जब सांप ने की थी भाई बनकर अपनी बहिन की रक्षा, जानिए नागपंचमी से जुड़ी पौराणिक कथा
हिंदू धर्म में नाग देवता का विशेष महत्व है, इसलिए हर वर्ष सावन माह में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नागपंचमी मनाई जाती है। इस दिन नाग देवता को दूध पिलाकर उनकी पूजा की जाती है। नागपंचमी वाले दिन कई जगहों पर मेले आदि का भी आयोजन किया जाता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, नागपंचमी को जो शिव भक्त नाग देवता के दर्शन कर उनकी आराधना करते हैं, उनकी कुंडली में मौजूद काल सर्प दोष से उन्हें छुटकारा मिल जाता है। ऐसे में आज हम यह जानेंगे कि आखिर क्यों? नागपंचमी का हिंदू धर्म में इतना महत्व है और इस दिन नागों की पूजा क्यों की जाती है?
नाग पंचमी की कथा
पुराने समय में एक सेठ के सात पुत्र थे। जिनकी सबकी शादी हो चुकी थी। इनमें से सेठ जी के सबसे छोटे बेटे की बहू काफी संस्कारी थी, लेकिन उसका कोई सगा भाई नही था।
एक बार घर की सबसे बड़ी बहू ने अपनी सभी देवरानियों को घर लीपन के उद्देश्य से पीली मिट्टी लाने के लिए उसके साथ चलने को कहा। इस पर घर की सारी छोटी बहुएं डलिया और खुरपी लेकर अपनी जेठानी के साथ चल पड़ी। इसी दौरान मिट्टी खोदते हुए बड़ी बहू को एक सांप दिखाई पड़ा।
जिसे मारने के उद्देश्य से उसने खुरपी से उस पर प्रहार कर दिया। लेकिन छोटी बहू ने अपनी जेठानी को रोक दिया और कहा कि ये तो एक निरपराधी है। आप इसे जाने दीजिए। अपनी देवरानी की बात सुनकर जेठानी ने उस सांप को जाने दिया।
उधर, छोटी बहू ने सांप से कहा कि हम अभी वापिस लौटकर आती हैं, तब तक तुम कही जाना नही। लेकिन छोटी बहू पीली मिट्टी एकत्रित करने के बाद सीधे घर चली गई। फिर अगले दिन जब उसे याद आया, तब वह अपनी सारी जेठनियों को लेकर सांप के पास पहुंची।
जहां उसने देखा कि सांप अब तक वहीं बैठा हुआ है। जिसपर छोटी बहू ने सांप से कहा कि भैया! हमें माफ कर दो। कल हमें आपका स्मरण ही नही रहा। छोटी बहू के मुख से भैया सुनकर सांप ने कहा कि बहना यदि तुमने मुझे भाई कहकर संबोधित नही किया होता। तो अब तक मैंने तुमको डस लिया होता। पर आज से तू मेरी बहन है और मेरा तेरा भाई। उसके बाद सांप ने छोटी बहू से वरदान मांगने को कहा।
जिस पर छोटी बहू ने सांप से कहा कि मेरा कोई सगा भाई नही है। इसलिए आज से तुम मेरे भाई हो। जिसके बाद एक दिन वह सांप इंसानी रूप लेकर छोटी बहू के घर पहुंचा और उसके घर वालों से बोला कि आप लोग मेरी छोटी बहन को बुला दो।
हालांकि शुरू में, छोटी बहू के ससुराल वालों को शक हुआ लेकिन फिर भी उन्होंने छोटी बहू को सांप यानि उसके भाई के साथ भेज दिया। फिर सांप ने अपनी बहन से कहा कि तुम अपने नाग भाई को भूली तो नही हो ना। चलो अब तुम मेरी पूंछ पकड़कर मेरे पीछे-पीछे आओ।
छोटी बहू ने अपने नाग भाई के कहेनुसार ही किया और उसने देखा कि वह एक ऐसी जगह पहुंच गई है। जहां हर तरफ शान शौकत बिखरी हुई है। जिसके बाद वह वहां आराम से रहने लगी।
एक दिन सांप की माता ने छोटी बहू से कहा कि वह अपने भाई को पीने के लिए दूध दे दे। जिस पर छोटी बहू ने अपने भाई को गरम दूध पीने को दे दिया। जिससे सांप का मुंह जल गया और सांप की माता छोटी बहू से काफी क्रोधित हो गई। लेकिन सांप ने उन्हें शांत करवा दिया।
कुछ दिनों बाद जब छोटी बहू अपने ससुराल वापस जाने लगी। तब सांप ने उसे एक भाई होने के नाते काफी सारे सोने चांदी के आभूषण और कीमती सामान दिया। जिसको देखकर छोटी बहू के ससुराल वाले आश्चर्यचकित रह गए।
उसकी जेठानी ने फिर छोटी बहू से कहा कि तुम्हारा भाई तो काफी धनवान है। ऐसा करो तुम उससे और अधिक सोना लेकर आ जाओ। जिसपर सांप ने अपनी बहन का घर कीमती जेवरातों और सामानों से भर दिया। साथ ही सांप ने अपनी बहन को एक कीमती हीरे का हार भी दिया।
जिसकी चर्चा उस राज्य की महारानी को भी हो गई। उन्होंने आदेश देकर छोटी बहू का वह कीमती हीरों का हार मंगवा लिया। जिससे दुःखी होकर छोटी बहू ने अपने नाग भाई को याद किया और सारी बात बता दी। सांप ने महारानी के गले में पड़े हार को नाग में बदल दिया। जिससे महारानी डर गई और उन्होंने तुरंत उस हार को उतार दिया।
अगले दिन महारानी के आदेश पर छोटी बहू को राजमहल में बुलाया गया और उससे हार के विषय में पूछा गया। छोटी बहू ने बताया कि ये हार मेरे अलावा अन्य किसी के गले में जैसे ही पड़ता है, वह सांप में बदल जाता है।
महारानी इस बात को सिद्ध करने के उद्देश्य से छोटी बहू को हार पहनने को कहती है। और वह हार छोटी बहू के गले में पड़ते ही हीरे की मणि में बदल जाता है। जिसे देखकर राजमहल में मौजूद सभी लोग आश्चर्यचकित हो जाते हैं।
साथ ही महाराज और महारानी छोटी बहू की बात से प्रसन्न होकर उसे काफी सारी स्वर्ण मुद्राएं भेंट करते हैं। जिसे देखकर छोटी बहू की जेठानी उससे ईर्ष्या करने लगती है और छोटी बहू के पति को उसके खिलाफ भड़का देती है। कि आखिर तुम्हारी पत्नी को इतना सारा धन और जेवरात कौन देता है?
अपनी भाभी के मुख से यह बात सुनका छोटी बहू का पति उसके चरित्र पर संदेह करने लग जाता है। छोटी बहू दुःखी होकर अपने नाग भाई को याद करती है, जिस पर नाग देवता अपनी बहन के पति को कहते हैं कि ये मेरी बहन है और अगर तुम इसके चरित्र पर उंगली उठाओगे तो मैं तुम्हें खा जाऊंगा।
नाग देवता की यह बात सुनकर छोटी बहू के पति ने उनसे अपनी भूल के लिए क्षमा मांगी और उनको आदर से प्रणाम किया।
मान्यता है तभी से नागपंचमी के दिन भारतीय स्त्रियां सांप को अपना भाई मानकर नाग देवता की पूजा करती हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करती हैं।
शिक्षा – उपरोक्त कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें बिना किसी कारण के किसी पर भी शक नहीं करना चाहिए। शक किसी भी रिश्ते में आपसी प्रेम और विश्वास को चकनाचूर कर देता है।
नागपंचमी वाले दिन कैसे करें पूजा?
- प्रात:काल सबसे पहले उठकर स्नान आदि करें और साफ सुथरे कपड़े धारण करें।
- इस दिन नाग देवता की पूजा करने से पहले पक्का भोजन तैयार किया जाना चाहिए। हालांकि कई जगहों पर मान्यता है कि नागपंचमी वाले दिन बासी भोजन का सेवन करना चहिए।
- इस दिन लोग घरों की दीवार को गेरू से रंगकर उसपर कोयले की कालिख से नाग देवता की आकृति बनाते हैं।
- नागपंचमी वाले दिन पूजा की थाली में दुर्वा, कच्चा दूध, जल, फूल, अक्षत, चंदन, रोली और चावल इत्यादि रखना चाहिए।
- नागपंचमी वाले दिन व्रत का विधि विधान से पालन करने के पश्चात् सांप को खीर या दूध चढ़ाना चाहिए।
आशा करते हैं कि आपको नागपंचमी की यह पौराणिक कथा पसंद आई होगी। ऐसी ही अन्य धार्मिक कहानियों को पढ़ने के लिए हमें फॉलो करना न भूलें।