सौरमंडल क्या है? – Solar System in Hindi

solar system in hindi

Solar system को हिंदी में सौरमंडल कहा जाता है। जिसके बारे में आपको बताने से पहले हम यह मानकर चलते हैं, कि आपको यह मालूम है कि पृथ्वी एक ग्रह है, और वह सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाती है। ठीक उसी प्रकार से अनेक ग्रह, उपग्रह और उल्का पिंड भी पृथ्वी की तरह सूर्य की परिक्रमा करते हैं।

 
सूर्य जोकि एक तारा है। वह सौरमंडल का केंद्र बिंदु होता है, और सूर्य के माध्यम से ही सौरमंडल को प्रकाश व ऊष्मा की प्राप्ति होती है। इस प्रकार, हम कह सकते हैं कि आसमान में मौजूद सूर्य, चंद्रमा समेत सभी ग्रह, उपग्रह, पिंड, उल्कापिंड और तारे मिलकर सौरमंडल (solar system) का निर्माण करते हैं।

तो चलिए अब हम जानते हैं सौरमंडल की परिभाषा और इसकी खोज के बारे में….

सौर मंडल क्या है? Saur Mandal Kya Hai

सौरमंडल में सौर का शाब्दिक अर्थ है सूर्य से संबंधित। यानि सूर्य सौरमंडल के केंद्र में स्थित होकर अन्य सभी ग्रहों, उल्का पिंडों, उपग्रहों, क्षुद्रग्रहों, पुच्छल तारों को प्रकाश व ऊष्मा प्रदान करता है। जिसे हम सौरमंडल (saur mandal) या सौर परिवार का नाम देते हैं।


हमारा सौरमंडल आकाशगंगा (मिल्की वे) का एक भाग है। जहां असंख्य तारों, बादलों, गैसों और ग्रहों की उपस्थिति होती है। सौरमंडल में मौजूद समस्त ग्रह एक निश्चित पथ पर रहकर सूर्य का चक्कर लगाते हैं। इन पथों को हम दीर्घवृत्ताकार में फैली हुई कक्षाएं भी कहते हैं।

सौरमंडल में मौजूद समस्त ग्रह व खगोलीय पिंड एक दूसरे से गुरुत्वाकर्षण बल के माध्यम से जुड़े होते हैं। इस प्रकार, सौरमंडल में विद्यमान समस्त ग्रह और खगोलीय पिंड सूर्य से एक निश्चित दूरी पर स्थित होते हैं और उसके चारों ओर चक्कर लगाते हैं। ब्रह्मांड की इस पूरी प्रक्रिया को ही सौरमंडल का नाम दिया गया है।


सौरमंडल की खोज किसने की? Who is the founder of solar system thoery?

लगभग 140 ईसवी के दौरान मिस्र के प्रसिद्ध ज्योतिर्विद क्लाडियस टॉलमी ने बताया था कि ब्रह्मांड के केंद्र में पृथ्वी मौजूद है। लेकिन साल 1543 में पोलैंड में जन्मे महान खगोलशास्त्री निकोलस कॉपरनिकस ने सौरमंडल की धारणा को विकसित किया। उनके अनुसार ब्रह्मांड के केंद्र में पृथ्वी नहीं बल्कि सूर्य स्थित है, जिसके चारों ओर समस्त खगोलीय पिंड चक्कर लगाते हैं।


सौरमंडल की आयु करीब 4.568 अरब वर्ष बताई गई है। वर्तमान आंकड़ों के अनुसार, सौरमंडल में 1 सूर्य, 8 ग्रह, 575 उपग्रह, 5 बौने ग्रह, 181 चंद्रमा, 7, 96, 354 उल्कापिंड और लगभग 4017 धूमकेतु मौजूद हैं।


ग्रहों का वर्णन – Planet name in hindi

सौरमंडल में मौजूद ग्रहों को दो भागों में बांटा गया है-

  1. आंतरिक ग्रह: जो ग्रह सूर्य के काफी नजदीक होते हैं और चट्टानों से निर्मित होते हैं, वह सौरमंडल के आंतरिक ग्रह कहलाते हैं। जैसे:- बुध, शुक्र, पृथ्वी और मंगल ग्रह आदि।

  2. ब्राह्य ग्रह: जो ग्रह सूर्य से काफी दूर और बड़े होते हैं, उन्हें सौरमंडल के ब्राह्य ग्रह कहते हैं। यह मुख्यता गैसों और तरल पदार्थों के मिश्रण से बने होते हैं। जैसे:- बृहस्पति, शनि, अरुण और वरुण आदि।

उपरोक्त आंतरिक और ब्राह्य ग्रहों को मिलाकर हमारे सौरमंडल में कुल 8 ग्रह मौजूद है। जिनको हम एक एक करके विस्तार से पढ़ेंगे।

बुध ग्रह – Mercury

Mercury
  1. आकार के आधार पर यह सौरमंडल का सबसे छोटा ग्रह है। 
  2. सूर्य के सबसे नजदीक होने के बावजूद यह गर्म ग्रह की श्रेणी में नहीं आता है। 
  3. बुध ग्रह की खोज आज से लगभग 5000 साल पहले सुमेरियन लोगों ने की थी।
  4. इसका व्यास 4880 किलोमीटर है।
  5. सूर्य से इसकी दूरी 58 मिलियन किलोमीटर है। इसलिए यह सूर्य के सबसे नजदीक का ग्रह कहलाता है।
  6. बुध को सूर्य की परिक्रमा करने में 88 दिनों का समय लगता है।
  7. इसके पास अपना कोई उपग्रह नही है। 
  8. यह हरे रंग का होता है। जिसे बिना किसी टेलीस्कोप की सहायता से भी देखा जा सकता है।
  9. इसका द्रव्यमान 3.285 × 10^23 KG है। 
  10. बुध को सबसे अधिक गड्ढों वाला ग्रह भी कहा जाता है। 
  11. इसका तापमान दिन में 430°C और रात को -180°C हो जाता है। 
  12. इसका घूर्णन काल धरती के 59 दिन के बराबर है।
  13. इसका निर्माण 4.5 अरब वर्ष पहले धूल और गैसों के बंबडर के एक ही जगह जम जाने से हुआ था।
  14. इसका एक दिन पृथ्वी के 176 दिनों के बराबर होता है।
  15. इसके वायुमंडल में लगभग 42% ऑक्सीजन, 29% सोडियम, 6% हीलियम, 22% हाइड्रोजन मौजूद है और यहां पानी की उपलब्धता नही पाई जाती है। ऐसे में बुध ग्रह पर जीवन संभव नहीं है।

हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार…..

1. बुध ग्रह को बुध देव की संज्ञा दी गई है। जिनके पूज्य देवता माता दुर्गा हैं।

2. बुध ग्रह मिथुन और कन्या राशि का स्वामी है।

3. यह व्यापारियों के रक्षक माने जाते हैं। 

4. बुध देवता चांद और तारे के पुत्र हैं। जिनकी सवारी पंख वाला शेर है। 

5. बुध देवता को तर्क, बुद्धि, संवाद और मित्रता का कारक माना गया है। 

6. बुधवार का दिन बुध देवता के नाम से ही जाना जाता है।

 7. बुध देव का रंग हरा व शुभ रत्न पन्ना है। 

8. यदि बुध कुंडली में सूर्य और शुक्र के साथ होता है, तब वह फलदायी होता है। तो वहीं यदि चंद्रमा और मंगल के साथ होता है, तब ये कष्टदाई मालूम पड़ता है।

9. बुध का मंत्र ॐ बुं बुधाय नम: है।

10. समस्त ग्रहों में इन्हें राजुकमार की उपाधि दी गई है।


शुक्र ग्रह – Venus

Venus
  1. आकार के आधार पर यह सौरमंडल का छठा ग्रह है। 
  2. यह गर्म ग्रह की श्रेणी में आता है।
  3. शुक्र ग्रह को सबसे पहले गैलीलियो ने सूर्य की परिक्रमा करते हुए देखा था।
  4. इसका व्यास 12,103 किलोमीटर है।
  5. सूर्य से इसकी दूरी 6.72 करोड़ मील है। यह सूर्य से दूरी के स्थान पर दूसरे स्थान पर आता है।
  6. शुक्र को सूर्य की परिक्रमा करने में 225 दिनों का समय लगता है।
  7. इसके पास अपना कोई उपग्रह नही है। 
  8. यह चमकीला होता है। जिसे बिना किसी टेलीस्कोप की सहायता से भी देखा जा सकता है।
  9. इसका द्रव्यमान 4.869e24 KG है।
  10. शुक्र ग्रह पृथ्वी के सबसे निकट है, इसलिए इसे पृथ्वी की बहन भी कहा जाता है। शुक्र ग्रह सुबह के समय पूर्वी दिशा और शाम के समय पश्चिम दिशा में दिखाई पड़ता है। इसी कारण इसे सुंदरता की देवी या भोर का तारा भी कहा जाता है।
  11. इसका तापमान 767°C से 872°F तक है, जिस कारण यह सौरमंडल का सबसे तप्त ग्रह कहलाता है।
  12. इसका घूर्णन काल धरती के 243 दिन के बराबर है।
  13. इसका वायुमंडल कार्बन डाइऑक्साइड से बना है।
  14. इसका एक दिन पृथ्वी के 243 दिनों के बराबर होता है।
  15. इसकी जमीं पर सक्रिय ज्वालामुखी भी पाए जाते हैं। साथ ही यहां 96% तक कार्बन डाइऑक्साइड, 3.5% तक नाइट्रोजन पाई जाती है, इस कारण यहां जीवन संभव नहीं है।

हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार…..

  1. शुक्र ग्रह को शुक्र देव की संज्ञा दी गई है। जिनके पूज्य देवता लक्ष्मी माता हैं।
  2. शुक्र ग्रह वृष और तुला राशि का स्वामी है। साथ ही इन्हें ज्येष्ठ माह का स्वामी भी कहा जाता है।
  3. यह दैत्यों के शिक्षक माने जाते हैं। एक कुबेर के खजाने के रक्षक भी हैं।
  4. शुक्र देवता भृगु और उशान के पुत्र हैं। जिनकी सवारी अश्व है। 
  5. शुक्र देवता को धन, खुशी, ऐश्वर्य, सुंदरता, ज्ञान, तपस्या और प्रजनन का कारक माना गया है। 
  6. शुक्रवार का दिन शुक्र देवता के नाम से ही जाना जाता है।
  7. शुक्र देव का रंग सफेद व शुभ रत्न हीरा है। 
  8. शुक्र एक स्त्री ग्रह है। ऐसे में यदि आपकी कुंडली में शुक्र राहु के साथ होता है, तब आपके जीवन से स्त्री और धन का प्रभाव खत्म होने लगता है।
  9. शुक्र का मंत्र ॐ शुं शुक्राय नम: है।
  10. समस्त ग्रहों में शुक्र ग्रह को भौतिक संपन्नता का सूचक और एक शुभ ग्रह माना गया है।


पृथ्वी – Earth

earth
  1. आकार के आधार पर यह सौरमंडल का पांचवा ग्रह है। 
  2. यह न तो अधिक गर्म और न अधिक ठंडे ग्रहों की श्रेणी में आती है। 
  3. पृथ्वी की खोज का श्रेय निकोलस कॉपरनिकस को दिया जाता है। जहां आज से लगभग 4 अरब साल पहले जीवन का आरंभ हुआ था।
  4. इसका व्यास 12,742 किलोमीटर है।
  5. सूर्य से इसकी दूरी 15 करोड़ किलोमीटर है। यह सूर्य से दूरी के स्थान पर तीसरे स्थान पर आता है।
  6. पृथ्वी को सूर्य की परिक्रमा करने में 365 दिनों का समय लगता है।
  7. पृथ्वी के पास अपना एक उपग्रह चंद्रमा है। 
  8. यह नीले रंग की होती है। क्योंकि यहां 71% तक पानी की मात्रा पाई जाती है। 
  9. इसका द्रव्यमान 5.972×10^24 KG है।
  10. यह अपने अक्ष पर 23.5° झुकी है। इस कारण यह ऋतु परिवर्तन होता है।
  11. इसके केंद्र का तापमान 6000° सेल्सियस तक हो सकता है। हालांकि इसका औसत तापमान 15° सेल्सियस है।
  12. पृथ्वी का घूर्णन काल 23 घंटे, 56 मिनट और 4.09 सेकेंड है। 
  13. पृथ्वी का निर्माण उसमें मौजूद लावा के ठंडा होने के बाद हुआ है।
  14. इसका एक दिन 24 घंटों और एक साल 365 दिन का होता है।
  15. यहां 0.03% तक कार्बन डाइऑक्साइड, 78.09% तक नाइट्रोजन, 20.95% ऑक्सीजन पाई जाती है, इस कारण यहां जीवन संभव नहीं है।

हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार…..

पृथ्वी को माता का दर्जा दिया गया है। जिसको इस श्लोक के माध्यम से वर्णित किया गया है-

माता भूमि पुत्रो अहं पृथिव्या 

अर्थात् भूमि हमारी माता समान है और मैं इसकी संतान हूं।

सनातन धर्म में पृथ्वी या धरती को मां का दर्जा दिया गया है। उसकी मान्यताओं के अनुसार, धरती हमें जीवन की आधारभूत आवश्यकताओं की उपलब्धता कराती है। इसलिए हमें अपने कर्मों के माध्यम से सदैव उसके प्रति कृतज्ञता का भाव रखना चाहिए।

हिन्दू धर्म में प्रात:काल उठकर सबसे पहले धरती मां को प्रणाम किया जाता है। यहां प्रत्येक देशवासी को धरती माता के प्रति जिम्मेदारी और आपसी प्रेम का भाव रखना सिखाया जाता है। 


मंगल ग्रह – Mars

mars
  1. आकार के आधार पर यह सौरमंडल का सातवां ग्रह है। 
  2. यह ठंडे ग्रह की श्रेणी में आता है।
  3. मंगल ग्रह की खोज वर्ष 1610 में गैलिलियो गैलिली ने की थी।
  4. इसका व्यास 6,779 किलोमीटर है।
  5. सूर्य से इसकी दूरी 250.71 मिलियन किलोमीटर है। सूर्य से दूरी के आधार पर यह चौथा ग्रह है।
  6. मंगल ग्रह को सूर्य की परिक्रमा करने में 687 दिनों का समय लगता है।
  7. इसके पास 2 उपग्रह हैं। 
  8. यह लाल रंग का होता है। जिसे बिना किसी टेलीस्कोप की सहायता से भी देखा जा सकता है।
  9. इसका द्रव्यमान 6.39×10^23 KG है। 
  10. धरती की तरह मंगल भी एक स्थलीय धरातल वाला ग्रह है।
  11. इसका तापमान गर्मियों में 30° सेल्सियस और सर्दियों में 140° सेल्सियस होता है। 
  12. इसका घूर्णन काल एक दिन होता है।
  13. इसका निर्माण चट्टानों और रेत के कणों से मिलकर हुआ है।
  14. इसका एक दिन 24 घंटे 37 मिनट का होता है।
  15. इसके वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन मौजूद है। ऐसे में मंगल ग्रह पर जीवन की संभावना तलाशी जा रही है।

हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार…..

  1. मंगल ग्रह को मंगल देव की संज्ञा दी गई है। जिनके पूज्य देवता हनुमान जी हैं।
  2. मंगल ग्रह मेष और वृश्चिक राशि का स्वामी है।
  3. यह युद्ध के देवता माने जाते हैं। 
  4. मंगल देवता को भगवान शिव का अंश माना जाता है। 
  5. मंगल देवता को आत्मविश्वास, ऊर्जा और अहंकार का कारक माना गया है। 
  6. मंगलवार का दिन मंगल देवता के नाम से ही जाना जाता है। इनकी सवारी भेड़ है।
  7. मंगल देव का रंग लाल व शुभ रत्न मूंगा है। 
  8. यदि मंगल कुंडली में राहु के साथ होता है, तो व्यक्ति के जीवन में अंगारक योग बनता है। 
  9. मंगल देवता का मंत्र ॐ हूं श्रीं मंगलाय नम: है।
  10. समस्त ग्रहों में इन्हें मनोगत विज्ञान या योग पुरुष माना गया है।


बृहस्पति ग्रह – Jupiter

jupiter
  1. आकार के आधार पर यह सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है। 
  2. यह ठंडे ग्रह की श्रेणी में आता है। 
  3. बृहस्पति ग्रह की खोज वर्ष 1610 में गैलेलियो गैलिली ने की थी।
  4. इसका व्यास 139,820 किलोमीटर है।
  5. सूर्य से इसकी दूरी 753.63 मिलियन किलोमीटर है। सूर्य से दूरी के आधार पर यह पांचवा ग्रह है।
  6. बृहस्पति को सूर्य की परिक्रमा करने में 11 साल 9 महीने का समय लगता है।
  7. इसके पास 16 उपग्रह हैं। 
  8. यह सफेद और भूरे रंग का होता है। जिसे बिना किसी टेलीस्कोप की सहायता से भी देखा जा सकता है।
  9. इसका द्रव्यमान 1.898×10^27 KG है। 
  10. इसे सौरमंडल के समस्त ग्रहों का वैक्यूम क्लीनर भी कहा जाता है।  
  11. इसका तापमान लगभग 148° सेल्सियस होता है। 
  12. इसका घूर्णन काल 9 घंटे 55 मिनट का होता है।
  13. इसका निर्माण हीलियम और हाइड्रोजन गैसों से मिलकर हुआ है। 
  14. इसका एक दिन पृथ्वी के 9 घंटे 55 मिनट के बराबर होता है।
  15. इसके वायुमंडल में लगभग 10% हीलियम, 90% हाइड्रोजन मौजूद है और यहां पानी, मीथेन और अमोनिया गैस भी पाई जाती है।

हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार…..

  1. बृहस्पति ग्रह को गुरु देव की संज्ञा दी गई है। जिनके पूज्य देवता ब्रह्मा जी हैं।
  2. बृहस्पति ग्रह धनु और मीन राशि का स्वामी है।
  3. यह देवताओं और दानवों के गुरु शुक्राचार्य के विरोधी माने जाते हैं। 
  4. बृहस्पति देवता महर्षि अंगिरा और माता सुनीमा के पुत्र हैं। जिनकी सवारी हाथी है। 
  5. बृहस्पति देवता को ज्ञान और शिक्षण का कारक माना गया है। 
  6. गुरुवार का दिन बृहस्पति देवता के नाम से ही जाना जाता है।
  7. बृहस्पति देव का रंग सुनहरा व शुभ रत्न पुखराज है। 
  8. यदि बृहस्पति कुंडली में सूर्य और मंगल के साथ होता है, तब वह फलदायी होता है। 
  9. बृहस्पति का मंत्र ॐ बृं बृहस्पते नम: है।
  10. इन्हें देवताओं के पुरोहित की उपाधि दी गई है।


शनि ग्रह – Saturn

Saturn
  1. आकार के आधार पर यह सौरमंडल में दूसरे स्थान पर आता है। 
  2. यह ठंडे ग्रह की श्रेणी में आता है। 
  3. शनि ग्रह की खोज साल 1610 में गैलेलियो गैलिली में की थी।
  4. इसका व्यास 120,536 किलोमीटर है।
  5. सूर्य से इसकी दूरी 1.4864 मिलियन किलोमीटर है। सूर्य से दूरी के आधार पर यह छठे स्थान पर आता है।
  6. शनि को सूर्य की परिक्रमा करने में 29.5 साल का समय लगता है।
  7. इसके पास 62 उपग्रह हैं। 
  8. यह काले रंग का होता है। जिसे बिना किसी टेलीस्कोप की सहायता से भी देखा जा सकता है।
  9. इसका द्रव्यमान 5.683×10^26 KG है। 
  10. इसे सौरमंडल का गहना और ग्लोब ऑफ गैसेस भी कहा जाता है।
  11. इसका तापमान 178°C होता है। 
  12. इसका घूर्णन काल धरती के साढ़े 29 सालों के बराबर है।
  13. इसका निर्माण लोहा, निकल और चट्टानों से हुआ था।
  14. इसका एक दिन पृथ्वी के 243 दिनों के बराबर होता है।
  15. इसके वायुमंडल में लगभग 3.25% हीलियम, 96.3% हाइड्रोजन मौजूद है।

हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार…..

  1. शनि ग्रह को शनि देव की संज्ञा दी गई है। जिनके पूज्य देवता श्री भैरव हैं।
  2. शनि ग्रह मकर और कुंभ राशि का स्वामी है।
  3. यह न्याय के देवता माने जाते हैं। 
  4. शनि देवता सूर्य के पुत्र हैं। जिनकी सवारी गिद्ध, घोड़ा, गधा, कुत्ता, शेर, सियार, हाथी, हिरण और मोर आदि हैं।
  5. शनि देवता को आयु, विज्ञान, तकनीक, सेवक, जल, रोग, पीड़ा, लोहा आदि का कारक माना गया है। 
  6. शनिवार का दिन शनि देवता के नाम से ही जाना जाता है।
  7. शनि देव का रंग काला व शुभ रत्न नीलम है। 
  8. यदि शनि तुला राशि के जातक कुंडली में होता है, तब वह फलदायी होता है। 
  9. शनि देव का मंत्र ॐ प्रां प्रीं स: शनये नम: है।
  10. ज्योतिष शास्त्र में शनि की साढ़े साती का व्यक्ति के जीवन पर काफी प्रभाव पड़ता है।


अरुण – Uranus

Uranus
  1. आकार के आधार पर यह सौरमंडल का तीसरा ग्रह है।
  2. यह ठंडे ग्रह की श्रेणी में आता है।
  3. अरुण ग्रह की खोज 13 मार्च 1781 को जर्मनी के वैज्ञानिक विलियम हर्षल ने की थी।
  4. इसका व्यास 51118 किलोमीटर है।
  5. सूर्य से इसकी दूरी 287 करोड़ किलोमीटर है। सूर्य से दूरी के आधार पर यह सांतवे स्थान पर आता है।
  6. अरुण ग्रह को सूर्य की परिक्रमा करने में 84 सालों का समय लगता है।
  7. इसके पास अपने 27 उपग्रह यानि चंद्रमा हैं।
  8. यह हरे रंग का होता है। इसे भी दूरबीन की मदद से आसानी से देखा जा सकता है।
  9. इसका द्रव्यमान 81681×10^25 KG है।
  10. इसके नाम पर यूरेनियम पदार्थ का नाम रखा है। साथ ही इस ग्रह को ice giant कहा जाता है, क्योंकि यह बर्फ से बना होता है।
  11. इसका तापमान 224 डिग्री सेंटीग्रेड होता है।
  12. इसका घूर्णन काल धरती के 17 घंटे 14 मिनट के बराबर होता है।
  13. इसका निर्माण बर्फों और पत्थरों से मिलकर हुआ है। यहां बादलों की अनेक परत पाई जाती हैं।
  14. इसका एक दिन पृथ्वी के 17 घंटे, 14 मिनट और 24 सेकंड के बराबर होता है।
  15. इसके वायुमंडल में लगभग 82.5% हाइड्रोजन, 2.3% मीथेन, 15.2% हीलियम मौजूद है। मीथेन गैस की अधिकता के कारण अरुण ग्रह पर हीरे की बारिश होती है।

हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार…..

  1. अरुण ग्रह को आकाश और स्वर्ग का देवता माना जाता है।
  2. अरुण ग्रह कुम्भ राशि का स्वामी है।
  3. इन्हें हर्षल या प्रजापति कहा जाता है।
  4. अरुण ग्रह को बुद्धिमता का प्रतीक माना गया है।
  5. अरुण देवता को ज्ञान, निष्पक्षता, नवीनता और सरलता का कारक मानते हैं।
  6. यह प्रजापति और विनता के पुत्र हैं।
  7. इनको भगवान सूर्य का सारथी कहा गया है।
  8. इनकी संतान के रूप में दो बालक हुए।
  9. जिनका नाम जटायु और संपाति है।
  10. अरुण देवता के ज्येष्ठ भाई पक्षियों के राजा गरुड़ हैं।


वरुण – Neptune

Neptune
  1. आकार के आधार पर यह सौरमंडल में चौथे स्थान पर आता है।
  2. यह ठंडे ग्रह की श्रेणी में आता है।
  3. वरुण ग्रह की खोज 23 सितंबर 1846 को urbain le berrier, John couch Adams, Johann Gottfried galle ने की थी।
  4. इसका व्यास 49,244 किलोमीटर है।
  5. सूर्य से इसकी दूरी 4.4753 करोड़ किलोमीटर है। सूर्य से दूरी के आधार पर यह अंतिम ग्रह यानी आंठवे स्थान पर आता है।
  6. वरुण को सूर्य की परिक्रमा करने में 164.8 साल का समय  लगता है।
  7. इसके पास 14 उपग्रह यानि चंद्रमा है।
  8. यह नीले रंग का होता है। जिसे बिना किसी टेलीस्कोप की सहायता से भी देखा जा सकता है।
  9. इसका द्रव्यमान 1.024×10^26 KG है।
  10. वरुण ग्रह पर रिंग्स यानि छल्ले पाए जाते हैं।
  11. इसका तापमान 214° सेल्सियस होता है।
  12. इसका घूर्णन काल धरती के 16 घंटे के बराबर है।
  13. इसका निर्माण अमोनिया और मीथेन गैस से हुआ है। यहां भी अरुण ग्रह की तरह पानी की बर्फ अधिक मात्रा में पाई जाती है।
  14. इसका एक दिन पृथ्वी के 16 घंटों के बराबर होता है।
  15. इसके वातावरण में हीलियम, हाइड्रोजन और मीथेन पाई जाती है।

हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार…..

  1. वरुण ग्रह को वरुण देवता की उपाधि दी गई है। जिनको देवताओं में तीसरा स्थान मिला है।
  2. वरुण ग्रह मीन राशि पर प्रभाव डालता है।
  3. वरुण देवता का जिक्र ऋग्वेद में भी किया गया है। इसके सातवां मंडल में वरुण देव के बारे में बताया गया है।
  4. वरुण देवता को नैतिक शक्ति देने वाला देवता माना गया है।
  5. वरुण देव समुंद्र के देवता, विश्व के नियामक, ऋतु परिवर्तन, सूर्य के निर्माता माने गए हैं।
  6. वरुण को जल का देवता माना गया है। इनकी सवारी समुद्री मकर है।
  7. इनके पिता कश्यप ऋषि और माता अदिति हैं।
  8. यदि वरुण कुंडली में गुरु के साथ होता है, तब वह फलदायी होता है।
  9. वरुण का मंत्र ॐ अंपा पतये वरुणाय नम: है।
  10. भगवान झूलेलाल को इनका अवतार माना जाता है।

इसके अलावा हिंदू धर्म में सूर्य देवता को रविवार का स्वामी माना जाता है। साथ ही इन्हें समस्त देव ग्रहों का मुखिया कहा गया है। इनके पिता का नाम कश्यप और माता अदिति हैं। इनके पूज्य देवता भगवान विष्णु हैं। हिंदू धर्म में सूर्य देवता की पूजा, नमस्कार और आराधना का विशेष महत्व है।

चंद्र देवता को सोमवार का स्वामी माना गया है। जिन्हें मानव मन की शक्तियों का प्रतिनिधि बताया गया हैं। इनके पिता ऋषि अत्रि और माता अनुसुइया हैं। हिंदू धर्म में त्योहार और विभिन्न धार्मिक पूजन के दौरान चंद्रमा की पूजा का विशेष महत्व है। इनके पूज्य देवता भगवान शंकर हैं।

साथ ही राहु और केतु ग्रह का भी ज्योतिष शास्त्र के आधार पर काफी महत्व है। जोकि मानव जीवन पर मुख्यता अशुभ प्रभाव डालते हैं। जहां केतु को सांप की पूंछ तो वहीं राहु को सांप का मुखिया माना जाता है। राहु केतु के पूज्य देवता माता सरस्वती और श्री गणेश हैं।

इस प्रकार, सौरमंडल में विद्यमान समस्त ग्रह व्यक्ति के जीवन पर शुभ या अशुभ प्रभाव डालते हैं। इनका भौगोलिक और ज्योतिष दोनों ही आधार पर महत्व मानव जीवन में दृष्टिगोचर होता है।


सौरमंडल से जुड़ी प्रमुख शब्दावली

  1. ग्रह – जिन खगोलीय पिंडों में अपना प्रकाश और ऊष्मा नही होती है, बल्कि वह सूर्य के प्रकाश से प्रकाशित होते हैं। वह ग्रह कहलाते हैं। इन्हें अंग्रेजी भाषा में planet कहा जाता है। जोकि ग्रीक भाषा के प्लेनेटाइ शब्द से मिलकर बना है। जिसका शाब्दिक अर्थ चारों ओर घूमने से लगाया जाता है। इसी प्रकार से, ग्रह भी सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाते हैं।

  2. उपग्रह – जो आकाशीय पिंड ग्रहों की परिक्रमा करते हैं, वह उपग्रह कहलाते हैं। उपग्रह ग्रहों के चारों ओर एक निश्चित कक्षा में घूमते हैं। प्रत्येक ग्रह के पास अपने एक या एक से अधिक उपग्रह होते हैं।उपग्रह दो प्रकार के होते हैं-
    • कृत्रिम उपग्रह जोकि मानव द्वारा निर्मित किए जाते हैं। भारतीय कृत्रिम उपग्रहों का नाम आर्यभट्ट और भास्कर है। जो अंतरिक्ष की जानकारी पाने और दूरसंचार के लिए प्रयोग में लाए गए हैं।
    • प्राकृतिक उपग्रह पहले से ही ग्रहों के चारों ओर चक्कर लगाते पाए जाते हैं।

  3. बौने ग्रह – जो ग्रह आकार में काफी छोटे होते हैं और वह पूरी तरीके से ग्रह की श्रेणी में नहीं आते हैं।बौने ग्रह कहलाते हैं। बौने ग्रहों में निम्न ग्रह शामिल हैं:- प्लूटो, सिरस, प्लूटो, एरिस, मेकमेक, हुमा आदि।

  4. उल्कापिंड – सूर्य के चारों ओर जब छोटे छोटे पत्थर के टुकड़े भी चक्कर लगाते हैं, तो उन्हें उल्कापिंड कहा जाता है। हमने अक्सर उल्कापिंडों के धरती पर गिरने के किस्से सुने हैं।

  5. खगोलीय पिंड – जब हम आसमान की ओर देखते हैं तो हमें सूर्य, चंद्रमा, तारे आदि अनेक चमकीली चीजें दिखाई पड़ती हैं। उपरोक्त सभी को खगोलीय पिंड कहा जाता है। खगोलीय पिंड गैसों से बने होते हैं। जोकि आकार में काफी बड़े होते हैं। इनके पास काफी मात्रा में ऊष्मा और प्रकाश होता है, जिसे वह उत्सर्जित करते हैं।

  6. तारा – इनमें स्वयं का प्रकाश मौजूद होता है, इसलिए इन्हें नक्षत्रमंडल में सबसे अधिक चमकदार माना गया है। यह हाइड्रोजन और हीलियम से मिलकर बने होते हैं। इनका रंग लाल, नीला या सफेद हो सकता है। सूर्य पृथ्वी के सबसे नजदीक का तारा है और डेनेब (deneb) सबसे दूर का तारा है।

  7. चंद्रमा – चंद्रमा पृथ्वी का उपग्रह है। यह पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाता है। चंद्रमा पृथ्वी का चक्कर 27 दिन में पूर्ण करता है। हमारी पृथ्वी की तरह अन्य ग्रहों के पास भी अपने चंद्रमा हैं। जिनमें से शनि ग्रह के पास 30 से अधिक चंद्रमा हैं। इसका व्यास पृथ्वी के व्यास का एक चौथाई है। चंद्रमा की पृथ्वी से दूरी 3,84,400 किलोमीटर है।

  8. सूर्य – हिंदू धर्म में सूर्य को देवता माना गया है। जिनसे जुड़ी काफी सारी पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। यह अत्यधिक गर्म गैसों से मिलकर बना होता है। जिसकी दूरी पृथ्वी से 15 करोड़ किलोमीटर है। सूर्य ही सौरमंडल में एकमात्र प्रकाश और ऊष्मा का स्त्रोत है। जिसके प्रकाश को धरती पर पहुंचने पर 8 मिनट का समय लगता है।

  9. क्षुद्रग्रह – सूर्य के चारों ओर ग्रहों, उपग्रहों के अतिरिक्त असंख्य छोटे छोटे पिंड भी चक्कर लगाते हैं। इन्हें ही क्षुद्र ग्रह कहा जाता है। यह छोटे-छोटे पिंड ग्रहों से ही टूटकर अलग हुए टुकड़े होते हैं। जो गुरुत्वाकर्षण बल के द्वारा ही सूर्य के चारों ओर घूमते हैं। क्षुद्रग्रह मुख्य रूप से मंगल और बृहस्पति ग्रह की कक्षाओं के बीच में पाए जाते हैं।

  10. पुच्छल तारा – यह हमारे सौरमंडल का ही एक भाग है। जोकि चट्टान, धूल और गैसों से बना होता है। यह तारा सदैव सूर्य से विपरीत दिशा में होता है। इसका ऊपरी सिरा हरे और निचला हिस्सा नीले रंग का होता हैं। इसका निचला हिस्सा पूंछ की भांति लगता है, इसलिए इसे पुच्छल या धूमकेतु भी कहा जाता है। यह लगभग 75 साल बाद पृथ्वी पर दिखाई देता है।

  11. आकाशगंगा – असंख्य तारों, बादलों और गैसों की प्रणाली आकाशगंगा कहलाती है। जोकि मिलकर ब्रह्मांड का निर्माण करती है। पहले इसे आकाश में प्रकाश की बहती हुई एक नदी माना जाता था। हमारा सौरमंडल इसका ही एक भाग है।

  12. नक्षत्रमंडल – तारों के विभिन्न समूहों द्वारा आसमान में बनाई गई आकृति को नक्षत्रमंडल कहते हैं। जैसे:- अर्सा मेजर और बिग बियर आदि। जानकारी के लिए बता दें कि हमारे हिंदू धर्म में प्रचलित सप्त ऋषियों जिन्हें सात तारों का समूह माना गया है, वह अर्सा मेजर का ही भाग हैं।

  13. ध्रुव तारा – ध्रुव तारा सदैव एक ही स्थान पर रहता है, जोकि उत्तर दिशा को दर्शाता है। हिंदू धर्म की पौराणिक कथाओं में एक सामान्य बालक के ध्रुव तारा बनने की कहानी प्रचलित है।

इस प्रकार, आज हमने आपको सौरमंडल के समस्त ग्रहों के वैज्ञानिक और धार्मिक महत्व के बारे में विस्तार से जानकारी दी। आशा करते हैं कि आपको हमारा यह लेख (Solar System in Hindi) ज्ञानवर्धक लगा हो, ऐसी ही अन्य जानकरियां पाने के लिए हमें फॉलो करना ना भूलें।


अंशिका जौहरी

मेरा नाम अंशिका जौहरी है और मैंने पत्रकारिता में स्नातकोत्तर किया है। मुझे सामाजिक चेतना से जुड़े मुद्दों पर बेबाकी से लिखना और बोलना पसंद है।

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