आपने अक्सर लोगों को गले या हाथ में रुद्राक्ष पहने हुए देखा होगा। कई लोग रुद्राक्ष की माला हाथ में लेकर मंत्र जाप भी करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह रुद्राक्ष क्या है और कहां से आया है? रुद्राक्ष धार्मिक दृष्टि से इतना महत्वपूर्ण क्यों है? यदि नहीं! तो आज हम आपको रुद्राक्ष के विषय में विस्तार से जानकारी देने वाले हैं।
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रुद्राक्ष क्या है और कैसे हुई इसकी उत्पत्ति?
रुद्राक्ष संस्कृत भाषा का शब्द है। जिसका संधि विच्छेद करने पर हमें रुद्र+अक्सा प्राप्त होता है।जिसका शाब्दिक अर्थ भगवान शिव का आंसू होता है। अर्थात् भगवान शिव की आंख से निकले आंसू या जल से ही रुद्राक्ष की उत्पत्ति हुई है।
रुद्राक्ष देखने में किसी फल की गुठली जैसा होता है। सामान्यता इसकी आकृति गोलाकार और रंग भूरा होता है। रुद्राक्ष का प्रयोग लोग एक सुरक्षा कवच की भांति करते हैं।
रुद्राक्ष की उत्पत्ति को लेकर एक धार्मिक कथा प्रचलित है। कहा जाता है कि जब भगवान शिव हजारों वर्षों तक समाधि लिए हुए थे। तब समाधि से बाहर आने के पश्चात् उन्होंने विश्व कल्याण के लिए अपनी आंखें बंद कर ली थी।
इसी दौरान उनकी आंख से निकले आंसू या जल की बूंद जब धरती पर गिरी। तब उस जगह पर पेड़ उत्पन्न हो गए और उनमें फल और फूल के तौर पर रुद्राक्ष आने लगे। जिसे ही आगे चलकर शिव भक्तों ने पापनाशक और मोक्षदायी यंत्र के रूप में पहनना आरंभ कर दिया।
रुद्राक्ष कहां पाए जाते हैं?
रुद्राक्ष भारत के अलावा नेपाल, बर्मा, थाईलैंड और इंडोनेशिया में भी पाए जाते हैं। हिमालय पर्वत की तराई में पाए जाने वाले रुद्राक्षों को काफी दुर्लभ और प्रभावी किस्म का माना गया है।रुद्राक्ष देश के भीतर बंगाल, असम और उत्तराखंड राज्य में पाए जाते हैं। जिसकी वर्तमान में तीन प्रजाति पाई जाती हैं। जिनमें नेपाली, इंडोनेशिया और भारतीय रुद्राक्ष विशेष हैं।
कैसा होता है रुद्राक्ष का पेड़?
रुद्राक्ष का पेड़ सदाबहार वनस्पतियों की श्रेणी में आता है।जिसकी पत्तियां लंबी और चमकदार होती हैं। रुद्राक्ष के पेड़ पर सफेद रंग के फूल खिलते हैं। साथ ही इसका फल जब कच्चा होता है, तब उसका रंग हरा होता है। लेकिन पकने के बाद वह नीले रंग में परिवर्तित हो जाता है।
रुद्राक्ष के पेड़ पर जो फल पक जाते हैं, उसकी गुठली को ही रुद्राक्ष कहा गया है। जिसपर गोल, बेलनाकार, चपटे और अर्धचक्राकार रुद्राक्ष पाए जाते हैं।
रुद्राक्ष क्यों पहनते हैं?
धार्मिक मान्यता है कि रुद्राक्ष को पहनने से भगवान शिव की कृपा सदा आप पर बनी रहती है। इसलिए लोग इसे भगवान शिव का आशीर्वाद समझकर गले में माला के रूप में और हाथ की कलाई पर धारण करते हैं। रुद्राक्ष को महिलाओं द्वारा भी आभूषणों के साथ पहना जाता है।
इसे तांत्रिक, अघोड़ी बाबाओं और ऋषियों द्वारा भी धारण किया जाता है। जिनके अनुसार, रुद्राक्ष धरती पर भगवान शिव का प्रतीक चिह्न हैं। जिनको पहनने से भगवान शिव सदैव अपना आशीर्वाद आपके ऊपर बनाए रखते हैं।
अन्य धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो व्यक्ति रुद्राक्ष पहनता है उसको स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से जल्द छुटकारा मिल जाता है। इसलिए विज्ञान भी रुद्राक्ष के औषधीय महत्व को स्वीकार करता है। साथ ही जो शिव भक्त हाथ में रुद्राक्ष की माला लेकर भगवान शिव के मंत्र ॐ नमः शिवाय का जाप करते हैं, उनपर बुरी शक्तियों का प्रभाव कदाचित नही पड़ता है।
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, रुद्राक्ष व्यक्ति को राहु केतु और मंगल की कुदृष्टि से बचाता है। हिंदू धर्म के पवित्र पुराणों में भी यह वर्णित है कि रुद्राक्ष पहनने से व्यक्ति के मनोबल में वृद्धि होती है और यह व्यक्ति के जीवन में यश, धन और मान सम्मान को भी बढ़ाता है।
कौन-सा रुद्राक्ष धारण करने पर होती है विशेष लाभ की प्राप्ति?
रुद्राक्ष एक से लेकर इक्कीस मुखी तक होते हैं। यहां मुखी से तात्पर्य रुद्राक्षों पर बनी प्राकृतिक धारियों या लकीरों से होता है। जिनका अपना अलग-अलग धार्मिक महत्व है।
लेकिन ऐसा कहा जाता है कि जो रुद्राक्ष गोल, कांटेदार और सीधी रेखा वाला होता है, वह सर्वोत्तम होता है। हिंदू धर्म में कुल 14 प्रकार के रुद्राक्षों का वर्णन किया गया है-
एक मुखी
रुद्राक्षों में जो एक मुख वाला रुद्राक्ष होता है, उसे शिवरूप कहा जाता है। इसके ग्रह सूर्य भगवान है। यह मुक्ति दाता कहलाता है। इसको धारण करने से व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक रोगों से छुटकारा मिल जाता है।
साथ ही इसे पहनने से व्यक्ति के यश और मान सम्मान में वृद्धि होती है। यह व्यक्ति के जीवन से चिंताओं और भय को दूर करता है। जिन लोगों की कुंडली में सूर्य कमजोर होता है, उन्हें एक मुखी रुद्राक्ष धारण करने की सलाह दी जाती है। एक मुखी रुद्राक्ष सिंह राशि के जातकों के लिए उत्तम माना गया है।
दो मुखी
इसे पार्वती या भगवान शिव का अर्धनारीश्वर रूप माना गया है। जिसका ग्रह चंद्रमा को कहा जाता है। इसे पहनने से व्यक्ति को इच्छित फल की प्राप्ति होती है। साथ ही व्यक्ति को जन्म मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिल जाती है। इसे पहनने से व्यक्ति वशीकरण की विद्या सीख जाता है।
जिन लोगों को किडनी की समस्या है, या आंख में कोई दोष है, तो यह रुद्राक्ष उनके लिए फलदाई है। दो मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से व्यक्ति का मन शांत रहता है। जिन लोगों की कुंडली में चन्द्रमा कमजोर होता है या विवाह संबंधी अड़चनें आ रही हैं। तो उसे दो मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। यह कर्क राशि के जातकों के लिए प्रभावी है।
तीन मुखी
इस रुद्राक्ष को त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु और महेश का रूप माना गया है। जिसके ग्रह मंगल देवता है। जोकि विद्या और खुशहाली का प्रतीक है। यदि आपका बच्चा पढ़ाई में कमजोर है, तो उसे तीन मुखी रुद्राक्ष पहना दीजिए। जिससे उसे लाभ प्राप्त होगा।
कुंडली में विद्यमान मंगल दोष को दूर करने के लिए भी तीन मुखी रुद्राक्ष पहना जाता है। तीन मुखी रुद्राक्ष स्त्री रोगों और संक्रमण को दूर करने के लिए उपयोगी है। यह मुख्य रूप से मेष और वृश्चिक राशि के लोगों को फायदा पहुंचाता है।
चार मुखी
यह रुद्राक्ष भगवान ब्रह्मा का रूप है। इसके ग्रह देवता बुध है। जिसके द्वारा व्यक्ति को चारों वेदों, पुराणों और संस्कृत भाषा का अच्छा ज्ञान प्राप्त होता है। इसलिए जिन व्यक्तियों को ग्रंथ अध्ययन में रुचि हो, उनको ही चार मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
इसे मोक्ष देने वाला भी कहा गया है। और किसी व्यक्ति को यदि त्वचा संबंधी रोग, कोढ़, नाक व कान का रोग हैं या वाणी में दोष है। तो उन्हें चार मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। यह कन्या और मिथुन राशि के जातक को लाभ देता है।
पंच मुखी
समस्त रुद्राक्षों में पंच मुखी रूद्राक्ष भगवान शिव का पंचम मुखी रूप कहलाता है। जिसके ग्रह देवता बृहस्पति है। जिसे मनुष्य के सभी पापों को हरने वाला बताया गया है। यह मुख्य रूप से धनु और मीन राशि के जातकों को पहनना चाहिए।
पंच मुखी रुद्राक्ष शिक्षा में आने वाली रुकावटों को दूर करता है। साथ ही मनुष्यों को भूत प्रेत और बुरी आत्माओं के प्रभाव से बचाता है। इस रुद्राक्ष की विशेष बात यह है कि यह स्त्री, पुरुष और बच्चों आदि किसी के द्वारा भी पहना जा सकता है।
यह व्यक्ति के स्नायु तंत्र को मजबूत बनाता है। साथ ही किडनी संबंधी रोगों, डायबिटीज और मोटापा को कम करने में भी यह सहायक है।
छह मुखी
इसे कार्तिक रूप माना गया है। जिसका देवता शुक्र है। जोकि व्यक्ति के शत्रुओं का नाश करता है। अगर आपकी राशि तुला या वृष है या आपकी कुंडली में शुक्र की स्थिति कमजोर है, तो आपको छह मुखी रूद्राक्ष धारण करने की सलाह दी जाती है।
साथ ही यह व्यावसायिक लाभ के लिए भी उपयोगी माना जाता है। मुख्य रूप से छह मुखी रुद्राक्ष को महिलाओं द्वारा पहनना अत्यंत लाभकारी माना गया है। जिस व्यक्ति की अपनी शक्तियां क्षीण हो गई हैं, उसे छह मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। यह रुद्राक्ष नपुंसकता, पथरी और मूत्राशय से जुड़ी समस्याओं से निजात दिलाता है।
सात मुखी
यह कामदेव और सप्तऋषियों का रूप माना गया है। जिसका ग्रह देवता शनि है। इसे धन प्राप्ति का सूचक भी मानते हैं। जो व्यक्ति सात मुखी रुद्राक्ष को धारण करता है, उसे धन, कीर्ति और विजय की प्राप्ति होती है।
साथ ही अगर कोई व्यक्ति अपने जीवन में बहुत जटिल रोगों से ग्रसित है तो उसे सात मुखी रुद्राक्ष पहनना चाहिए। यह कुंभ और मकर राशि को लाभ पहुंचाता है। इसके साथ ही लकवा, कैंसर, अस्थमा के मरीजों को भी सात मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
आठ मुखी
इसे देवलोक की आठों देवियों, अष्ट वसु और भगवान गणेश का रूप माना जाता है। जिसका ग्रह देवता राहु है। जिसे पहनने से व्यक्ति को अष्टसिद्धियां प्राप्त होती हैं। कुंडली में राहु संबंधी समस्याओं के होने पर इसे पहनना शुभ माना जाता है।
इससे व्यक्ति को धन लाभ भी होता है और लेखन में भी निपुणता हासिल होती है। जिन व्यक्तियों को मुकदमे आदि में विजय पाना हो, या गुप्त रोगों को दूर करना हो। उन्हें आठ मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
नौ मुखी
इसे कपिल मुनि और माता दुर्गा का रूप कहा गया है। जिसका ग्रह देवता केतु को माना गया है। जोकि व्यक्ति को सर्व ज्ञाता बनाता है।
जिन व्यक्तियों को अकाल मृत्यु का भय होता है, उन्हें नौ मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। यह व्यक्ति को मुकदमों में विजय, उदर रोगों, चर्म रोगों और शत्रुओं से मुक्ति दिलाता है।
दश मुखी
यह भगवान विष्णु रूप है। जिसको धारण करने से व्यक्ति की सारी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। यह दश मुखी रुद्राक्ष व्यक्ति को शत्रु बाधाओं से बचाते हैं।
जिसको पहनने से व्यक्ति के सुख सौभाग्य में बढ़ोतरी होती है। यदि किसी व्यक्ति के फेफड़ों में संक्रमण है, तो उसे दश मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
ग्यारह मुखी
यह एकदश रूप है। यानि 11 रुद्र इसके देवता माने गए हैं। जिसको धारण करने से व्यक्ति जीवन में विजय प्राप्त करता है। साथ ही संतान उत्पत्ति या उससे जुड़ी समस्या के समाधान के लिए ग्यारह मुखी रुद्राक्ष पहनना चाहिए। यह व्यक्ति के फेफड़ों से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं का अंत करता है।
बारह मुखी
यह भगवान सूर्य का रूप माना गया है। जोकि व्यक्ति के जीवन को प्रकाशित करता है।इसके माध्यम से व्यक्ति को जीवन में ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। यह व्यक्ति को सिर दर्द से छुटकारा दिलवाता है। साथ ही हृदय से जुड़ी समस्याओं का भी निवारण करता है।
तेरह मुखी
इसे कामदेव का रूप माना गया है। जो व्यक्ति के जीवन में शुभ मंगल की चेष्टा करता है। इसको पहनने से व्यक्ति को किडनी और लीवर जैसी गंभीर समस्या से छुटकारा मिलता है। साथ ही महिलाओं को इसे पहनने से गर्भ संबंधी दिक्कतों से मुक्ति मिल जाती है।
चौदह मुखी
यह भगवान हनुमान और श्रीकंठ का रूप माना गया है। जिसे पहनने से व्यक्ति को शांति का अनुभव होता है। यह रुद्राक्ष व्यक्ति को निराशा, बेचैनी और भय से मुक्त कराता है। चौदह मुखी रुद्राक्ष पहनने से किसी भी प्रकार की तंत्र मंत्र विद्या का बुरा असर व्यक्ति पर नही पड़ता है।
इसके अतिरिक्त गौरी शंकर, नंदी, गणेश, त्रिशूल, त्रिजूटी, लक्ष्मी और डमरू इत्यादि रुद्राक्षों को देवीय रूप की संज्ञा दी गई है। जिनको पहनने से व्यक्ति को दुःख व दरिद्रता से छुटकारा मिलता है और उसका यश संसार भर में व्याप्त हो जाता है।
किन लोगों को पहनना चाहिए रुद्राक्ष?
अब आपके मन में यह प्रश्न अवश्य आ रहा होगा? कि रुद्राक्ष मुख्य रूप से किन व्यक्तियों को पहनना चाहिए। तो चलिए जानते हैं…रुद्राक्ष मानव ऊर्जा को स्थिर बनाए रखने में सहायक है। ऐसे में यदि आपको अपने जीवन से निराशा होने लगी है, या किसी कार्य में अपना मन नहीं लगता है।
तो अपनी सम्पूर्ण इंद्रियों पर विजय पाने के लिए आप रुद्राक्ष को धारण कर सकते हैं। लेकिन हां हम आपको यह अवश्य कहेंगे कि बिना परामर्श और जानकारी के आपको रुद्राक्ष धारण नहीं करना चाहिए। बल्कि किसी जानकार व्यक्ति से विचार विमर्श करने के बाद ही आपको रुद्राक्ष पहनना चाहिए।
रुद्राक्ष को पहनने के पीछे का एक कारण यह भी है कि प्राचीन समय में जब ऋषि और मुनि जंगल में योग साधना किया करते थे। तब वह पेड़ों के फल और नदियों के पानी पर ही जीवन बसर किया करते थे। ऐसे में रुद्राक्ष के द्वारा यह पता लगाया जाता था कि उपरोक्त चीज़ें खाने और पीने के योग्य है।
यानि इसमें किसी प्रकार का कोई विषैला पदार्थ तो नही मौजूद है। जिसका निर्धारण कुछ ऐसे किया जाता था कि खाने पीने की वस्तु के ऊपर रुद्राक्ष लटकाया जाए। तो यदि वह सीधा घुमा तो माना जाता था कि यह वस्तु स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है।
अन्यथा रुद्राक्ष के विपरीत दिशा में घूमने पर उपरोक्त खाने पीने की चीज़ों को दूषित माना जाता था। ऐसे में कहा जा सकता है कि रुद्राक्ष को कोई भी व्यक्ति धारण कर सकता है। बजाय इसके कि यदि उसके मन में दूसरों के प्रति कोई दुर्भावना नहीं है, तो रुद्राक्ष उसके लिए फलदाई हो सकता है।
छात्रों के लिए विशेष रुद्राक्ष
यदि आप विद्यार्थी हैं या किसी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, तो आपको चार मुखी रुद्राक्ष धारण करने की सलाह दी जाती है। जहां गौरी शंकर रुद्राक्ष वैवाहिक जीवन में सुख शांति की कामना के लिए पहना जाता है, तो वहीं विद्यार्थी जीवन में सफलता पाने के लिए आप चार मुखी रूद्राक्ष पहन सकते हैं।
चार मुखी रुद्राक्ष को भगवान ब्रह्मा और माता सरस्वती का प्रतीक माना गया है। ऐसे में जिन छात्र छात्राओं को पढ़ते समय एकाग्रता में कमी महसूस होती है, उन्हें चार मुखी रुद्राक्ष पहनना चाहिए। यदि आपका मन पढ़ाई लिखाई से दूर भागता है, तो चार मुखी रुद्राक्ष धारण करके आप अपनी पढ़ाई में रुचि उत्पन्न कर सकते हैं।
साथ ही जो परीक्षार्थी किसी परीक्षा में विशेष सफलता हासिल करना चाहते हैं, ये रुद्राक्ष उन्हें भी लाभ पहुंचाता है।
विद्यार्थियों द्वारा चार मुखी रुद्राक्ष पहनने से उनके शिक्षा के क्षेत्र में आने वाले सारे व्यवधान दूर हो जाते हैं। इसके अलावा अन्य व्यक्तियों को भी चार मुखी रुद्राक्ष से काफी फायदा पहुंचता है। विशेषकर व्यवसायियों को चार मुखी रुद्राक्ष धारण करने से आर्थिक लाभ प्राप्त होता है।
यह रुद्राक्ष व्यक्ति को अध्यात्म और धर्म के पथ पर ले जाने का कार्य करता है। इसको पहनने से व्यक्ति के आचरण में शालीनता और वाणी में सौम्यता आती है। विज्ञान, शोध और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र से जुड़े लोगों को भी इसे पहनने से फायदा पहुंचता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, तुला, मकर, कुंभ, मिथुन, कन्या और वृषभ राशि के जातकों को भगवान शंकर का जाप करके चार मुखी रुद्राक्ष को पहनना चाहिए।
असली और नकली रुद्राक्ष की पहचान
रुद्राक्ष हिंदू धर्म में काफी पवित्र माना गया है। इसलिए उसे धारण करने से पहले उसकी गुणवत्ता जांचना आवश्यक हो जाता है। अन्यथा हमने जिस उद्देश्य के लिए उसे धारण किया है, वह रुद्राक्ष की सही पहचान न होने के कारण अधूरा ही रह जाता है।
वर्तमान समय में रुद्राक्ष के हुबहू भद्राक्ष चलन में है। जिसे लाभ कमाने के उद्देश्य से मंदिरों और मठों के आगे बेचा जा रहा है। जो देखने में तो रुद्राक्ष की तरह लगता है, लेकिन असल में उससे काफी अलग होता है। इसलिए हम आपको कुछ एक उपाय बताएंगे। जिसके माध्यम से आप रुद्राक्ष के असली या नकली होने का पता लगा सकते हैं।
- असली रुद्राक्ष के भीतर रेशे पाए जाते हैं। ऐसे में रुद्राक्ष खरीदने के बाद उसे सुई से कुरेदें। यदि उसमें से रेशे नही निकले तो समझिए वह नकली रुद्राक्ष है।
- यदि आप असली रुद्राक्ष के ऊपर सरसों का तेल डालते हैं और उसका रंग अत्यंत गहरा लगने लगता है। तो समझिए आपका रुद्राक्ष असली है।
- असली रुद्राक्ष की सबसे बड़ी पहचान यह होती है कि इसकी ऊपरी सतह कभी एक समान नहीं होती है।
- जो रुद्राक्ष जितना गहरे रंग का होगा, उसके असली होने की उतनी ही अधिक संभावना होती है।
- रुद्राक्ष असली है या नकली। इसकी पहचान करने के लिए उसे गरम पानी में कुछ देर तक उबालें। इस दौरान यदि उसका रंग हल्का नही पड़ता है, तो समझिए आपका रुद्राक्ष असली है।
रुद्राक्ष पहनते समय किन बातों का रखें ध्यान
भगवान शिव द्वारा प्रदत्त रुद्राक्ष का मानव जीवन में बहुत महत्व है। लोगों द्वारा इसे गृह शांति, सुरक्षा और आध्यात्मिक लाभ पाने के लिए धारण किया जाता है। लेकिन रुद्राक्ष पहनने से पहले आपको कुछ एक बातों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए।
अन्यथा इसके गलत प्रयोग का आपके ऊपर विपरीत प्रभाव भी पड़ सकता है। इसलिए रुद्राक्ष धारण करते समय कभी न करें ये गलतियां, वरना हो सकता है नुकसान।
- प्रत्येक व्यक्ति को शुद्ध गंगाजल से स्नान करने के बाद ही रुद्राक्ष को पहनना चाहिए। आगे जब कभी आप स्नान आदि के लिए जाएं तो रुद्राक्ष को उतारकर ही जाएं।
- रुद्राक्ष को केवल काले और लाल धागे में ही पिरोकर पहना जाना चाहिए।
- इसे पहनते समय ओम ह्रीं नम: मंत्र का करीब 108 बार जाप करना चाहिए।
- इसे केवल हाथ की कलाई, कंठ और हृदय पर ही पहनना चाहिए।
- कंठ पर रुद्राक्ष के 36, कलाई पर 12 और हृदय पर 108 दाने ही पहनने चाहिए।
- रुद्राक्ष धारण करने के बाद व्यक्ति को सात्विक जीवन अपनाना चाहिए। अन्यथा व्यक्ति को इसका अच्छा प्रभाव नहीं प्राप्त होता है।
- रुद्राक्ष को सावन के दिनों में भगवान शिव का आह्वान करके पहनना शुभ माना जाता है।
- कई लोग रुद्राक्ष को शिवरात्रि के पवित्र दिन पर भी धारण करते हैं। क्योंकि रुद्राक्ष भगवान शिव के नेत्र जल का प्रतीक माने गए हैं।
- रुद्राक्ष का केवल एक दाना भी लाल रंग के धागे में डालकर पहनने से आपको इसका लाभ प्राप्त होता है।
- रुद्राक्ष की माला में मनकों की संख्या 108 से कम नहीं होनी चाहिए।
इस प्रकार, हम आशा करते हैं कि रुद्राक्ष के बारे में हमारे द्वारा दी गई सारी जानकारी आपको उपयोगी लगी होगी। इसके अलावा, यदि आप रुद्राक्ष के विषय में और कुछ जानना चाहते हैं तो हमें कमेंट करके अवश्य बताएं। इसी प्रकार के धार्मिक महत्व से जुड़े विषयों के बारे में पढ़ने के लिए gurukul99 को फॉलो करना ना भूलें।
*आपसे निवेदन है कि रुद्राक्ष खरीदने से पहले उसकी पूर्णतः जांच का लें, चाहे आप online लें या दुकान में जाकर।
