वर्णों से बने शब्दों को इतिहास के आधार पर दो भागों में बांटा गया है – तत्सम और तद्भव शब्द [Tatsam Tadbhav Shabd] । आइए जानते है तत्सम और तद्भव शब्द क्या होते है।
तत्सम शब्द (Tatsam Shabd)
तत्सम दो शब्दों तत् और सम से मिलकर बना है, जिसका तात्पर्य है समान शब्द। यानि जो शब्द संस्कृत भाषा से किसी अन्य भाषा में समान रूप से बिना किसी परिवर्तन के अपना लिए गए हैं। वह तत्सम शब्द कहलाते हैं। जैसे – माता, वायु, पत्र, सूर्य आदि।
तद्भव शब्द (Tadbhav Shabd)
तद्भव शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है, तत् और भव। जिसका अर्थ है उससे उत्पन्न। यानि जो शब्द संस्कृत भाषा से लिए गए हैं लेकिन समय और परिस्थिति के अनुसार उनमें परिवर्तन आया है, वह तद्भव शब्द कहलाते हैं। जैसे – हस्त से हाथ, उज्ज्वल से उजाला, संध्या से सांझ आदि।
अ, आ, इ आदि वर्ण के आधार पर…
तत्सम | तद्भव |
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अम्बा | अम्मा |
अग्नि | आग |
अर्ध | आधा |
अस्थि | हड्डी |
अश्रु | आंसू |
अक्षि | आंख |
आश्रय | आसरा |
आश्चर्य | अचरज |
अष्ट | आठ |
उज्ज्वल | उजाला |
उष्ट्र | ऊंट |
ओष्ट | ओंठ |
ऐक्य | एका |
एकादश | ग्यारह |
ऋषि | रिषी |
उल्लास | हुलास |
उपाध्याय | ओझा |
आम्र | आम |
उलूक | उल्लू |
उपवास | उपास |
क, ख, ग, घ आदि वर्ण के आधार पर……
तत्सम | तद्भव |
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कार्य | कारज |
कर्म | काम |
कपाट | किवाड़ |
कूप | कुआं |
कर्ण | कान |
कुंभकार | कुम्हार |
कंकण | कंगन |
कंटक | कांटा |
कोकिल | कोयल |
कृष्ण | किशन |
खट्वा | खाट |
गर्दभ | गधा |
गौर | गोरा |
ग्राम | गांव |
गृह | घर |
घट | घड़ा |
घृत | घी |
गुच्छ | गुच्छा |
घट | घड़ा |
घोटक | घोड़ा |
च, छ, ज, ज्ञ आदि वर्ण के आधार पर………
तत्सम | तद्भव |
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चन्द्र | चांद |
चंद्रिका | चांदनी |
चौर | चोर |
चक | चाक |
चूर्ण | चूरन |
चैत्र | चैत |
चतुर्दश | चौदह |
चर्वण | चबाना |
जमाता | जंवाई |
जिह् | जीभ |
ज्ञान | ग्यान |
जंभ | जबड़ा |
जीरक | जीरा |
छिद्र | छेद |
जन्म | जनम |
ज्योति | जोति |
जंबुल | जामुन |
ज्येष्ठ | जेठ |
ट, ड, ढ, ठ आदि वर्ण के आधार पर……
तत्सम | तद्भव |
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टंकशाला | टकसाल |
टिक | डिग |
ठक्कुर | ठाकुर |
डाकिनी | डायन |
डयन | डैना |
ढक्का | ढकना |
टंक | टाका |
तिट्ठिभ | टिटिहरी |
डिब | डिब्बा |
डोरक | डोरा |
ढूंढन | ढूंढना |
त, थ, द, ध आदि वर्ण के आधार पर…….
तत्सम | तद्भव |
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तैल | तेल |
स्थल | थल |
दधि | दही |
दुग्ध | दूध |
दन्त | दांत |
दुर्बल | दुबला |
दीपावली | दीवाली |
धैर्य | धीरज |
नव | नौ, नया |
नग्न | नंगा |
निद्रा | नींद |
नयन | नैन |
प्रहर | पहर |
पद | पांव |
पिपासा | प्यास |
पुराण | पुराना |
पौत्र | पोता |
पत्र | पत्ता |
पर्यक | पलंग |
पक्व | पक्का |
पक्षी | पंछी |
बधिर | बहरा |
बधू | बहू |
बिंदु | बूंद |
भगिनी | बहिन |
भ्रमर | भौंरा |
मयूर | मोर |
मुख | मुंह |
मस्तक | माथा |
यमुना | जमुना |
लज्जा | लाज |
लछमन | लक्ष्मण |
श्रावण | सावन |
शकरा | शक्कर |
शून्य | सूना |
शाक | साग |
सप्त | सात |
हस्त | हाथ |
हृदय | हिय |
श्यामल | सांवला |
क्षेत्र | खेत |
सूत्र | सूत |
सौभाग्य | सुहाग |
स्फूर्ति | फुर्ती |
स्वप्न | सपना |
सूर्य | सूरज |
हस्ती | हाथी |
तृण | तिनका |
तिलक | टीका |
तुच्छ | तुच्चा |
तिक्त | तीता |
त्रुट | टूट |
दंश | डंक |
पुच्छ | पूंछ |
बालुका | बालू |
पक्ष | पंख |
प्रेहलिका | पहेली |
वंशी | बांसुरी |
बन्ध | बांध |
मिष्ठान्न | मिठाई |
योग | जोग |
वन | बन |
श्वास | सांस |
शूकर | सूअर |
श्यामल | सांवला |
सर्प | सांप |
सूत्र | सूत |
हास्य | हंसी |
हस्तिनी | हथनी |
वृद्ध | बूढ़ा |
स्कंध | कंधा |
स्नेह | स्नेह |
सज्जा | साज |
स्वप्न | सपना |
संधि | सेंध |
हरिण | हिरन |
होलिका | होली |
हत्याकार | हत्यारा |
सूर्य | सूरज |
संदंशिका | संड़सी |
हृदय | हिया |
श्रावणी | सावनी |
स्थल | थल |
सीसक | सीसा |
हरिद्रा | हल्दी |
वाद्य | बाजा |
श्रावण | सावन |
शाप | श्राप |
श्रृंगाल | सियार |
षष्ठ | छठा |
श्रृंग | सींग |
सूची | सुई |
साक्षी | साखी |
इस प्रकार हिंदी व्याकरण के अंतर्गत शब्दों को स्रोतों के आधार पर तत्सम और तद्भव [Tatsam Tadbhav Shabd] में बांटा गया है जो इसके अतिरिक्त होते है।
