भारतवर्ष, पूरे विश्व में अनेक विविधताओं के लिए प्रसिद्ध है। फिर चाहे ये विविधता भाषाओँ की हो, मान्यताओं की हो या फिर बदलती ऋतुओं की। प्राचीन काल में भारत की इस धरती पर बहुत से बड़े-बड़े यज्ञ और पूजन हुआ करते थे ताकि इंद्र देव प्रसन्न हों और धरती पर वर्षा कर उसे शीतलता प्रदान करें एवं समस्त प्राणियों को नवीन जीवन प्रदान करें क्योंकि हम सभी जानते हैं जल की आवश्यकता केवल मानव जाती को ही नहीं बल्कि पृथ्वी पर उपस्थित समस्त जीवों को होती है। इसलिए कहा भी जाता है कि जल ही जीवन है।
वर्तमान में विज्ञान के अनुसार ऐसा बताया जाता है कि जब समुद्र से सूर्य के प्रकाश के कारण वाष्प में परिवर्तित होकर पानी बादल के रूप में एकत्र हो जाता है और फिर वही पानी बादलों से वर्षा के रूप में धरती पर पुनः आकर इसे हरा भरा बनाता है। वर्षा होती है तो प्रकृति आनंद से झूम उठती है, चारों दिशाओं में रोमांच स्पष्ट देखने को मिलता है, मोर नाचना शुरू कर देते हैं और धरा की अप्रतिम सुंदरता पर चार चांद लग जाते हैं मानो स्वयं हरि प्रकट हुए हो।
10 lines on rainy season | वर्षा ऋतू पर 10 पंक्तियाँ
- वर्षा ऋतु अर्थात बरिश का मौसम। बारिश की हमारे जीवन में बहुत अधिक उपयोगिता है। बारिश साक्षात् जीवन का आधार स्वरुप है।
- सूखे तालाब, जलाशयों और नदियों में बारिश होते ही जल की कमी पूरी हो जाती है। नदियां पुनः कल कल करती हुई बहने लगती हैं ।
- जलाशयों के भरने से हिरन आदि जीव जन्तु उसमें अपनी प्यास बुझाने के लिए आते है। केवल जानवर ही नहीं अपितु पक्षी भी जलाशयों से जल पीने आते हैं।
- घनघोर घटा को देखकर मोर भी प्रसंन्ता से नृत्य करना शुरु कर देते हैं। पक्षी चहचहाने लगते हैं। पेड़ हवा के झोंको से मानो झूम रहे हों ऐसे प्रतीत होते हैं ।
- बारिश होने से धरती शोभित होती है, फसलों में शुद्धता देखने को मिलती है और फसलें पूरी तरह से उगना शुरु करती हैं।
- बारिश के समय सम्पूर्ण वातावरण शीतल हो जाता है। सभी प्राणियों को आनन्द की अनुभूति होती है।
- बहुत अधिक गर्मी से परेशान सभी प्राणियों के लिए वर्षा अत्यंत राहत प्रदान करने वाली होती है।
- बारिश में बच्चे कागज की नाव बना कर खेलते है। उनकी ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं होता वे बारिश में बाहर निकल कर नाचना भी शुरू कर देते हैं, उनकी खुशी का अनुमान कोई भी उनके प्यारे नादान मुख को देख कर लगा सकता है।
- हम सदैव ही सुनते आये हैं कि जल ही जीवन है और हम स्वयं भी इस बात से पूर्णतया परिचित हैं कि यदि जल नहीं होगा तो हम नहीं जी सकेंगे। वर्षा जल का एक बहुत महत्वपूर्ण श्रोत है।
- बहुत अधिक बारिश होने से जल का स्तर बढ़ जाता है और कई क्षेत्रों में बाढ़ तक आ जाती है। इन आपदाओं से सम्पूर्ण जन-जीवन बहुत ही बुरी तरह प्रभावित होता है। प्रभावित क्षेत्र में खाने इत्यादि की भी कमी हो जाती है और फसल भी पूरी तरह से बर्बाद हो जाती है।
10 lines on rainy season | वर्षा ऋतू पर 10 पंक्तियाँ
- प्रकृति का अनुपम और असीम सौंदर्य वर्षा ऋतु में देखने को मिलता है। बारिश होने के बाद धरती का दृश्य बिल्कुल बदल जाता है।
- किसानों की महीनों की प्रतीक्षा समाप्त होती है, वर्षा का आगमन देखकर प्रत्येक व्यक्ति का ह्रदय उत्साह से भर उठता है और छोटे छोटे बच्चे बारिश में बड़े उमंग के साथ उछल-उछल कर नृत्य करते हैं और पानी में कागज की नाव बनाकर बहाते हैं।
- बारिश के मौसम में हमारे भारत देश में तो हर एक घर में पकोड़े और चाय का बहुत अधिक प्रचलन है। यहाँ बरसात हो और पकोड़ों के साथ चाय की चुस्की न ली जाए ये तो मुमकिन ही नहीं है।
- भारत देश में वर्षा ऋतु सिर्फ एक ऋतु ही नहीं अपितु एक नया त्यौहार एक नया आरम्भ है, जिसकी प्रतीक्षा सभी को बड़ी उत्सुकता से रहती है।
- बारिश आते ही चारों ओर हरियाली छा जाती है। मोर, पपीहे नाचने गाने लगते हैं ऐसा लगता है मानो धरा का श्रृंगार हो गया हो इस समय प्रकृति अत्यंत मनमोहक और आकर्षक दिखने लगती है।
- वर्षा हमारी पृथ्वी के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। यदि वर्षा की कमी हो जाये तो समस्त जन जीवन अस्त व्यस्त हो जायेगा।
- बारिश फसलों के उगने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। वर्षा के आरम्भ होने से सभी लोगो को भीषण मई जून की गर्मी से राहत मिलती है।
- इसीलिए ऐसे में कुछ दिनों का अवकाश घोषित कर दिया जाता है। यदि बच्चों की बात करें तो बारिश अर्थात छुट्टियां।
- वास्तव में एक ही चीज़ के प्रति हम मनुष्यों में बहुत अलग अलग भाव होते है। एक वस्तु किसी के लिए आनंद का श्रोत हो सकती है तो अन्य किसी के लिए तनावपूर्ण और बुरी।
सत्य ही है किसी भी चीज की अधिकता बहुत ही हानिकारक होती है। जो प्रकृति जीवन प्रदान करती है वो प्रलय भी ला सकती है । हम मनुष्यों का ये सबसे पहला कर्त्तव्य है कि हम अपनी जीवन दायनी की भली प्रकार एक निष्ठ होकर रक्षा करें।
वर्तमान में चल रही गंभीर परिस्थितियों को देख कर यही प्रतीत होता है कि यदि मानव अपनी महत्वकांक्षाओं की पूर्ति हेतु प्रकृति को इसी भाँति अनदेखा करता रहा तो वो दिन बिल्कुल भी दूर नहीं जब सब कुछ अंत को प्राप्त होगा।
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