18 वीं सदी को जिस महापुरुष ने अपने जन्म से पावन किया वह थे – स्वामी विवेकानंद। इनके द्वारा संचालित रामकृष्ण मिशन आज भी भारत में वेदों का प्रचार प्रसार करने के लिए प्रतिबद्ध है। स्वामी विवेकानंद भारतीय वेदों के ज्ञाता होने के साथ साथ एक कुशल आध्यात्मिक गुरु भी थे।
स्वामी विवेकानंद के विचारों और कार्यों से प्रभावित होकर सम्पूर्ण भारत वर्ष में हर साल इनका जन्मदिवस राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। ऐसे में आज हम आपके लिए लाए हैं युग पुरुष स्वामी विवेकानंद जी के प्रेरक विचार।
Vivekananda Quotes in Hindi
1. यदि आप किसी व्यक्ति की मदद कर सकते हैं तो अपने हाथ आगे बढ़ा दीजिए। अन्यथा हाथ जोड़ लीजिए और उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कीजिए।
2. सच को चाहे कितने भी तरीकों से सामने रखा जाए लेकिन वह कभी नहीं बदलता।
3. दुनिया एक प्रकार से व्यायामशाला है जहां हर कोई स्वयं को मजबूत बनाता है।
4. दूसरों के साथ भलाई करने से व्यक्ति का हृदय शुद्ध होता है और उसमें परमात्मा बसते हैं।
5. मनुष्य का बाहरी स्वभाव उसके भीतरी स्वभाव का ही एक वृहद रूप है।
6. यदि मनुष्य को आत्मविश्वास की परिभाषा विस्तार से पढ़ाई गई होती तो उसके जीवन से दुखों का एक हिस्सा समाप्त हो चुका होता।
7. संसार की समस्त चीज़ें क्षणिक और विलासितापूर्ण है लेकिन जो लोग दूसरों के लिए जीते है, असल में वहीं वास्तविक जीवन है।
8. यदि आपके जीवन में कोई समस्या नहीं है तो समझिए आप गलत राह पर हैं।
9. जो व्यक्ति खुद पर विश्वास नहीं करता है। उस पर ईश्वर भी विश्वास नहीं करते हैं।
10. जिस काम को करने की प्रतिज्ञा करो, उसे उसी वक्त पूर्ण करो। अन्यथा लोगों का आप पर से भरोसा उठ जाएगा।
11. व्यक्ति का धन यदि अच्छे कार्यों में लगे तब उसका मूल्य होता है। वरना उससे व्यक्ति को जितना जल्दी छुटकारा मिल जाए उतना ठीक होता है।
12. आत्मा के लिए कुछ भी असंभव नहीं है और जो ऐसा सोचते है वह सबसे बड़ा अधर्म है।
13. इस संसार में मौजूद सभी शक्तियों पर हमारा अधिकार है। ऐसे में हम खुद ही अपनी आंखों को बंद करके कहते है कि इस संसार में कितना अंधेरा है।
14. मनुष्य सब कुछ कर सकता है क्यूंकि उसमें अनंत शक्ति विद्यमान है।
15. जीवन में सफल होने के लिए एक विचार अपनाओ और रात दिन उसके बारे में ही चिन्तन करो।
16. जीवन में जोखिम लेने से घबराना नहीं चाहिए क्योंकि यदि आप यहां हारेंगे तो दूसरों का मार्गदर्शन करेंगे और जीतेंगे तो नेतृत्व करेंगे।
17. व्यक्ति द्वारा खुद को कमजोर आंकना सबसे बड़ा पाप है।
18. व्यक्ति को अपने हौसले बुलंद रखने चाहिए क्योंकि एक दिन वही लोग आपका गुणगान करेंगे जो आज आपके लिए कुछ कहते हैं।
19. व्यक्ति का सबसे अच्छा शिक्षक उसकी अपनी आत्मा होती है, जो उसे जीवन में उद्देश्य की प्राप्ति कराती है।
20. जो व्यक्ति अपने जीवन में समय को लेकर सजग रहता है। दूसरे लोग उस पर विश्वास करते हैं।
21. जो मनुष्य हर तरीके की परिस्थितियों पर अपनी पकड़ मजबूत रखता है उसका कोई कुछ नहीं बिगड़ सकता।
22. जीवन में उपहास, विरोध और स्वीकृति से गुजरने के पश्चात् ही किसी कार्य को महत्वपूर्ण समझा जाता है।
23. जीवन में संगठित हुए बिना कोई भी महान् और स्थिर कार्य नहीं किए जा सकते है।
24. मानव की इच्छाशक्ति को जिस संयम के माध्यम से वश में किया जाए वह शिक्षा कहलाती है।
25. ईश्वर की प्राप्ति संभव है यदि हम उसे स्वयं के दिल में और दूसरों के भीतर खोजने की कोशिश करें।
26. किसी कार्य को करने से पहले यह सोचना कि उपयुक्त कार्य को आप अद्भुत तरीके से करोगे। यहीं संकल्प आपको परम आनंद देता है।
27. मानव के ऊपर निर्भर करता है कि वह अग्नि का प्रयोग किस प्रकार करता है क्योंकि समय आने पर अग्नि हमें गर्मी भी प्रदान करती है और जला भी सकती है।
28. दुनिया का नियम है कि उपकार करने पर तुम्हारी जय जयकार करे या ना करे लेकिन जैसे ही तुम परोपकार बंद करोगे वह तुम्हें बुरा साबित कर देगी।
29. भारत देश धर्म, प्रेम और दर्शन की जन्मभूमि है जो इसे अन्य देशों से श्रेष्ठ बनाती है।
30. मनुष्य को ऐसी शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए जिससे कि उसके चरित्र का सम्पूर्ण विकास हो सके।
31. शिक्षा से तात्पर्य उस पूर्णता को प्राप्त करने से है जो मनुष्य में पहले से ही मौजूद है।
32. जो व्यक्ति दुर्बल है उसके लिए जीवन मृत्यु के समान है इसलिए बल ही जीवन है।
33. संसार में विद्यमान धर्म कोई कल्पना की वस्तु नहीं अपितु प्रत्यक्ष दर्शन का नाम है।
34. मानव मस्तिष्क की ताकत सूर्य की किरणों के समान होती है, जब वह केंद्रीकरण में होती हैं तो चमक उठती है।
35. जब भी व्यक्ति का दिल और दिमाग टकराव की स्थिति में हो तब व्यक्ति को दिल की सुननी चाहिए।
36. इस संसार में जो मनुष्य जितना करुणा, प्रेम और दया से ओत प्रोत होगा वह संसार को वैसा ही पाएगा।
37. मानव मस्तिष्क में जब उच्च कोटि के विचारों का प्रवाह होता है तब उसका फल अवश्य ही अच्छा प्राप्त होगा।
38. व्यक्ति की संसार में चाहे निन्दा हो या गुणगान लेकिन उसे अपने न्याय प्रिय पथ से कभी विचलित नहीं होना चाहिए।
39. मानव जीवन में जब ज्ञान का प्रकाश चहूं ओर फैलता है तो वह अंधकार को दूर कर देता है।
40. मानव द्वारा अर्जित किया जाने वाला ज्ञान वर्तमान की कहानी है। व्यक्ति तो मात्र ज्ञान का आविष्कार कर्ता है।
41. मानव जीवन जब तक संभव है तब तक मनुष्य को सीखने की प्रक्रिया जारी रखनी चाहिए।
42. व्यक्ति अपने भाग्य का निर्माता स्वयं है वह जो बोता है वहीं पाता है।
43. जो व्यक्ति आपको गाली दे आपको उसे धन्यवाद ज्ञापित करना चाहिए क्यूंकि वह व्यक्ति आपके झूठे दंभ को बाहर निकालने में आपकी मदद करता है।
44. जैसे कई सारी धाराएं समुन्द्र में अपना जल मिलाती है ठीक उसी प्रकार से जब मानव किसी रास्ते का चुनाव करता है तो वह ईश्वर तक जाने का मार्ग होता है।
45. मनुष्य का सबसे सच्चा साथी उसके द्वारा किया गया श्रम होता है। इसलिए अपने परिश्रम को सकारात्मक दिशा की ओर मोड़े ना विनाश की ओर ले जाएं।
46. जिस शिक्षा के माध्यम से व्यक्ति का जीवन निर्माण हो और चरित्र का गठन हो सके वहीं श्रेष्ठ कहलाती है।
47. व्यक्ति को चिंता से अधिक ध्यान चिंतन की ओर देना चाहिए इससे व्यक्ति में नए विचारों का निर्माण होता है।
48. मानव को शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक तौर पर जिन चीज़ों से भी दुर्बलता महसूस हो उन्हें उनका त्याग कर देना चाहिए।
49. बुद्धिमान व्यक्ति कभी भी दूसरों के सहारे जीवन नहीं जीता बल्कि वह निश्चय पूर्वक अपने ही पैरों पर खड़ा होता है।
50. जो व्यक्ति जीवन में किसी भी चीज से विचलित नहीं होता है असल में वहीं व्यक्ति अमरत्व को प्राप्त करता है।
इस प्रकार, स्वामी विवेकानंद जी के विचारों से हम सभी लोगों को यह प्रेरणा मिलती है कि व्यक्ति को जीवन में सदैव कर्म को प्रधानता देनी चाहिए और लक्ष्य के प्रति क्रियाशील रहना चाहिए। साथ ही इनके ओजस्वी विचार समाज में युवाओं को सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करते है। ऐसे में हमें स्वामी विवेकानंद जी के पदचिन्हों पर चलकर उनके विचारों को अपने जीवन में अनुसरण करना चाहिए।