Nari Shiksha par Nibandh – Essay on Women Education in Hindi

nari shiksha par nibandh

नारी शिक्षा पर निबंध

किसी ने सही कहा है कि…..

यदि एक नारी शिक्षित होगी तभी वह सम्पूर्ण संसार को सुशिक्षित कर सकेगी।

इसलिए आज हम आपके लिए नारी शिक्षा पर निबंध लेकर आए हैं। जोकि परीक्षा की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण हो सकता है।

नारी शिक्षा का इतिहास

भारत में आरंभिक काल से ही नारी शिक्षा की महत्ता को स्वीकार किया गया है। यहां प्राचीनकाल में अनसूया, गार्गी, मैत्रेयी, सावित्री, अरुंधती, लोपामुद्रा, सीता जैसी कई शिक्षित नारियों ने जन्म लिया। जिन्हें ज्ञान विज्ञान, धर्म, दर्शन और कला आदि के क्षेत्र में दक्षता हासिल थी।

इतना ही नहीं, प्राचीन भारत में मौजूद ब्रह्मचर्य आश्रमों में बालकों की भांति बालिकाएं भी अस्त्र शस्त्र और वेदों का ज्ञान प्राप्त किया करती थी। परन्तु मध्यकाल आते – आते नारियों की दशा काफी शोचनीय हो गई। उन्हें पुरुषों द्वारा मात्र दासी या उपभोग की वस्तु समझा जाने लगा। इसके अलावा स्त्रियों से शिक्षा और वेदों के अध्ययन का अधिकार भी छीन लिया गया।

जिससे समाज में परदा प्रथा, बाल विवाह, दहेज प्रथा, घरेलू हिंसा, बहु विवाह, अशिक्षा, भ्रूण हत्या, सती प्रथा आदि कुरीतियों को बल मिला। हालांकि जब भारत में अंग्रेजी शासन स्थापित हो गया था। तब हमारे समाज के कई महान् व्यक्तियों ने स्वतंत्रता प्राप्ति के साथ साथ नारी शिक्षा के लिए भी आवाज बुलंद की थी।

जिसमें राजा राममोहन राय, स्वामी दयानंद सरस्वती, भारतेंदु हरिश्चंद्र, पंडित श्रद्धा राम फिल्लौरी, पंडित मदन मोहन मालवीय आदि प्रमुख थे। जिनके प्रयासों का सफल परिणाम यह रहा कि आज़ादी के बाद गांव, कस्बों और नगरों में नारी शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लड़कियों के लिए अलग विद्यालयों और महाविद्यालयों की स्थापना की गई।

जिसमें आगे चलकर पढ़ने वाली छात्राओं की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज की गई। बात की जाए आधुनिक समय की, तो आज ऐसा कोई क्षेत्र शेष नहीं रह गया है। जहां नारियां पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर नहीं चल रही हैं। वह डॉक्टर, नर्स, पुलिस, आर्मी, शिक्षिका, पत्रकार इत्यादि बनकर देश के विकास में अपना अतुलनीय योगदान दे रही है।

ऐसे में कहा जा सकता है कि वर्तमान समय में वहीं समाज प्रगति कर सकता है। जिसकी नारियां शिक्षित और अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होती हैं।


नारी शिक्षा की आवश्यकता और वर्तमान आंकड़े

यह सर्वविदित है कि नर और नारी एक ही सिक्के के दो पहलू होते हैं। परन्तु हमारे समाज में प्रारम्भ से ही पुरुषों को अधिक प्रधानता दी जाती रही है। फिर चाहे वह आर्थिक संपन्नता की बात हो या सामाजिक। लेकिन यह भी सत्य है कि बिना नारी के एक विकसित समाज की कल्पना भी नहीं की जा सकती।

यही कारण है कि हमारे समाज में सदैव से ही नारियों की स्थिति में बदलाव लाने का प्रयास किया जाता रहा है। क्योंकि एक शिक्षित नारी के कंधों पर ही आने वाली पीढ़ी का उत्तरदायित्व होता है। और जब एक नारी शिक्षित होती है तभी वह दो घरों को आर्थिक और सामाजिक मदद करने में सहायक होती है।

ऐसे में महिलाओं का पढ़ा लिखा बहुत जरूरी है। क्योंकि जब नारी शिक्षित होगी तभी वह अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाने में सक्षम हो सकती है। इसलिए सरकार भी नारी शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करने के लिए प्रतिबद्ध है। भारतीय संविधान में भी स्त्री शिक्षा की उपयोगिता और महत्ता पर प्रकाश डाला गया है।

जिसके चलते भारत में छात्राओं के लिए अलग से स्कूल और कॉलेज की व्यवस्था, प्रोत्साहन राशियां, मुफ्त किताबें और यूनिफॉर्म, छात्रवृत्ति, नौकरी में आरक्षण, प्रौढ़ शिक्षा, आर्थिक रूप से कमजोर नारियों के स्वावलंबन की दिशा में वर्तमान सरकारें कार्यरत हैं।

दूसरा, कोई भी बच्चा जब इस संसार में जन्म लेता है। तो वह सबसे पहले नारी की कोख में आता है। ऐसे में किसी भी बच्चे की पहली गुरु उसकी अपनी माता होती है। और यदि माता ही अशिक्षित होगी। तो किसी भी बच्चे के भविष्य की नींव कैसे तैयार होगी?

इसलिए नारी शिक्षा का बंदोबस्त नारी सशक्तिकरण की दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है। एक शिक्षित नारी अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होती है, वह लैंगिक भेदभाव को कम कर सकती है, वह भ्रूण हत्या होने से रोक सकती है, वह दहेज का विरोध कर सकती है, वह समाज के लोगों की मानसिकता बदल सकती हैं, वह सम्पूर्ण परिवार को शिक्षित कर सकती हैं, साथ ही वह आर्थिक रूप से संपन्न भी हो सकती है।


आंकड़ों की मानें तो सम्पूर्ण भारत में 64.6 प्रतिशत महिलाएं शिक्षित हैं। जिनमें से स्त्रियों की शिक्षा को लेकर दिल्ली, केरल, मिजोरम, गुजरात और पंजाब आदि राज्यों में आंकड़े बेहतर हैं। लेकिन बिहार, उत्तर प्रदेश समेत राजस्थान में शिक्षित नारियों की संख्या में अधिक इजाफा नहीं हुआ है।

जबकि सरकार द्वारा नारी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कस्तूरबा विद्यालयों और बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ जैसी राष्ट्रीय स्तर की योजनाओं का संचालन किया गया है। साथ ही सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर बालिकाओं को पढ़ाने के लिए निशुल्क शिक्षा की जिम्मेदारी ली है।

क्योंकि हमारे संविधान में शिक्षा को भाग 3 के तहत आर्टिकल 29 से लेकर 30 तक मूल कर्तव्यों से जोड़ा गया है। यानि शिक्षा बालकों के साथ साथ बालिकाओं का भी मूल अधिकार है। जिसके तहत वर्ष 1986 में महिला समाख्या कार्यक्रम के माध्यम से महिलाओं की शिक्षा के क्षेत्र में भागीदारी सुनिश्चित की गई थी।


देश में नारियों के अशिक्षित रहने का कारण

हमारे देश में अगर किसी राज्य या क्षेत्र की महिलाएं शिक्षा को लेकर पिछड़ी हुई हैं। तो उसका सबसे बड़ा कारण उन पर थोपी जाने वाली सामाजिक और आर्थिक बंदिशें है। ऐसे में जहां एक ओर हमारे समाज में लड़के की बेहतर शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाता रहा है।

तो वहीं लड़कियों को बचपन से ही यह सिखाया जाता है। कि उन्हें पराए घर जाना है इसलिए उन्हें घर गृहस्थी के कार्यों को सीखना चाहिए। इसके अलावा माता पिता की कमजोर आर्थिक स्थिति, मासिक धर्म के दिनों में स्कूल ना जाना, यौन उत्पीड़न, सामाजिक दबाव, उच्च शिक्षा के प्रति जागरूकता की कमी, कम उम्र में विवाह हो जाना आदि कारणों की वजह से भी लड़कियां शिक्षा हासिल नहीं कर पाती हैं।


सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के बारे में

भारत सरकार द्वारा भारतीय महिलाओं को शिक्षित करने के उद्देश्य से कई प्रकार की योजनाओं को शुरू किया गया है। जिनका राज्य और केंद्रीय स्तर पर संचालन किया जाता है। उदाहरण के लिए, आज़ादी के बाद नारी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सर्व शिक्षा अभियान, इंदिरा महिला योजना, राष्ट्रीय महिला कोष, महिला समृद्धि योजना आदि योजनाओं को क्रियान्वित किया गया है।

तो वहीं वर्तमान राज्यों और केंद्र सरकार द्वारा बालिका शिक्षा के अंतर्गत बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, राजीव गांधी सबला योजना, कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय योजना, सुकन्या समृद्धि योजना, बालिका समृद्धि योजना, मुख्यमंत्री राजश्री योजना, मुख्यमंत्री लाडली योजना, झारखंड सरकार द्वारा छात्राओं के लिए मुफ्त शिक्षा व्यवस्था, नंदा देवी कन्या योजना,आदि योजनाओं का प्रावधान किया गया है।

जिसके तहत लड़कियों को शिक्षा ग्रहण करने के लिए आर्थिक रूप से सशक्त करने की पुरजोर कोशिश की जा रही है। और तमाम तरीके की छात्रवृत्ति योजनाओं जैसे प्रगति छात्रवृत्ति, स्वामी विवेकानंद छात्रवृत्ति, उड़ान योजना आदि के माध्यम से लड़कियों को उच्च शिक्षा के लिए प्रेरित करने हेतु सरकार प्रयासरत है।

साथ ही महिलाओं को शिक्षित और आर्थिक रूप से समृद्ध बनाने के लिए भी सरकार बड़े स्तर पर महिला उद्यमिता, महिला ऋण, महिला आरक्षण, महिला मातृत्व अवकाश, प्रौढ़ नारी शिक्षा और  कार्यस्थल पर नारी सुरक्षा जैसे अहम मुद्दों पर जागरूकता को बढ़ावा दे रही है। ताकि महिलाएं भी शिक्षित होकर देश के विकास में अपना योगदान दे सकें।


नारी समाज के प्रेरक उदाहरण

बात की जाए भारतीय समाज में मौजूद नारी शक्ति की, तो फिर चाहे वह स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई हो। या स्वयं के आर्थिक अस्तित्व की। शिक्षित महिलाओं ने प्रत्येक स्तर पर खुद को स्थापित किया है।

देश की आज़ादी के समय विजय लक्ष्मी पंडित, रानी लक्ष्मी बाई, सरोजिनी नायडू, कुंतला कुमारी, कमला नेहरू, इंदिरा गांधी, कस्तूरबा, मदर टेरेसा, रजिया सुल्तान, बेगम हजरत महल, भीकाजी कामा, सुचेता कृपलानी, डॉ. लक्ष्मी सहगल, दुर्गा बाई देशमुख आदि अनेकों नारियों ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।


जिसके लिए इतिहास उन्हें सदैव याद रखेगा। इसके अलावा हमारे भारतीय समाज में सावित्री बाई फुले जैसी नारी ने जन्म लिया। जिन्होंने बालिका शिक्षा के प्रचार प्रसार में अपना सारा जीवन न्योछावर कर दिया।

आधुनिक भारत में फिर चाहे वह खेल, राजनीति, शिक्षा, कला, विज्ञान या अन्य कोई क्षेत्र हो। भारतीय महिलाओं ने प्रत्येक स्थान पर अपनी छाप छोड़ी है। हमारे समाज में कई ऐसी शिक्षित नारियां रहीं और वर्तमान में हैं।

जोकि देश के विकास में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर रही हैं। ऐसे में आज हम आपका परिचय  वर्तमान समय में अपने क्षेत्र में लोकप्रिय नारियों से करवाएंगे।  जैसे – प्रिया झिंगन, हरिता कौर देओल, दुर्गा बनर्जी, बछेंद्री पाल, मैरी कॉम, सरला ठकराल, साइना नेहवाल, सानिया मिर्ज़ा, फातिमा बीबी, अंजलि गुप्ता, किरण बेदी, कल्पना चावला, प्रतिभा पाटिल, मिताली राज, आरती साहा, रीटा फरिया पॉवेल, अरुणिमा सिन्हा, शीला दावरे, रोशनी शर्मा, आनंदी बाई गोपाल राव जोशी आदि शिक्षित और अपने क्षेत्र में विख्यात नारियों के उदाहरण हैं।

नारी शिक्षा पर नारे

1. नारी को पढ़ाना है,देश को आगे बढ़ाना है।


2. नारी अबला नहीं आलंबन है,पढ़ाई से उसका स्वावलंबन है।


3. कोई भी ना छूटे इस बार,शिक्षा हो नारी का जन्मसिद्ध अधिकार।


4. बेटी पढ़ाओ,देश बचाओ।


5. बलवान हो नारी,निष्ठावान हो नारी,शिक्षावान हो नारी।


6. समाज उठाए नारी शिक्षा की जिम्मेदारी,इसी में है समझदारी।


7. नारी के हाथों में दे ताकत रूपी शिक्षा की तलवार।


8. शिक्षा है जीवन का अमूल्य उपहार,शिक्षित नारी होती है ज्ञान का भंडार।


9. पुरुषों संग कंधे से कंधा मिलाकर चलना है,नारी को पढ़ना है।


10. देश को करनी है तरक्की,तो नारी शिक्षा है जरूरी।


उपसंहार

इस प्रकार, हम कह सकते हैं कि जिस देश में नारियों को शिक्षा का अधिकार प्राप्त है। वहीं देश आगे चलकर प्रगति के नए आयाम स्थापित कर सकता है। इसके विपरित जिस समाज में नारी के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार होता है। उस समाज का पतन निश्चित है।

इसलिए हमें एक जागरूक नागरिक का कर्तव्य निभाते हुए नारियों को अधिक से अधिक शिक्षित करने का प्रयास करना चाहिए। तभी हम एक उज्जवल भविष्य का सपना साकार कर सकेंगे। और आज 21 वीं सदी के इस युग में यदि पुरुषों के मुकाबले महिलाएं भी शिक्षित होंगी, तो वह समाज के विकास में अपना सर्वस्व योगदान दे पाएंगी। 

इसके साथ ही यह लेख (nari shiksha par nibandh) समाप्त होता है। आशा करते हैं कि यह आपको पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य कई निबंध पढ़ने के लिए निबंध लेखन को चेक करें।


अंशिका जौहरी

मेरा नाम अंशिका जौहरी है और मैंने पत्रकारिता में स्नातकोत्तर किया है। मुझे सामाजिक चेतना से जुड़े मुद्दों पर बेबाकी से लिखना और बोलना पसंद है।

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