About Nambi Narayanan
हाल ही में बॉलीवुड अभिनेता आर. माधवन ने अपनी आगामी फिल्म ‘रॉकेटरी: द नांबी इफेक्ट’ का टीज़र जारी किया है। ये फिल्म भारत के एक प्रसिद्ध एयरोस्पेस इंजीनियर एस नंबी नारायणन के जीवन पर आधारित उनकी जीवनी है। इन्होंने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के लिए काम किया था। ये फिल्म नंबी नारायण के जीवन और उनके खिलाफ लगाए गए झूठे आरोपों और जासूसी के मामले पर प्रकाश डालेगी।
विषय सूची
नंबी नारायणन (Nambi Narayanan) जीवनी के मुख्य तथ्य
- जन्म: 12 दिसंबर, सन् 1941 ई.
- जन्म स्थान: नागरकोइल
- शिक्षा: प्रिंसटन विश्वविद्यालय
- व्यवसाय: एयरोस्पेस इंजीनियरिंग
- पुरस्कार: पद्म भूषण
- मूवी: रॉकेट्री: द नांबी इफेक्ट
नंबी नारायणन कौन हैं? | About Nambi Narayanan
एस नंबी नारायणन भारत के प्रसिद्ध एयरोस्पेस इंजीनियर हैं, जिन्होंने इसरो के लिए काम किया है। इन्हें बहुत से प्रतिष्ठित पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया था। सन् 2019 में इन्हें भारत सरकार के द्वारा तीसरा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण भी दिया गया था। हालांकि आपको बता दें कि इनका करियर बिल्कुल भी आसान नहीं था।
दरअसल ये 1994 में तब सुर्खियों में आए जब इन्हें जासूसी के एक झूठे आरोपों के तहत गिरफ्तार कर लिया गया था। इसके बाद में केरल सरकार ने नारायणन को 1.3 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया। भारत में रॉकेट विज्ञान के विकास में उनके योगदान को सम्मान देते हुए सन् 2019 में भारत सरकार ने नारायणन को देश के तीसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, पद्म भूषण से सम्मानित किया।
नंबी नारायणन प्रारंभिक जीवन | Nambi Narayanan Jivani
नंबी का जन्म 12 दिसंबर, सन् 1941 को नागरकोइल में एक तमिल परिवार में हुआ था। बहुत छोटी सी उम्र से ही इन्हें वैज्ञानिक बनने की इच्छा थी। इन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा डीवीडी हायर सेकेंडरी स्कूल, नागरकोइल से पूरी की। इसके बाद इन्होंने त्यागराज कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, मदुरै से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बी.टेक किया।
अपने इंजीनियरिंग के दिनों में ही इन्होंने अपने पिता को खो दिया था पिता की मृत्यु के बाद घर का माहौल बहुत बिगड़ गया था सभी का जीवन अस्त व्यस्त हो गया और इनकी मां की भी तबीयत खराब हो गई। माता का स्वास्थ बिगड़ जाने के बाद इन्होंने मीना नाम्बी से शादी की और उनके साथ इनके एक बेटा और एक बेटी हैं।
नंबी नारायणन का करियर | Career Of Nambi Narayanan
अपनी इंजीनियरिंग के पूरा होते ही इन्होंने सन् 1966 में इसरो में थुम्बा इक्वेटोरियल रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन पर एक तकनीकी सहायक के रूप में अपने करियर की शुरू की। इसके बाद इन्होंने नासा फेलोशिप अर्जित की और सन् 1969 में प्रिंसटन विश्वविद्यालय में इन्हें स्वीकृति मिल गयी।
इन्होंने प्रोफेसर लुइगी क्रोको के साथ अपनी थीसिस पूरी की और तरल प्रणोदन में विशेषज्ञता के साथ भारत वापिस लौट आए। बाद में इन्होंने फ्रांस में चालीस वैज्ञानिकों की एक टीम का नेतृत्व किया और फ्रांसीसी से प्राप्त तकनीक पर भी काम किया। इसके परिणामस्वरूप सन् 1985 में विकास, पहला रॉकेट इंजन का सफल परीक्षण हुआ।
नंबी नारायणन पर केस | Cases On Nambi Narayanan
नवंबर सन् 1994 में, नांबी पर जासूसी का एक झूठा आरोप लगाया गया था और जब ये इसरो में वरिष्ठ अधिकारी थे तब विकास इंजन की टीम में क्रायोजेनिक्स डिवीजन के प्रभारी थे, जिसे भारत द्वारा लॉन्च किए गए पहले पीएसएलवी के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। उन पर मालदीव के दो कथित खुफिया अधिकारियों, मरियम रशीदा और फौजिया हसन को महत्वपूर्ण रक्षा रहस्य लीक करने का आरोप लगाया गया था।
प्राप्त जानकारी के अनुसार रक्षा अधिकारियों का बयान है कि नंबी और डी.शशिकुमारन ने रॉकेट और उपग्रह प्रक्षेपण के प्रयोगों से सबसे गोपनीय “उड़ान परीक्षण डेटा” से संबंधित रहस्यों को लीक कर दिया था। इन पर लाखों का गोपनीय डेटा लीक करने का भीषण आरोप लगाया गया था।
इस केस पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला
आपको बता दें कि जांच के दौरान, नंबी नारायणन के घर की तलाशी ली गई थी और उनके घर तब कुछ भी असामान्य नहीं था और उन पर भ्रष्ट लाभ के कोई संकेत भी नहीं मिले थे। ये पूरा मामला सन् 1994 में शुरू हुआ था और बाद में सन् 1996 में उन पर लगे सभी आरोपों को अप्रैल 1996 में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने खारिज कर दिया था।
सन् 1998 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय की ओर से इन्हें दोषी नहीं घोषित किया था। इसके बाद वर्ष 2018 के अंत में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने दीपक मिश्रा की पीठ में, नंबी नारायणन को 5,000,000 रुपए मुआवजे के रूप में प्रदान किया।
हालांकि, केरल सरकार ने एस नांबी नारायणन को पूरी जांच और मामले की प्रक्रिया के दौरान सहने वाली “मानसिक क्रूरता” के लिए 1.3 करोड़ रुपए का मुआवजा देने का फैसला किया। इसके साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश डी. के. जैन की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया, जिसने नारायणन की गिरफ्तारी में केरल पुलिस के अधिकारियों की भूमिका की संपूर्ण जांच शुरू की।
Nambi Narayanan को पद्म भूषण से किया गया सम्मानित
डॉ नंबी के ऊपर लगा पूरा मामला खत्म होने के बाद इन्हें सभी झूठे आरोपों से बर्खास्त कर दिया गया था, पश्चात भारत सरकार ने इन्हें सन् 2019 में तीसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, पद्म भूषण से सम्मानित किया।
नंबी नारायणन की आत्मकथा
डॉ.नांबी नारायणन ने मलयालम भाषा में अपनी आत्मकथा “ओरमकालुडे भ्रामणपदम” शीर्षक भी लिखी थी। इनकी आत्मकथा का उद्घाटन केरल त्रिवेंद्रम संसद सदस्य डॉ. शशि थरूर ने किया था।
बॉलीवुड के प्रसिद्ध अभिनेता आर माधवन के निर्देशन में बनी पहली फिल्म रॉकेट्री – द नांबी इफेक्ट, डॉ. नंबी नारायणन के जीवन पर आधारित उनकी संपूर्ण जीवनी पर एक फिल्म है। इस फिल्म में आर माधवन, डॉ. नंबी की भूमिका में नजर आएंगे, जो इनके जीवन पर प्रकाश डालेगी और जिस मामले में उन पर झूठा आरोप लगाया गया था वो सब कुछ इस फिल्म में आपको देखने को मिलेगा। इस फिल्म में सिमरन और रवि राघवेंद्र भी शामिल हैं।
ये अपनी प्रारंभिक शिक्षा के दौरान इसरो के एक अन्य वैज्ञानिक वाईएस राजन के सहपाठी भी रहे हैं। ये बचपन से ही पढ़ाई में बहुत होशियार छात्र थे और इस कारण इन्हें पढ़ने के लिए हर तरह की स्कॉलरशिप मिलती थी। ये अपनी पढ़ाई में इतना होशियार थे कि ये अपनी कॉलेज की फीस छात्रवृत्ति के माध्यम से ही चुका देते थे और अन्य फर्मों में काम भी करते रहते थे। इससे ये बात स्पष्ट है कि ये अपने बाल्यकाल से ही बहुत मेधावी छात्र थे।
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