वाच्य क्रिया का वह परिवर्तित रूप होता है, जिसके माध्यम से किसी वाक्य में कर्ता, कर्म और भाव की प्रधानता के बारे में पता चलता है। यानि वाच्य हिंदी व्याकरण का वह भाग होते हैं, जिससे वाक्य की प्रधान क्रिया के बारे में ज्ञात होता है। वाच्य का अर्थ बोलने योग्य से लगाया जाता है। इस प्रकार, वाच्य को क्रिया का विधान माना जाता है।
वाच्य के भेद – Vachya ke Bhed
वाच्य के तीन भेद होते हैं – कर्तृवाच्य, कर्मवाच्य और भाववाच्य।
कर्तृवाच्य
जब किसी वाक्य में प्रयुक्त क्रिया के प्रधान कर्ता के बारे में पता लगता है। तब वहां कर्तृवाच्य होता है। यह सकर्मक और अकर्मक दोनों ही क्रियाओं से मिलकर बनता है। हालांकि इसमें किसी प्रकार के कारक चिह्न का उपयोग नहीं किया जाता है। उदाहरण के लिए-
1. विजय ने खाना खाया।
2. पूजा स्कूल जाती है।
3. वह मंदिर जा रही है।
4. रमेश दफ्तर से आकर सो गया।
5. मैं विज्ञान पढ़ाती हूं।
कर्मवाच्य
किसी वाक्य में मौजूद जब कर्ता के कर्म की प्रधानता ज्ञात होती है। तब वहां कर्मवाच्य होता है। यह मुख्यता सकर्मक क्रिया से बनता है। इसमें क्रिया का प्रभाव कर्ता पर ना पड़कर कर्म पर पड़ता है। साथ ही इसमें ने, द्वारा, के द्वारा आदि कारक चिन्हों का प्रयोग होता है। उदाहरण के लिए-
1. पत्र भेजा गया।
2. किताब पढ़ी गई।
3. मीरा द्वारा सामान लाया जा चुका है।
4. तुम्हारे द्वारा उसे यहां लाया गया।
5. मेरे द्वारा उसकी फीस जमा हो सकी।
भाववाच्य
भाववाच्य में मुख्य रूप से किसी वाक्य में मौजूद भाव की प्रधानता दर्शायी जाती है। और इसका निर्माण अकर्मक क्रिया से होता है। इसमें से आदि कारक चिन्ह प्रयोग किए जाते हैं। और इन्हें मना, न, नी, मत आदि निषेधात्मक शब्दों को जोड़कर तैयार किया जाता है। भाववाच्य में किसी भी कार्य का ना होना पाया जाता है। उदाहरण के लिए-
1. राम से पढ़ा नहीं जाता।
2. उससे दौड़ा नही जाता है।
3. शेर से पेड़ पर चढ़ा नही जाता।
4. तुमसे कोई काम ठीक से नही किया जाता।
5. श्याम से तेज बोला नही जाता।
वाच्य के प्रयोग
कर्तरि – जब किसी वाक्य में मौजूद क्रिया के वचन, पुरुष और लिंग कर्ता के अनुसार होते हैं। तब वहां वाच्य का कर्तरि प्रयोग होता है। जैसे – मनोज पुस्तक पढ़ता है।
कर्मणि – किसी वाक्य में प्रयुक्त क्रिया का लिंग, वचन और पुरुष जब कर्ता की बजाय कर्म पर आधारित होता है। तब वहां वाच्य का कर्मणि प्रयोग होता है। जैसे – उसने गाना गाया।
भावे – इसी प्रकार से जब वाक्य में प्रयोग की गई क्रिया का लिंग, वचन और पुरुष कर्ता और कर्म के अलावा अन्य पुरुष, एकवचन और पुल्लिंग में होता है। तब वहां वाच्य का भावे प्रयोग होता है। जैसे – तुमसे चुप नही रहा जाता।
